RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
अभी वो कुछ और बोलती उससे पहले रॉकी ने उसके पतले-2 शुर्ख होठों पर अपने प्यासे होठ रख दिए और बड़े प्यार से उन्हें चूसने लगा.
नीरा ने कुछ देर तो कोई रिस्पोन्स नही किया, पर थी तो वो भी नव यौवना, कहाँ तक सबर कर पाती, वासना ने उसको भी अपने लपेटे में ले लिया और वो भी रॉकी का साथ देने लगी.
किस तोड़ते हुए नीरा ने कहा- अरे आपका खाना ठंडा हो रहा है, पहले इसको ख़तम करिए…
रॉकी ने उसकी कमर को अपने बाहों में लपेट कर उसको अपने से चिपकाते हुए कहा –
जब सामने ऐसे स्वादिष्ट पकवान हैं तो उनको छोड़ कर कॉन साला उस सदेले से खाने को खाना चाहेगा… मेरी जान.. और उसने फिर से उसके होठों को अपने मुँह में क़ैद कर लिया.
उसके दोनो हाथ उसकी गोल-2 गान्ड को मसल रहे थे, रॉकी का लंड अकड़ कर नीरा की नाभि में घुसा जा रहा था.
अब उसने नीरा को पलटा दिया और उसकी पीठ से चिपक कर अपने लंड को थोड़ा झुक कर उसकी मुलायम गान्ड की दरार में सेट कर दिया और उसके गोल-2 कच्चे अमरूदो को मसल्ने लगा.
नीरा भी आँखें बंद करके उसकी हरकतों का मज़ा ले रही थी.
रॉकी कभी उसकी गर्दन को चूमता, तो कभी उसके कान की लौ को मुँह में लेकर चाटने लगता जिससे नीरा अपनी सुध-बुध खोती जा रही थी.
अब रॉकी के सब्र का पैमाना छलकने लगा था, उसको अब हर हाल में उसको चोदना था सो उसने उसकी चोली के बटनों पर हाथ रख कर जैसे ही खोलना शुरू किया…
नीरा ने उसके हाथ पकड़ लिए और बोली- नही रॉकी इसके आगे नही.
रॉकी उसके प्रतिरोध को महज़ एक लड़की का दिखावा समझ रहा था, सो उसने उसके हाथों को अलग करके फिर खोलना शुरू किया..
अभी वो उपर का एक बटन ही खोल पाया था कि, नीरा झट से पलट गयी और रॉकी के दोनो हाथों को पकड़ कर रोक दिया.
रॉकी अवाक सा खड़ा नीरा के चेहरे की ओर देख रहा था, फिर कुछ देर बाद बोला- लेकिन क्यों नीरा..?
तुम्हें अभी भी मेरे प्यार पर भरोसा नही है..? तुम्हारे कहने से मैने अपने आप को बदल लिया, इससे बड़ा और कोई सबूत चाहिए तुम्हें मेरे प्यार का.
नीरा - प्यार में ज़रूरी नही कि ये सब ही हो तभी प्यार सच्चा माना जाए…
प्यार को प्यार ही रहने दो रॉकी बाबू, वासना में बहने मत दो. आप जो चाहते हैं वो वासना है.
रॉकी - लेकिन नीरा ! अब हम दोनो प्रेमी हैं, और प्रेमी अपने प्रेम में तन-मन न्योछावर कर देते हैं एक दूसरे पर..
नीरा - सच्चा प्रेम मन का होता है, तन जब एक हो जाते हैं तब मिलते हैं. इसलिए ये सब अब हम एक होंगे तभी संभव होगा.
इतना बोल कर वो उसके रूम से बाहर चली गयी और रॉकी अपना खड़ा लंड पकड़े, चूतिया की तरह गेट की ओर देखता ही रह गया.
रॉकी के दिमाग़ में विचारों का बवांडर सा चल रहा था. वो समझ नही पा रहा था कि उसने नीरा का कहा मान कर अपने को बदलने के लिए कितनी जद्दो जहद अपने दिमाग़ में झेली थी.
क्योंकि शराब और शबाब की लत इतनी आसानी से नही छूटती वो भी उसने छोड़ दी एक लड़की का प्यार पाने के लिए, और वो ही आज उसे खड़े लंड पर लात मार कर चली गयी.
वो अपने आप को मामू बनता महसूस कर रहा था.
वो मन ही मन नीरा को सबक सिखाने के बारे में सोचने लगा.
साली अपने आप को हेमा मालिनी समझती है भोसड़ी की दो टके की नौकरानी.
अभी वो रॉकी को जानती नही है, सारा शहर जिससे डरता है उस रॉकी को ये दो टके की लौंडिया चूतिया बना के चली गयी.
रॉकी चाहता तो अपनी माँ को बोलकर नीरा को अभी घर से बाहर फिकवा सकता था, लेकिन उसने ऐसा नही किया, अब वो उसे इसी घर में रख कर नौकर और मालिक का फ़र्क महसूस कराना चाहता था.
