RE: vasna kahani चाहत हवस की
कुछ दिन बाद एक दिन सुबह मैंने एक स्पाई कैमरा ऑनलाईन मंगाकर बाथरूम में ट्यूब्लाइट के पास छिपा कर लगा दिया। अपने रूम में आकर मैं इन्तजार करने लगा कि गिफ़्टी दीदी नहाने जायें और फ़िर मैं उस कैमरे की मैमोरी को लैप्टॉप से अटैच कर के उनके नंगे बदन को देखूँ। मैं अपने कमरे में बैठकर इन्तजार करने लगा। बाथरूम से जब दो बार शॉवर की आवाज आ गयी, तो मैं धड़कते दिल के साथ नहाने के लिये बाथरूम की तरफ़ चल दिया। जब मैं बाथरूम के डोर पर खड़ा था, तभी बाथरूम का दरवाजा खोलकर गिफ़्टी दीदी बाहर निकलीं, उन्होने अपने बदन पर सिर्फ़ तौलिया लपेट रखी थी। दीदी को इस रूप में देखकर मेरे लण्ड में हलचल शुरू हो गयी। हम दोनों एक दूसरे की तरफ़ देखकर मुस्कुरा दिये। मैंने अंदर घुसकर बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया। मैंने तुरंत बॉक्सर उतार कर शॉवर चालू कर दिया, मैं दुविधा में था कि पहले नहाऊँ या पहले कैमरा चैक करूँ, लेकिन फ़िर मैंने पहले नहाना ही उचित समझा, क्योंकि नहाने के बाद कैमरा मुझे अपने साथ ले जाना था।
मैं बेहद एक्साईटेड हो रहा था, मेरा लण्ड खड़ा होकर फ़नफ़ना रहा था, शॉवर जैल से अपने लण्ड को चिकना कर के मुट्ठ मारने के सिवा मेरे पास कोई उपाय नहीं था। जब मैं बाथरूम के फ़र्श पर बैठकर अपने लण्ड पर शॉवर जैल लगाकर सड़के मार रहा था, तभी बाथरूम का दरवाजा खुला। औए जब गिफ़्टी दीदी बाथरूम के अंदर दाखिल हुई तो उस हालत में मेरी तो सिट्टी पिट्टी ही गुम हो गयी।
"सॉरी विजय, मैं अपना हेयर ब्रश भूल गयी थी,'' वो बिना कुछ देखे, अंदर आते हुए बोली। लेकिन बाहर जाते हुए जैसे ही उसने मेरी तरफ़ देखा, तो उसकी नजर मेरे खड़े फ़नफ़नाते लण्ड पर टिक गयी, जो मानो दीदी को अटैन्शन पोजीशन में सैल्यूट मार रहा था। दीदी बाहर निकल गयी और मैं फ़िर से फ़र्श पर बैठकर लण्ड के सड़के मारकर मुट्ठ मारने लगा।
और उधर दीदी अपने बैड पर बैठकर एक हाथ से अपनी चूँचियों को दबा रही थी और दूसरे हाथ की उँगलियां अपनी चूत में घुसा रही थी। दीदी अपने भाई के इतने बड़े लण्ड को देखकर आश्चर्य चकित थी, उसके दिमाग में बस मेरे लण्ड की तस्वीर ही घूम रही थी। उस दिन मेरे बॉक्सर में बने लण्ड के तम्बू से उसको कुछ तो एहसास हो गया था, लेकिन आज आँखों से छत की तरफ़ खड़ा फ़नफ़नाता लण्ड देखकर वो विचार मग्न थी। वो बैड पर लेटकर कल्पना कर रही थी कि ऐसे बड़े लण्ड को अपने होंठों के बीच लेकर चूसने में, और हाथ से हिलाने में, उसके सुपाड़े को जीभ से चाटने में और फ़िर पूरा मुँह के अंदर लेकर पानी निकालने में कितना मजा आयेगा।
''शायद, ऐसा हो पाना मेरी किस्मत में है ही नहीं,'' चूत में ऊँगली कर झड़ने के बाद दीदी अपने आप को सांत्वना देते हुए मन ही मन बोली।
