Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
12-21-2018, 01:28 AM,
RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
करीब 30 मिनट के बाद फिर से गेट खुला ऑर सामने सोनिया ,,,,शोबा ऑर नीलम आंटी थी जबकि मैने देखा कि
पीछे कविता ऑर उसकी भाभी भी खड़ी हुई थी,,,,,उन लोगो ने अपने चेहरे को दुपट्टे से कवर किया हुआ था लेकिन
उनकी नम आँखें मुझे अभी भी नज़र आ रही थी ऑर आँखों से बहने वाले आँसू भी,,,,

शोबा दीदी थोड़े गुस्से मेथी शायद ,,एसी ऑन होने की वजह से मैने कार के शीशे नीचे नही किए थे इसलिए 
मुझे कुछ सुनाई नही दे रहा था,,,,लेकिन नज़र सब कुछ आ रहा था,,,,,

मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कविता का कोई लफडा है किसी से ,,,कोई बाय्फ्रेंड या कुछ ऐसा ही,,ऑर उसकी भाभी भी
उसकी हेल्प करती होगी इश्स काम मे इसलिए उसकी भाभी को भी मार पड़ी होगी,,,,,

शोबा दीदी हल्के से गुस्से मे थी जबकि नीलम आंटी बार बार शोबा दीदी के सामने हाथ जोड़ रही थी शायद वो किसी
बात के लिए दीदी ने माफी माँग रही थी,,,,,तभी मैने देखा कि शोबा दीदी ने अपने फोन से कोई नंबर डाइयल किया
लेकिन जल्दी से नीलम आंटी ने दीदी के हाथ मे मोबाइल पकड़ लिया ऑर डिसकनेक्ट कर दिया ,,,ऑर फोन वापिस दीदी को
देते हुए फिर से हाथ जोड़के माफी माँगने लगी थी ऑर दीदी अपनी उंगली दिखा दिखा कर गुस्से मे बात कर रही थी 
शायद वो नीलम आंटी को कोई चेतावनी दे रही थी किसी बात के लिए खबरदार कर रही थी तभी तो नीलम आंटी
हाथ जोड़ कर खड़ी हुई थी दीदी के सामने,,,,,नीलम आंटी की आँखें भी इस टाइम नम थी ,,,,,,

फिर दीदी कविता ऑर उसकी भाभी कामिनी को बड़े प्यार से हग करके मिली ऑर सोनिया को साथ लेके कार की तरफ आ गई,,,,वोदोनो कार मे बैठ गई जबकि नीलम कविता ऑर उसकी भाभी हमे बाइ बोलके जल्दी से अंदर चली गई,,,,दीदी मेरे
साथ बैठ गई ऑर सोनिया पीछे की सीट पर,,,मैं दीदी से कविता के घर की प्राब्लम के बारे मे बात तो करना चाहता 
था लेकिन पीछे की सीट पर सोनिया बैठी हुई थी ऑर उसके सामने दीदी चाह कर भी मेरी बात का कोई जवाब नही देती
इसलिए मैं चुप चाप से कार चलाता हुआ घर की तरफ आने लगा,,,,घर पहुँचने तक हम मे से किसी ने कोई बात
नही की लेकिन जब हम घर पहुँचे तो कार से उतरकर सोनिया ने दीदी को हग किया अपनी बाहों मे ऑर थॅंक्स बोलने
लगी,,,,,,,

शुक्रिया दीदी जो कुछ भी आज अपने किया मेरे कहने पर,,,सोनिया दिल से दीदी को थॅंक्स बोल रही थी,,

अरे पगली इसमे थॅंक्स की क्या बात ये तो मेरा फर्ज़ था ओर वैसे भी मेरी जगह कोई भी होता तो ऐसा ही कहता ऑर ऐसा ही करता,,,,,

