Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 02:02 AM,
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
उन्हें स्थिति का भान हो चुका था इसलिए वो चुप चाप मेरे साथ बाहर तक आ गये, देखने वाले यही समझ रहे थे कि दोस्त होंगे.

बाहर आकर मैने कहा- अब बताओ जैल जाना चाहोगे या अपनी जान बचना चाहोगे..? 

उनमें से एक बोला- देखो हमें छोड़ दो, वादा करते हैं अब हम ऐसा कुछ नही करेंगे और ये शहर अभी छोड़ कर चले जाएँगे.

मे भी तो यही कर रहा हूँ मैने कहा- लेकिन मुझे तुम लोगों पर भरोसा नही है, इसलिए खुद तुम लोगो के साथ शहर से बाहर तक चल कर छोड़ने जाउन्गा, ताकि तुम फिर कोई वारदात यहाँ ना करो… 

मैने उनसे अगला सवाल किया – तुम लोग यहाँ कैसे आए थे बोलो..

वो- अपनी बाइक से, मैने कहा कहाँ है चलो वहाँ तक, तो वो इसी पोज़िशन में मेरे साथ हॉल के पीछे खड़ी बाइक तक आए. 

ये एक याज़डी 250 मोटर साइकल थी, मैने अपनी पोज़िशन चेंज करके फिर से उनके पीछे से गले पकड़ कर दबा दिए और दोनो को आगे बिठाया बॅग के साथ और खुद सबसे पीछे बैठ गया. 

उसने बाइक स्टार्ट की और चल दिए शहर से बाहर जाने वाले रोड पर.
रास्ते में मैने उनसे पुछा- किस तरह का बॉम्ब है ये..?

वो- टाइमर वाला, 

मे- कितना टाइम सेट किया है..?

वो- एक घंटे का जिसमें से लगभग 40 मिनट निकल चुके हैं, हमारा प्लान था कि मूवी शुरू होने के 20-25 मिनट्स के बाद ही फटे, हम इससे अपने सीट के नीचे छोड़ कर आने वाले थे.

मे- जल्दी चलो हमें 15 मिनट में जंगल तक पहुँचना है. 

उस रोड पर एक बहुत ही घना जंगल है जो मैं सिटी से कोई 20किमी दूर है, जंगल इतना घना और ख़तरनाक है, कि 7 बजे के बाद उससे पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद कर दिया जाता है और सुबह के 6 बजे ही शुरू होता है.

इश्स समय सबा तीन बजे थे… शहर छोड़ते ही उसने बाइक की स्पीड बढ़ा दी क्योंकि अब उन्हें अपनी जान की भी परवाह होने लगी थी. 

आदमी कितना ही बड़ा राक्षस क्यों ना हो खुद की मौत से सबको डर लगता है, 

घने जंगल में पहुँचते ही मैने बाइक रोकने को कहा, और साइड में खड़ा करके जंगल के अंदर चलने को कहा, मैने फिर से उनके गले कब्ज़े में ले रखे थे, 

रोड से कोई 100 मीटर अंदर जाकर मैने अप्रत्याशित रूप से उन दोनो के सिर एक मोटे से पेड़ के तने पर दे मारे, उन दोनो के सर फट गये, और वो धडाम से वहीं गिर पड़े. 

उनके गिरते ही मैने फटाफट उनके कान के पीछे की नस जो नर्वस सिस्टम को कंट्रोल करती है दबा दी जिससे ये अश्यूर हो गया कि अब वो पलट कर मुझ पर अटॅक नही कर सकते.

मैने बॅग से बॉम्ब निकाला, उसकी एमर्जेन्सी लाइट ऑन हो चुकी थी, उसके सेट टाइम में अब मात्र चन्द सेकेंड्स ही बचे थे, फ़ौरन वो उन दोनो की बॉडी के बीच रखा और पूरी शक्ति से दौड़ लगा दी…..

अभी मे रोड तक पहुँच भी नही पाया था कि भडाम…. 

एक जबर्जस्त धमाका हुआ, उस धमाके की इंटेन्सिटी इतनी ज़्यादा थी कि 100 मीटर दूर पर भी मेरा शरीर हिल गया उसके झटके से मे उच्छल कर एक पेड़ से जा टकराया…

मेरी आँखों के सामने अंधेरा सा छा गया और मे कुछ समय के लिए ही सही अपनी चेतना खो बैठा.

दो मिनट में ही मैने अपने आप को संभाला, ब्लास्ट की दिशा में देखा तो एक दो पेड़ भी उखड़ कर गिर गये थे, कुछ तो बीच से टूट ही गये थे. 

मैने आँखें बंद करके उपरवाले का धन्याबाद किया, अगर ये धमाका हॉल के अंदर हो जाता तो..? सोचकर ही मेरी रूह काँप गयी.

मे बाइक के पास आया, स्टार्ट की और शहर की ओर दौड़ा दी. 

15 मिनट बाद ही मैने वो बाइक वही खड़ी करदी और वहाँ से हट कर पास के रेस्टोरेंट में बैठ गया बाइक पर नज़र रखे हुए.

