RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
जब उन ट्रक ड्राइवरों को जैसे ही ख़तरे का आभास हुआ वो ट्रक छोड़ कर सर पर पैर रख कर भाग खड़े हुए.
उन नकाब पोषों में से एक ने अपनी जेब से सेल फोन निकाला और किसी को फोन करने लगा.
आधे घंटे में ही वहाँ सिटी एसपी अपने दल बल के साथ आया और दोनो ट्रकों को अपने कब्ज़े में लेकर कोतवाली की तरफ हकवा दिए.
आनन फानन में ये खबर सुंदर चौधरी को मिल गयी, जब उसने सुना कि उसके माल के दोनो ट्रक पोलीस की हिरासत में हैं, तो वो बौखला उठा. सारा पैसा तो उसी का लगा हुआ था इस सब में.
नेता और अधिकारी तो सिर्फ़ अपना हिस्सा बाँटने आ जाते थे.
इस समय वो फोन पर खांडेकर को बुरी तरह लताड़ रहा था.
प्रताप खांडेकर पर अपना गुस्सा निकालने के बाद उसने एंपी को कॉल की और उसको किसी भी तरह अपने माल को पोलीस के चंगुल से निकाल कर लाने को बोला.
एंपी ने उसको आश्वासन दिया कि वो कुछ करता है.
अब एंपी का काफिला कोतवाली की तरफ बढ़ रहा था.
इधर एसपी ऑफीस में नाके की ड्यूटी पर तैनात उस सब इंस्पेक्टरर और कॉन्स्टेबल्स से पुछ ताछ चल रही थी.
जब उन्होने बताया कि हम लोग जैसे ही उन ट्रको को चेक करने वाले थे, कि एंपी साब वहाँ आ गये और हमें बिना चेकिंग के जाने देने के लिए बोला.
मामला एसपी की कुछ-2 समझ में आता जा रहा था, और वो सोच ही रहा था कि अभी तक कोई सिफारिशी फोन क्यों नही आया, कि तभी उसके फोन की घंटी बजने लगी.
एसपी ने लपक कर फोन उठाया, और हेलो बोलकर अपना परिचय दिया,
कॉलर – हेलो एसपी साब ! अभी कुछ देर पहले जो आपने ट्रक जप्त किए हैं उन्हें छुड़वाने की कार्यवाही तेज हो चुकी हैं.
ध्यान रहे ये मामला किसी भी सूरत में दबाना नही चाहिए.
एसपी- आप कॉन बोल रहे हो..?
कॉलर – मे वही हूँ जिसने ये ट्रक पकड़वाए हैं, और अब मे नही चाहूँगा कि हमारी मेहनत बेकार हो.
एंपी पहुँचने वाला ही होगा आपके पास.
एसपी – लेकिन अगर उपर से ज़्यादा प्रेशर आया तो मे कुछ नही कर पाउन्गा.
कॉलर – ये समझ लो एसपी! ये स्मगलिंग नकशालियों द्वारा हुई है, अब अगर जो भी कोई इसमें इन्वॉल्व है, उस पर सीधा देशद्रोह का केस डाला जा सकता है.
हमारे पास इस सब के पुख़्ता सबूत हैं. इस मामले को हम दबाने नही देंगे, और इतना बोलकर कॉल कट हो गयी.
अभी एसपी फोन रख कर चुका ही था की धड़ धड़ाते हुए एंपी महोदय उसके ऑफीस में घुसे.
एंपी - सुनो एसपी साब ! इन ट्रको में ऐसा कुछ ग़लत नही है, जब हमने इन्हें पास करवा दिया था तो फिर आपने क्यों पकड़ा..?
एसपी ने उसे समझाते हुए कहा- एंपी साब मे आपकी रिस्पेक्ट करता हूँ, इसलिए एक सलाह ज़रूर दूँगा, आप इस मामले से अपना हाथ खींच लीजिए वरना…!
एंपी भड़क कर बोला - वरना क्या एसपी..?
एसपी - वरना ! जिसने भी हमें खबर दी थी उसके पास इस बात के पुख़्ता सबूत हैं कि ये ट्रक नकशालियों के हैं,
अब अगर आपने इन्हें छुड़वाने की कोशिश की तो आपके उपर भी देशद्रोह का केस लग सकता है, अब आप खुद सोच लीजिए कि क्या करना चाहेंगे..?
एंपी - कॉन है वो..? किसने खबर दी आपको..?