जानती हूँ दीदी माँ और भाभी कब्से एसा ही करने की सोच रही थी लेकिन कविता ने मुझे मना किया हुआ था ऑर सबसे
बड़ी बात कि उसकी भाभी भी ऐसा वैसा कुछ नही करना चाहती थी सोनिया अभी अपनी बात कर रही थी कि मेरे कार मे
से बाहर निकलते ही उसने अपनी बात को बीच मे रोक दिया ऑर शोबा दीदी को फिर से थॅंक्स बोला,,,,

शोबा दीदी भी समझ गई कि सोनिया मेरी वजह से चुप कर गई थी,,,,,

फिर वो दोनो घर की तरफ चल पड़ी ऑर शोबा ने बेल बजाई ,,,,,करीब 5 मिनट बाद आके बुआ ने दरवाजा खोला
मैं समझ गया था कि अंदर डॅड ऑर बुआ का प्रोग्राम चालू था इसलिए दरवाजा खोलने मे टाइम लगा बुआ को,,
इस बात का शोबा दीदी को भी पता था इसीलिए उन्होने एक बार ही बेल बजाई थी जबकि सोनिया तो बेल पर हाथ रखके ही खड़ी हो गई थी,,,,,ऑर दरवाजा लेट खुलने से थोड़ा गुस्सा भी हो गई थी ,,,,

अरे आ गये तुम लोग,,,,इतनी जल्दी वापिस आ गये,,,,बुआ ने अपने बाल ठीक करते हुए बोला

हम तो जल्दी आ गये बट आप लोग भी दरवाजा खोलने जल्दी आ जाया करो,,,सोनिया ने थोड़े गुस्से ऑर रूखेपण से बुआ
की बात का जवाब दिया ऑर जल्दी से घर के अंदर चली गई,,,,

इस से पहले कि बुआ कुछ बोलती सोनिया अंदर चली गई ओर शोबा ने भी बुआ को चुप रहने को बोला ,

फिर मैं ओर दीदी भी अंदर चले गये,,,,,,,

उस दिन कुछ ख़ास नही हुआ सारा दिन,,,,डॅड ऑर बुआ तो हम लोगो के घर आते ही अपने अपने काम पर चले गये 
शोबा भी बुआ के साथ चली गई,,,,,,,,मैं नीचे बैठ कर सारा दिन टीवी देखता रहा ऑर सोनिया अपने रूम मे रही 
सारा दिन,,,,,,दोपेहर का खाना भी मैने खुद ही बना कर खाया था,,,,,वो तो महारानी अपने रूम से ही नही निकली
थी ऑर ना ही उसने खाना खाया था,,,,

शाम को करीब 5 बजे घर की बेल बजी ऑर मैने दरवाजा खोला तो सामने कविता थी,,,वैसे मैं उसको पहचान
तो नही पाया था क्यूकी उसने पूरे फेस को कवर किया हुआ था दुपपट्टे से ऑर आँखों पर भी चश्मा लगा हुआ था 
लेकिन उसकी आवाज़ से मैं उसको पहचान गया,,,,

मैने उसको हाई बोला ऑर उसने भी मुझे हाई बोला,,,,,

सोनिया कहाँ है सन्नी,,,,,उसकी आवाज़ अब उदास नही लग रही थी

वो आपने रूम मे है कविता,,,मैने इतना बोला ही था कि वो अंदर आके उपर सोनिया के रूम की तरफ चली गई,,

मेरा भी दिल किया कि उन लोगो के रूम मे बाहर जाके सुनू तो सही कि आख़िर सारा मसला क्या है,,,,इसलिए मैं भी
उपर की तरफ चल पड़ा अभी मैं सोनिया के रूम के दरवाजे के पास पहुँचा था कि मैने सोचा कि सोनिया कविता
को रूम मे बैठने को बोल रही थी ऑर खुद उसके लिए चाइ बनाने को बोल रही थी,,,,,