मैंने अपने रूम में आकर, कैमरे को लैपटॉप से कनैक्ट किया, और वीडियो देखने लगा। हो कुछ स्क्रीन पर मैं देख रहा था, उसको देखकर मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। मैंने रिवाईण्ड कर के देखा, गिफ़्टी दीदी से पहले भी कोई बाथरूम में गया था, ओ ओ होहो ये तो मेरी मम्मी थी।
मैंने शुरु में फ़ास्ट फ़ोरवर्ड कर लिया था, क्योंकि शायद शुरु में मैं मम्मी को नंगा नहीं देखना चाह रहा था, लेकिन तभी शॉवर बंद करके मम्मी ने एक टांग उठाकर जब अपनी झाँटों की शेविंग शुरु की तो कैमरे का फ़ोकस सीधा उनकी चूत पर था। मैंने प्लेयर की स्पीड नॉर्मल कर दी, और मम्मी को झाँटें साफ़ करते हुए देखने लगा। मम्मी ने झाँटों की शेव कर के, अपनी चूत को एकदम चिकना कर लिया।
मेरे मन में मेरी मम्मी के प्रति भावनाएँ बदलने लगीं। मैं उनके बदन को निहारने लगा,मम्मी के बदन में एक अलग ही कशिश थी, मैंने मम्मी को इस नजर से पहले कभी नहीं देखा था। हाँलांकि वो दीदी से थोड़ा ज्यादा मोटी थी, लेकिन उनका बदन एकदम गदराया हुआ था, और हर जगह उचित मात्रा में माँस भरा हुआ था। मम्मी को नंगा देखकर लग रहा था कि दीदी कुछ ज्यादा ही पतली दुबली हैं। मम्मी के मम्मे थोड़ा लटक से गये थे, इस वजह से दीदी की चुँचियों से थोड़ा छोटे लग रहे थे, लेकिन उन पर वो बड़े बड़े निप्पल बेहद आकर्षक लग रहे थे। स्क्रीन पर मम्मी को कपड़े पहनते हुए देखकर मैं फ़िर से अपने लण्ड को हिलाने लगा।
फ़िर मैंने जल्दी से वीडीयो को फ़ास्ट फ़ॉरवर्ड करके वहाँ पर ले गया, जब दीदी बाथरूम में घुसती हैं, और फ़िर जैसे ही दीदी ने अपने कपड़े उतारकर नंगा होना शुरू किया, मैं वो देखकर अपने लण्ड को हिलाने लगा। जैसे ही दीदी की चूँचियों या चूत का कोई साफ़ दृष्य आता, मैं वीडियो को पॉज कर देता। दीदी ने अपनी झाँटें ट्रिम कर रखी थीं, लेकिन मैं दीदी की चूत को उतनी अच्छी तरह नहीं देख पा रहा था, जिस तरह मैंने मम्मी की चूत देखी थी। मेरे पास ज्यादा टाईम नहीं था, और मुझे कॉलेज भी जाना था, मैं जल्दी से लैपटॉप बंद कर करके, तैयार होकर कॉलेज के लिये निकल गया, लेकिन उस दिन मुझे जो भी लड़की दिखायी देती, उसकी मैं दीदी और मम्मी से तुलना करने लगता, और मन ही मन सोचने लगता कि इसने झाँटें साफ़ कर रखी होंगी या नहीं, या फ़िर जब ये अपनी ब्रा खोलेगी तो इसकी चूँचियाँ कैसी कड़क या मुलायम होंगी।
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उधर दीदी का भी यही हाल था, ऑफ़िस में वो हर मर्द को देखकर सोच रही थी कि उसका लण्ड उसके भाई के लण्ड से बड़ा होगा या छोटा। जब अजय जीजू लन्च के टाईम दीदी के ऑफ़िस गये, तो दीदी ने रेस्टोरेण्ट की टेबल के नीचे अपने हाथ में जीजू क लण्ड पकड़कर उनको मुट्ठ भी मारी। जीजू की मुट्ठ मारते हुए भी दीदी जीजू के लण्ड की मेरे लण्ड से मन ही मन तुलना कर रही थी। दीदी मन ही मन सोच रही थी कि क्या उसको कभी इस तरह अपने भाई का लण्ड पकड़ने का मौका मिलेगा। ये सब सोचकर दीदी बहुत ज्यादा चुदासी हो गयी थी, और वो टॉयलेट में जाकर अपनी चूत में उंगली करने लगी। अपनी चूत को अपनी उँगली से सहलाते हुए वो कल्पना कर रही थी कि वो मेरे लण्ड को अपने मुँह में भरकर चूस रही है।
