RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
मेरी दबी ज़ुबान में दी हुई धमकी से वो बुरी तरह डर गया, मौत की परच्छाई उसके चेहरे पर सॉफ सॉफ दिखाई देने लगी.
आनेवाली पीड़ा का एहसास होते ही, वो गिडगिडाते हुए बोला - प्लीज़ ऐसा मत करो..
वो लोग मुझे जान से मार देंगे, और तुम्हें भी नही छोड़ेंगे.
मे - तू मेरी चिंता छोड़, और सोच, अब्बल तो उनके फरिस्ते भी तुझे यहाँ से नही निकाल सकते, और अगर किसी तरह पहुँच भी गये, तो इस कष्ट से तो ज़्यादा कष्ट नही होगा ना तुझे.
और इसके उलट, अगर तूने मेरी मदद की तो हो सकता है, मे तुझे उनसे बचा के भी रख सकूँ.
अब तू खुद से सोचले, तेरे लिए क्या ठीक रहेगा ?
कुछ देर वो चुप रहा मैने भी उसको नही छेड़ा, लेकिन कुछ देर के बाद जो उसने बताना शुरू किया, उसकी बातें सुनकर मेरी आँखें चौड़ी होती चली गयी…
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अब्दुल सत्तार गनी आका गनी भाई…! पास के ही दूसरे शहर का नामी गिरामी बिल्डर, और विपक्षी पार्टी का जाना माना लीडर,
शहर के एक विशेष समुदाय बहुल्य इलाक़े में इसका आलीशान बंगला है,
पॉलिटिक्स और रियल एस्टेट के अलावा और भी इसके धंधे हैं, जिन्हें किसी भी सूरतेहाल में लीगल तो नही ठहराया जा सकता…जिनका मकड जाल दूसरे प्रांतों तक फैला हुआ था…
सुबह के 7:30 का समय था, गनी भाई की 30 वर्षीया खूबसूरत बेगम रुखसाना अपने लखते जिगर को स्कूल बस में छोड़ने के लिए बंगले के बाहर खड़ी बस का इंतेज़ार कर रही थी.
काले रंग के सलवार सूट में सर को एक मॅचिंग कलर के चमकीले दुपट्टे से ढके अपने बेटे की उंगली थामे खड़ी थी..
कि तभी वहाँ एक मारुति वॅन आकर झटके के साथ रुकती है और उसमें से दो आदमी उतर कर रुखसाना और उसके बच्चे की ओर झपटते हैं, और बच्चे को उसके हाथ से छीन कर उसे उठा लेते हैं.
अभी वो उस बच्चे को वॅन के अंदर बिठा ही रहे थे कि तभी एक 25-26 साल का नौजवान, जिसके चेहरे पर हल्की-2 दाढ़ी थी, आकर उन दोनो आदमियों से भिड़ जाता है,
मौका लगते ही सबसे पहले वो उस बच्चे को वॅन से बाहर निकालता है, तभी उन गुण्डों में से एक अपना चाकू उसके पेट में घुसेड देता है.
नौजवान घायल होते हुए भी उस बच्चे को उसकी अम्मी के हवाले करता है, और फिर से उन गुण्डों से भिड़ने के लिए पलटता है,
लेकिन प्रयास असफल होते देख वो गुंडे गाड़ी लेकर वहाँ से भाग जाते हैं.
नौजवान अपने पेट पर हाथ रखे दर्द से तड़पता हुआ घुटने टेक कर वहीं बैठ जाता है,
उसका सर स्वतः ही नीचे को झुकता चला जाता है, अभी वो गिरने ही वाला था कि दो जनाने हाथों ने उसको गिरने से रोक लिया.
इतने में वहाँ कुछ लोग और आ गये और उसको संभाल लिया,
कुछ लोगों ने उसको हॉस्पीटल ले जाने के लिए कहा तो उस ख़ातून ने परिस्थिति को समझते हुए उसे अपने घर लेजाना बेहतर समझा.
क्योंकि हॉस्पिटल तक जाने में काफ़ी खून बहने के चान्स थे सो वो लोगों के मदद से अपने बंगले में उसे ले गयी.
ज़ख़्म ज़्यादा गहरा नही था, सो घर में मौजूद फर्स्ट एड से उसके ज़ख़्म को सॉफ करके ड्रेसिंग कर दिया, वाकी लोग जा चुके थे वो नौजवान अभी भी सोफे पर लेटा हुआ था.
जब वो थोड़ा राहत महसूस करने लगा तो उसने उसके बच्चे के सर पर हाथ फेरा और पुछा- तुम ठीक तो हो बेटे..?
उस बच्चे ने हां में गर्दन हिला दी.
