RE: Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही
अपने रूम मे लेटा हुआ था ओर मेरी आँख लग गई ऑर मेरे सर पर किस के हल्के से अहसास से नही नींद
खुली तो देखा बुआ मेरे बेड पर बैठ कर बड़े प्यार से मेरे सर पर हाथ घुमा रही थी,,,,,,,,
बुआ--उठज़ा मेरे प्यारे बेटा सन्नी,,,,
मैं भी आँखें मलते हुआ बेड पर उठकर बैठ गया,,,,,,,,,
बुआ--सॉरी सन्नी बेटा वो तेरी बड़ी पार्टी नही दे सकी मैं लेकिन आज पक्का दूँगी प्रोमिसस इतना बोल कर बुआ ने अपने पर्स से एक चाबी निकाली ऑर मुझे देते हुए बोली,,,,,,बेटा ये बुटीक के पीछे वाले गेट की चाबी है रात को खुद ही पीछे
वाले गेट से आ जाना क्योंकि सामने वाले गेट का काँच लगा हुआ है मैं नीचे आई तो कोई देख लेगा क्योंकि
मेरी हालत ठीक नही होगी क्योंकि तेरे लिए पार्टी का बंदोबस्त भी तो मुझे ही करना है,,,,,,,,,,
मैं--लेकिन बुआ बड़ी पार्टी है क्या,,,,,,,,,
बुआ--ये तो सर्प्राइज़ है बेटा वहाँ आना ऑर खुद ही देख लेना ,,,,,ठीक है अब मैं चली
तुम ठीक 9 बजे के करीब वहाँ आ जाना,,,इतना बोल कर बुआ वहाँ से चली गई,,ऑर मैं मन ही मन खुश
होने लगा क्योंकि जहाँ तक मेरा ख्याल था बड़ी पार्टी पूजा ही हो सकती थी ,,मैं बड़ा खुश था क्योंकि
काफ़ी टाइम से मैने पूजा की चुदाई नही की थी,,,,,,,,यह सोच कर मैं खुशी के मारे पागल होने लगा,,,,ऑर
तभी मेरी खुशी टेन्षन मे बदल गई,,,,,,मुझे मेरे दोस्त करण का फोन आया,,,,,जो बहुत गुस्से मे था
मैने पूछा कि क्या हुआ तो उसने कुछ नही बताय बस मुझे अपने घर पर बुलाया ,,,,,,,,,मुझे भी उसके
गुस्से से बहुत ज़्यादा टेन्षन होने लगी थी मैं जल्दी से तैयार हुआ ऑर बाइक लेके उसके घर की तरफ चल पड़ा
एक तो मुझे करण की टेन्षन थी क्योंकि वो मेरा बहुत अच्छा दोस्त था ऑर दूसरा हल्की हल्की बारिश भी हो रही
थी मैं किसी के घर भीगे बदन नही जाना चाहता था इसलिए बाइक को उड़ाता हुआ करण के घर पहुच
गया,,,,,,,,,,,,मैने बेल बजाई तो करण की माँ बाहर आई उसकी माँ को देखते ही मुझे मस्ती चढ़ने लगी थी
क्योंकि जबसे माँ ऑर बुआ को चोदा था मुझे ज़्यादा उमर की लॅडीस मे भी दिलचस्पी पैदा होने लगी थी ऑर
कुछ ज़्यादा ही,,,,,,,,,,,,,,
मैं-नमस्ते आंटी ,,,,,,,,,,,,
आंटी--नमस्ते बेटा ,,,,,,हाउ आर यू बेटा,,,,,,,
मैं-आइम आंटी हाउ आर यू,,
आंटी -आइम ऑल्सो फाइन बेटा,,,,,,,,,,,,,,,
मैं--आंटी करण कहाँ है
आंटी--वो अपने रूम मे है बेटा आज कॉलेज भी नही गया ऑर
सुबह से अपने रूम से भी नही निकला हैमैने पूछा तो कुछ बता भी नही रहा है लेकिन कुछ परेशान
सा लग रहा है,,,तुम उसके दोस्त हो बेटा तुम ही पूछो शायद कुछ बता दे,,,,,,,
