RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
अब देखना होगा कि नये एनएसए महोदय कैसे मॅनेज करते हैं या डॅमेज करते हैं.
कुछ दिन बाद ही एक मैल आ गया कि एनएसएसआइ को ख़तम करके रॉ में मर्ज किया जा रहा है, जो अब सीधे होम मिनिस्ट्री को डाइरेक्ट रिपोर्ट करेगी.
रॉ डाइरेक्टर ने सभी एजेंट्स को लेकर एक मीटिंग बुलाई और सभी के ग्रूप बना कर उन्हें मिसन दे दिए गये.
गनीमत थी कि रॉ में कोई चेंज नही किया गया था, तो कम-से-कम एक अनुभवी आदमी के अंडर काम करने का मौका मिला.
हमारे ग्रूप में 15 लोग थे जिनको देश के अंदर पनप रहे नक्सल बाद पर नज़र रख कर उनके मंसूबों को विफल करने का हर संभव प्रयास करना था.
इस नये मिसन की वजह से मे निशा की शादी भी अटेंड नही कर पाया था, जिसका ट्रिशा के घरवालों को जबाब देना भारी पड़ गया.
हमें बोलना पड़ा कि कंपनी के काम से मुझे आउट ऑफ कंट्री जाना पड़ा है.
मेरे पुराने मिसन की सफलता के आधार पर मुझे इस टीम का लीडर बना दिया गया, सौभाग्य से विक्रम और रणवीर जो ज़फ़्फरुल्लाह वाले केस में मेरी स्पेशल डिमॅंड पर मेरा साथ देने आए थे वो भी हमारे ग्रूप में ही थे.
सबसे पहले हमने कंट्री के मॅप में उन हिस्सों को हाइ लाइट किया जहाँ नकशलिस्म पनप चुका था जिनमें एंपी का कुछ हिस्सा (जो आज छत्तीसगढ़ में है), बिहार का हिस्सा (जो आज झारखंड में है), वरषा, वेस्ट बंगाल, आंध्रा प्रदेश और तमिलनाडु प्रमुख राज्य थे.
हमने 3-3 लोगों के 5 सब ग्रूप बनाए और हर ग्रूप को एक निर्धारित एरिया सौंपा गया.
सब ग्रूप (एस) को नंबर से डिफाइन किया जैसे एस1, एस2..लाइक तट..
एस1 को वेस्ट बंगाल का हिस्सा, स2 ओरिसा, स3 बिहार, स4 आंध्र+तमिल नाडु आंड स5 एंपी+ (एंपी+ सम पार्ट ऑफ गुजरात+सम पार्ट ऑफ यूपी).
मेरा ग्रूप स5 था, जिसमें मेरे साथ विक्रम और रणवीर हम तीनों दोस्त थे. ये ग्रूप के डिविषन सर्व सम्मति से ही बनाए गये थे.
हर एक ग्रूप को एक ट्रांसमीटर दिया गया, जो कोडेड था, जिसका मतलब होता कि अगर उस पर कोई कनेक्ट होना था, इसका मतलब कोई अर्जेन्सी है और फ़ौरन कॉंटॅक्ट करना है, साथ ही वो एक दूसरे की दिशा निर्देशन भी करेगा.
वीक वाइज़ हर ग्रूप को प्रोग्रेस रिपोर्ट देनी थी, जो कंबाइन करके रॉ ऑफीस को भेजनी होती.
ये सब डिसाइड करके हम सब एक दूसरे से अलग हुए. और यथोचित रिज़ल्ट की उम्मीद में मिसन पर लग गये…
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बस्तेर से दंतेवाड़ा के बीच का घना जंगली इलाक़ा, अचानक किसी औरत की दर्दनाक चीखों से दहल उठा,
चीखें इतनी दर्दनाक थी, कि पत्थर दिल इंसान का दिल भी तड़प उठे, लेकिन वो चार लोग जो उसके साथ कुकृत्य कर रहे थे, उनमें शायद दिल नाम का कोई ऑर्गन्स ही मौजूद नही था.
वो चारों एक विशेष तरह के डार्क ग्रीन मोटे से कपड़े की एक जैसी उनफ़ॉर्म में थे जो शायद महीनों से सॉफ ही ना की हो,
जिनके सर से बँधा हुआ कपड़ा मुँह को भी ढकने में काम आता था,
लेकिन इस समय उनके मुँह ढके हुए नही थे पक्के रंग की चमड़ी वाले ये दानव सरिके लोग, जिनके चेहरों पर बढ़ी हुई दाढ़ी, जो शायद महीनों से शेव नही की हो.
अक-47 जैसी राइफल से लेश, जो इस समय पास ही एक पेड़ की जड़ में रखी हुई थी एक युवती को चारों ओर से घेरे हुए.