फिर वो ख़ातून बोली - आपका बहुत-2 शुक्रिया, आपकी वजह से एक अनहोनी होने से बच गयी, वरना ना जाने क्या हो जाता अगर आप वक़्त पर हमारी मदद नही करते तो,
आज एजाज़ के अब्बू भी शहर में नही हैं.
वैसे अपने रहनुमा का नाम जान सकती हूँ..?
असलम, नौजवान के सूखे से होठों से निकला, मे यहाँ से वॉक पे निकला था, कल शाम को ही मुंबई से आया था किसी काम के सिलसिले में.
कुछ देर और बातें होती रही फिर रुखसाना बेगम ने उसको चाइ नाश्ता ऑफर किया, उसको खाते-2 अचानक वो दर्द से कराह उठा..!
रुखसाना फ़ौरन अपनी जगह से उठके उसके पास पहुँची और उसकी शर्ट उतार कर ज़ख़्म चेक करने लगी.
थोड़ा सा खून उभर आया था उसकी ड्रेसिंग के उपर, उसने अपनी पहचान के डॉक्टर को फोन किया, और वो 10 मिनट में ही उसके घर आ गया.
डॉक्टर ने ड्रेसिंग खोल के चेक किया और इंजेक्षन वग़ैरह देके फिर से अच्छे से उसकी मलम पट्टी करदी.
रुखसाना उस नौजवान के चौड़े सीने और कसे हुए शरीर को देख कर प्रभावित हुए बिना नही रह पाई,
उसके मन में उस नौजवान के प्रति कुछ अजीब सी भावनाएँ पैदा होने लगी थी.
शौहर के काम और रुतवे के चलते, उसको अपने घर परिवार के लिए समय नही था, उपेच्छित बीबी अपनी जवानी को किसी तरह संभाले हुए थी,
लेकिन एक अर्धनग्न कसरती मर्दाना जिस्म देख कर उसकी चूत उससे तरह तरह के सवाल करने लगी.
टाइट सूट में कसे उसके पके दशहरी आम रस छोड़ने को व्याकुल दिखाई देने लगे.
वो उसके पास ही सोफे पर उससे सट कर बैठ गयी, और उसके ज़ख़्म को सहलाने के बहाने उसके बालों भरे सीने और पेट पर हाथ फिराने लगी.
नौजवान आँखें बंद किए हुए पड़ा था, वो उसकी भावनाओं को अच्छे से समझ चुका था.
रुखसाना धीरे-2 उसके उपर झुकती जा रही थी, सहलाते-2 उसके हाथ नौजवान के गले तक पहुँच गये, इस कारण उसे और ज़्यादा झुकना पड़ रहा था,
आख़िर वो लम्हा आ ही गया जब उसके कलमी आम नौजवान के सीने पर टिक गये,
उत्तेजनावस खड़े हो चुके निपल जैसे ही उसके कठोर सीने से लगे रुखसाना के मुँह से हल्की सी सिसकी निकल गयी.
नौजवान ने अपनी आँखें खोल कर उसको देखा तो वो उसकी आँखों में झाँक कर बोली - असलम मियाँ अब आपका दर्द कैसा है..?
वो - अब कुछ राहत महसूस कर रहा हूँ, और वो उठने की कोशिश करने लगा तो उसने उसके सीने पर अपना हाथ रखते हुए उसे लेटे रहने के लिए कहा.
रुखसाना - अभी आपका ज़ख़्म ताज़ा है, उठने की कोशिश मत करो, कोई काम है तो बोलो मे कर देती हूँ.
वो - मुझे टाय्लेट जाना था, ये सुनकर वो शरमा कर उसके पास से हट गयी, और वो उसे सहारा देकर वॉशरूम के दरवाजे तक लेगयि.
बाहर आकर वो नौजवान बोला - अब मुझे चलना चाहिए, कुछ अर्जेंट काम है जो निपटाने हैं.
रुखसाना- लेकिन अभी आपकी हालत तो ठीक नही है, ऐसी हालत में चलना फिरना ठीक नही है, कुछ देर और रेस्ट कर्लो ना.., लंच के बाद चले जाना.
वो - नही लंच में तो अभी बहुत वक़्त है, तब तक यहाँ क्या करूँगा, खमखा मेरी वजह से आपको तकलीफ़ उठानी पड़ेगी..!
रुखसाना - कैसी बातें कर रहे हैं आप, आपकी वजह से आज हम सही सलामत हैं, और आपके यहाँ रहने से हमें ही तकलीफ़ होगी..?
अब मे आपकी एक नही सुनूँगी, चलिए अब आप मेरे बेडरूम में चल कर पलंग पर आराम कीजिए बस.
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