तुम आराम से बैठो कविता मैं चाइ लेके आती हूँ,फिर बात करते है दोनो,,,,

सोनिया रूम से निकली तो मैं रूम मे चला गया सोनिया जाते टाइम मुझे देख कर गई थी लेकिन मैने उस से नज़रे नही
मिलाई ऑर चुप चाप रूम मे चला गया,,,,जहाँ कविता सर से दुपट्टा ऑर आँखों से चस्मा उतार कर बैठी हुई थी,,,

वो अब रो तो नही रही थी लेकिन उंसकी आँखों मे हल्की नमि ऑर चहरे पर उदासी अभी भी थी,,,

मैं अंदर गया तो उसने मुझे देख कर अपने चहरे को नीचे झुका कर दूसरी तरफ टर्न कर लिया,,,,मैं चुप चाप 
से अपनी अलमारी से ऐसे ही कुछ समान लेने लग गया,,,,,

तुम उदास ऑर रोती हुई अच्छी नही लगती कविता,,,,,मैने बहाने से बात शुरू करने की कोशिश की,,,,

कविता ने मेरी तरफ देखा ऑर फिर से नज़रे झुका ली,,,,,मैं उदास नही हूँ सन्नी बस वो घर पे कोई,,,,

उसने अभी बोलना शुरू किया था हल्की आवाज़ मे तो मैने उसकी बात को बीच मे ही रोक दिया,,,,घर पे सबके कोई ना
कोई प्राब्लम होती रहती है लेकिन रोने से उसका हल नही निलकलता ,,हर प्राब्लम का डॅट के मुक़ाबला करना चाहिए,,,,,इतने
बोलते हुए मैं बेड पर उसके पास जाके बैठ गया ,,उसने अपने चहरे को ऑर नीचे झुका लिया मानो जैसे उदासी मे वो
ज़मीन मे धसती चली जा रही थी,,,,,

ऑर वैसे भी खूबरूरत लड़की के मासूम ऑर क्यूट फेस पर मुस्कान अच्छी लगती है ना कि आँसू,,,,,इतना बोलके मैने उसके
चहरे को अपने हाथ से उपर उठाया तो देखा कि उसके चारे पर मांर के निशान थे ,,,उसकी खूब पिटाई हुई
लगती थी,,,,,,,,उसने मेरी तरफ़ देखा ऑर फिर से चहरे झुकाने की कोशिश की लेकिन मैने उसके चहरे को उसकी चिन से 
पकड़ा हुआ था ,,,,,

घर मे सबके प्राब्लम होती है सन्नी मैं जानती हूँ,,,,ऑर रोने से कोई प्राब्लम सॉल्व नही होती ये भी जानती हूँ 
हर प्राब्लम का डटके मुक़ाबला करने से ही प्राब्लम हल होती है ,,लेकिन देखो मेरी तरफ ,,मैने प्राब्लम से लड़ने
की कोशिश की तो मेरा ये हाल हुआ उसने अपने चेहरे की तरफ इशारा करते हुए बोला ऑर रोने लगी,,,ओर रोते रोते मेरे
शोल्डर पर सर रख लिया मैने भी उसको चुप करवाने के लिए ऑर दिलासा देने के लिए उसके सर पर हाथ रखा,,,,,,

