RE: vasna kahani चाहत हवस की
गिफ़्टी दीदी ने जैसे ही मेरे लण्ड के अग्र भाग को अपनी दोनों चूँचियों के बीच से निकलते हुए देखा तो बोलीं, ''वॉव, ये अच्छा तरीका है।'' जैसे ही मेरे लण्ड का सुपाड़ा दीदी के मुँह के करीब पहुँचता दीदी उसको अपने मुँह में घुसाने को ललचा जातीं, लेकिन उस पर लगे मॉइस्चराईजर की वजह से वो रुक जातीं। मैं अपने लण्ड को दीदी की चूँचियों के बीच पेले जा रहा था, और दीदी ने अपनी दोनों चूँचियाँ को मेर लण्ड के गिर्द कस कर जकड़ रखा था, और बीच बीच में अपनी उँगलियों से वो अपने निप्पल को मसल रही थीं। मैं कराहते हुए ताबड़तोड़ लण्ड को पेले जा रहा था और और दीदी को एहसास हो चला था कि मैं झड़ने ही वाला हूँ, लेकिन फ़िर भी मैं झटके मारे जा रहा था। और जैसे ही मैं झड़ा तो मैंने दीदी के दोनों चूँचियों के बीच एक जोर का अंतिम झटका मार दिया, मेरा लण्ड से निकला वीर्य और मॉइस्चराईजर मिक्स हो गये। और अंतिम झ्टके के साथ दोनों चूँचियों की गिरफ़्त से जैसे ही मेरा लण्ड का शिश्न आगे बाहर निकला, उसमें से वीर्य की एक और पिचकारी निकल कर दीदी की ठोड़ी के नीचे जा गिरी, और मेरे वीर्य ने दीदी के गले पर से बहते हुए उनके बैड पर नीचे बिखरे बालों को गीला कर दिया।
जब मैं थोड़ा शांत होकर संयत हुआ तो मैं बैड पर दीदी के बगल में लेट गया और बोला, ''थैन्क यू दीदी, मजा आ गया।''
''चलो अच्छा है, मजा ही आना चाहिये, चलो अब मैं नहा लेती हूँ,'' दीदी हँसते हुए बैड से उठकर बाथरूम की तरफ़ जाते हुए बोलीं।
जब दीदी बाथरूम से नहा कर आ गयीं, तो हम दोनों अन्डवियर पहने हुए ड्रॉईंगरूम में सोफ़े पर बैठकर टीवी देखने लगे, और देर रात तब तक एक दूसरे को छूते और सहलाते रहे, जब तक दोनों को नींद ना आने लगी।
''आज मेरे साथ मम्मी पापा के बैड पर सोना चाहोगे?" दीदी मम्मी पापा के रुम में दाखिल होते हुए पूछा।
''सच में दीदी, साथ में सोना?"
''हाँ, सिर्फ़ सोना, समझे, एक साथ सोना नहीं बच्चू,'' दीदी ने कहा।
''हाँ, दीदी क्यों नहीं,'' मैंने थोड़ा मायूस होते हुए कहा। हम दोनों मम्मी पापा के बैड में एक साथ चिपक कर लेट गये। कुछ देर में ही दोनों को एहसास हो चला कि इस तरह नंगे बदन चिपके हुए नींद आना असंभव था।
''दीदी एक बार मेरे लण्ड को चूस कर इसका पानी निकाल दो ना प्लीज, नींद तब ही आयेगी,'' मैंने दीदी को किस करते हुए कहा।
''उम्म्म, ठीक है, लेकिन तुमको भी मेरी चूत एक बार फ़िर से चाटनी पड़ेगी?" दीदी ने कहा।
दीदी क्यों ना हम दोनों एक साथ करें?" मैंने सुझाव देते हुए कहा। दीदी तुरत तैयार हो गयीं, और हम दोनों 69 ट्राई करने पर सहमत हो गये। पहले जब मैंने ऊपर आकर दीदी की चूत को चाटना शुरू किया तो ना तो दीदी ही आसानी से मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले पा रही थीं और ना ही मैं उनके मुँह में अंदर तक ढंग से अपने लण्ड को पेल पा रहा था। इसलिये फ़िर दीदी पलट कर ऊपर आ गयीं जिससे उनकी चूत अपने छोटे भाई के चेहरे के सामने थी, और वो मजे से मेरे मोटे मूसल जैसे लण्ड को पकड़ कर चूस रही थीं।
मैं दीदी की गाँड़ की दोनों गोलाईयों को दोनों हाथों से पकड़कर दूर करते हुए फ़ैला कर ज्यादा से ज्यादा चौड़ा कर रहा था, जिससे मेरी जीभ दीदी की चूत की अधिकतम गहराई तक अन्वेशण कर सके। दीदी मेरे लण्ड को मजे से हिलाते हुए चूसे चाटे जा रही थीं, जब मुझसे ना रहा गया तो मेरे लण्ड से वीर्य के लावे का ज्वालामुखी दीदी के मुँह में फ़ूट गया। मेरे वीर्य से मानो दीदी के मुंह में बाढ आ गयी, और दीदी भी ज्यादा देर बर्दाश्त ना कर सकीं और झ्ड़ते हुए उनकी चूत ने भी अपने छोटे भाई की जीभ पर ढेर सारा पानी निकाल दिया।
उसके बाद हम दोनों अपनी अपनी जगह पर टाँग में टाँग फ़ँसा कर लेट गये, मेरा मुर्झाता हुआ लण्ड दीदी की
गाँड़ की गोलाईयों के बीच की दरार पर दस्तक मार रहा था।
''इसको मेरी दोनों जाँघों के बीच घुसा दो,'' दीदी ने फ़ुसफ़ुसाते हुए कहा।
मैं दीदी की बात सुनकर थोड़ा चौंका और फ़िर मैंने एक्साईटेड होते हुए पूछा, ''सच में दीदी?"