उस दिन के बाद जब भी बाथरुम में मुझे लॉण्ड्री के कपड़ों में दीदी की पैण्टी दिखायी देती, मैं उसको अपने लण्ड के गिर्द लपेट कर मुट्ठ मार करता। और कभी कभी जब कभी मम्मी की पैण्टी दिखायी दे जाती, तो उनकी चिकनी चूत की कल्पना कर के उस में अपने लण्ड का पानी निकाल देता।
एक दिन मैं दीदी की पैण्टी अपने रूम में मुट्ठ मारने के लिये ले आया था, लेकिन उसको वापस लॉण्ड्री के कपड़ों में रखना भूल गया।
''विशाल, क्या तुमने मेरी…'' ये बोलते हुए जैसे ही गिफ़्टी दीदी मेरे रूम में दाखिल हुई, वो मुझे उस हालत में देख कर शॉक हो गयीं। मैं अपने बैड पर बैठा हुअ, अपने खड़े लण्ड को पकड़कर सड़का मार रहा था, मेरे लण्ड से कुछ लिपटा हुआ भी था, दीदी मेरे लण्ड को और मेरे हाथ को देख रही थी, मैंने एक झटके में अपने ऊपर कम्बल खींच लिया।
दीदी फ़र्श पर गिरी उस चीज को देखने लगी जो मेरे लण्ड से लिपटी हुई थी, और कम्बल खींचते हुए नीचे गिर गयी थी। जैसे ही दीदी ने अपनी पैण्टी को देखा, उन्होने एक गहरी साँस ली। असलियत में येए वो ही पैण्टी थी जो दीदी ने पिछले दिन पहनी थी।
''ये क्या कर रहे हो विशाल?" वो सकते में बोली।
''ओह सॉरी दीदी,'' इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं बोल पाया, मेरा चेहरा एक दम सुर्ख लाल हो गया था। हाँलांकि दीदी मेरे रूम में मुझे मुट्ठ मारते हुए देखने के लिये ही आयी थी, लेकिन जब उसने देखा कि मैं उसकी पैण्टी को मुट्ठ मारने के लिये इस्तेमाल कर रहा हूँ तो वो शॉक हो गयी थी।
''ये तुम मेरी पैण्टी में सड़का मार रहे थे?'' दीदी ने मेरे पर आरोप लगाते हुए पूछा।
''ऊम्… हाँ… वो … क्या… सॉरी दीदी, पता नहीं… वो मुझे लॉण्ड्री बास्केट में …'' इसके आगे मैं कुछ नहीं बोल पाया।
''मेरी पैण्टी में … मम्मी को बताऊँ ये सब!"
''प्लीज नहीं दीदी, मम्मी को प्लीज मत बताना, आप जो कहोगी मै वो सब काम करूँगा… पर प्लीज मम्मी को मत बताना… प्रॉमिस ऐसा फ़िर कभी नहीं करूँगा दीदी।''
''चलो ठीक है, मम्मी को नहीं बताऊँगी, लेकिन तुमको जो मैं कहूंगी मेरे वो सारे काम करने होंगे!"
''थैन्क यू, दीदी''
''और सुनो…''
''क्या दीदी…''
''मुझे अपने लण्ड दिख़ाओ''
''क्या!"
"मैं उसे देखना चाहती हूँ। लगता है बहुत बड़ा है, मैं देखना चाहती हूँ कि मेरे भाई का लण्ड कितना बड़ा है,'' दीदी ने कहा। दीदी मन ही मन खुश थी जिस तरह से सब कुछ घटित हुआ था। वो खुश थी कि वो मेरे लण्ड को इतने करीब से देख पायेगी जिस की उसने कल्पना भी नहीं की थी।
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