Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:22 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
उधर जंगल में गोमेस के 5 आदमी एक टाइगर का पीछा कर रहे थे.

टाइगर जो कई बार उनकी गोलियों का निशाना बनते-2 बचा था लेकिन उनके हाथ नही आरहा था, अचानक भागते-2 टाइगर कहीं झाड़ियों में घुस गया और गायब हो गया.

वो लोग बंदूकें लिए उसको चारों ओर खोजने लगे, अचानक दो आदमी जो एक दिशा में बढ़ गये थे, उन्हें अपने पीछे कुछ हलचल सी सुनाई दी.

इससे पहले की वो पलट पाते, टाइगर ने उनके उपर छलान्ग लगा दी और देखते ही देखते उन दोनो को उसने चीर फाड़ डाला.

अब जो वो तीन लोग बचे थे, उन्हें उनकी चीखे सुनाई पड़ी, जब वो उधर उन्हें देखने आए और और जैसे ही अपने साथियों की छत-विच्छित लाशें देखी, 
उनकी रूह फ़ना हो गयी, डर के मारे उनकी टाँगें काँपने लगी.

अभी वो वहाँ से निकलने की सोच ही रहे थे कि ना जाने कहाँ से टाइगर दहाड़ता हुआ निकला और उन पर छलान्ग लगा दी.

उन तीनों को अपनी बंदूक सीधी करने का भी समय नही मिला कि टाइगर उनके सर के उपर आ पहुँचा…

लेकिन इससे पहले कि वो उन तक पहुँचता…एक सनसनाता हुया भाला एक तरफ से आया और टाइगर के पेट को चीरता हुया निकल गया.

वो टाइगर वहीं ढेर हो गया. वो लोग भोंचक्के से उस टाइगर को देख ही रहे थे कि तभी पेड़ों से निकल कर आदिवासी भेषभूषा में एक व्यक्ति उन्हें अपनी तरफ आता दिखाई दिया.
उसके कंधे पर एक धनुष था और उसकी पीठ पर कुछ तीर बँधे थे.

उन लोगों ने उसका शुक्रिया अदा किया और उसे टाइगर के साथ-2 अपने सरदार गोमेस के पास ले गये.

जब गोमेस ने सुना कि किस तरह से उसने उनकी जान बचाई थी और टाइगर को मारा था, वो उससे बहुत प्रभावित हुआ और उसे अपने साथ काम करने के लिए पुछा. 

पहले तो वो मना करता रहा, लेकिन ज़्यादा कहने पर वो मान गया.

जब गोमेस ने उससे उसका नाम पुछा तो उसने अपना नाम अंगद बिसला बताया.
.......................
इधर प्रताप के घर नीरा ने अपने स्वाभाव और कामों से अपनी मालकिन को बहुत प्रभावित किया था, वो अब उस पर आँख बंद करके विश्वास करने लगी थी.

जैसा कि पहले भी लिखा जा चुका है कि नीरा एक सामान्य कद और रंग रूप की एक सुंदर सी लड़की थी, 

उसकी सादगी और व्यवहार से रॉकी भी प्रभावित हुए बिना नही रह सका, एक दो मुलाक़ातों से ही वो उसकी ओर खिंचने लगा.

अब वो जानबूझ कर ऐसे मौके ढूंढता रहता जिससे नीरा उसके करीब आ सके. 

लेकिन नीरा उसकी मंशा जान चुकी थी और उससे दूर रहने की कोशिश करती रहती थी.

ऐसे ही एक दिन नीरा किचेन में कुछ काम कर रही थी, उसकी मालकिन ने उसको आवाज़ देकर अपने कमरे में बुलाया तो वो दौड़ी हुई उनके पास जा रही थी, 

इधर रॉकी उपर से धड़ाधड़ाता सीढ़ियाँ उतरता हुआ जैसे ही हॉल में पहुँचा कि नीरा से टकरा गया.

दोनो को ही ज़ोर दार झटका लगा और दोनो ही एक दूसरे को बचाने के चक्कर में गुथम गुत्था हुए ज़मीन पर पलटियाँ खाते चले गये.

जब वो रुके तो रॉकी नीचे था और नीरा उसके सीने पर पड़ी थी, दोनो ही एक दूसरे को जकड़े हुए थे.

कुछ देर तक यौंही एक दूसरे की आँखों में देखते हुए पड़े रहे, जब नीरा को होश आया तो वो हड़बड़ा कर उठने को हुई, लेकिन रॉकी उसको जकड़े रहा.

आग फूंस एक साथ हो तो आग भड़कना लाजिमी है, नीरा के मादक बदन के स्पर्श से रॉकी का पप्पू अकड़ने लगा. 

उसके अकडे हुए पप्पू को जैसे ही नीरा ने अपनी मुनिया के उपर फील किया, वो शर्म के मारे पानी-पानी हो गयी और अपना मुँह एक तरफ को करके फुसफुसाई… 

रॉकी बाबू छोड़िए मुझे..!

रॉकी ने उसे हड़बड़ा कर छोड़ दिया और वो दोनो एक दूसरे की ओर मुस्कराते हुए अपने-2 रास्ते चले गये.
..............................
बस्तर शहर का चेक नाका जो शहर से कांकेर जाने वाले रोड पर शहर से 1 किमी बाहर था, वहाँ एक सब इंस्पेक्टरर और 4 कोन्स्टेबल ड्यूटी पर मौजूद थे, 

नाके से दक्षिण की तरफ एक कच्चा पथरीला रास्ता जंगल की ओर जाता है…

इसी रास्ते पर नाके से 1.5 किमी अंदर जंगल में इस समय 2 ट्रक खड़े हुए हैं जिनमें एक में चंदन की लकड़ी भरी हुई थी, जो तिरपाल से चारों ओर से पॅक था.

