Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:33 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
रेहाना – लेकिन अस्फ़ाक़ भाई जाना कहाँ है, ये तो बता दो…!

मे - भरोसा नही है मुझ पर..? 

वो – ऐसा मत कहो आप..! आपके भरोसे ही तो इतने लोग इस आग में कुदे हैं..

मे – तो फिर अभी कोई सवाल नही प्लीज़ ! कुछ चीज़ें समय से पहले जानना ठीक नही होती.

अब सब फटाफट लग जाओ काम पर, समय ज़्यादा नही है हमारे पास.

फिर सब लोग दौड़ लिए अपना-2 इंतेज़ाम करने, और रात 9 बजे तक सब सेट्ल हो गया.

अंधेरा घिरते ही दो टेंपो दूसरी बस्ती भेज दिए, और बिना किसी को हवा लगे वहाँ से लोगों को उठा लिया, 

तीन टेंपो और बाइक्स अपनी बस्ती के लोगों से भर गये और देर रात तक निकल लिए हम अपनी नयी मंज़िल की ओर जहाँ उन सबको बसाना ही अब मेरा पहला मकसद था….!

पूरी रात चलने के बाद अब सब लोग एक नये सबेरे का इंतजार कर रहे थे और सोच रहे थे कि ना जाने कल का सूरज उनके लिए क्या लेकर आने वाला है…..!

जो लोग मुझ पर अटूट विश्वास करते थे वो तो लगभग निश्चिंत थे, लेकिन ज़्यादातर के मन में अभी भी उथल-पुथल मची हुई थी भविश्य के बारे में….!

सूरज अपनी रोशनी धरती पर बिखेर चुका था, लेकिन हमारा सफ़र था कि अभी भी ख़तम होने का नाम नही ले रहा था, भीड़ ज़्यादा थी, और रास्ते मसाल्लाह, देर तो लगनी ही थी.

लोग साथ में खाने पीने का समान भी लेकर चले थे सो, सुबह के करीब 9 बजे हम एक जगह पानी का इंतेज़ाम देख कर रुक गये और नाश्ता पानी किया और फिर से चल पड़े.

आख़िरकार दोपहर होते-2 हम अपनी मंज़िल पर पहुँच गये, वहाँ का इंतेज़ाम देख कर लोगों को तसल्ली पहुँची कि चलो एक छत तो नसीब हुई, अब देखते हैं रब्ब आगे क्या-2 खेल दिखाता है इस जिंदगी में….!

शहर से बाहर ये एक छोटी सी टाउनशिप थी, जिसे वहीं के लोकल वाशिंदे रहीम चाचा जो एक बिल्डर थे उनके द्वारा ही बनवाई गयी थी. 

रहीम ख़ान 1947 के बँटवारे के बाद अमन की आशा में यहाँ आ गये थे…, 

तब उन्हें ये नही मालूम था, कि वो जिस चीज़ को पाने के लिए यहाँ आए थे, वो तो यहाँ के खून-पानी में ही नही है, जो इज़्ज़त उन्हें यहाँ मिलनी चाहिए थी, वो आज तक नही मिली. 

आज भी यहाँ की हुकूमत और अवाम हिन्दुस्तान से आए हुए मुसलमानों को मुजाहिर ही समझते हैं.

रहीम चाचा को ये बात ख़टकती थी, इसलिए उनका दिल आज भी पाकिस्तान में रहते हुए हिन्दुस्तान के लिए धड़कता था. 

एक तरह से वो पाकिस्तान में रह कर हमारे एजेंट के तौर पर ही काम करते थे.

सभी परिवारों को 2 बीएचके और 3 बीएचके के फ्लॅट में उनके परिवारों के मेम्बरान की संख्या के हिसाब से अलग-2 बसा दिया गया, 

शुरू-2 में उन सबको किरायेदार की हैसियत से घर दिए गये इस वादे के साथ कि कुछ दिनों में ही वो घर उनके अपने नाम कर दिए जाएँगे कुछ लीगल फॉरमॅलिटीस के बाद.

महीने के अंदर ही सबको उनके हिसाब से रोज़गार मुन्हैया कराए गये, जैसे किसी को छोटी-मोटी शॉप खुलवाना, किसी को किसी बड़े शॉप पर नौकर रखना, या फिर गॅरेज वग़ैरह में काम पर लगाना. 

जिसका जैसा इंटेरेस्ट वैसा काम, रहीम चाचा यहाँ हम सभी के लिए एक फरिस्ते जैसे थे.

इसका डबल फ़ायदा था, एक तो उनको घर चलाने के पैसे मिलने लगे और दूसरा लोगों की शक़ की सुई उनपर नही जाएगी, कि आख़िर ये लोग काम क्या करते हैं.

कुल मिलाकर कुछ ही दिनो में वो सभी लोग बिना डर-भय के पहले से बेहतर जिंदगी बसर करने लगे. 

उन सबका विश्वास मेरे उपर पहले से और ज़्यादा बढ़ गया था. वो सब आँख मूंद कर मेरी बात का विश्वास करते थे……..

उधर दूसरी सुबह जब जमील ट्रैनिंग के लिए वहाँ पहुँचा तो उसे कोई भी नही मिला, यहाँ तक कि अमीना के पालतू जानवर भी नही थे, पूरा घर खाली खुला पड़ा था.

फिर जब बस्ती में दूसरे लोगों का पता किया तो वो सब भी नदारद, भागता हुआ अपनी बस्ती में गया तो वो भी सब गायब.

मुँह लटकाए जब अपने घर पहुँचा और अपनी बीवी को ये बात बताई, तो उसकी भी साँस अटकी रह गयी,
अब उनको ये डर सताने लगा कि अगर ये बात फ़ौजियों को पता चल गयी तो वो लोग उन्हें कत्ल कर देंगे.

इसी डर के चलते उन्होने भी वहाँ से निकल भागने में ही अपनी भलाई समझी और बिना किसी को बताए समान बाँध कर बच्चों को लेकर शहर की ओर जाने वाली बस के लिए निकल पड़े.

बस बस्ती के बाहर बने अड्डे पर दिन में गिनती की दो बार ही आती थी. 

जमील अपने बच्चों और साजो समान के साथ अड्डे पर बैठा बस का इंतजार कर रहा था, दोपहर ढल रही थी कि तभी वहाँ फौज की एक जीप आकर रुकी.

जमील को वहाँ अपने परिवार और समान के साथ बैठे देख कर उनको कुछ शक़ पैदा हुआ, जब उन्होने उसे अपने पास बुलाकर पुछा तो पहले तो उसने किसी रिस्तेदार के यहाँ जाने का बहाना बनाया, 

लेकिन जब ये सब साजो समान के बारे में पुछा तो वो सकपका गया, और दो हाथ लगते ही पट-पटाने लगा और सब सच उगल दिया.

फिर क्या था, धर लिए दोनो मियाँ बीबी साले जीप में बच्चे वहीं बैठे समान के साथ रोते बिलखते रह गये. 

मार-मार के साले की चम्डी उधेड़ दी, और उसकी बीवी को एक के बाद एक फ़ौजियों ने उसके सामने इतना चोदा कि उसके सभी छेद सुन्न पड़ गये और चुदते-2 वो बेहोश हो गयी.
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 02:33 AM

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