उसने फ़ौरन आवाज़ देकर बहाने से नीरा को उपर आने को कहा, जैसे ही वो उसकी आवाज़ सुन कर उपर आई,
रॉकी ने रूम का गेट बंद कर दिया और नीरा की ओर बढ़ते हुए बोला-
साली दो टके की नौकर अपने आप को समझती क्या है तू, तेरी जैसी ना जाने कितनी इस लंड के नीचे से निकल चुकी हैं और तू मुझे ही लैला मजनू का पाठ पढ़ा रही थी, अब देख कैसे मे तेरी चूत की धज्जियाँ उड़ाता हूँ.
उसने झपट कर नीरा का हाथ पकड़ लिया और अपनी ओर झटका देकर उसे अपनी बाहों में कस लिया.
नीरा को ऐसी कुछ संभावना नही थी कि रॉकी उसके साथ ज़बरदस्ती भी कर सकता है, वो उससे छूटने का भरसक प्रयास करने लगी, लेकिन रॉकी के हाथों की मजबूत पकड़ से वो असफल होती जा रही थी.
वो चाहती तो चीख कर लोगों को इकट्ठा भी कर सकती थी, लेकिन उस सूरत में अगर रॉकी ने उल्टा उसी पर इल्ज़ाम लगा दिया तो शायद कोई भी उसकी बात पर विश्वास नही करता और उसे और ज़िल्लत उठानी पड़ती.
अपनी ग़रीबी के कारण ये सबक उसने अच्छे से सीख लिए थे.
अब उसके सामने रॉकी को सबक सिखाने के अलावा और कोई रास्ता नही बचा था, अब अरुण की दी हुई शिक्षा को काम में लाने का समय आ गया था.
नीरा ने अपनी दोनो हथेलियों को रॉकी की छाती से सटा कर पूरी ताक़त से उसके बंधन से अपने को मुक्त किया और दो कदम पीछे हट के खड़ी हो गयी.
रॉकी गुस्से से भुन्भुनाता हुआ उसको फिर से पकड़ने के लिए आगे बढ़ा कि तभी उसके गाल पर तडाक से नीरा का एक भरपूर थप्पड़ पड़ा,
एक बार को तो उसे अपना कान सुन्न पड़ता लगा, उसके कान में सीटियाँ सी बजने लगी.
गुस्से और ज़िल्लत के कारण उसका चेहरा कनों तक लाल हो गया और वो गुर्राते हुए नीरा की ओर झपटा- साली मदर्चोद अपने आप को सती सावित्री समझती है, अब में तेरे को कैसा सबक सिखाता हूँ देख.
अभी वो नीरा तक पहुँच भी नही पाया था, कि एक और जबरदस्त घूँसा उसकी कनपटी पर पड़ा,
उसको दिन में ही चाँद तारे नज़र आने लगे, फिर तो नीरा ने बस नही की और लात घूँसों से उसकी वो धुनाई की, कि उसके फरिश्ते कून्च कर गये.
जब रॉकी की विरोधक शक्ति भी जबाब दे गयी तो वो फुंफ़कार्ते हुए बोली- मुझे पता था रॉकी, साँप का संपोला ही हो सकता है,
उसको कितना ही प्यार से दूध पिलाओ वो काटता ही है. राक्षस के घर प्रहलाद पैदा कभी-2 ही हो सकते हैं, देशद्रोही बाप की नीच औलाद.
इतना बोलकर उसने रॉकी की दी हुई चैन को उतारकर उसके मुँह पर मारकर वो कमरे का गेट खोल कर बाहर चली गयी..
और पीछे छोड़ गयी एक गहन सन्नाटा जो अब रॉकी के मनो मस्तिस्क में व्याप्त हो चुका था.
वो अब उसके द्वारा कहे गये शब्दों के बारे में सोच रहा था.. बार-2 उसके वो शब्द किसी हथौड़े की तरह उसके दिमाग़ में पड़ रहे थे…
देशद्रोही….देशद्रोही…!!!
तो क्या उसका बाप एक देशद्रोही है..? नही..नही.. ये नही हो सकता… ये साली झूठ बोल रही है…
अभी वो आगे कुछ और सोच पाता, कि नीरा के शब्द किसी भाले की नोक की तरह फिर से उसके दिमाग़ में चुभने लगे…
एक साँप के संपोले को कितना ही दूध पिलाओ, वो काटता ही है, देशद्रोही बाप की नीच औलाद…. देशद्रोही…देशद्रोही…
रॉकी अपना सर पकड़ कर वहीं बैठ गया…उसके दिमाग़ में साय…साय करके विचारों की बवंडर सा चलने लगा…
अब वो नीरा से अपनी मार को तो भूल गया, और उसकी बातों में उलझ सा गया, फिर उसने एक निर्णय लिया कि अब वो इस बात की सच्चाई जानकार ही रहेगा….
इधर नीरा रॉकी को सबक सिखा कर धड़ धड़ाती हुई नीचे आई और अपनी मालकिन से बोली- मालकिन एक ज़रूरी काम आ गया है,
मे अपने घर जा रही हूँ कल तक वापस आ जाउन्गी, और उसकी पेर्मिशन लेकर वो उसके घर से निकल गयी….
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