Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:15 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
जब वो बाहर चली गयी तो नर्स मेरे कमरे में आई और बोली- सर ! ये पोलीस ऑफीसर कॉन हैं..?

मे - अरे सिस्टर ये मेरी पत्नी है.. ट्रिशा शर्मा, आइपीएस. वो ओह्ह्ह.. करके चली गयी.

ट्रिशा घर को व्यवस्थित करने में लग गयी, 3 डिन्नर किसी अच्छे से होटेल से ऑर्डर करके मॅंगा लिए जो हम तीनो ने एक साथ बैठ कर खाए. 

इस बीच नर्स ने पुछा कि मेडम अब अगर आप यहाँ हैं तो में थोड़ा अपने घर जाउ, 

मैने उसे मना कर दिया कि नही, मेडम दो दिन बाद चली जाएँगी अपनी ड्यूटी पर, तब तक के लिए अगर जाना चाहो तो जा सकती हो.

खाना खाकर नर्स अपने घर चली गयी, उसने रिक्वेस्ट की थी कि उसके घर जाने की बात हम उसके ऑफीस में ना बताएँ, जो हमने आक्सेप्ट कर ली.

खाना खा कर हम दोनो पति-पत्नी अपने बिस्तर पर आ गये और एक दूसरे की भूली-बिसरी बातों में लग गये.

बातों-2 में मैने उसके साथ छेड़ छाड शुरू कर दी, तो वो भी गरम होने लगी, और देखते-2 हम दोनो अपने अंतर वस्त्रों में आ गये…! 

मेरी हरकतों से ट्रिशा इतनी ज़्यादा गरम हो चुकी थी कि, वो ये भी भूल गयी कि उसने दो घंटे पहले क्या प्रॉमिस लिया था मुझसे. 

अब वो किसी भी तरह से अपनी वर्जिनिटी खोना ही चाहती थी आज की रात, आज एक पूर्ण औरत होने की जैसे ठान ली थी उसने…..!!

ट्रिशा ने मेरे आख़िरी वस्त्र को भी निकाल फेंका, और खुद भी मात्र पेंटी में आ गयी, वो अपने हाथों से मेरे मूसल महाराज को बड़े प्यार से सहला रही थी, बीच-बीच में वो उसे चूम भी लेती थी.

मेरी आँखें आनंदतिरेक में बंद हो चुकी थी, मेरा लंड फटने तक की कगार पर पहुँच चुका था.

नीली – 2 नसें 1 सेमी तक की मोटाई में उभर आईं थी, वो इतना सख़्त हो चुका था, कि ट्रिशा अपने हाथ से उसे दबा भी नही पा रही थी…

मैने ट्रिशा की गान्ड को पकड़ कर अपने मुँह की तरफ घुमाया और उसकी पेंटी निकाल कर अपने मुँह के उपर बिठा लिया, अब हम दोनो 69 की पोज़िशन में थे, 

उसकी जीभ मेरे लंड के गोल-2 लाल सुपाडे से खेल रही थी और में उसकी परी को अपनी जीभ से चाट रहा था.

मुझसे अब सब्र करना मुश्किल होता जा रहा था, और शायद वो भी अब अपने को रोक नही पा रही थी.

मैने कहा - डार्लिंग..! एक बार तुम कोशिश करो तो मेरे उपर बैठ कर..! शायद मैने उसके मन की बात कह दी थी.. 

वो तुरंत पलट गयी और अपनी परी को मेरे मूसल पर रख कर रगड़ने लगी, दोनो के ही पार्ट चिकने होकर स्लिपैरी हो गये थे.

मैने उसकी जांघों के उपर से अपने दोनो हाथ लेजा कर उसकी परी के होंठों को खोल कर बोला- 

जान तुम मेरा लंड पकड़ के सेट तो करो अपने छेद पर, 

उसने वैसा ही किया और जब डाइरेक्षन मॅच हो गया तो उसको धीरे से बैठने को कहा.

जैसे ही उसने अपनी गान्ड को नीचे की तरफ मूव किया, उसके हलक से एक चीख नियकल पड़ी..और वो हाँफती सी बोली- नही अरुण ये मुझसे नही होगा, ऐसा लगा जैसे मेरी जान ही निकल गयी हो. 

प्लीज़ मे नही कर पाउन्गि ये.

मेरे हाथ उसके दोनो कुल्हों पर ही जमे थे मुझे पता था कि जैसे ही उसे दर्द होगा वो उठ जाएगी, सो मैने उसे उसी पोज़िशन में दबाए रखा. 

इस समय मेरा सुपाडा पूरी तरह पोज़िशन में था और उसकी परी की सील की झिल्ली पर टिका हुआ था.

मैने उसको समझाया, देखो डार्लिंग ! ये सब तो हर लड़की को झेलना पड़ता है फर्स्ट टाइम, अब ऐसे तो तुम जिंदगी भर नही रहोगी ना, तो फिर आज ही क्यों नही.

उसको कुछ मेरी बात जमी, और वो मेरे साथ स्मूच करने लगी, मे उसकी गान्ड को सहलाता रहा, 

जब उसको कुछ राहत महसूस हुई, तो मैने उसे फिर एक बार और कोशिश करने का इशारा किया, उसने थोड़ा सा पुश किया, साथ ही मैने उसके कुल्हों को थोड़ा ज़्यादा दबा दिया.

नतीजा मेरा आधे से ज़्यादा लंड उसकी सील को तोड़ता हुआ उसकी लाल परी के अंदर समा गया.

वो बुरी तरह छ्ट-पाटने लगी, उसकी आँखों से पानी निकलने लगा, और वो मेरे हाथों को अपने कुल्हों से हटाने की भरपूर कोशिश में लग गयी.

मैने उसे एनकरेज करते हुए कहा - बस मेरी जान, मैं दरवाजा तो टूट चुका है, सिपाही को अंदर जाने का रास्ता मिल चुका है, 

और थोड़ी सी कोशिश करनी है बस, फिर फ़तह ही फ़तह..अब थोड़ा सा और.. प्लीज़…

वो कराहते हुए बोली - आह…जानू ! दर्द के मारे जैसे मेरी कमर फटी ही जा रही है, प्लीज़ थोड़ा सा निकालने दो ना..… फिर से कर लेंगे..!

मैने थोड़ा डाँटते हुए कहा - पागल मत बनो ट्रिशा, जो अभी तक मेहनत की है तुमने, वो सब बेकार हो जाएगी.. प्लीज़ मुझे स्मूच करो और अपना ध्यान सेक्स में लगाओ..

वो फिर से मुझे चूमने चाटने लगी में भी उसको उत्तेजित करने की कोशिश कर रहा था, 

मे अपनी एक उंगली से उसकी गान्ड के छेद को कुरेदने लगा, जिससे उसकी परी की अन्द्रुनि दीवारों में सुरसूराहट होने लगी और धीरे-2 उसकी कमर हिलने लगी.

अब कुछ कम हुआ दर्द.. मैने उसे पुछा तो वो हमम्म.. करके बोली,

तो अब धीरे-2 इससे अंदर बाहर करो… आप लोग सोच रहे होंगे कि पहली बार शायद किसी लड़की ने खुद उपर चढ़ कर अपनी वर्जिनिटी खोई हो ये संभव नही, 

पर यहाँ ट्रिशा की मजबूरी थी. वो अब रुक भी नही सकती थी सो धीरे-2 अपनी कमर को उपर नीचे करने लगी.
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 02:15 AM

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