RE: vasna kahani चाहत हवस की
''म्म्म्म क्या मस्त हैं ये तो,'' मैंने कहा, मैं मिनी दी के बदन को निहारने में मगन हो रहा था, जब वो एक एक कर अपने सारे कपड़े उतार रही थीं। फ़िर उन्होने अपनी स्कर्ट को छिलके की मानिंद अपनी टाँगों से पैण्टी के साथ ही नीचे कर उतार दिया। मिनी दी ने अपनी झाँटों को साईड से साफ़ कर रखा था, ताकि बिकनी में से झाँटें बाहर ना दिखाई दें। हाँलांकि मुझे उनकी चूत तो नहीं दिखाई दे रही थी, लेकिन एक बात जरूर थी कि उनके जिस्म की बनावट किसी अप्सरा जैसी ही थी।
''और गिफ़्टी दीदी आप?" मैंने अपनी दीदी से कहा। गिफ़्टी दीदी ने तुरंत अपने सारे कपड़े उतार दिये। जैसे गिफ़्टी दीदी के दोनों कबूतर कैद से आजाद होकर फ़ड़फ़ड़ाकर बाहर निकले, मैं और मिनी दी दोनों उनकी मस्त चूँचियों को निहारने लगे। मिनी दी एक बार फ़िर से उनके साइज की तारीफ़ करने लगीं, और कहने लगीं कि किस तरह हर लिहाज से उनको गिफ़्टी दीदी की चुँचियाँ एक दम परफ़ैक्ट लगती हैं।
अपनी कजिन बहन द्वारा अपने जिस्म को निहारते हुए पाकर गिफ़्टी दीदी की चूत भी पनियाने लगी, और उस मद्धम रोशनी में भी उनके गाल सुर्ख दिखाई देने लगे। गिफ़्टी दीदी मन ही मन मिनी दी के इकहरे और छरहरे बदन जिस पर हर जगह सही अनुपात में मांस था, जो किसी भी मर्द को दीवाना कर दे, उसको सराह रही थीं। गिफ़्टी दीदी मन ही मन अपनी कजिन बहन के निप्पल चूसने की कल्पना करने लगीं और इस विचार ने उनके बदन में उत्तेजना की एक लहर सी दौड़ा दी।
मिनी दी ने आगे बढ कर अपने कजिन भाई के लण्ड को अपने हाथ में लेकर उत्साह के साथ जकड़ लिया। मैं मिनी दी को ऐसा करते हुए प्रोत्साहित कर रहा था, और उनको बता रहा था कि वो नंगी होकर क्या मस्त गर्मा गर्म माल लग रही थीं, और उनके हाथ का मेरे लण्ड पर स्पर्ष कितना सुखदायिनी लग रहा था।
''हे भगवान, मुझे तो अब भी यकीन नहीं हो रहा, कितना बड़ा है तुम्हारा विशाल, और कितना हार्ड है!" मेरे लण्ड को अपने हाथ में जकड़ते हुए मिनी दीदी ने कहा, ''जब तुम मुट्ठ मार कर झड़ते होगे तो इसमें से तो बहुत ढेर सारा पानी निकलता होगा, क्यों?" मिनी दी ने पूछा।
''हाँ सो तो है,'' मैंने जवाब में कहा।
''तुम मुझे दिखाओगे?"
''उम्म, ठीक है, लेकिन अगर तुम इसको चूसोगी तब ही,'' मैंने कहा। एक बारगी फ़िर से मिनी को एहसास हुआ कि वो किस से बात कर रही है, वो कहाँ है और फ़िर हिचकिचाते हुए सहम कर खड़ी हो गयी।
''कम ऑन मिनी, तुम तो मुझे बता ही चुकी हो कि तुम सैक्स कर चुकी हो, तो फ़िर इसको चूसने में क्या परेशानी है?" गिफ़्टी दीदी ने मिनी दी के पास आते हुए कहा। गिफ़्टी दीदी ने मिनी दी के हाथ के ऊपर अपना हाथ रखकर मेरे लण्ड को जकड़ लिया, और उसको फ़िर से हिलाने लगी। जब मिनी दी स्वतः मेरे लण्ड को हिलाने लगीं, तो गिफ़्टी दीदी ने अपने हाथ को मिनी दी के हाथ के नीचे से निकालकर थोड़ा और नीचे मेरे लण्ड को पकड़ लिया, और फ़िर दोनों मेरे लण्ड को मुठियाने लगीं।
''मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा गिफ़्टी, तुम अपने भाई के लण्ड को पकड़ के हिला रही हो!"
''हर किसी के नसीब में नहीं होता ऐसा लण्ड मिलना, और कौन सा रोज मिलता है ऐसा लण्ड हिलाने को,'' गिफ़्टी दीदी ने अपने घुटनों पर बैठते हुए कहा। जब गिफ़्टी दीदी ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में लिया तो मिनी दी एकदम शॉक रह गयीं। मिनी और गिफ़्टी दीदी के नंगे बदन बहुत करीब थे और दोनों की टाँगें और चुतड़ एक दूसरे को छू रहे थे, उस स्पर्श को मेहसूस करते हुए, मिनी अपने कजिन भाई का लण्ड उसकी अपनी सगी बड़ी बहन के मुँह में घुसता हुआ देख रही थी। मिनी दी मन ही मन इसको विक्रति की नजर से देख रही थी। लेकिन मुझे और गिफ़्टी दीदी को उस अवस्था में देखकर मिनी दी को एहसास होने लगा कि उनकी चूत भी पनियाने लगी थी, और शायद उनका मन भी मेरा लण्ड चूसने का करने लगा था। मिनी दी भी अपनी कजिन सिस्टर के करीब घुटनों के बल बैठ गयी, गिफ़्टी दीदी ने अपने मुँह से मेरा लण्ड निकाल दिया, जिससे कि मिनी दी उसको चूस सकें।
गिफ़्टी दीदी अपनी कजिन बहन को अपने भाई का लण्ड चूसते हुए देख रही थीं। जब मैं अपना लण्ड चुसवा रहा था, तब गिफ़्टी दीदी अपने हाथ को नीचे ले जाकर मेरे टट्टे सहलाने लगी। मेरा इतना बड़ा लण्ड जब मिनी दी के मुँह में घुसता हुआ देख कर मन ही मन गिफ़्टी दीदी इस दृश्य को सराह रही थी, और उनकी नजर मिनी दी के जिस्म का ऊपर से नीचे तक मुआयना कर रही थी, छोटी छोटी टाईट चूँचियाँ, समतल सपाट पेट, और मद्धम रोशनी में दिखाई देतीं काली घनी झाँटें। मिनी दी के निप्पल एक दम हार्ड हो चुके थे। गिफ़्टी दीदी ने अपने खुद के निप्पल को छू कर देखा, वो भी उत्तेजित होकर खड़े हो रखे थे, फ़िर शायद ये जानने के लिये कि किस के निप्पल ज्यादा हार्ड हो रहे थे, गिफ़्टी दीदी ने हाथ बढा कर मिनी दी की एक चूँची को अपने हाथ में भर लिया।
मिनी दी की चूँची को हाथ में भरने का एहसास गिफ़्टी दीदी के लिये एकदम नया था, उनको आशचर्य हो रहा था कि किसी लड़की की चूँची को अपने हाथ में लेने इतना मजा आता है। मिनी दी की चूँची एक दम कड़क थी, निप्पल मूँगफ़ली के दाने की तरह सख्त, और मिनी दी की चूँची उतनी ज्यादा भारी भी नहीं थी, जितनी कि उनकी खुद की थी, लेकिन फ़िर भी किसी दूसरे की चूँची को इस तरह पकड़ने का एहसास उनको अच्छा लग रहा था।
मैं अपनी कजिन बहन को मेरा लण्ड चूसता हुए और मेरी अपनी बड़ी बहन मिनी दी की चूँची दबाते हुए देख रहा था। इतना सब देखकर मेरे बर्दाश्त से बाहर होता जा रहा था, और मेरे टट्टों में उफ़ान आना शुरू हो गया था, लावा किसी भी वक्त निकल सकता था। मिनी दी को इसका एहसास हो गया था, और वो इसके लिये तैयार हो गयीं, और जैसे ही ज्वालामुखी फ़ूटा, उन्होने मेरे लण्ड को पूरा अपने मुँह में अंदर तक ले लिया, मेरे वीर्य की धार ने उनके मुँह को भर दिया, और वो हर धार को बारम्बार अंदर निगलने लगी। मिनी दी जब सारा नहीं निगल पायीं तो बाकी का वीर्य उनकी ठोड़ी पर बहने लगा। मिनी दी ने साँस लेने के लिये मेरे लण्ड को मुँह से बाहर निकाल दिया, फ़िर उनकी थोड़ी जान में जान आयी।
गिफ़्टी दीदी ने मेरे लण्ड को पकड़ लिया और बाकी के वीर्य को चाटकर मेरे लण्ड को साफ़ कर दिया।
''वॉव, मिनी दी, आपने तो मस्त चूसा मेरे लण्ड को,'' मैं बैड पर लेटते हुए बोला।
''थैन्क्स, मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा, ये कितना बड़ा है!" मिनी दी ने अपने कपड़े उठाते हुए कहा। ''चलो अब सब पार्टी में चलकर खाना खा लेते हैं, नहीं तो भूखे ही रहना पड़ेगा। हम तीनों ने जल्दी से अपने अपने कपड़े पहने और फ़िर पार्टी में वापस चले गये।
जब हम होटल से अपने घर वापस चलने को हुए, तो मिनी दी कर पार्किंग में मुझे खींचकर एक बड़ी गाड़ी के पीछे ले गयीं और मेरा सिर पकड़कर अपने पास ले आयीं, और मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसा दी। मैं अपनी कजिन बहन मिनी दी के इस प्रगाढ चुम्बन की गर्माहट में पिघलने लगा, और मेरे लण्ड में फ़िर से हरकत होने लगी।
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