दूसरे ट्रक में जानवरों की खाल और दूसरी जंगल की दुर्लभ चीज़े जैसे हाथी दाँत, बारहसिंघा हिरण के सींग (हॉर्न) जो आमतौर पर अमीर लोगों के घरों की शोभायें बढ़ाती हैं.

दोनो ट्रको में 4-4 हथियार बंद आदमी बैठे हुए थे. खुद गोमेस इस डेलिवरी को देने के लिए साथ आया था.

ये उनकी अबतक की सबसे बड़ी डील थी…

कुच्छ देर में ही वहाँ प्रताप खांडेकर की गाड़ी आकर रुकती है, 

उसके पीछे -2 एक मिनी ट्रक भी था, जिसमें आधुनिक राइफले और कयि ट्रंक (बक्से) कारतूसों से भरे हुए थे.

खांडेकर एक सूटकेस लेकर अपनी गाड़ी से नीचे उतारता है और उधर एक ट्रक में से गोमेस नीचे आता है और वो प्रताप की गाड़ी के पास पहुँचता है.

प्रताप गोमेस को वो सूटकेस पकड़ा देता है, और मिनी ट्रक की ओर इशारा करके बोलता है- लो गोमेस सौदे के मुताबिक अपना पैसा लो और ये ट्रक में तुमने जितना असलह माँगा था वो सब है.

गोमेस - तुम भी अपना समान चेक कर लियो. जो माँगा था वो सब लेके आया मे.

कुछ देर और इधर-उधर की बात करके गोमेस अपने आदमियों को ट्रक हॅंड ओवर करने को बोल देता है और वो प्रताप के आदमियों को ट्रक की चाबी पकड़ा कर सब लोग मिनी ट्रक में आकर बैठ जाते हैं.

गोमेस मिनी ट्रक लेकर अपने आदमियों के साथ जंगल की ओर बढ़ जाता है,

उधर प्रताप अपने आदमियों को ट्रक लेकर नाके की ओर बढ़ने का इशारा करके खुद गाड़ी लेकर नाके पर पहुँच जाता है.

अभी उसके वो ट्रक वहाँ नही पहुँचे थे कि तभी वहाँ रायगढ़ के एंपी साब पहुँचते हैं, 

दोनो अपनी-2 गाड़ियों से उतर कर हाथ मिलाते हैं और आपस में बात-चीत करने लगते हैं.

तभी वो ट्रक भी वहाँ पहुँच जाते हैं और नाके को क्रॉस करने लगते हैं, लेकिन ड्यूटी पर तैनात पोलीस वाले उनको रोकते हैं.

तभी वो एंपी महोदय अपना हाथ उठाकर उस सब इंस्पेक्टरर को इशारा करते हुए कहते हैं - जाने दो अपने ही ट्रक हैं.

पोलीस वाले बिना कोई चेकिंग किए ही उनको जाने देते हैं.
हथियारो से लदा वो मिनी ट्रक अभी वहाँ से कोई 2 किमी ही जंगल में गया होगा कि उसमें बैठा हुआ अंगद बिसला उसे रोकने का इशारा करता है. 

ट्रक रोक कर गोमेस उससे पुछ्ता है, कि ट्रक क्यों रुकवाया तो बिसला बोलता है.

यहीं पास के जंगल मे मेरे कू कुछ काम है, वो निपटा के मे शाम तक तुम्हारे पास पहुँचता है.

ट्रक उसे उतर कर आगे बढ़ जाता है, अभी वो एक फरलॉंग ही पहुँच पाया होगा, कि एक जबरदस्त धमाके से जंगल दहल उठा, वो ट्रक हथियारों समेत उसमें मौजूद सभी लोगों की समाधि बन गया.

अंगद बिसला के चेहरे पर एक विषाक्त सी हसी तैर जाती है, और वो अपनी धुन में ही घने जंगल में विलुप्त हो जाता है..., 

कुछ ही दूर चला होगा कि उसे उसका साथी दिखाई दिया, जिसके कंधे पर एक बॅग लटका हुआ था…

नज़दीक जाकर उसने उससे बॅग लेकर कुछ कपड़े निकाले और उन्हें पहन कर वो दोनो बहुत ही तेज़ी से रायगढ़ की तरफ जाने वाले रोड की तरफ लपके………

उधर नाके को पार कर वो दोनो ट्रक कांकेर होते हुए रायगढ़ की तरफ बढ़ चले, अभी वो 4-5 किमी ही पहुँचे होंगे कि रोड बड़े-2 पत्थरों से ब्लॉक हुआ मिला.

दोनो ट्रक खड़े हो गये और उनमें से एक-2 आदमी उतर कर उन पत्थरों को हटाने के लिए जैसे ही वहाँ पहुँचे और झुक कर पत्थर उठाने लगे, 

कि तभी दो नकाब पॉश जिन्न की तरह वहाँ प्रगट हुए और उनकी खोपड़ी पर किसी बजनी चीज़ का प्रहार हुआ, 

वो दोनो बेहोश होकर वहीं ढेर हो गये.
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 02:22 AM

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