RE: Nangi Sex Kahani नौकरी हो तो ऐसी
सेठ जी 2 घंटे मुझे सब बता और समझ रहे थे…दोपेहर मे हम लोगोने खाना खा लिया…उसके बाद आके सेठ जी मुझे समझाने लगे कि किधर क्या लिखना है और किधर कौनसी पुस्तक रखनी है…. हिसाब किताब पुराने ढंग से किया हुआ था.. जिसके अंदर का अक्षर भी एक दम चिडमिद और गंदा था… एक बार मे कोई चीज़ की कीमत जल्दी समझ नही आ रही थी… बस एक चीज़ थी सेठ जी एक बड़े ज़मींदार के एक बड़े व्यापारी भी थे… वो अपना सारा अनाज व्यापारियो को ना बेचते थे बल्कि बड़े जिले मे बाजार मे जाके बाजार समिति मे लेके सीधे बेचते थे इससे उन्हे बहुत ही ज़्यादा मुनाफ़ा मिलता था… अभी शाम होनेको थी. सेठ जी भी थोडेसे थके हुए दिख रहे थे… लगभग 6 बजे हम हवेली की तरफ चल निकले जो कि 25-30 मिनट की दूरी पे थी…
एक बात तो थी… सेठ जी को मेरे बारे मे मामाने बहुत काबिल लड़का है ये वो जो तारीफ की थी उससे मेरेपे बहुत ज़्यादा भरोसा हो गया था.. और वो मुझे एक नौकर की तरह ना रखते हुए अपने बेटे की तरह ख़याल रख रहे थे.. उनका मेरे प्रति व्यवहार देखके कोई ये नही कह सकता था कि मैं उनकानौकर हू…..
जब हम हवेली पहुचे तो शाम का वक़्त हो चला था… मैने देखा सेठ जी क़ी छोटी बहू मेरे सामने खड़ी है मैने उसे देखा तो वो बोली “ज़रा हमारे साथ आओ हमे कुछ सामान लाना है उसकी लिस्ट बनाना है…” सेठ जी ने कहा “अरे वो अभी आया है थोड़ा आराम करने दो उसके लिए चाय लेके आओ..” छोटी बहू ने कहा “ठीक है तुम मेरे कमरे मे जाके बैठो..पहले माले पे तीसरा कमरा… मैं तुम्हारे लिए चाय लेके आती हू…..”
मैं सूचना अनुसार उस कामरे मे जाके बैठा. कमरे मे पालने मे बच्चे को सुलाया था… मैं यहाँ वहाँ देख रहा था उतने मे वो चाय लेके आई और मेज पे रख दी और दरवाजा ठप से बंद कर दिया… और सीधे आके अपने चूतादो को मेरे से सटा कर बैठ गयी बोली “कहाँ थे तुम.. मैं कब्से तुम्हे ढूँढ रही थी” मैने बोला “सेठ जी के साथ काम पर….” मैं बोल ही रहा था कि छोटी बहू ने मेरे हॉटोपे अपने होठ टिका दिए और मेरे निचले होटो को अपने मुँह के अंदर लेके चूसने लगी अभी उसकी जीब मेरे मुँह मे गयी और हम एक दूसरे की जीब चूसने लगे.. वाह क्या मज़ा आ रहा था उसके वो कोमल और गरम होठ मेरे शरीर मे रोमांच पैदा कर रहे थे.. मैने उसकी चुचियो को हाथ मे ले लिया और हल्केसे सारी बाजू करके सहलाने लगा…. वो मेरे और करीब आ गयी और मेरे शरीर से पूरा चिपक गयी….
मैने हाथ उसके चूतादो पे घुमाने शुरू किए …इन चूतादो को मैने ट्रेन मे अच्छे से मला था… भारी भारी चूतादो पे हाथ घुमाने से मेरे अन्ग अन्ग मे रोमांच भरने लगा मैं छोटी बहू को और अपनी छाती मे दबाने लगा और अपनी लार उसके मुँह मे और उसकी लार मेरे मुँह मे जीब से अंदर बाहर करने लगे….. मैने पीछेसे सारी को थोड़ा खिसका के उसके नंगे चूतादो को पकड़ा और सहलाने लगा वाह मैं तो सातवे आसमान पे था… मैने पीछेसे एक उंगली छोटी बहु की गांद के छेद पे रखी और उसे अच्छे से मसल्ने लगा… वो बोली “उधर मत जाना….” मैं बोला “कुछ भी तो नही किया बस रखी है…” और मैं फिरसे धीरे से गांद के छेद पे अपनी उंगली मलने लगा…. मैं उंगली अंदर डालनेकी कोशिश कर रहा था.. पर गांद ज़्यादा ही चिपकी थी इसलिए जल्दी अंदर नही जा रही थी.. छोटी बहू की गांद मारना ये मेरी ट्रेन के सफ़र से ख्वाहिश रही थी पर उसने मुझे मौका ही नही दिया था पर यहाँ मैं तो उसे चोदने ही वाला था… मैने अभी छेद के बराबर बीचो बीच उंगली रख के अंदर घुसाई… वो कराह उठी… बोली “मत डालो उधर…. दर्द होता है बहुत”
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