RE: vasna kahani चाहत हवस की
एक बार थोड़ी जब विजय ने एक जोर का झटका मारा तो मानो मेरी तो जान ही निकल गयी, और मेरे मुँह से बरबस चीख निकल गयी, और मेरी चूत ढेर सारा पानी छोड़कर स्खलित हो गयी। कुछ देर बाद विजय ने मेरी चूत से अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। विजय ने जब अपने लण्द और मेरी चूत की तरफ़ देखा तो उसे और मुझे एहसास हुआ कि मेरी कुँवारी चूत की झिल्ली फ़टने से जो खून निकला था उसकी वजह से विजय का लण्ड लाल खून से लिसा हुआ था, और बैडशीट पर भी खून के दाग लग गये थे। मैं अपना कौमार्य अपने सगे भाई से चुदकर खो चुकी थी, जो कुछ हो चुका था उस पर पछताना अब व्यर्थ था।
हम दोनों की साँस अभी भी तेज तेज चल रही थी, लेकिन मेरे भाई विजय का लण्ड का स्पर्श पाते ही मेरी चूत फ़िर से पनियाने लगी और मेरे शरीर में 440 वोल्ट का करेन्ट दौड़ गया। अब मुझे समझ में आ रहा था कि जब पापा मम्मी को चोदते थे तो दोनों के मुँह से वो कराहने की मदमस्त आवाज क्यों और कैसे निकलती थीं।
मेरे चुदने की लालसा फ़िर से बलवती होने लगी थी, मैं बैड पर थोड़ा नीचे खिसक आई और अपनी दोनों टाँगों को अपने दोनों हाथों से उठाकर, अपनी चूत को खोलकर मैं अपने भाई विजय को अपना लण्ड डालकर मुझे चोदने के लिये आमंत्रित और प्रोत्साहित करने लगी। मैंने मम्मी को पापा और विजय से चुदते हुए ऐसा करते हुए देखा था, और विजय ने भी वो ही किया जो उसने पापा को करते हुए देखा था, और जो वो खुद मम्मी को चोदते हुए करता था, उसने अपने हाथ पर ढेर सारा थूक लिया और पहन्ले उससे अपने लण्ड के सुपाड़े को गीला किया और बाकि को मेरी चूत के होठों और छेद के ऊपर घिस दिया, उसके ऐसा करते ही मेरी चूत को चमकने लगी। मेरे भाई विजय की आँखों में भी मेरी चमकती गीली चूत को देखकर एक अजीब चमक आ गयी।
इस बार मेरी चूत ने कोई प्रतिरोध नहीं किया, और विजय का जिद्दी लण्ड एक बार में ही मेरी चूत के अन्दर तक घुस गया। मैंने और मेरे भाई विजय दोनों ने पापा को मम्मी के ऊपर चढकर मिशनरी पोजीशन में ही चोदते हुए देखा था, शायद उस समय तक हम दोनों को किसी और पोजिशन का पता भी नहीं था। लेकिन उसका एक फ़ायदा तो हुआ, हम दोनों एक दूसरे का चेहरा देख पा रहे थे, लेकिन जैसे ही विजय का लण्ड पूरा मेरी चूत में घुसा, मेरी आँखें खुदबखुद बन्द होने लगीं, और वही हाल विजय का भी था, लेकिन जब भी बीच बीच में थोड़ी आँख खुलती तो एक दूसरे के चेहरे के भाव देखकर पता चल जाता कि दोनों को चुदाई में कितना ज्यादा मजा आ रहा था।
विजय अपने लण्ड से मेरी चूत को मूसल की तरह ताबड़ तोड़ कूट रहा था। मेरी चूत की दीवार और ज्यादा फ़ैलती जा रही थी, जिससे विजय का मोटा लण्ड और ज्यादा आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था। मेरे भाई विजय का लण्ड के गहरे झटके मेरी चूत की सुरंग की खुजली मिटा रहा था। मेरी चूत की माँसपेशियाँ कभी टाईट होकर और कभी लूज होकर दर्द और चुदाई के सुख को आत्मसात कर रही थीं। मुझे इस बात पर गर्व हो रहा था कि मैं अपनी चूत की खुजली अपने भाई के लण्ड से मिटा रही थी, ना कि भाग कर किसी बाहरी आवारा लड़के के साथ, इस से घर परिवार की इज्जत पर दाग लगने का कोई खतरा नहीं था।