देखो कविता मैं नही जानता कि तुम्हारे घर मे क्या प्राब्लम चल रही है ऑर मैं जानना भी नही चाहता,,वो तुम
लोगो की आपस की बात है,,,,लेकिन मैं इतना जानता हूँ कि तुमने शोबा दीदी को उसके बारे मे बता दिया है अब शोबा
दीदी तुम्हारी पूरी हेल्प कारगी,,,लेकिन अगर मेरे लिए कोई काम हुआ तो बताने से डरना नही मैं भी तुम्हारी हेल्प के लिए
तैयार हूँ हमेशा ,,आख़िर हम लोग इतने पुराने दोस्त है ,,,,,मेरा हाथ उसको समझाते हुए उसके सर से उसकी पीठ पर
चला गया लेकिन मेरा कोई ग़लत इरादा नही था ,,,मैं तो अपनी दोस्त को रोते हुए दिलासा देने की कोशिश कर रहा था लेकिनफिर भी ना जाने क्यूँ मेरा हाथ पीठ पर लगते ही कविता के मुँह से अह्ह्ह्ह निकल गई ऑर उसके दोनो हाथ जो मेरे शोल्डर पर थे वो थोड़ा मजबूती से कस गये मेरे शोल्डर पर,,,तभी मैने उसके सर को पकड़ा ऑर पीछे किया
तो देखा कि उसकी आँखो मे आँसू तो थे लेकिन एक अजीब चमक भी थी ऑर चहरे पर हल्की खुशी थी जो शायद
मेरे दिलासा देने की वजह से आई थी उसके चहरे पर,,,,,मैने अपने एक हाथ को उसके गाल पर उसकी आँख से नीचे रखा
ऑर उसके आँसू पोछने लगा ,,वो हल्की मुस्कान से मुझे देखने लगी मेरा हाथ उसके गाल पर था ओर तभी मुझे
किसी के खांसने की आवाज़ सुनाई दी ,,,

मैने ऑर कविता ने दरवाजे की तरफ़ देखा तो वहाँ सोनिया खड़ी हुई थी हाथ मे चाइ की ट्रे लेके ऑर मेरी तरफ गुस्से
से देख रही थी,,,,,तभी कविता एक दम से पीछे हट गई ,,,,मैं भी जल्दी से बेड से उठा ऑर सोनिया के करीब से गुजर
कर रूम से बाहर आ गया,,,,लेकिन ज़्यादा दूर नही गया ऑर वहीं रुक कर उनकी बाते सुनने की कोशिश करने लगा,,,,,


ये ब्लॅकी क्यू आया था यहाँ,,,,सोनिया ने हल्के गुस्से से कविता से पूछा,,,,,,

वो तो बस ऐसे ही मुझे रोते देख कर दिलासा दे रहा था ,,,,,कविता ने स्लो आवाज़ मे उसकी बात का जवाब दिया,,,

तूने उसको कुछ बताया तो नही,,,,,,सोनिया फिर से गुस्से मे थी,,,,,,

नही बाबा कुछ नही बताया मैने उसको,,,,मैने तो सिर्फ़ तेरे को बताया था ऑर किसी को नही,,,,शोबा दीदी को भी तूने
ही बताया था मैने नही,,,,,,

शोबा दीदी को बताना ज़रूरी था वो बड़ी है हमसे,,,ऑर उन्ही की वजह से अब प्राब्लम भी दूर हो जाएगी,,,देखा नही
तेरी माँ आज कैसे माफी माँगने लगी थी दीदी से,,,,,

हाँ ये बात तो है सोनिया ,,,,शोबा दीदी की वजह से अब कुछ हालत तो ठीक हुई है घर की,,,भाभी भी खुश है जो
शोबा दीदी आज घर आई थी,,,,उनके जाने के बाद माँ ने मेरे से ऑर भाभी से भी माफी माँगी थी,,,,अब वो कुछ नही
कहेंगी मुझे ऑर भाभी को,,,,लेकिन डॅड ,,,,

कविता बोल ही रही थी कि सोनिया बीच मे बोल पड़ी,,,,,,तू टेन्षन मत ले अगर तेरे डॅड ने कुछ गड़बड़ की तो शोबा दीदी
को बता देंगे वो सब संभाल लेंगी,,,,,तू अब टेन्षन मत ले बस जल्दी चाइ पी ,,फिर स्टडी करते है वैसे भी कई
दिन से बुक खोल कर नही देखी तूने,,,,ऑर मैं भी गाओं गई हुई थी,,,,,,,

