RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
विश्वा उस रात अपने तीन दोस्तों के साथ आकर गाँव के बाहर छिप गया, तब बैठे-2 उसने अपने दोस्तों से कहा…
देखो रे… हमारी जीमीपाल के चाचा से कोई जाती दुश्मनी नही है और ना ही दोस्ती, वो उसको मारे या छोड़े, हमें इसमें कोई इंटरेस्ट नही है,
अगर वो उसको मारने में कामयाब हो गया, और यहाँ से भागा तो हम उसके पीछे-2 भागेंगे, ठीक है,
एक साथी- हां ये तो तय हुआ ही था,
विश्वा- हां लेकिन उसके आगे क्या करना है, ये तय नही हुआ था ना..
दूसरा साथी – तो क्या करना है अब…
विश्वा – देखो मुझे इस हरामी से बदला लेना है, इसने दोस्ती में धोखा दिया है, अब मौका हाथ आया है…
तीसरा साथी चोन्क्ते हुए,… तो अब तू क्या करना चाहता है..??
विश्वा- जैसे ही वो हरामी अपने चाचा को मार कर यहाँ से गुजरेगा, हम उसके पीछे-2 उसी रफ़्तार से भागेंगे, जिस रफ़्तार से वो भाग रहा होगा,
कुछ 1 किमी दूर जाके हम उसे रोकेंगे, वो जैसे ही रुकेगा, हम उसपे अटॅक कर देंगे और मार-काट के रेल की पटरी पे डाल देंगे, जिससे ये एक रेल हादसा दिखेगा,
साँझ गये तुम लोग…थोड़े समझा-बुझाने पर वो विश्वा की बात मान गये.
फिर वही हुआ जो तय हुआ था, उन्होने 1 किमी तक उसका पीछा किया, फिर उसे आवाज़ देकर रोका, कि अब कोई नही आरहा पीछे से,
जीमीपाल जैसे ही रुका, वो चारों उसके पास पहुँचे, नॉर्माली बातें करने लगे, उसने सपने में भी नही सोचा होगा कि ये लोग उसके साथ क्या करने वाले हैं…
जीमीपाल आगे और बराबर में विश्वा का एक साथी, विस्वा और दोनो साथी पीछे-2 चल रहे थे, बात-चीत करते हुए,
विश्वा के पास तलवार थी और उसके साथियों के पास लंबे-2 छुरे, वही जीमीपाल निहत्था था,
थोड़ी दूर और चलने के बाद विश्वा ने पीछे से बार किया, जैसे वो पलटा, दूसरे ने छुरा भोक दिया उसके पेट में,
वाकई में जीमीपाल बहुत बहादुर था, बावजूद चारों ओर से हथियारों से उसपे बार पे बार हो रहे थे, फिर भी वो बहुत देर तक उन लोगों का मुकाबला करता रहा,
सरकारी वकील ने उसे पुछा भी, कि ये बात तुम्हें कैसे पता हैं, क्या तुम भी थे उनलोगों में,
गवाह – नही वकील साब, उनमें से एक मेरा उठक-बैठक वाला है, एक दिन दारू के अड्डे पे नशे में बक गया ये सब,
जज ने फ़ैसला अगले तारीख तक मुल्तवी किया, और पोलीस को हिदायत दी कि विश्वा और उसके साथियों को गिरफ्तार करे.
पोलीस जब उनके ठिकाने पर पहुँची, तो उन लोगों ने मुक़ाबला किया, जिसमे विश्वा और एक उसका साथी पोलीस की गोली का शिकार हो गये,
लेकिन दो बचे हुए लोगो ने अदालत में कबूल कर लिया, और अदालत ने जानकी लाल, रामसिंघ और उनके दोनो बेटों को बाइज़्ज़त बरी कर दिया.
भूरेलाल इस फ़ैसले से तिलमिला गया, लेकिन कर भी क्या सकता था, पर उसने उन्हें चोट पहुँचने की लत को सिरे से ख़तम नही किया और नये मौके की तलाश में जुट गया…
वक़्त किसी का गुलाम नही होता, वो तो अपनी मन्थर गति से चलता ही रहता है,
ब्रिज लाल भैया ने अपना पोस्ट ग्रