RE: vasna kahani चाहत हवस की
उस वक्त फ़िर मैं नींद से जाग गया, और अपनी कमर के निचले हिस्से में आनंद की अनुभूति मेहसूस होने लगी। अधखुली आँखों से मैंने देखने का प्रयास किया कि आखिर हो क्या रहा है, फ़िर कुछ देर बार मैं समझा कि गिफ़्टी दीदी मेरे रूम में आकर मेरा लण्ड चूस रही थी! मैं बिना कुछ बोले चुपचाप मजे लेने लगा।
गिफ़्टी दीदी अपने सिर को ऊपर नीचे कर रही थी, और मेरे लण्ड को थूक लगाकर चिकना कर रही थी, और दोपहर की तरह जैसे मैंने ओरल सैक्स किया था, उस की कल्पना कर रही थी। दीदी ने मेरे टट्टों को एक हाथ में भर लिया, और दूसरे हाथ से लण्ड को पूरी लम्बाई से पकड़कर मुठियाते हुए मुझे झाड़ने का प्रयत्न करने लगी। और जब मेरे लण्ड से पानी निकला, तो दीदी ने पुरा उसको चाट कर साफ़ कर दिया, और अपने मुँह के अंदर निगल गयी।
और फ़िर खड़े होकर बाहर जाने से पहले वो मेरे सिरहाने के पास आयी, और उन्होने बस ''गुडनाईट विशाल,'' बोला और बाहर निकल गयी।
जब दीदी मेरे बैडरूम से बाहर निकल अपने रुम की तरफ़ जा रही थी, तो मैं धीमे से बोला, ''ये तो वाकई में गुडनाईट है।'' मैं बैड पर लेटे लेटे दीदी की इस हरकत के बारे में सोचकर अचम्भित हो रहा था। मैं सोच भी नहीं सकता था कि दीदी ऐसा रण्डीपना भी कर सकती है, और वो भी जब कि वो शादीशुदा थी और अजय जीजू का लण्ड अनेकों बार चूस चुकी होंगी।
अगली दोपहर जब घर पर कोई नहीं था, तब दीदी ने मेरे रूम का डोर खटखटाया, और मेरे कहने पर अंदर आ गयी। उस वक्त मैं डैस्क्टॉप कम्प्यूटर पर बैठा हुआ था, दीदी ने मुझसे पूछा कि मैं क्या कर रहा हूँ।
''बस वैसे ही टाईमपास नैट सर्फ़िंग कर रहा हूँ,'' मैंने जवाब दिया।
''कुछ इन्टेरेस्टिंग मिला क्या?" दीदी मेरे पास आते हुए बोली, उनकी नजर मेरे बॉक्सर में बने तम्बू पर थी। उन्होने पास आते हुए, कम्प्यूटर पर एक मैसेज विन्डो खुली हुई देखी।
''कुछ नही, बस कुछ पॉर्न,'' मैं हँसते हुए शर्माकर बोला।
''ये हॉर्नीलेडी कौन है?" जैसे ही मैंने विन्डो बंद की, दीदी ने पूछा।
''कुछ नहीं किसी औरत ने कल रात मुझे मैसेज किया था।''
''ओह, कोई औरत? और नाम भी ऐसा हॉर्नीलेडी? वो क्या तुम्हारा हथियार देखना चाह रही थी?"
''हाँ, और उसने देख भी लिया।''
''सचमुच तुमने उसको दिखा दिया?" गिफ़्टी दीदी ने पुछा। मैंने झेंपकर हँसते हुए हामी भर दी।
''वो तो तुम्हारा इतना बड़ा लण्ड देखकर इम्प्रेस हो गयी होगी?" दीदी ने पुछा, और फ़िर मेरी चेयर के पास घुटनों के बल बैठकर मेरे लण्ड को बॉक्सर के ऊपर से ही सहलाने लगी।
''हाँ, सही में वो तो मेरा पानी निकलता हुआ भी देखना चाहती थी।''
''और क्या?"
''तो फ़िर मैंने भी लण्ड हिलाकर उसको दिखाते हुए पानी निकाल दिया,'' जब मैं दीदी को ये बता रहा था तो दीदी मेरे बॉक्सर को नीचे खिसका कर लण्ड बाहर निकाल रही थी। दीदी ने लण्ड को मुँह में ले लिया और उसको चूसने लगी।
''उसमें मेरे से चुसवाने जैसा मजा तो नहीं आया होगा, क्यों?" दीदी ने मेरे लण्ड के सुपाड़े पर जीभ फ़िराते हुए पूछा।
''इसका तो मुकाबला ही नहीं है दीदी,'' मैं गुर्राते हुए बोला।
''तो फ़िर तुमने ऐसा किया क्यों?"