एसपी - उसने अपना नाम नही बताया..! पर उसकी बातों से लग रहा था कि वो कोई छोटा-मोटा आदमी नही है, ये भी हो सकता है कि कोई ख़ुफ़िया विभाग का आदमी हो.
देशद्रोह का नाम सुनते ही एंपी की गान्ड फटकार हाथ में आ गयी .. और वो वहाँ से उल्टे पाँव लौट गया.
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नीरा और रॉकी की प्रेम कहानी धीरे-2 आगे बढ़ रही थी, रॉकी को नीरा दुनिया की सबसे सुंदर लड़की लगने लगी थी.
अब वो हर संभव इस प्रयास में ही रहता था, कि किसी तरह नीरा उसके नज़दीक ही रहे.
लेकिन जैसे-2 वो उसके नज़दीक आने की कोशिश करता, नीरा उससे दूर चली जाती, उसे पता था कि रॉकी कैसे स्वभाव का लड़का है,
और वैसे भी अगर किसी को पता चला तो सब उसे ही दोष देंगे. ग़रीब की आज के जमाने में कॉन सुनता है.
ऐसे ही एक दिन जब सुबह वो उसको चाइ देने उसके रूम में गयी, छाई रख कर वो जाने के लिए पलटी ही थी कि रॉकी ने उसका हाथ पकड़ लिया.
उसने पलट कर रॉकी की तरफ देखा और उसके हाथ की कलाई को पकड़ कर अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली- रॉकी बाबू मेरा हाथ छोड़िए.
रॉकी - तुम मुझसे दूर क्यों भागना चाहती हो..? जबकि मे तुम्हारे नज़दीक आना चाहता हूँ.
नीरा - लेकिन क्यों..? क्यों आप मेरे नज़दीक आना चाहते हैं..,? आपको पता है कि मे एक ग़रीब बेसहारा लड़की आपकी नौकर हूँ फिर भी..?
रॉकी – क्योंकि तुम मुझे अच्छी लगती हो..!
नीरा - अच्छी लगती हूँ, तो क्या आप मेरे साथ कुछ भी कर सकते हैं..? मे कोई वस्तु तो नही कि आपको अच्छी लग गयी और आपकी हो गयी..?
रॉकी ने फ़ौरन उसका हाथ छोड़ दिया और बोला- मेरा कहने का मतलब था कि मे तुम्हें पसंद करने लगा हूँ, या शायद प्यार भी..!
तुम्हारी सादगी पर दिल आ गया है मेरा.
नीरा - शायद कल रात को ज़्यादा चढ़ा ली होगी आपने..! अभी तक उतरी नही है वरना इस तरह की बहकी-बहकी बातें ना करते.
रॉकी - तुम्हें मेरी बातों पर विश्वास नही है..? बोलो तुम क्या चाहती हो जिससे तुम्हें विश्वास हो..?
नीरा - देखिए ! मे एक ग़रीब, लाचार, बेसहारा लड़की हूँ, ये कभी भी संभव नही हो पाएगा.. और कॉन मानेगा इन बातों को..?
रॉकी - मे तुम्हें सहारा ही तो देना चाहता हूँ, और रही बात किसी के मानने ना मानने की तो मे किसी की परवाह नही करता.
नीरा - क्या अपने माता-पिता से बग़ावत करेंगे..?
रॉकी - मेरे मम्मी पापा मेरी कोई बात नही टालते, मुझे पता है, ये बात भी माननी ही पड़ेगी उनको.
तुम सिर्फ़ हां कहो ! क्या तुम्हें मेरा प्यार मंजूर है..?
नीरा - मेरे लिए आप क्या कर सकते हैं..?
रॉकी - तुम जो भी बोलो—
नीरा - ये शराब पीना और आवारागर्दि करना बंद कर दीजिए.. फिर मे आपको जबाब दूँगी, और इतना बोल कर वो उसके कमरे से चली गयी.
रॉकी बस उसे जाता हुआ देखता रहा…..
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इधर प्रताप & कंपनी इतनी बड़ी चपत लगने से तिलमिला उठे थे, यही नही उन्हें जैसे-तैसे करके अपने आप को बचाना भी भारी पड़ गया था.
लेकिन कहते हैं ना कि शेर को अगर इंसानी खून का चस्का लग जाए तो वो नरभक्षी हो जाता है, ऐसा ही कुछ हाल इन लोगों का हो चुका था.
अब हर संभव वो इस प्रयास में थे कि फिर से अपने इस कारोबार को कैसे खड़ा किया जाए.