मैं--ठीक है आंटी मैं देखता हूँ क्या प्राब्लम है उसको ,,,,,,,मैं आंटी के पीछे पीछे अंदर चला गया ,,,,आंटी आगे चल रही थी ऑर मैं पीछे से उनकी बड़ी सी गान्ड को मटकते हुए देख रहा था एक दम मेरी माँ जैसी गान्ड थी इनकी भी
दिल कर रहा था अभी साली की सलवार उतार कर लंड पेल दूं,,,,,करण का नाम करण अरोरा था ,,,पंजाबी
था वो ऑर उसकी माँ तो एक दम मस्त थी,,,,,आपको तो पता ही है पंजाबी लॅडीस कितनी गोरी चिट्टी ऑर मस्त भरे
हुए बदन की मालकिन होती है,,,करण की माँ भी बिल्कुल वैसी ही थी एक दम मस्त गोरी चिट्टी बड़े बड़े बूब्स
ऑर बड़ी मोटी मस्त गान्ड ,,,,,,,,,,,
आंटी--तुम उसके रूम मे चलो बेटा मैं तुम्हारे लिए कुछ चाइ कॉफी लेके आती हूँ,,,,,,,,,,,,,,
मैं--नही आंटी इसकी कोई ज़रूरत नही मैं ठीक हूँ ,,,,,,,,,,
आंटी--अरे ऐसे कैसे बेटा इतने दिनो बाद तुम आए हो ऑर बिना चाय के कैसे जाने दूँगी तुमको,,,,,,अब जाओ करण के रूम मे मैं अभी तुम दोनो के लिए कुछ लेके आती हूँ,,,,,,,,,,,,,,आंटी किचन की तरफ चली गई ऑर मैं उसके किचन के अंदर तक जाते पीछे से उनकी गान्ड देखता रहा जब वो अंदर चली गई तो मैं भी करण के रूम मे चला गया,,,,,,करण
बेड पर लेटा हुआ था ऑर उसकी आँखों मे हल्के हल्के आँसू थे,,,,,,,,,,,मुझे देख कर वो जल्दी से मेरे
गले लग गया ओर किसी छोटे बच्चे की तरह रोने लगा,,,,,,,,,,,,,,,
मैं--अरे करण क्या हुआ दोस्त ऐसे रो क्यू रहा है,मैं उसको दिलासा देते हुए बोला
करण-सन्नी मैं बहुत दुखी हूँ यार ,,,,मुझे बहुत बड़ी टेन्षन है,,,,,,
मैं-क्या टेन्षन है करण मुझे बता मैं तेरा दोस्त हूँ,,,,,,,,तेरी टेन्षन मेरी टेन्षन,,,,,,,ऑर वैसे भी
दुख दर्द बाँटने से कम होता है,,,,,,,
करण--मुझे एक रिवॉल्वर चाहिए सन्नी,,,,,,,,,,,,,,,,उसने गुस्से मे रोते हुए बोला
मैं-र रिवॉल्वर ,,,,,,,,लेकिन किस लिए कारण ,,,आख़िर बात क्या है,,,,,,,,क्या ज़रूरत पड़ गई तेरे को रिवॉल्वर की
करण-मुझे किसी का खून करना है सन्नी,,,,,,,तू बता मुझे रिवॉल्वर दिला सकता है कहीं से ,प्लीज़ मेरे दोस्त
मेरा इतना काम कर दे,,,,,,,,
मैं--हाँ करण रिवॉल्वर तो दिला सकता हूँ लेकिन ऐसी क्या ज़रूरत पड़ गई तेरे को,,,,,,,,
करण-मुझे किसी को गोली मारनी है सन्नी,,,,,,,,वो पूरे गुस्से मे बोल रहा था,,,,
मैं--अच्छा तू ज़रा ठंडे दिमाग़ से बैठ कर मेरे से बात कर ऑर पहले बच्चों की तरह रोना बंद कर,,,,,बच्चों
की तरह रोता है तू गोली क्या मारेगा किसी को,,,,,,
करण--सन्नी तू बोल बस मुझे रिवॉल्वर लेके दे सकता है या नही,,,मैं उस हरामजादे को गोली मार दूँगा
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