Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 01:52 AM,
#79
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
खाना ख़ाके तुरंत बैठने के लिए मना किया था डॉक्टर ने, सो हम बेड रूम में आ गये, वो बेड पर लेट गयी और मे उसके बगल में अढ़लेटा सा बैठ गया, मेरा एक हाथ उसके सर के उपर से उसके गाल को सहला रहा था..और दूसरे हाथ से उसका पेट सहला रहा था, जो कि तोड़ा सा बाहर को उभर आया था.

कैसा फील होता है आजकल आपको..? मैने सवाल किया.

रति- बस बहुत अच्छी-2 फीलिंग्स आती हैं मन में..!

मे- अच्छी-2 फीलिंग्स मतलब, किस तरह की..?

रति- कभी आने वाले मेहमान के बारे में सोचने लगती हूँ…कि कैसा होगा, कैसे हम रखेंगे उसे.. ऐसी ही कुछ…! फिर कभी-2 तुम्हारे साथ बिताए पलों की सुखद यादें…! दिल को बड़ा सुकून मिलता है उन पलों को याद करके.

मे- आलोक भैया ख्याल रखते हैं या नही..?

रति- घर पे होते हैं तो रखते हैं.., वैसे वो रहते ही कितने हैं घर पर..? बोलते-2 उसने मेरी शर्ट के उपर के बटन खोल दिए और मेरे सीने पर हाथ फेरने लगी.

मेरी छाती पर हल्के-2 रोएँ जैसे बाल आते जा रहे थे, तो उसकी उंगलिया जब बालों में फिरती तो बड़ा रोमांच जैसा फील होता मुझे.

रति ने अपना सर अब मेरी छाती पर टिका लिया था और पाजामे के उपर से मेरे लंड को सहलाने लगी. उसका कोमल हाथ लगते ही मेरा बाबूराव अकडने लगा.

मैने भी अपने दोनो हाथ उसकी बगल से निकाल कर उसके दोनो खरबूजों पर कस दिए. आहह… ये तो पहले से भी ज़्यादा रसीले हो गये हैं भाभी..! हाथ लगते ही मेरे मुँह से निकल गया..

रति- इनमें अब आनेवाले मेहमान के लिए खुराक नही आएगी क्या..? रसीले तो होंगे ही.

मे- तो उस खुराक में से हमें भी कुछ हिस्सा मिलेगा या सब उसी के लिए ही होगा..? 

रति- उसके आने तक ये तुम्हारे लिए ही हैं, जो मर्ज़ी हो करो.. उसके बाद तुम इन्हें हाथ भी नही लगा सकते समझे बच्चू..!

मे- तब तो जल्दी अपना कोटा पूरा करना पड़ेगा, और फिर उसके ब्लाउस के बटन खोल दिए, उसने आजकल घर पर ब्रा पहनना छोड़ दिया था, फिर भी उसके खरबूजे सर उठाए ही खड़े थे.

मेरे पूरे हाथों में तो वो आते नही थे लेकिन जितने आरहे थे उतने लेकेर उन्हें मसल्ने लगा.. साथ-2 उसके होठों से रस भी निचोड़ लेता था कभी-2.

रति अब आँखें बंद करके सिसक रही थी, हम दोनो बुरी तरह गरम हो चुके थे. कपड़े अब बोझ लगने लगे थे सो स्वतः ही उतरते चले गये.

मैने उसे करवट से कर दिया और उसके बराबर में लेट कर पीछे से ही उसकी एक टाँग उठा कर अपने लंड को उसकी रसीली चूत पर घिसने लगा..

अरुण थोड़ा आराम से ही करना अब, ज़्यादा ज़ोर की चोट बच्चे को भी लग सकती है.

मैने कहा- ठीक है, और धीरे-2 से लंड उसकी चूत में सरकने लगा.. पता नही प्रेग्नेन्सी की वजह से या और कुछ, उसकी चूत आज मेरे लंड को कुछ ज़्यादा ही पकड़ सी रही थी बड़ा ही मज़ा आरहा था..

इस पॉज़ में मेरा लंड पूरा जड़ तक उसकी चूत में जा रहा था, उसकी उभरी हुई गान्ड जो अब और ज़्यादा मांसल हो गयी थी मुझे और ज़्यादा मज़ा दे रही थी.

मेरी जांघे जब उसकी बड़े-2 तरबूजों जैसी मुलायम गान्ड पर पड़ती, तो मुझे जन्नत का एहसास दे रही थी.

इसी तरह धक्के मारते हुए मुझे 15 मिनट हो चुके थे कि तभी वो अपनी गान्ड को और पीछे धकेल्ति हुई झड़ने लगी.

मेरा भी जल्दी ही छूटने वाला था, कुछ ही धक्कों में हम दोनो फारिग होकर बिस्तर पर पड़े अपनी साँसों को संयत करने की कोशिश कर रहे थे. 

आज कुछ अलग ही मज़ा आया भाभी मुझे, लगता था जैसे आपकी राम प्यारी आज कुछ ज़्यादा ही लाड़िया रही थी मेरे बाबूराव को.

मेरी ऐसी बातें सुनकर वो हसने लगी और बोली - शायद प्रेग्नेन्सी में ऐसा होता होगा, मुझे भी अलग ही मज़ा आया आज.

मेरे हाथ उसके नितंबों के उपर चलने लगे. आज मेरा मन उसकी गद्देदार गान्ड मारने का हो रहा था.

भाभी कभी इसमें लिया है..? मैने उसके गाल को हल्के से काटते हुए उसकी गान्ड की दरार में उंगली फिराते हुए कहा..

रति – नही अभी तक तो नही.., ऐसा क्यों पुच्छ रहे हो..?

मे- मन कर रहा है इसमें डालने का..!

रति- आपके लिए तो मेरी जान भी हाज़िर है मेरे हुज़ूर.., ये निगोडी गान्ड क्या चीज़ है..? वैसे कभी ट्राइ तो नही किया है, पर सुना है बहुत तकलीफ़ होती है वहाँ करवाने में..!

मे- नही ऐसी कोई ख़ास तो नही, और फिर पहली-2 बार तो आगे भी होती ही है ना!

रति- ठीक है, अगर मेरे बच्चे के पापा को ये इतनी पसंद है तो मे कॉन होती हूँ रोकने वाली..? लेकिन थोड़ा क्रीम वग़ैरह लगा लेना जिससे मुझे तकलीफ़ कम हो, और उठ के वो एक कोल्ड क्रीम का ट्यूब ले आई…

मैने उससे उल्टा लेटने के लिए कहा, वो जैसे ही पलटी, बाइ गोद…! क्या सीन था याअररर…? लगता था जैसे चिकने रोड पर अचानक से दो टीले आ गये हों और उन दोनो के बीच पतली सी एक दरार पड़ गयी हो.

चौड़ी पीठ जो उपर से नीचे की ओर एक कटाव लिए कमर के हिस्से का, उसके तुरंत बाद एकदम सेमी सर्कल जैसे वो दो टीले खड़े हों. 

टीलों की उतराई के बाद खूब मोटी-2 मांसल जंघें मानो केले के दो मोटे-2 ताने उन टीलों में से ही निकले हों.

उसके बदन की सुंदरता मेरी आँखों के ज़रिए दिल में उतर गयी, दिल ने दिमाग़ से कहा, अबबे घोनचू…! क्या देखता ही रहेगा..? टूट पड़ इन तरबूजों पर खा जा सालों को.

दिमाग़ ने झट से मेरे दाँतों को इन्स्ट्रक्षन दे डाली, और उन्होने अटॅक कर दिया !! 
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 01:52 AM

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