उन लोगो ने इतनी बात की ऑर फिर रूम मे सन्नाटा हो गया,,,,शायद वो चाइ पीने लगी थी,,,मैं कुछ देर वहीं रुक गया
ताकि पता चल सके कि बात क्या है,,,,,उसके बाद अगर कोई आवाज़ आई भी थी रूम से तो वो जस्ट स्टडी के टॉपिक पर थी

इसलिए मैं वहाँ से नीचे चला गया ,,,,,,ऑर वापिस टीवी देखने लगा,,,,लेकिन एक चीज़ ने मुझे परेशान कर दिया था,,,
वो थी कविता के मुँह से निकली अहह जब मेरे हाथ उसकी पीठ पर थे,,,तब कुछ टाइम के लिए वो रोना भूल गई थी
ऑर मेरा ध्यान भी उसकी नाम आखों से हट गया था,,,एक पल क लिए वासना हावी हो गई थी मेरे पे लेकिन सोनिया हर बार ग़लत टाइम पर आती थी,,,कमिनि कहीं की,,,,ना खुद कुछ करती है और ना मुझे करने देती है,,,,,

उस रात भी कोई प्रोग्राम नही बना क्यूकी दीदी बुआ ऑर डॅड थक गये थे दिन भर की चुदाई से जो उनलोगो ने बुआ
के बुटीक पर जाके की थी,,,,,

नेक्स्ट डे मैं ऑर कारण कॅंटीन मे बैठे हुए थे,,,,,आज स्टडी करने का मन नही था वैसे भी हम लोग स्टडी
करने नही बस टाइम पास करने आते थे कलाज मे ऑर सारा दिन कॅंटीन मे ही टाइम पास करते थे,,,,हम लोग
की लास्ट टेबल पर एक कॉर्नर मे बैठे हुए थे,,,,,,,,,,,,,,,


सन्नी भाई कुछ कर यार,,,,,करन मिन्नेत करते हुए बोल रहा था,,,,,,

अब क्या हुआ साले तेरे को,,,अब क्या मौत पड़ी है,,,,,

यार आज कल माँ सारा सारा दिन घर पे रहती है कहीं बाहर नही जाती,,,,शिखा दीदी की चुदाई करने का टाइम 
ऑर मोका नही मिलता यार,,,किसी न्यी चूत का बंदोबस्त कर ना यार जिसे मे मेरे लंड की आग भुज जाया करे,,,,

मैने सोचा क्यू ना साले को बोल दूं कि अपनी माँ को पटा ले ऑर फिर आराम से तू तेरी बेहन ऑर माँ रोज मस्ती करना
अपने घर पे ,,,,,,,,,,ना कोई टेन्षन ना किसी का डर,,,सारा दिन मस्ती ही मस्ती,,,,,,,

अब मैं क्या करूँ यार ,,तेरी माँ घर पे रहती है तो इसमे मैं क्या कर सकता हूँ,,,,,मैने सीधी तरह से बोल
दिया कि मैं कुछ नही कर सकता,,,,,मैं उसकी माँ के बारे मे बात करना चाहता था लेकिन अभी नही,,,अभी मुझे
डर लग रहा था ,,,जब तक कि वो ऐसी वैसी कोई बात नही करता मेरी तरफ से कुछ भी कहना मुमकिन नही था,,,,,

तभी मैने देखा कि करण कॉर्नर वाली खिड़की से कॅंटीन के बाहर देख रहा था ,,,,मैने उसकी नज़रो का पीछा 
करते हुए वहाँ देखने की कोशिश की तो देखा कि कॉलेज की पार्क मे एक पेड़ के नीचे शिखा दीदी खड़ी हुई थी ऑर
उनके साथ एक खूबसूरत लड़की ऑर खड़ी हुई थी,,,,वो लकड़ी जानी-पहचानी लग रही थी लेकिन ठीक से पता नही लग रहा
था वो कॉन है,,,तभी एक ऐसा शक्स शिखा के पास आया जो जाना पहचाना था,,,,,वो कोई ऑर नही अमित था,,,,

