RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
ट्रिशा उनकी बात सुन कर शर्मा गयी, तभी निशा चुटकी लेते हुए बोली- इसमें कॉन सी बड़ी बात है मम्मी, जीजू चाहें तो साल के अंदर-2 मे अपने भेनौत को अपनी गोद में लेकर खिला सकती हूँ..! क्यों जीजू..? सही कह रही हूँ ना !
मे - भाई ये सब अपनी बेहन से पुछो, मुझसे क्यों पुछति हो..? फिर थोड़ा सीरीयस होते हुए मैने कहा –
इसमें अभी वक़्त लगेगा मम्मी जी, ट्रिशा की नयी पोस्टिंग है, कम-से-कम 2-3 साल हम लोग इस बारे में सोच भी नही सकते.
क्यों ट्रिशा..! सही कह रहा हूँ ना मे..?
ट्रिशा ने भी मेरी बात पर मुन्हर लगाड़ी, तो वो लोग कुछ मायूस से हो होगये..!
मैने कहा- अरे आप लोग मायूस क्यों होते हो, पहले पोते का तो जुगाड़ करो..!
पापा बोले - ये बात भी सही है तुम्हारी..! पहले तो पोता आना चाहिए, वैसे भी ऋषभ की शादी को तो एक साल से ज़्यादा हो गया है.
ऐसी ही बातें चलती रही, फिर उन्होने निशा को कहा- बेटा तुम भी अपना सामान पॅक कर्लो, तुम्हारा एमसीए का फाइनल है, तुम्हें भी तो उसकी तैयारी करनी है तो वो बोली-
मे तो अभी दीदी-जीजू के पास ही रहूंगी, यही रह कर तैयारी कर लूँगी, वैसे भी अब मुझे खाली एग्ज़ॅम ही तो देने हैं, क्यों दीदी आपको तो कोई परेशानी नही है ना..?
ट्रिशा - कैसी बात करती है पगली..! मुझे तेरे यहाँ रहने से क्या परेशानी होगी भला..! जब तक तेरा मन करे यहाँ रह, वैसे भी तेरे एग्ज़ॅम के बाद ही तो शादी हो जानी है.
मम्मी-पापा – जैसी तुम लोगों की इक्षा..! अब हमें तो इज़ाज़त दो भाई.
और उसी दिन वो दोनो निकल गये अपने गाँव, सीधा साधन ट्रेन ही था, रिज़र्वेशन मिल गया तो शाम की ट्रेन में उनको बिठा दिया.
ट्रिशा ने अपना ऑफीस जाय्न कर लिया, उसको डिपार्टमेंट की तरफ से एक अच्छा सा बांग्ला रहने के लिए मिल गया था. मैने सोचा चलो मेरी आब्सेन्स में इन लोगों को भी सेफ्टी रहेगी.
अब ट्रिशा सुबह-2 अपने ऑफीस निकल जाती थी, मेरा कोई इंपॉर्टेन्स नही था, कभी-2 शकल दिखाने चला जाता था कंपनी के ऑफीस.
ऐसे ही एक दिन ट्रिशा ओफिस गयी थी, मे और निशा घर पर अकेले थे, मे एक स्पोर्ट्स टीशर्ट और शॉर्ट पहन कर सोफे पर बैठ कर न्यूज़ सुन रहा था, सुबह की योगा और दूसरी एक्सर्साइज़ करने के बाद चेंज नही किया था.
कुछ देर बाद निशा भी हाथ में बुक लिए मेरे बाजू में आकर बैठ गयी.
मेरा ध्यान टीवी में था, लेकिन वो लगातार मेरी ओर ही देख रही थी, टीशर्ट थोड़ी फिट थी, सो मेरे कशरति बदन के कट साफ दिख रहे थे.
जब काफ़ी देर तक मैने उसकी ओर ध्यान नही दिया, तो उससे रहा नही गया और बोली-
जीजू ! ज़रा टीवी से ध्यान हटा कर मेरी ओर देख कर बताएँगे, क्या मे अट्रॅक्टिव नही लग रही..?
उसके अचानक इस तरह के सवाल पर मैने चोंक कर उसकी ओर देखा, वो एक लाल सुर्ख रंग की लोंग स्कर्ट और ब्राउन शर्ट पहने थी, जिसमें से उसके 34डी बूब्स निकलने को उतावले हो रहे थे,
वो अपनी टाँगों को एक के उपर एक रख कर बैठी थी. मेरा उसको अटेन्षन ना देने का कारण ही उसकी मदमस्त जवानी थी जो ट्रिशा की तुलना में ज़्यादा भारी-भारी थी, जिसे देख कर कोई भी अपना मानसिक संतुलन खो दे.
मैने थोड़ी देर उसके हुश्न का दीदार किया और फिर बोला- अचानक इस तरह का सवाल क्यों किया तुमने..?
निशा - पहले आप मेरे सवाल का जबाब दीजिए.. प्लीज़.
मे थोड़ा मुस्करा उठा उसके सवाल की मंशा जान कर, और बोला - सच कहूँ या झूठ.
निशा - जीजू..! प्लीज़ सच बताओ ना ! क्या मे अटेक्टिव नही लगती ?
मे - सच तो ये है साली साहिबा ! कि कभी-2 मुझे भी डर लगता है, कहीं मे अपना आपा खो कर तुम्हारे उपर झपट ना पडू..!
