Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 01:49 AM,
#60
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
उसकी कोरी चूत ऐसी लग रही थी मानो किसी छोटी बच्ची अपने पतले पतले होठों को बंद किए हो. सिर्फ़ एक दरार सी बस, उपर को एक छोटी सी चिड़िया की चोंच जैसी बाहर मुँह चमका रही थी.

उसे देख कर मेरे मुँह और लंड दोनो में पानी आ गया. एक-दो बार पूरी चूत पर जीभ से चाटने के बाद, मैने उसकी फांकों को दोनो हाथों के अंगूठों की मदद से उसके चीरे को खोला…!

मासा अल्लाह !! एक गुलाबी रंग की छटा उसकी चूत के अंदर दिखी..! सिर्फ़ एक बार ही अपनी जीभ फिराई मैने उसके अन्द्रूनि भाग में और फिर अपने लंड को उसमें भिड़ा दिया..!

रेखा आँखें बंद किए मज़े का अनुभव कर रही थी.., धक्का देने से पहले मैने रेखा से कहा…!

दीदी थोड़ा कंट्रोल करना.. दर्द हो सकता है.. ओके.. वारना ज़ोर से चीख पड़ी तो कोई सुन लेगा..!

उसने बस हां में गर्दन हिला के हामी भर दी, 

मैने हल्का सा पुश किया अपनी कमर को और सुपाडा पूरी तरह से अड्जस्ट हो गया उसकी अन्चुदी चूत के छोटे से छेद में.

उसको हल्का सा दर्द का आभास हुआ लेकिन सह गई..!

फिर उसके कंधों पर हाथ रख के एक तगड़ा सा धक्का मार दिया…!

लाख कोशिशों के बबजूद उसके मुँह से चीख निकल ही गयी…!

हाययययई….मुम्मिईिइ….मररर..गाइ…रीि…ऊहह… उउफ़फ्फ़… माआ….अरुण प्लस्सस.. निकालो अपना, मुझे नही करवाना.. हाईए.. जल्दी निकालो..मे.. मर्र्रीि…!

मे वही रुक गया और उसको नकली गुस्सा दिखाते हुए बोला… क्या बोली…? निकालो…? ठीक है मे निकाल लेता हूँ.. फिर मत आना मेरे पास अपनी अध-फटी चूत लेकर..! साला चूतिया समझ रखा है मुझे..?

आधा लंड चला गया, झिल्ली टूट चुकी है और अब बोल रही कि निकालो..! बोल क्या करूँ..? निकाल लूँ..?

वो कुछ नही बोली बस मुँह कस के बंद कर लिया, आँखो से पानी निकालती रही..!

मैने उसका दर्द कम करने के लिए, उसकी चुचिओ को मुँह से चूसने लगा और दूसरी को आहिस्ता-2 सहलाने लगा..!

उसका दर्द छमन्तर हो गया और फिर मेरी ओर आशा भारी नज़रों से देखने लगी..!

अब मैने उसके होठों को अपने होठों में जप्त करके एक और तेज झटका दिया कमर में…. सटकककक.. से पूरा लंड जड़ तक चूत के अंदर घुस गया..! उसके मुँह से गुउन्न्ं..गुउन्न्ं.. की आवाज़ निकल रही थी होठ मेरे होंठो से बंद थे, आँखें बरस रही थी मेरे नीचे पड़ी वो दर्द से छट-पटा रही थी..!

थोड़ी देर होंठ चूसने से और उसकी चुचियों को मसल्ने की वजह से वो जल्दी हो नॉर्मल हो गयी और अपनी कमर को जुम्बिश दे कर इशारा किया आगे बढ़ने का..

मैने बहुत ही धीरे से अपने लंड को बाहर की ओर खींचा तो वो फिरसे कराही, फिर अंदर किया तो फिर कराही, ऐसे ही मेने धीरे-2, कुछ देर आराम से लंड को अंदर बाहर किया..

अब उसकी चूत मे थोड़ा गीलापन बढ़ने लगा था, सो स्वाभविक है, दर्द भी कम हो रहा था, लंड और चूत के बीच का फ्रिक्षन कम होने लगा. मैने थोड़े धक्कों को गति दे दी, अब उसका दर्द सिसकियों में बदलता जा रहा था. 

वो भी अब अपनी कमर उचका उचका के चुदने लगी..! फिर तो वो तूफान आया--- कि बस पुछो मत, 20 मिनट में ही सब बह गया..! हम दोनो ही पसीना-2 हो गये थे.

साँसें इतनी गति से चल रही थी मानो मीलों की दौड़ लगा के आए हों.

कितनी ही देर हम एक दूसरे की बाहों में पड़े रहे.. जब होश आया और मैने उसकी ओर देखा, तो उसने शरमा कर अपना मुँह दूसरी ओर कर लिया और मंद-2 मुस्कराने लगी…!

मैने उसके गाल को काट लिया, तब उसने मेरी ओर देखा, आयईयी… काट क्यों रहे हो निशान बन जाएँगे..!

मे- अच्छा और एक बहुत बड़ा निशान नीचे बना दिया तब कुछ नही कहा..?
वो शरमा गई और मेरे सीने में अपना मुँह छिपा लिया..

मे- दीदी.. , उम्म्म.. वो बोली, मे- खुश तो हो. वो- हमम्म.. बहुत.. और तुम्हारी एहसान मंद हूँ, कि तुमने मुझे औरत होने का एहसास करा दिया..

मे- दीदी.., इस बात को यही तक रखना.. दिल तक मत पहुँचने देना.. वरना बड़ा दुख देता है वो बाद में.

वो – नही अरुण में जानती हूँ, और तुम फ़िक्र ना करो.. इससे ज़्यादा की उम्मीद मे कभी होने भी नही दूँगी.

मे- हमम्म.. वैसे सच बताना, मज़ा तो आया ना…मैने उसके निपल को हल्के से उंगली से सहलाते हुए कहा..

वो- मेरे गाल को चूमती हुई.. सच कहूँ तो एक बार को लगा कि मर ही जाउन्गी अब, लेकिन तुम वाकई मे कोई जादू जानते हो..

अगले ही पल मुझे लगने लगा कि में स्वर्ग मे उड़ रही हूँ, इतना सुख, इतना मज़ा.. मैने कभी कल्पना भी नही की थी.. 

सहेलियों से सुना था जिनकी शादियाँ हो गयी हैं, या फिर जो ये सुख ले चुकी है, पर वो भी इतना नही बता पाई, ये तो बस… क्या कहूँ..?

मे- और लेना चाहोगी वो सुख..?

वो- हमम्म.. मन तो है, पर थोड़ा दर्द भी है..

मे- अरे वो तो एक मिनट. में छमन्तर हो जाएगा..
और फिर मैने उठके एक कपड़ा गीला करके उसकी चूत से खून और वीर्य को साफ किया और पूरे हाथ से सहलाने लगा.. उसकी आँखें बंद होती चली गयी..

अब मे पहली बार उसकी चूत चाटने वाला था, सो लग गया अपना हुनर दिखाने.. थोड़ी ही देर में वो अपना दर्द भूलके, उड़ चली ऊडन खटोले पे बैठ के आसमानों में, जब उतरी तो उसकी चूत आँसुओं से तर थी.
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