अमित को देख कर करण गुस्से मे पागल हो गया,,,,,,,,,,,,,,,,ये कमीना क्या कर रहा है दीदी के पास,,,करण जल्दी से
कॅंटीन से बाहर के रास्ते की तरफ चलने लगा ,,,,मैं भी उसके पीछे चलने लगा,,,

हम दोनो कॅंटीन से बाहर निकले तो देखा कि अमित ने शिखा दीदी का हाथ पकड़ा हुआ था ऑर उनको अपनी तरफ
खींच रहा था जबकि शिखा दीदी अपने हाथ को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी ऑर साथ मे जो लड़की थी वो भी
शिखा के हाथ को अमित से अलग करने की कोशिश करने मे लगी हुई थी,,,,,

तभी अमित ने उस लड़की की धक्का दिया ऑर एक थप्पड़ मारा शिखा दीदी के फेस पर,,,,ये देख कर करण गुस्से मे 
भागा उसकी तरफ ऑर पीछे से मैं भी ,,,,इस से पहले की अमित दूसरा थप्पड़ मारता दीदी के फेस पर करण ने उसका 
हाथ पकड़ लिया ऑर जब अमित ने करण की तरफ देखा तो करण ने एक जोरदार मुक्का मारा उसके फेस पर,,,

अमित पीछे जाके गिर गया,,,,ऑर जल्दी ही उठ कर खड़ा हो गया,,,,

इतनी देर मे मैने अपनी पॉकेट से रुमाल निकाल कर शिखा दीदी को दिया ऑर दीदी ने अपने हाथ से रुमाल पकड़ कर
अपने लिप्स पर रखा जहाँ से अमित के थप्पड़ मारने की वजह से खून निकलने लगा था,,,,दीदी ने एक हाथ से रुमाल
को लिप्स पर रखा ऑर एक हाथ से अपनी फ्रेंड को सहारा देके ज़मीन से उठने लगी,,,,वो लड़की कॉन थी ये तो नही पता 
लग रहा था लेकिन इतना तो पक्का था वो कोई जानी पहचानी थी,,,पहले भी कहीं देखा था उसको,,,,,

अमित खड़ा हो गया था ऑर कारण के पास आने लगा था इतनी देर मे मैने देखा कि अमित के कुछ दोस्त जो हर बुरे काममे उसके साथ होते है वो भी अमित के साथ आके खड़े हो गये थे इसलिए करण को पीछे करके मैं करण ऑर अमित केसाथ खड़े उसके दोस्तो के बीच खड़ा हो गया,,,,,,,,,,अमित ही नही उसके दोस्त भी जानते थे कि मैं लड़ने मे एक 
नंबर का कमीना हूँ,,,,,,,,

सन्नी भाई तू पीछे होज़ा ये मेरी और करण की आपस की बात है,,,,,अमित ने मुझे हटने को बोला लेकिन मैं नही हटा

जो करण की बात है वही मेरी बात है अमित,,,,अगर तेरा लफडा करण के साथ है तो समझ ले मेरे साथ भी है,,,,

मैने इतना बोला ही था कि अमित आगे बढ़ा लेकिन इस से पहले ही सुमित हम दोनो एक बीच मे आ गया उसने मेरी तरफ 'पीठ करते हुए अमित की चेस्ट पर हाथ रखे ऑर उसको पीछे करने लगा,,,,

अमित प्लीज़ यार ये सन्नी अपना दोस्त है इस से पंगा मत करो ,,,,करण ऑर उसकी बेहन से माफी माँगो,,,,

अमित ने मेरा गुस्सा सुमित पे निकाला ऑर उसको एक थप्पड़ मारा जिस से सुमित चक्कर ख़ाके नीचे गिर गया,,,वैसे भी
साला नशा करके मरने वाला हो गया था जो अमित के एक थप्पड़ से नीचे गिर गया,,,,,