''मेरी चूत में नहीं पागल, बस मेरी दोनों जाँघों के बीच समझे, जिससे कि बस ये मेरी चूत कि होंठों को छूता रहे,'' दीदी ने सफ़ाई देते हुए कहा। मैं तुम्हारी शादीशुदा बड़ी बहन हूँ, मेरी चूत पर सिर्फ़ मेरे पति अजय का हक है। लेकिन तुम चिंता मत करो, मैं अपने छोटे भाई के लिये किसी दूसरी चूत का जुगाड़ जरूर कर दूँगी। दीदी ने अपनी एक टाँग थोड़ा ऊपर उठा कर चौड़ी कर दीं और मैंने अपने लण्ड को हाथ से पकड़ कर दीदी की जाँघ के अंदरूनी हिस्से के ऊपर रख दिया, जो दीदी हाल में शेव की हुई चिकनी चूत को टच कर रहा था। दीदी ने फ़िर से अपनी वो टाँग नीचे कर दी, जिससे मेरा लण्ड दीदी की जाँघों के बीच कैद हो गया। दीदी थोड़ा सा कसमसाते हुए अपनी चूत के द्वार पर मेरे मोटे लण्ड की उपस्थिति का एहसास कर रही थीं। और ऐसे ही कुछ देर बाद हम दोनों भाई बहन नींद के आगोश में समा गये।
''ये लो तुम्हारे लिये फ़ोन है,'' गिफ़्टी दीदी ने अगले दिन सुबह मुझे उठाते हुए कहा, ''मिनी है लाईन पर,'' दीदी ने मुझे फ़ोने थमाते हुए कहा। मैंने नोट किया कि दीदी वहीं आसपास मंडरा रहीं थीं, उस रूम से बाहर नहीं जा रही थीं।
''हैलो, मिनी दी, कैसी हो आप,'' मैंने गिफ़्टी दीदी से मुस्कुराते हुए फ़ोन लेकर बात करते हुए कहा। गिफ़्टी दीदी भी थोड़ा उत्सुक होकर मुस्कुरा दी, क्योंकि सामान्यतः मिनी दी मुझे कभी फ़ोन नहीं करती थीं, ज्यादातर वो गिफ़्टी दीदी से ही बात किया करती थीं।
''हैलो विशाल, मुझे मेरी मम्मी से पता चला कि त्तुम्हारे मम्मी पापा कहीं बाहर गये हुए हैं, मैंने सोचा कहीं तुमको कम्पनी की जरूरत तो नहीं है?"
''उम्म, हाँ वैसे गिफ़्टी दीदी तो यहीं पर हैं, और मम्मी पापा भी आज दोपहर तक वापस आ जायेंगे, लेकिन फ़िर भी अगर तुम दो तीन घन्टों के लिये आना चाहो तो आ जाओ, मजा आयेगा, ठीक है ना?" मैंने इतना कहकर गिफ़्टी दीदी की तरफ़ देखा, कि वो क्या चाहती हैं। गिफ़्टी दीदी ने अपने कन्धे उँचकाते हुए ऐसे जताया कि मानो वो क्या जाने। मुझे लगा कि शायद मिनी दी एक बार फ़िर से मेरे साथ मजे करना चाहती हैं।
''तो फ़िर ठीक है विशाल, मैं बस आधे घण्टे में एक्टिवा पर तुम्हारे यहाँ आती हूँ, ओके?"
''हाँ, ठीक है मिनी दी।''
''जल्दी से आती हूँ,'' मिनी दी ने खिलखिलाते हुए कहा।
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