इसलिए तुम्हारी तरफ ध्यान देने से बचता रहता हूँ, और शायद इसीलिए तुमने भी ये सवाल जान बूझकर किया है, है ना!
वो अवाक सी मेरे मुँह को ताकती रह गयी..! और फिर बोली - आप कोई तन्त्र मंतरा तो नही जानते..?
मे - क्यों ? ऐसा क्यों लगा तुम्हें..?
निशा - वो आप मेरे मन की बात जान गये इसलिए..!
मे ठहाका लगा कर हंस पड़ा…हाहहाहा…! नही मेरी ब्यूटिफुल साली जी मे कोई तांत्रिक वन्त्रिक नही हूँ,
जब मैने तुम्हारी ओर ध्यान नही दिया तो नारी स्वाभाव बस तुमसे रहा नही गया और तुमने ये सवाल कर दिया..! क्यों सही है ना..!
निशा - बिल्कुल सही..! लेकिन अब तो सही से जबाब देदो मेरे हॉट..हॉट.. जीजू..!
मे और हॉट..?? हाहहाहा… क्यों मज़ाक करती हो यार !!? वैसे सच कहूँ तो देशी भाषा में तुम एक दम पटाखा लगती हो, जो किसी भी महा पुरुष का भी ईमान डॅग-मगा दे, इसलिए मे तुमसे बचता रहता हूँ.
उसने मेरे कंधे पर अपना सर रख लिया और अपने बाजू मेरे इर्द-गिर्द लपेट कर बोली - मुझसे क्यों बच रहे हो..? क्या मे कटखनी हूँ..?
मे - कटखनी तुम नही मे हूँ, कहीं मन मचल गया और तुम्हें काट लिया तो तुम्हारी दीदी क्या कहेगी..?
वो मुझे अपनी बाहों में कस्ति हुई बोली - ओह जीजू..! काटो ना मुझे..! दीदी की क्यों परवाह करते हो, वो मुझसे बहुत प्यार करती है, मेरे लिए वो कुछ नही कहेगी..
उसके बदन की मादक खुश्बू ने मेरे अंदर हलचल पैदा करदी…
प्लीज़ जीजू मुझे भी एक बार अपनी बाहों में भरके प्यार दो ना.. प्लीज़्ज़ज..!
मे - निशा ! अपने आप को कंट्रोल करो प्लीज़.. तुम दूसरे की अमानत हो, उसको क्या जबाब दोगि, और फिर मे तुम्हारी दीदी के साथ विश्वासघात नही कर सकता..! समझो बात को.
निशा – तो फिर ठीक है, अब दीदी ही आपको मेरे पास लेके आएँगी.. और ये कह कर वो मेरे से अलग होकर अपने रूम में चली गयी.
मे कितनी ही देर बैठा सोचता रहा उसके द्वारा कहे गये शब्दों के बारे में.
ऐसे ही 2 दिन और निकल गये, अब निशा मेरे साथ ज़्यादा फ्लर्ट नही करती थी, लेकिन कुछ उदास सी रहने लगी.
एक रात ट्रिशा जब मेरी बाहों में थी, मैने उसकी गोलाईयों को सहलाते हुए पुछा-
जान ! तुमने एक बात नोटीस की है, निशा आज कल कुछ अन्मनि सी रहती है, तुमने पता नही किया क्यों रहती है..?
ट्रिशा मेरे सीने को सहलाते हुए बोली - वो पागल लड़की कुछ ऐसा चाहती है, जो मे उसके लिए हां नही कह सकती..!
मे - क्या..? ऐसा क्या चाहती है वो तुमसे, जो तुम दे नही सकती उसे..?
हालाँकि मुझे पता था कि वो क्या चाहती है, और शायद उसने अपनी बेहन को बोल ही दिया है..! फिर भी मैने ये सवाल किया.
ट्रिशा मेरी चिन को चूमते हुए बोली - वो अपने प्यारे जीजू के प्यार से थोड़ा सा हिस्सा चाहती है..! जिसके लिए मे अपनी तरफ से कैसे हां कह दूं..?
मैने चोन्क्ने की आक्टिंग करते हुए कहा.. क्या..? क्या ऐसा उसने तुमसे कहा..?
ट्रिशा - हां ! क्योंकि हम दोनो बहनें एक दूसरे से बहुत प्यार करती हैं, और कोई भी बात नही छिपाति.
मैने उसके गाउन की डोरी खोल दी, और उसके दोनो पल्लों को अलग करके उसके अनारों पर गोल-2 उंगली घुमाते हुए पुछा – वैसे उसने तुमसे क्या कहा था..?
ट्रिशा अपनी चुचि को मेरे बाजू पर दबाते हुए बोली – पहले तो उसने मुझसे प्रॉमिस लिया, कि क्या वो जो माँगे वो उसे मिलेगा,
मैने सोचा की वैसे ही किसी चीज़ की डिमॅंड करेगी, सो मैने उसे प्रॉमिस कर दिया…लेकिन जो उसने कहा, उसे सुनकर मे सन्न रह गयी..
मे – ऐसा क्या कहा उसने ?
ट्रिशा – वो कुछ देर तो चुप रही, फिर सकुचाते हुए बोली, दीदी मे अपनी वर्जिनिटी जीजू को देना चाहती, प्लीज़ क्या आप बस एक रात के लिए उनका प्यार मेरे साथ शेयर कर सकती हैं…?
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