तू साला मेरे टुकड़ो पे पलने वाला मुझे बोल रहा है माफी माँगने को,,साले ओकात भूल गया अपनी,,,,अमित ने सुमित
को गाली देते हुए उसको ज़मीन पर गिरे हुए ही अपने पैरों से मारने लगा ,,,तो मैने भी आगे बढ़ कर अमित को धक्का
दिया ऑर अमित अपने दोस्तो के पास जाके गिरने लगा बट उसके दोस्तो ने उसको सहारा दिया जिस से वो गिरने से बच गया ऑरपलट कर मेरी तरफ आने लगा तो मैने अपने हाथ मे पहने हुए स्टील के कड़े को मुट्ठी मे पकड़ लिया ऑर फाइट के लिए तैयार हो गया ,,,

अमित ने जब मुझे ऐसा करते देखा तो थोड़ा डर गया लेकिन अपने दोस्तो का साथ होना उसके लिए हिम्मत की बात थी इसलिए वो आगे बढ़ने लगा लेकिन तभी हमारे कलाज के 2 टीचर वहाँ से गुज़रते हुए वहाँ आ गये,,,,,,,,

अमित के दोस्तो ने उसको हाथ से पकड़ा ऑर वहाँ से ले गये क्यूकी अमित के खिलाफ पहले से बहुत शिकायत थी कॉलेज मेइसलिए वो कोई पंगा नही कर सकते थे,,,,,लेकिन जाते टाइम अमित सुमित को माँ बेहन की 2-4 गालियाँ ज़रूर सुना गया,,

सुमित भी उठा ऑर अमित को बुरा भला बोलता हुआ कॉलेज के गेट की तरफ चला गया क्यूकी वो जनता था अगर वो यहाँ रहा तो अमित उसको दोस्तो के साथ मिलके बहुत मारेगा ऑर उस टाइम मैं ओर करण पता नही होंगे उसकी हेल्प करने केलिए या नही,,,,,लेकिन एक बात तो थी अगर अमित मेरे सामने सुमित से पंगा करता तो मैं सुमित की हेल्प ज़रूर करता क्यूकी आज उसने भी अमित के खिलाफ हमारा साथ दिया था,,,,

खैर अमित गया अपने रास्ते ऑर सुमित गया अपने रास्ते,,,,,,,,,,

तुम ठीक तो हो शिखा,,,,करण ने अपनी बेहन से पूछा ,,,

शिखा ने हाँ मे सर हिलाया ऑर मेरे को मेरा रुमाल वापिस देते हुए थॅंक्स बोलके वहाँ से जाने लगी तभी उसकी
दोस्त ने भी मुझे ऑर करण को थॅंक्स बोला ऑर वहाँ से चली गई,,,,

मैं ऑर करण वापिस कॅंटीन मे चले गये,,शिखा ऑर उसकी दोस्त वहाँ से चली गई,,,,,

ये साले अमित को मैं नही छोड़ने वाला अब ,टाँगें तोड़ दूँगा साले की,,,मेरी बेहन पे हाथ उठाया उसने,,,,,करण
पूरे गुस्से से बोल रहा था,,,,ऑर उसका गुस्सा जाएज भी था आख़िर कॉन भाई अपने सामने अपनी बेहन को थप्पड़ खाते
देख सकता था,,,,इसका कुछ ना कुछ करना ही पड़ेगा,,,,

चल छोड़ यार ये सब बातें ,भूल जा ,,,,,,बाद मे कभी मोक़ा मिलेगा तो देख लेंगे साले को ,,अब गुस्सा थूक दे
,,,,,,,,,इतना बोलकर मैने 2 कोल्ड कॉफी ऑर्डर की ऑर कॅंटीन वाला भी कॉफी लेके आ गया,,,,,,,,,,,

