RE: Nangi Sex Kahani नौकरी हो तो ऐसी
दोनो एक साथ बोली – यहाँ …. यहाँ कैसे…. यहा तो कुछ छेद दिखता भी नही
मैं – पर तुम लोगोने कभी यहा उंगली डाल के देखा है
दोनो – नही तो …
मैं – इसलिए तुम्हे पता नही ….
दोनो – क्या???
मैं – यही कि इधर उंगली डालने से बहुत कम दर्द होता है और मज़ा भी बहुत आता है …. और इससे तुम्हारा जो उपर वाला जो छेद है उसको भी खोलने की ज़रूरत नही ….मालंबती के छेद के उपर हाथ रखते हुए कहा
नसीन – पर ये कैसे होगा …इधर तो कुछ छेद है ही नही ???
मैं – मैं दिखाता हू ना तुम्हे ….
मैने मालंबंती को घोड़ी के जैसी अवस्था मे झुकाया.. नसरीन को उसके चूतरो को फैलाने को कहा और मालंबंती की नाज़ुक गोरी लाल लाल गांद के छेद पे नसरीन को बोला
मैं – ये देखो…. है ना छेद
नसरीन – पर ये तो बहुत छोटा है …इधर उंगली कैसे जाएगी
मैं – यहा उंगली नही मेरा लंड भी जाएगा
मालंबनती – क्या तुम इधर अपना लंड डालोगे?
मैं – हां… और तुम्हे सबसे ज़्यादा मज़ा आएगा
मालंबंती – नही नही नही बाबा मुझे नही इतना बड़ा लंड अपने इतने छोटे से छेद मे डलवाना है मेरा दिल बोल रहा है कि इसमे आप की कोई चाल है
नसरीन – अगर इसमे बहुत मज़ा है तो आप मेरी गाड़ के छेद मे ये लंड डाल दो… पर मज़ा आएगा ना बहुत …जैसे गोद मे बैठने से आया था (मालंबती नसरीन की हिम्मत और तंग शरीर की तरफ देखती रह गयी)
मैं – (नसरीन की चुचियाँ हाथ मे मसलते हुए)हाँ तुम्हे बहुत मज़ा आएगा पर उससे पहले हमे कुछ करना पड़ेगा…
मालंबती – क्या करना पड़ेगा…
मैं – तुम कपड़े पहेन कर जाओ … और किचन से तेल की शीशी लेके आओ
मालंबनती – क्यू तेल क्यू…
मैं – इसमे लगाने के लिए …तभी तो मेरा लंड इसमे जाएगा….. नहितो फिर दर्द होगा…
नसरीन – नही नही दर्द नही होना चाहिए… मालू तू जा गुपचुपसे किचन से तेल की सीशी लेके आजा
मैं – पर ख़याल रहे चुपके से लाना और किसिको नही बताना….. और कोई पूछ भी ले तो बोलना कि पाव मे मोच आई है इसलिए लगाने लेके जा रही हू
क्रमशः...................
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