Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 01:53 AM,
#86
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
इंस्पेक्टर- लेकिन आप लोगों को उसके अड्डे पर जाने की ज़रूरत क्या है..?

मे- एक तो हमें ये नही पता कि उनका काम कब तक पूरा होगा, दूसरा अगर पोलीस ने उससे पहले ही हमला कर दिया तो वो लोग चोन्कन्ने हो जाएँगे और हड़बड़ी में वो बारूद को उड़ा सकते हैं, जिससे कुछ तो नुकसान जान माल का हो सकता है.

इंस्पेक्टर- प्रभावित होते हुए बोला- बहुत अच्छा प्लान बनाया है.! वाकई तुम्हारी योजना अच्छी है, मुझे नही लगता कि अब गोंदिया बच के निकल पाएगा.

मे- वो भी मे सुनिश्चित करता हूँ सर, गोंदिया आपको जीवित नही मिलेगा जब भी मिले. बस आप एक फेवर और कर दीजिए, हमें चार गन्स जो आपके पास दो नंबर की होती हैं वो दे दीजिए कुछ राउंड्स के साथ.

वो बहुत देर तक मेरे मुँह की ओर देखता रहा, फिर उसने अपने एक सब इनस्पेक्टर को इशारा किया और 4 सिक्स राउंड रिवॉल्वार फुल मेगज़ीन के साथ और कुछ एक्सट्रा बुलेट के साथ हमें दे-दी.

पोलीस के साथ पूरी प्लॅनिंग करने के बाद हम अपने गाँव लौट आए, लौटते-2 हमें आधी रात हो चुकी थी, घर पर सभी हमारा बेसब्री से इंतजार कर रहे थे.

मैने रास्ते में ही सबको हिदायत दे दी थी कि अभी इस बात का जिकर कोई भी अपने सगे से सगे के साथ भी नही करेगा जब तक ये मिशन पूरा नही हो जाता वरना लोग खंखाँ डर जाएँगे.
मेले का तीसरा दिन-

आज मेले में बहुत भीड़-भाड़ थी, जिधर देखो लोग ही लोग सर ही सर दिखाई देते थे. ग्राम पंचायत की तरफ से पूरी कोशिश की गयी थी उचित व्यवस्थाओं की जिससे लोगों को ज़्यादा तकलीफ़ ना उठानी पड़े.

आज भीड़ को देखते हुए पोलीस प्रशासन की ओर से भी एक सब इनस्पेक्टर के साथ 8-10 कॉन्स्टेबल भेजे गये थे, जो की रात के एक्शन में भी सम्मिलित होने थे.

मेला कमिटी ने भी अपनी तरफ से कुछ लोग व्यवस्था के लिए लगा रखे थे, स्वच्छ पीने के पानी की व्यवस्त जैसी और सहुलितें मुहैया करने की कोशिश की गयी थी.

आज हमने ऋषभ के माँ-पिता जी को बच्चों के साथ मेले में भेज दिया और हम चारों घर पर रह कर अपनी योजना के बारे में डिसकस करते रहे, और फिर 2-3 घंटे की नींद मारली क्योंकि रात को जागना जो था.

शाम को हम जल्दी मेले में चले गये, अभी दिन छिपने में समय था. ऋषभ के माँ-बापू को हमने घर भेज दिया, बच्चों का अभी मेले में घूमने का मन था तो वो सब नही गये.

कुछ देर साथ रहने से ही ऋषभ को जगेश की सेट्टिंग के बारे में पता चल गया, वो भी जगेश के आगे-पीछे घूमने लगा तो जगेश ने उसको अपनी सेट्टिंग के साथ शेयर कर लिया, उसको भी थोड़ा रिलॅक्स हो गया, अब वो एक के साथ खुल कर मज़ा ले सकता था.

ऋषभ भी उन दो में से एक के साथ एंगेज हो गया. अपने भाई को सहेली के साथ मज़े करते देख नेहा फिर चिपक गयी धनंजय के साथ. अब हमारे 4 ग्रूप बन गये, और सब अलग-2 मेला एंजाय करने लगे 

ट्रिशा को थोड़ा अटपटा लगा ये सब, और दबी ज़ुबान में उसने एतराज भी किया तो मैने उसे समझा दिया, कि देखो ये दिन बार-2 नही आते, जिसको जैसे खुशी मिलती है लेने दो, तुम भी एंजाय करो जैसे तुम्हें ठीक लगे.

मेरी बात उसे कुछ -2 समझ में आ गई और हम दोनो भी बच्चा पार्टी के साथ मिलकर मज़े करने लगे. लेकिन कहावत है ना ! आग फूंस कभी एक साथ ज़्यादा देर नही रह सकते आग जला ही देती है उसको.

बच्चों के साथ मौज मस्ती करते-2 हम दोनो के बीच ऐसे कई मौके आए जिससे हमारे शरीर आपस में टच हुए.

ट्रिशा की भावनाएँ भी उन तीनों को देखकर अंगड़ाई लेने लगी, मेरे प्रति उसकी नज़रें कुछ अलग सी होने लगी, अब वो मेरे अधिक से अधिक नज़दीक रहने की कोशिश करने लगी, कभी मेरा हाथ पकड़ लेती, कभी अपने अन्छुइ गोलाईयों को मेरे बदन से टच करा देती. 

बच्चों को पकड़ने के बहाने मेरे उपर गिरने लगती और फिर सॉरी बोल देती…!

मैने कुछ देर उसमें अचानक आए बदलाव को समझने की कोशिश की, वो अब और आगे बढ़ना चाहती थी, मैने भी अपनी तरफ से उसे खुली छूट देने का मन बना लिया था, कि चलो इसको एंजाय करने देते हैं, अपना क्या बिगड़ने वाला है. 

अपना तो दिल ही कुछ ऐसा है, दूसरों की खुशी में अपनी खुशी ढूढ़ ही लेता है.

एक बार ऐसे ही जब वो मेरे उपर गिरने को हुई, मैने उसकी कमर में हाथ डाल दिया और उसके चेहरे के एकदम पास अपना चेहरा ले गया, इतना पास की मेरी नाक से निकली हवा उसके पलकों पर गयी और उसकी पलकें बंद हो गयी. उसके उभार मेरे सीने में दब गये.

कितनी ही देर वो मेरे बाजू में झूलती रही आँखें बंद किए शायद इस इंतजार में कि मे कुछ और आगे करूँ..? थोड़ी देर बाद मैने उसको सीधा खड़ा कर दिया और उसे आवाज़ दी..…!!

वो जैसे खवाब से जागी हो… हुउंम्म… और जैसे ही उसने पलकें उठाई मेरे चहरे को अपने इतने करीब देख कर वो शरमा के मुझसे अलग हो गई.

उसके चेहरे पर शर्म की लाली के साथ-2 मुस्कराहट भी खिली हुई थी. उसका एक हाथ अभी भी मेरे हाथ में था.

क्या सोच रही हो..? मैने पुछा उसे, तो वो सिर्फ़ ना में अपनी गर्दन ही हिला सकी. 
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 01:53 AM

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