Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:04 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
सर्दियाँ शुरू हो रही थी, मे अपने ट्यूब वेल पर ही सोता था 24 घंटे में ब मुश्किल 2-3 घंटे के लिए ही गाँव आता था.

एक रात पड़ोसी के खेतों में ट्यूब वेल का पानी चल रहा था, में कुछ नशे की वजह से गहरी नींद में सोया हुआ था. 

घनघोर अंधेरी रात थी, वो बंदा जिसके यहाँ पानी चल रहा था, भागता हुआ आया और मुझे झकझोर कर जगाया…

अरुण भैया… उठो… मे हड़बड़ा कर उठा और पुछा कि क्या हुआ..? क्यों इतना हड़बड़ाया हुआ है..?

वो बोला- सुनो देखो गाँव की ओर से लगातार फाइरिंग की आवाज़ें आ रही हैं.. लगता है किसी के यहाँ डकैती पड़ रही है. 

मे अब नींद से पूरी तरह बाहर आ चुका था, मैने उसे पुछा कि ये कब से आ रही हैं तो वो बोला कि कोई 10 मिनट तो हो गये होंगे.

जब ध्यान दिया तो…! ओ तेरी की !! ये तो हमारे ही छोर की तरफ से आरहि थी, मैने उससे कहा कि तू यहीं रुक मे देखता हूँ, तो वो बोला, 

भैया अब मे यहाँ अकेला नही रह पाउन्गा, मे भी तुम्हारे साथ चलता हूँ, मैने कहा ठीक है चल फिर.

मैने अपना समान निकाला (खुकारी और रेवोल्वेर) जो उसको भी नही पता था कि मेरे पास ये समान भी हो सकता है. 

सब कुछ अच्छी तरह से बेल्ट में लगाया और बिना देर किए दौड़ पड़े घर की ओर.

जैसे-2 हम गाँव के नज़दीक आते जा रहे थे, तस्वीर सॉफ होती जेया रही थी, और एक फरलॉंग पहले ही ये क्लियर हो गया की डाकू मेरे ही घर में हैं.

हमारे घर के पिछे वाले हिस्से में एक सेकेंड फ्लोर भूरे लाल ने बना रखा था, 

एक डाकू उसके ही उपर था, जिसके पास एक राइफल थी और एक बंदा उसके नीचे वाली छत पर टॉर्च लेकर इधर से उधर चक्कर लगा रहा था ये सुनिसचीत करने कि कोई आ ना जाए.

हमारे घर से सटा हुआ पड़ोसी का कच्चा मिट्टी का बड़ा सा मकान था, जिसका पिछला हिस्सा गिर चुका था और उसकी मिट्टी से उस हिस्से का प्लॅटफार्म दूसरे लेवेल से करीब 4-5 फीट उँचा था, 

कई बार हम वहाँ से अपनी छत पर चढ़ जाते थे, ये बात हमारे अलावा और किसी को पता नही थी.

राइफल वाले और टॉर्च वाले डाकू का अटेन्षन सामने की ओर ही था क्योंकि हमारा घर गाँव में लास्ट में है, 

गाँव मोहल्ले और आस-पास के लोग जिनके पास असलह थे वो चला रहे थे, जिनके जबाब में वो डाकू जबाबी फाइयर करता.

हम दोनो गाँव के बाहर एक मंदिर है भोले नाथ का, उसकी आड़ में खड़े हो गये. 

मैने उस लड़के को घूम कर आगे जाने को बोला कि जहाँ सब लोग हैं वहाँ चला जा, और किसी को अभी बताना कुछ मत.

वो बोला- तुम यहाँ पर रह कर क्या करने वाले हो..? तो मैने कहा ! अभी कुछ कह नही सकता… पर कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा.

मुझे यहाँ से अभी तक इतना ही पता लग पाया था, 

अंदर कॉन क्या कर रहा है ? कितने आदमी हैं ? कुछ पता नही था. 

मैने अपना टारगेट, उपर खड़े राइफल वेल को चुना उसके बाद आगे का पता लगेगा क्या सिचुयेशन बनती है.

वो लड़का जब वहाँ से चला गया, तो मे दबे पाँव घर के पीछे आ गया और उस कच्चे मिट्टी के मकान के पिछले हिस्से के उँचे प्लेट फार्म पर जाके दीवार से चिपक कर स्थिति का निरीक्षण किया, 

अंधेरा उनको मदद कर रहा था तो मुझे ज़्यादा कर रहा था.

जब मैने पाया कि इन दो के अलावा इस हिस्से में और कोई नही है, और इन दोनो का अटेन्षन भी आगे की ओर ही है,

मे जिस तरह से बचपन से चढ़ते आरहे थे छत पर उसी तरह से आसानी से चढ़ गया. 

अब ये देखना था, कि वो टॉर्च वाला टॉर्च का फोकस इधर ना कर्दे. 

दम साधे मे थोड़ी देर सेकेंड फ्लोर वाले कमरे की दीवार से चिपका खड़ा रहा, 
जब देखा कि वो टॉर्च वाला दूसरे छोर पर राउंड लगाने गया है, 

मौका देख कर मैने अपनी साँस रोक के खड़े- 2 जंप लगाई और उच्छल कर एक ही प्रयास में मैने सेकेंड फ्लोर की छत के किनारे को पकड़ लिया.

मैने अपने दोनो बाजुओं के ज़ोर से खुद को उपर उठाया, मेरा लक अच्छा था या उस राइफल वाले का खराब, 

वो अगले सिरे पर ही खड़ा फाइरिंग कर रहा था. 

बंदर की तरह उच्छल कर मे छत पर पहुँच गया, कमर से खुकारी निकाली और बैठे-2 ही दम साढ़े उसके पीछे से उसकी ओर बढ़ता गया, 

जैसे ही मे उससे दो कदम के फ़ासले पर पहुँचा, एकदम गॉरिला की तरह जंप लगा कर में उसके उपर झपटा. 

मैने एक साथ दो काम किए एक उसके मुँह पर अपने हाथ का ढक्कन लगाया, दूसरे में लगी खुकरि से उसका गला रैत दिया.

उसके मुँह से आवाज़ भी नही निकल पाई और वो दूसरी दुनिया की सैर पर चला गया……
अब उसकी राइफल भी मेरे कब्ज़े में आ चुकी थी, तो सबसे पहले उस टॉर्च वाले को ही उड़ा दिया. 

फाइरिंग तो समय-2 पर चल ही रही थी, किसी को पता ही नही चला कि हो क्या गया.
अब छत के इस पोर्षन पर मेरे सामने कोई नही था, अब में सब कुछ देख लेना चाहता था.

अब सबसे पहले पता करना था, कि कितने लोग कहाँ-2 हैं, किस पोज़िशन में क्या-2 कर रहे हैं ?

उसके सामने वाले पोर्षन में प्रेम चन्द भाई का दो मंज़िला था, उनकी सारी फॅमिली उपर ही सोती थी. 

उनके बरामदे में मे यहाँ से सब कुछ देख सकता था, लेकिन धुप्प अंधेरे के कारण कुछ भी ठीक से नही देख पाया…

फिर भी अंधेरे में काफ़ी देर रहने की वजह से इतना अनुमान लग गया क़ी वरांडे में तीन लोग खड़े दिख रहे थे. 
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 02:04 AM

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