मूवी अभी ख़तम नही हुई थी, कोई 15 मिनट ही हुए होंगे कि वो दोनो जो उनके साथ टाय्लेट के पीछे बात-चीत करते देखे थे मैने, बाइक की तरफ आते दिखाई दिए. 

उन्होने इधर-उधर नज़र दौड़ाई कुछ देर. मे समझ गया कि वो अपने उन दोनो साथियों को देख रहे होंगे.

जब कुछ देर और उन्हें वो दोनो नही दिखे तो वो खड़ी बाइक की सीट पर ही बैठ गये और उनका इंतजार करने लगे.

मे लंबे-2 डॅग बढ़ा कर अचानक से उनके पीछे से प्रगट होकर बोला- अपने दोस्तों की राह देख रहे हो जो हॉल में बॉम्ब रखने वाले थे..?

वो एकदम चोन्के गये और मेरे मुँह की तरफ देखने लगे.

मे- क्या देख रहे हो..? उनका प्लान फैल हो गया…! शुक्र करो कि में टाइम पर पहुँच कर उनको सुरक्षित निकल लेगया वरना अभी तक तो तुम लोग भी पोलीस हिरासत में होते..!

एक – लेकिन तुम कॉन हो..? और तुमने उन दोनो को क्यों बचाया..?

मे- क्यों ! नही बचाना चाहिए था..?

दूसरा - नही..नही.. इसका कहने का मतलब है कि तुम्हारा क्या फ़ायदा इसमें जो तुमने ये सब किया हमारे लिए...?

मे- मेरा नाम सलीम है, मुझे इस शहर ही नही इस देश के क़ानून से ही नफ़रत है, जिसकी वजह से आज मे अनाथों जैसा जीवन जीने को मज़बूर हूँ. 

अभी तुम लोग बस इतना समझ लो, कि जो तुम करनेवाले थे उससे भी बड़ा धमाका होगा लेकिन बेकसूर लोगों की जानें लेकर नही, इस प्रशासन की नाक में नकेल डाल कर. आज ही हम कोतवाली को उड़ाएंगे.

तुम लोग मेरे साथ चलो, वो लोग पब्लिक की नज़र में आ चुके हैं, इसलिए मैने जहाँ उन्हें भेजा है वहाँ वो तुम लोगों का इंतजार कर रहे हैं, जल्दी करो हमारे पास समय नही है.

वो लोग मेरी बातों में फँस गये और उसी बाइक से फिर हम तीनों उसी जंगल में पहुँच गये, बाइक को किनारे खड़ी करके मैने उन्हें जंगल के अंदर चलने को कहा तो उनमें से एक बोला.

यहाँ जंगल में क्यों आए हैं वो लोग..?

मे - मैने उन्हें यहीं पर पहुँचने के लिए बोला था, चूँकि शहर में उन लोगों पर पोलीस को शक़ हो गया है.. 

अब जो भी प्लान तैयार करना है यहीं बैठ कर करेंगे.

उनमें से एक ने फिर पुछा- लेकिन वो लोग हैं कहाँ..?

मैने उस पहले वाली जगह से ऑपोसिट साइड में इशारा करके कहा- वो लोग इधर ही होंगे, हो सकता है थोड़ा अंदर जाकर बैठे होंगे.

जब हम जंगल के अंदर कोई 150 मीटर तक चले गये तो वो फिर से बोला- वो लोग तो कहीं दिखाई नही दे रहे ? कहीं तुम हमारे साथ कोई चाल तो नही चल रहे..?

मे- तुमने ठीक समझा…! तुम लोग मेरे जाल में फँस चुके हो और जल्दी ही तुम्हें भी उन दोनो के पास भेज दूँगा.

उनमें से एक ने फ़ौरन अपनी गन निकाल ली और मेरे उपर तान दी.., 

सेकेंड के सौवें हिस्से में मेरी छटी इंद्री जाग गयी, अब मेरी नज़र उसकी गन की नाल की पोज़िशन और उसके ट्रिग्गर पर टिकी थी.

वो गन लहराते हुए बोला- बता उन दोनो के साथ तूने क्या किया..?

मे- देख उधर धुआँ दिख रहा है..? मैने उधर इशारा करके कहा, तो फ़ौरन उन दोनो की नज़र उस दिशा में घूम गयी. 

वो दोनो उसी जगह पर अपने बॉम्ब के साथ उड़ चुके हैं, अबतक तो 72 हूरें उनकी सेवा में लग गयी होंगी.

उस गन वाले ने दाँत पीसते हुए कहा- काफ़िर की औलाद तूने हमारे प्लान को चौपट कर दिया और हमारे साथियों को ही उड़ा दिया, 

मे तुझे जिंदा नही छोड़ूँगा, ये कहते हुए उसने ट्रिग्गर दबा दिया.

मे माइक्रो ज़ेक्स में अपनी जगह से थोड़ा सा हट गया और साथ ही उसकी गन की नाल मेरे हाथ में थी, एक हाथ से उसकी गन वाले हाथ की कलाई थाम कर एक ज़ोर का झटका दिया,… 

नतीजा ! उसकी गन मेरे हाथ में आ चुकी थी, दूसरे वाले ने जैसे ही मुझ पर हमला करने की कोशिश कि, मेरी टाँग हवा में घूमी और वो औंधे मुँह पीछे को उलट गया.
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