Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 01:54 AM,
#88
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
मे जानता था, कि ट्रिशा कितनी धृड इक्षा शक्ति वाली लड़की है, जो ठान लिया वो करके ही रहती है जैसा उसकी मम्मी ने बताया था, इसलिए मैने बात को आगे नही बढ़ाया और उसके माथे को चूम कर बच्चों के पीछे-2 चलने लगे….!
रात काफी हो चुकी थी , फिर भी देर रात तक लोग मेला एन्जॉय करना चाहते थे , क्योंकि कल के पर्व के स्नान के बाद मेला उखाडना शुरू हो जाने वाला था .

करीब रात 11 बजे हम सभी इकठ्ठा हुए और एक झूले पर झूलने चले गए ..
में आज अपना बाइनाक्यूलर साथ लेकर आया था जो काफी दूर की छीजों को भी अचे से दिखा सकता था .

हमने सबसे ऊँचे झूले को चुना , लोगों की भीड़ -भाड़ काफी हद तक कम हो गयी थी . अब ज्यादातर वही लोग बचे थे , जिनकी या तो सेटिंग थी , या सेटिंग के चक्कर में थे .

मेने झूले वाले को बोल दिया की झूले की स्पीड थोड़ा स्लो ही रखना , मुझे थोड़ा प्रॉब्लम होती है i स्पीड में , चूँकि लोग कम ही थे और शायद ये उसका लास्ट रॉउंड ही होगा सो उसने मेरी बात मान ली .

में धनञ्जय को अपने साथ लेकर बैठ गया और तृषा नेहा को लेकर बैठ गयी .. वाकी सब अस इट इस एन्जॉय कर रहे थे .

झूला घूमना शुरू हुआ .. जैसे ही हम ऊपर जाते , मेरे हाथों में पकडे बाइनाक्यूलर से में उसी दिशा में देखने की कोशिश करता जिधर हमें कल वो डाकू मिले थे .

एक दो चक्करों तक तो कुछ नज़र नहीं आया , लेकिन जैसे ही तीसरे चाकर में हम ऊपर गए और तब तक आँखें भी अँधेरे में देखने की अभ्यस्त हो गयी थी , तो मुझे वहाँ कुछ हलचल सी नज़र आयी , मेने धनञ्जय को इशारा किया .

उसने भी बाइनोकुलर लेकर देखा , एक -दो चक्करों के बाद ही उसको भी दिखने लगा और कन्फर्म हो गया की कुछ न कुछ तो हो रहा है उधर .

हमने झूले वाले को जल्दी रोकने का इशारा किया , और 4-6 चक्करों में ही झूला रुक गया , नीचे उतर कर मेने ऋषभ और जागेश को बोला , की तुम लोग जल्दी से इन सभी बच्चों को घर छोड़ कर आजाओ .

जब वो घर को निकल गए तो हम दोनों सबकी नज़रों से बचते -बचाते उधर को चल दिए . अब हमारा काम था सिर्फ उन पर नज़र बनाये रखना और समय आने पर एक्शन लेना .

वो 6 लोग थे , और वहाँ बैठ कर बारूद बिछाने के लिए सेट तैयार कर रहे थे , ये कोई दारु गोला टाइप का स्यतेम था , जो पत्थर तोड़ने में काम आता है .

5-6 दारू गोला टाइप के करीब 6-8” व्यास के गोले जैसे थे और उनमें से sulphur मिक्सिंग लेप लगी हुई तार (wire) सी निकली हुई थी , करीब 10-10 मीटर की तार की लंबाई के अंतर से उन्होंने सभी गोलों को आपस में जोड दिया और कोई 100 मीटर का अतिरिक्त तार भी रख छोड़ा

इतना सेट करने के बाद अब वो मेले की हलचल शांत होने का इंतज़ार करने लगे हम भी उनसे छिपकर ऋषभ और जागेश का इंतज़ार करने लगे !

रिवाल्वर हमारी कमर में खोंसी हुयी थी मेरा खंजर भी मेरे पास ही था कोई 2 घंटे के बाद ऋषभ और जागेश वापस हमें मेले में नज़र आये !

अब तक मेले में लगभग शांति छ चुकी थी इक्का दुक्का चाय पान की दुकान ही खुली थी जिसपर इक्का दुक्का लोग बैठे चाय बीड़ी सिगरेट पी रहे थे !

ऋषभ और जागेश भी सबसे लास्ट वाली दुकान जो हमारी साइड में थी उसपर बैठ गए !

फिर जब सब लोग थोड़ा बहुत आराम करने के लिए इधर उधर लुढ़क गए तो वो दोनों भी सोने के बहाने से हमारी ओर आने लगे , हमने दूर से ही इशारा करके उनको वहीँ कही एकांत में लेट जाने को कहा !.

धनञ्जय फुफुसकार बोला - हम उहें इस काम से पहले ही क्यों नहीं निपटा देते ..?

में - नहीं !.. इनमें से कोई तो काम ख़तम करके अपने आड़े पर सरदार को खबर देने जरूर जाएगा , और हमने पहले ही इन्हें लप्पेट लिया तो वहाँ से कोई न कोई आ धमकेगा तो जो हमने सोचा है वैसा नहीं हो पायेगा !

धनञ्जय मेरे थोबड़े को देखने लगा ..! मेने कहा - ऐसे क्या देख रहा है भाई ..?

D- तेरा दिमाग है या साला कोई सोचने की मशीन (computer)… हर बारीकी को सोच लेता है .. में बस मुस्करा दिया !

करीब ढाई बजे वो लोग अपना सामान लेकर निकले , चारों ओर गहन शांति छायी हुई थी !

जहा उन्होंने अपना हैण्ड ब्लास्टिंग यूनिट रखा था वहां से कोई 150 मीटर दूर तक नदी के किनारे -2 उन्होंने गीली मिटटी को खोदना शुरू कर दिया , वो लोग १फ़ॆत गहरी पतली सी नाली जैसी बनाते जा रहे थे .

नाली जैसी बनाने के बाद उन्होंने अंतिम छोर पे पहले गोले को दवा दिया और फिर उसकी तार जो सल्फर मिक्सिंग थी उसको उसमें डालते जा रहे थे , दो आदमी उसको मिटटी में दबाते जा रहे थे और मिटटी को समतल करते जारहे थे जिससे किसी को पहली नज़र में दिखे न !
इसी तरह 10-10 मीटर के अंतर से 6 गोले नदी के किनारे लगा दिए ! वाकी बच्चि तार को ब्लास्टिक पंप तक ले गए !

सारा काम इत्मिनान से निपटने के बाद उन्होंने उसे एक बार फिर से चेक किया और जैसा मेने सोचा था , उनमें से एक आदमी वहां से चला गया अपने सरदार को रिपोर्ट देने !

वो 5 लोग बड़े इत्मिनान से अँधेरे में ब्लास्टिंग पंप के पास थोड़े छिप कर बैठ गए और सुबह के स्नान का इंतज़ार करने लगे !

स्नान कोई 4:30 - 5 बजे से शुरू होना था . अभी एक -ढेड़ घंटा और वाकी था !
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 01:54 AM

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