चल कोल्ड कॉफी पी ऑर गुस्सा भी ठंडा करले,,,,,,,मैने करण को कॉफी का ग्लास पकड़ाते हुए बोला,,,,,

क्या बता करता है सन्नी भाई उसने दीदी पर हाथ उठाया ऑर तुम कहते हो मैं गुस्सा थूक दूँ,,,,करण अभी
भी गुस्से मे था,,,,,,,,,

साले शिखा क्या सिर्फ़ तेरी बेहन है ,,,,,,मेरा कोई हक़ नही बनता क्या उसपे,,,,तू क्या समझता है मुझे गुस्सा नही
आ रहा अमित पर,,,,,,,,,मैं थोड़े गुस्से मे बोला तो करण का गुस्सा कुछ ठंडा हो गया,,,

ऐसी बात नही है सन्नी भाई ,लेकिन साले अमित का कुछ करना पड़ेगा ,,,,जब तक उसको मज़ा नही चखा देता मुझे
चैन नही मिलने वाला,,,ऐसा हाल करूँगा साले का याद रखेगा,,,,,,,,,

सही कहा करण लेकिन मांर पीट से इस बात का हल नही निकलने वाला हमे कुछ ऑर सोचना चाहिए,,,,,मैं अभी
बात कर ही रहा था कि करण ने मेरे हाथ से कॉफी का कप लिया ऑर एक ही बार मे सारा कप खाली करके वापिस टेबल
पर रखा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सही बोला सन्नी भाई मांर पीट करना सही नही है अब कोई ऑर रास्ता निकालना होगा ,,इतना बोलके
ऑर टेबल पर कॉफी का कप रखके करण जल्दी जल्दी से कॅंटीन मे से निकल कर चला गया,,,,

मैं पीछे से उसको आवाज़ भी देता रहा लेकिन उसने मेरी कोई बात नही सुनी,,,,,पता नही कहाँ गया साला ,कहीं अमित
से पंगा करने तो नही गया,,,,,,,,,इसलिए मैं भी कॅंटीन से बाहर निकला लेकिन देखा कि करण बाइक लेके कॉलेज से
बाहर की तरफ गया था ना कि अमित से पंगा करने,,,,,,,मुझे कुछ राहत महसूस हुई ,,मुझे लगा था शायद वो
अमित से पंगा करने के लिए निकला होगा कॅंटीन से,,,,,,,,,,,,

साला जल्दी जल्दी मे भाग गया ,,,,मैं तो साले से पूछने वाला था कि वो लड़की कॉन थी जो शिखा के साथ खड़ी हुई थी,,
कितनी खूबसूरत थी,,,,कितनी सेक्सी थी,,,,हल्के गुलाबी रंग का सूट,,,,,पतली ऑर लंबी ,,,एक दम गोरी चिटी,,,उमर मे
शिखा के बराबर की थी लेकिन हाइट मे शिखा से 2 इंच बड़ी लग रही थी,,,एक दम स्लिम थी जैसे कोई मॉडेल होती
है ,,,,क्यूट फेस ,,,हल्के ब्राउन कलर की आइज़,,,छोटे छोटे लिप्स,,,,,सच मे खूबसूरत बला थी,,,,एक बार देखा तो
नज़रे हटाने को दिल ही नही कर रहा था,,,अगर कोई पंगा नही हो रहा होता तो देखता ही रहता उसको नज़र भरके,,,,

कॉलेज से निकला ऑर घर आ गया ,,,,,,घर आके गेट खोला ऑर बाइक अंदर करके गेट वापिस बंद करने लगा तो बाहर से
हॉर्न सुनाई दिया ,,,मैने गेट खोला तो कविता थी अक्तिवा पर सोनिया को घर छोड़ने आई थी,,,,

हाई सन्नी,,,,,,,,,,

हेलो कविता,,,,,

आज वो उदास नही थी बल्कि खुश थी,,,,,
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RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही - by sexstories - 12-21-2018, 01:28 AM

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