''बस वैसे ही थोड़ा मस्ती के लिये… और वैसे उसने भी तो अपनी चिकनी शेव की हुई चूत दिखाई थी,'' मैंने कहा।
''क्या सचमुच उसकी शेव की हुई चिकनी चूत थी? थोड़े बहुत भी बाल नहीं थे?"
''एक भी बाल नहीं था,'' मैंने जवाब दिया, और दीदी ने मेरा लण्ड जितना उनके मुँह के अंदर जा सकता था, उतना अंदर ले लिया, और फ़िर उसको पूरी लम्बाई को धीरे धीरे चाटते हुए चूसने लगी। साथ साथ दीदी एक हाथ से लण्ड को मुठिया भी रही थी।
''तो क्या तुमको उसकी चूत मेरी चूत से ज्यादा अच्छी लगी। लगता है अब तुम मेरी झाँटों वाली चूत को कभी नहीं चाटना चाहोगे, क्यों?"
"अरे नहीं दीदी, मैं तो जब चाहो तब आपकी चूत चाटने को तैयार हूँ,'' मैं दीदी को भरोसा दिलाते हुए बोला।
''चलो तो फ़िर ठीक है, मेरा भी चूत चटवाने का मन कर रहा था,'' दीदी ने कहा और एक झटके में अपना लोअर और पैण्टी एक साथ उतार दी। और फ़िर मेरे बैड पर मेरे सामने अपनी टाँगें चौड़ी फ़ैला कर बैठ गयी।
''आजा मेरे भाई, ले चाट ले अपनी दीदी की चूत,'' गिफ़्टी दीदी ने मुझसे होंठों पर जीभ फ़िराते हुए, और चूत के दाने को मसलते हुए कहा। मैं तुरंत हाथों और घुटनों के बल दीदी के सामने बैठ गया, और दीदी की चूत के छेद पर हर जगह अपनी जीभ से चाटने लगा, कभी चूत की फ़ांकों को मुँह में भर लेता, तो कभी छेद में जीभ घुसा देता।
''स्स्स इस चूत के दाने को चाटो, पानी निकाल दे मेरी चूत का,'' गिफ़्टी दीदी ने अपने छोटे भाई से चूत चटवाते हुए विनती भरे अंदाज में कहा। मैंने दीदी की बात मानते हुए अपनी जीभ के अग्र भाग को नुकीला कर उनकी चूत के दाने को सहलाते हुए चाटने लगा। और ऐसा तब तक करता रहा जब तक कि दीदी का बदन ऐंठने ना लगा, और वो काँपते हुए झड़ कर चीखने ना लगी।
''हाय राम, मजा आ गया,'' गिफ़्टी दीदी ने मुझसे कहा। ''थैंकयू, लाओ अब एक बार फ़िर से अपना पानी मेरी चूँचियों पर निकाल दो।'' जैसे ही मैं बैड से नीचे उतरकर नीचे खड़ा हुआ, दीदी मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गयी, और मेरे लण्ड को चूसने लगी, और फ़िर बीच में बस कुछ देर रूककर अपनी टी-शर्ट और ब्रा उतार दी।
मैं हँसते हुए बोला, ''बहनचोद, मैंने सोचा भी नहीं था, आप तो बिल्कुल रण्डी जैसे बिहेव कर रही हो दीदी।''
''हाँ तुम बोलते रहो,'' दीदी ने लण्ड को मुँह में अंदर लेते हुए कहा। जब दीदी मेरे लण्ड को चूस रही थी, उसी बीच दीदी ने अपनी पैण्टी उठाकर उसको अपनी चूत पर कुछ देर घिसा और फ़िर उसको मेरे हाथों में पकड़ा दिया।
''ये ले अपनी रण्डी दीदी की पैण्टी और चाट ले चूत वाली जगह को, जब मैं तुम्हारे लण्ड को चाट रही हूँ तो मैं तुमको मेरी पैण्टी चाटते हुए देखना चाहती हूँ!" मैंने उनकी पैण्टी को उठाकर अपने चेहरे के पास लाकर, पैण्टी के कपड़े में कैद उनकी चूत की मादक गन्ध को सूँघ कर मस्त होने लगा।
|