Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 01:44 AM,
#32
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
सफ़र कोई 4 से 5 घंटे का था, शाम 5-6 बजे तक पहुँच जाना था, लोकल ट्रेन थी, तो ज़्यादा भीड़ भाड़ भी नही थी,

उपर की एक बर्त पकड़ के समान अपनी सीट पर ही जमा लिया, और लेट गया बर्त पर, अपना सर समान के उपर रख लिया था.

लेटते ही विचारों की दुनिया मे खो गया, कुछ आने वाले फ्यूचर के बारे मे, नया शहर, नये लोग, नये दोस्त, कॉलेज कैसा होगा, टीचर्स कैसे होंगे… वग़ैरह-2..

फिर कुछ अतीत के पन्ने उलटना शुरू हो गये, बचपन किन परिस्थियों में गुजरा था, फिर धीरे-2 सब कुछ सामान्य होता चला गया समय के साथ-2.

कॉलेज के वो छात्र संघ के एलेक्षन से पहले की स्ट्राइक, पोलीस और स्टूडेंट्स की भिड़ंत, 

कैसे पोलीस की आँखों में धूल झोंक कर मैने और एक और लड़के ने मिलकर कॉलेज के मैन गेट पर ताला मार दिया था, सारे टीचर्स अंदर ही बंद कर दिए दो दिनों तक,

उसके बाद कॉलेज मॅनेज्मेंट से अपनी शर्तें मनवाई, और एलेक्षन हुआ.

वो एलेक्षन का धमाल, बड़ी ही रोमांचकारी यादें थी जीवन की.

फिर वो शिक्षा मंत्री का इनस्पेक्षन विज़िट, उसके स्वागत समारोह, रिहर्सल मे रिंकी का मिलना, उसके साथ बिताए जीवन के सुहाने पल, यादों को गुदगुदाने लगे… शरीर एक अद्भुत रोमांच से भर गया.

अंत में उसका बिछड़ना, उसका उदास चेहरा यादों में आते ही अनायास आँखें नम हो गयीं… 

कितनी ही देर आपनी यादों के भवर्जाल में खोया रहा, ट्रेन अपना सफ़र तय करती रही, स्टेशन आए और चले गये, पता ही नही चला, और करीब शाम 5 बजे मेरे गन्तब्य स्टेशन पर ट्रेन रुकी.

नीचे बैठे पेसेन्जर्स से पूछा तो पता चला मेरा स्टेशन आ चुका था, जल्दी-2 समान उठाया और उतर गया प्लॅटफार्म के उपर.

स्टेशन से बाहर आया, कॉलेज का पता किया, तो वो स्टेशन से कोई 6-8 किमी दूर था शहर के अंत में.

सेपरेट रिक्शे से बात की तो वो ज्यदा पैसे माँग रहा था, 

चलने से पहले पिता जी ने समझाया था, कि बेटा वैसे तो में तेरी ज़रूरत पूरी करने की पूरी कोशिश करूँगा, लेकिन चूँकि आमदनी सिर्फ़ ये खेती ही है, और श्याम भी पढ़ रहा है, दोनो बड़े कोई मदद नही करते, सो जितना हो सके पैसों का सही से स्तेमाल करना, आगे तुम खुद समझदार हो.

और बिना ज़रूरत के घर के बार-2 चक्कर लगाने की ज़रूरत नही है, मुझे चिट्ठी लिख दिया करना, मे पैसे मनीओरडर करवा दिया करूँगा प्रेम के हाथों. 

मैने पता किया तो उस तरफ शेरिंग घोड़ा गाड़ी (तांगा) जाती थी, तो पुच्छ के अपने समान लेके टाँगे में बैठ गया.

टप-टॅप-टॅप-टॅप, घोड़े की टापो की आवाज़ के साथ तांगा मुझे ले चला मंज़िल की ओर. 
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 01:44 AM

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