गोमेस जैसा मोहरा ख़तम हो चुका था, इसी धुन की कड़ी में आज प्रताप एक छोटे से कस्बे में स्थित एक चर्च की सीढ़ियाँ चढ़ रहा था.
यहाँ का पादरी नकशालियों को हर संभव मदद करता था. कई विदेशी एनजीओ,स इनको आर्थिक मदद करते थे, साथ ही साथ ट्राइबल वेलफेर के नाम पर इनका पक्ष भी मजबूती से रखते थे.
चर्च में पहुँच कर प्रताप ने पादरी से मुलाकात की, अब वो दोनो आमने सामने बैठ कर बातें कर रहे थे.
प्रताप - फादर आपका वो मोहरा गोमेस तो पिट गया, अब क्या करें अपना तो साला धंधा ही चौपट होता जा रहा है.
पादरी - कोई बात नही मिस्टर. प्रताप, मोहरे तो होते ही पिटने के लिए हैं. हम आपको और भी अच्छा आदमी देगा, तुम उससे कुछ भी काम ले सकता है.
प्रताप – इसलिए तो मे आपके पास आया हूँ फादर, अब आप जल्दी से उसको मिलवाए.
पाद्री – वो थोड़ा टेडा आदमी है, आंड्रा के जंगलों से भाग कर इधर आया है कुछ दिन पहले ही, नेटवर्क बहुत अच्छा है उसका,
ख़तरनाक से ख़तरनाक काम को अंजाम दे सकता है, ऐसा आदमी है वो.
प्रताप - हम भी इस बार कुछ बड़ी दहशत पैदा करना चाहते हैं इलाक़े में जिससे कोई हमारे सामने खड़ा होने की जुर्रत ही ना कर सके.
पादरी - मे उसको तुम्हारे पास भेजेगा, उसका नाम रघुनाथ कुट्टी है, वो तुमसे तुम्हारे घर आके मिल लेगा, अभी वो यहाँ नही आ पाएगा. ओके अभी तुम बेफकर होकर जाओ.
प्रताप वहाँ से खुशी-2 लौट आया, और रास्ते में ही उसने चौधरी को खुशख़बरी भी दे डाली………………..
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कुछ दिनो से रॉकी के व्यवहार और रहन-सहन में काफ़ी तब्दीली आ चुकी थी, उसके माँ-बाप भी अपने बेटे में आए परिवर्तन से काफ़ी खुश थे.
अब वो समय पर घर आता जाता, रेग्युलर कॉलेज जाना, कभी शाम को लेट भी हुआ तो बड़े अच्छे मूड में होता.
आज एक महीने से उसने शराब को हाथ भी नही लगाया था.
उसमें आए परिवर्तन से नीरा बहुत प्रभावित हुई, उसे अब लगने लगा था कि रॉकी वाकई में उससे सच्चा प्यार करता है जो उसके कहने पर अपनी सारी ग़लत आदतें छोड़ रहा है.
उसी के चलते आज उसने रॉकी के लिए स्पेशल डिशस बनाई और रॉकी के कॉलेज जाने से पहले ही उसके रूम में लेकर पहुँची.
नाश्ते की खुश्बू से ही रॉकी का मूड बन गया था. नाश्ता टेबल पर रख कर नीरा ने रॉकी से कहा-
लीजिए रॉकी बाबू नाश्ता कर लीजिए.
रॉकी - आज तो बड़ी अच्छी सुगन्ध आ रही है नाश्ते से, कोई खास बात है आज..? लगता है कुछ स्पेशल बनाया है तुमने..?
नीरा - हां ! आज मे बहुत खुश हूँ, और उसी के चलते आज मैने आपके लिए स्पेशल नाश्ता बनाया है.
रॉकी - क्या हुआ..आज इतनी खुश क्यों हो..?
नीरा - आप तो मुझे प्यार करते हैं ना ! तो पता लगा लीजिए मेरी खुशी का राज..
रॉकी - कुछ देर सोच में पड़ गया, फिर जैसे ही उसके दिमाग़ में क्लिक हुआ, झट से उसने नीरा के हाथों को अपने हाथ में लिया और बोला-
सच नीरा तुमने मेरे प्यार को स्वीकार कर लिया.. बोलो यही बात है ना..!
नीरा ने अपनी नज़रें झुका कर सिर्फ़ हां में अपनी गर्दन हिला दी.
रॉकी ने झट से उसके हाथ चूम लिए, शर्म से नीरा का चेहरा दूसरी ओर घूम गया और वो मंद-2 मुस्कराने लगी.