मध्यम कद की वो युवती पेड़ों के सूखे पत्तों पर पड़ी बिलख-2 कर उनसे छोड़ देने की विनती कर रही थी जिसका उन शैतानों पर कोई असर नही पड़ रहा था.
वो ज़मीन पर पड़ी नग्न अवस्था मैं निरीह घायल हिरनी की तरह उनसे दया की भीख माँग रही थी.
उनमें से एक शैतान उसके साथ अपनी काम पिपासा शांत करने में जुटा हुआ था और वाकी के तीनों अपने-2 लंड पेंट से बाहर निकाले मसल्ते हुए अपनी बारी का इंतजार कर रहे और साथ-2 युवती के नाज़ुक अंगों को नोचते जा रहे थे.
वो बेचारी अबला नारी सिवाय चीखने और बिल्खने के अलावा और कुछ भी करने की स्थिति में नही थी.
जैसे ही पहला वाला शख्स अपनी काम पिपासा शांत करके हटा ही था कि दूसरा लग गया और पूरी ताक़त के साथ उसने अपना मूसल जैसा लंड उसकी छत-विच्छत पहले वाले के वीर्य से सनी योनि में पेल दिया.
आयययययीीईईईईईईईईईईई….. एक दिल दहला देने वाली चीख उस नवयौवना के मुँह से फिर एक बार उबल पड़ी और वो बुरी तरह छटपटाने लगी.
इस तरह से वो तीन लोग उसके साथ पाशविक तरीक़े से अपनी वासना की आग शांत कर चुके थे.
अब चौथा व्यक्ति उसके उपर आया जिसका लंड शायद उन तीनों से भी लंबा और तगड़ा लग रहा था, वो युवती उसके लंड को देख कर ही अपनी चेतना खो बैठी,
अभी वो अपने मूसल को उस बेहोश हो चुकी युवती की घायल यौनी में डालने ही वाला था कि एक गोली की आवाज़ हुई और वो चौथा व्यक्ति पीछे की ओर गिरता चला गया.
अपने साथी को इस तरह गिरता देख वो तीनों हक्के-बक्के से अभी खड़े ही हुए थे कि धाय-धाय-ढायं…, और वो तीनों की भी प्राण लीला समाप्त हो गयी.
तभी वहाँ 3 नकाब पोश प्रकट हुए और उस लड़की के पास पहुँचे.
वो पूरी तरह नग्न अवस्था में थी जिसके सभी नाज़ुक अंगों पर नोच खरोंच के निशान बने हुए थे, जिनमें से खून भी रिसने लगा था.
उन नकाब पोषों ने उस बेहोश युवती को उसके फतेहाल कपड़ों से जैसे-तैसे करके उसको ढका,
एक ने उसे अपने कंधे पर लादा, और दूर खड़ी अपनी जीप में डालकर बस्तेर की ओर निकल गये…..
ये एक छोटा सा दो कमरों का घर हमने बस्तर शहर के बाहरी इलाक़े में किराए पर ले रखा था,
जिससे हम आस-पास के जंगलों और इलाक़े की खाक-छान कर जब लौटें तो एक आराम करने के लिए सुरक्षित स्थान हो.
इसी में हमने उस लड़की के बेहोश शरीर को लाकर रखा, और उसका गुप्त रूप से उपचार करने लगे.
हमें यहाँ रहते हुए 3 महीने बीत चुके थे, और वहाँ के नक्सलियों से संबंध रखती हुई आस-पास की बहुत सी जानकारिया भी हम निकाल चुके थे,
इसी छान-बीन के चलते ये लड़की वाला हादसा हमारी आँखों के सामने हुआ जिसे हमने उन दरिंदों से बचा तो लिया…
लेकिन उसके साथ हुए हादसे को नही टाल पाए, क्योंकि जब हम सफ़ारी करते हुए सर्च कर रहे थे, तब हमें उसकी चीखें सुनाई पड़ी..
जिन्हें सुनकर हम वहाँ तक पहुँचे थे, लेकिन हमारे पहुँचने तक वो तीन लोग इसके साथ बलात्कार कर चुके थे…
पूरे 24 घंटे बेहोश रहने के बाद उस युवती को होश आया तो उसने अपने आप को एक आरामदायक बिस्तेर पर पाया, अभी भी उसकी आँखें बंद ही थी,
जिन्हें वो उसके मन मस्तिष्क पर छाये भय के कारण खोलने से भी डर रही थी.
उसकी चेतना अब वापस लौट आई थी लेकिन आँखें अभी भी बंद किए हुए थी, वो अपनी वास्तुस्थिति से परिचित होना चाहती थी.
उसे अपने पूरे शरीर में दर्द की लहरें सी उठती महसूस हो रही थी, ख़ासकर उसकी जांघों के जोड़े पर अत्यंत पीड़ा हो रही थी, जिस कारण से उसके चेहरे पर पीड़ा के भाव सॉफ दिखाई दे रहे थे.
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