ये विचार मेरे दिमाग में आते ही और ज्यादा चुदासी हो उठी, और अपनी गाँड़ उठा उठा कर विजय का चुदाई में सहयोग देने लगी। और तभी मेरी चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया और मैं स्खलित हो गयी। मेरे भाई को विजय को कुछ समझ नहीं आया और उसने लण्ड का एक जोर का झटका मार कर अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में अन्दर तक घुसा दिया। मुझे मानो जन्नत दिखाई दे गयी।
उस वक्त चुदाई के मामले में मैं और विजय दोनों ही नौ सीखिया थे, हाँलांकि मम्मी को चोदकर विजय मुझसे कुछ थोड़ा ज्यादा जानता था, लेकिन किसी जवान लड़की की कुँवारी टाईट चुत चोदने को उसे भी पहली बार मिली थी। कहाँ मम्मी का ढीला ढाला भोसड़ा और कहाँ मेरी टाईट कुँवारी चूत, हल्की झाँटों से घिरी मेरी कुँवारी चूत देखकर वो भी पागल हो गया था। झड़ते हुए हुए जब मेरी चूत की माँस पेशियों ने मेरे भाई विजय के लण्ड को निचोड़ना शुरु किया, तो उसकी गोलियों में भी उबाल आने लगा। उसने तुरंत अपना लण्ड मेरी चूत में से बाहर निकाल लिया और तभी उसके लण्ड से वीर्य की जो पिचकारी निकली उसने मेरे पेट, मेरी चूँचियों और मेरे चेहरे सभी को अपने पानी से तर बतर कर दिया। मैं विजय के लण्ड को अपने एक हाथ की मुट्ठी में लेकर आगे पीछे करने लगी, और उसके लण्ड को अपनी चुँचियों और निप्पल पर रगड़ने लगी, जिससे उसके वीर्य की आखिरी बूँद तक बाहर निकल जाये। मैं इस बात से खुश थी कि उसने समय रहते अपना लण्ड बाहर निकाल लिया, मैं किसी भी शर्त पर गर्भवती नहीं होना चाहती थी॥
और उस दिन के बाद सब कुछ बदल गया। जब कोई लड़की एक बार कौमार्य खो देती है तो वो लड़की और ज्यादा बेशर्म हो जाती है। गुड़िया मेरी तरफ़ देखकर थोड़ा मुस्कुरायी, और फ़िर हँसते हुए बोली, इसीलिए उस दिन के बाद जब भी आपने हजार के तीन नोट दिखाये, मैंने भी अपनी चूत खोल कर आपको दे दी। मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया, और उसे पैण्ट की जेब से दो और हजार के नोट दिखाकर मुस्कुराने लगा।
मुझे मुस्कुराते हुए देखकर वो बोली, अब ज्यादा मत मुस्कुराओ विशाल बाबू, आपको शायद पता नहीं है कि आपकी गिफ़्टी दीदी एक बार मुझे आपक लण्ड चूसते हुए छुप कर देख चुकी हैं। पिछले हफ़्ते वो जॉब से जल्दी आ गयीं थीं और वो अपनी चाबी से मेन गेट का दरवाजा खोलकर अंदर आकर हमारी चुदाई देख चुकी हैं। चुदने के बाद आपको सोता हुआ छोड़कर जब मैं किचन में बर्तन साफ़ करने जा रही थी, तो मुझे दीदी के रूम से कुछ आवाज सुनाई दी, जब मैंने थोड़ा सा दरवाजा खोल कर देखा तो दीदी बैड पर नंगी होकर अपनी चूत मे उँगली कर रही थी। जब मैं घर का सारा काम खत्म करके मेन गेट खोलकर जाने लगी, तो वो अपने रूम के डोर पर खड़ी होकर मुझे घूर रहीं थीं। हाँलांकि इस बारे में उन्होने मुझसे कभी कोई बात नहीं की है, और शायद मेमसाहब को भी कुछ नहीं बताया है। लेकिन सावधान रहना। गुड़िया की ये बात सुनकर मेरे पैरों के तले से तो मानों जमीन ही खिसक गयी।
गुड़िया बोली ये दो हजार के नोट अपनी जेब में वापस रख लो, बस एक हजार लण्ड चूसने के दे दो, जीजू भी लन्दन से आने वाले हैं, शायद वो दीदी को कम्पनी से साथ लेते हुए ही आयेंगे। अगर दीदी और जीजू जल्दी आ गये तो हम दोनों की खैर नहीं, जब कभी सब लोग कहीं बाहर गये होंगे तब इत्मीनान से तुमसे चुदवाऊँगी।
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