ओह्ह्ह्ह… नीरा मे बता नही सकता कि, आज कितना खुश हूँ मे. सच में कब से इस बात का इंतेज़ार कर रहा था कि तुम कब मेरे प्यार को आक्सेप्ट करोगी.
आइ लव यू नीरा !
आइ लव यू टू रॉकी ब..बा..बुऊउ.. !
रॉकी बाबू नही जान… सिर्फ़ रॉकी..! सिर्फ़ तुम्हारा रॉकी, और उसने उसे अपने अंक में भर लिया, वो भी किसी छोटी बच्ची की तरह उसके सीने में समा गयी.
कितनी ही देर वो ऐसे एक दूसरे से चिपके खड़े रहे… जब रॉकी की माँ ने आवाज़ दी तब जाके उनकी तंद्रा टूटी.
हड़बड़ा कर नीरा नीचे की ओर भागी और रॉकी नाश्ते में जुट गया… आज वो बहुत खुश था, और इसी खुशी में गाता गुनगुनाता कॉलेज चला गया.
आज कॉलेज से लौटते समय वो एक ज्वेल्लरी शॉप से नीरा के लिए एक गिफ्ट लेना नही भुला और घर में घुसते ही उसकी आँखें उसे तलाश करने लगी.
नीरा उस समय उसकी माँ के पास बैठी थी, उसकी माँ रॉकी में आए बदलाव के बारे में ही चर्चा कर रही थी.
नीरा सब चुप-चाप सुनती जा रही थी, और मन ही मन सोच रही थी, कैसे उसके माँ बाप बेटे के सुधरने से खुश हैं, वो भी अब रॉकी से दूर रहना नही चाहती थी.
रॉकी जब नीरा को ढूंढता हुआ अपनी माँ के कमरे में पहुँचा तो वहाँ उसने नीरा को अपनी माँ से बातें करते हुए देखा, उसने दरवाजे से ही अपनी माँ को पुकारा तो उन्होने उसे अंदर बुला लिया-
आजा बेटा थोड़ा अपनी माँ के पास भी बैठ लिया कर, तो रॉकी आकर अपनी माँ के पास बैठ गया, माँ ने प्यार से अपने बेटे के माथे को चूमा और नीरा को संबोधित करके बोली-
नीरा तूने गौर किया है, आजकल रॉकी कितना बदल गया है, मैने जो सपना अपने बेटे को लेकर देखा था, अब वो पूरा होता नज़र आ रहा है.
नीरा - हां मालकिन ! आप सही कह रही हैं, रॉकी बाबू वाकई में बदल रहे हैं, और तिर्छि नज़र उसने रॉकी पर डाली जो अपनी माँ से नज़र बचा कर उसी को देख रहा था.
कुछ देर अपनी माँ के साथ बैठ कर वो बोला- माँ अब में चलता हूँ, चेंज करके मुझे अपना कोर्स रिविषन करना है, नीरा तुम मेरा खाना मेरे रूम में ही ले आना.
माँ - ठीक है, तू जा तब तक चेंज कर, नीरा तू भी जा और रॉकी को खाना खिला दे.
दोनो वहाँ से उठकर बाहर आ गये…..!
रॉकी अभी चेंज करके अपना बॅग अनपॅक कर ही रहा था कि नीरा उसका खाना लेकर उसके रूम में आ गयी, और उसने उसका खाना टेबल पर रख दिया. रॉकी ने तब तक गेट बंद कर दिया.
नीरा – अरे ! आपने गेट क्यों बंद किया..?
रॉकी - ताकि अपनी डार्लिंग को जी भरके देख सकूँ, ये मन बाबला कितने दिनों से तरस रहा था तुम्हारे समीप आने को.
फिर वो नीरा को घुमा कर उसके पीछे खड़ा हो गया और अपनी जेब से एक सोने की चैन निकाल कर उसने नीरा के गले में पहना दी.
नीरा - ये क्या है..? और उसको हाथ में लेकर देखने लगी.
रॉकी - ये हमारे प्यार की निशानी है, इसे स्वीकार करके मेरे प्यार को अपना लो नीरा.
नीरा - ये मे कैसे ले सकती हूँ आपसे ? किसी की नज़र पड़ गयी और किसी ने पुछा तो क्या जबाब दूँगी..?
रॉकी - कोई भी बहाना बना देना..! छोड़ो वो सब चिंता.. ये बताओ तुम्हें पसंद आया या नही.
नीरा - है तो बहुत अच्छा पर……
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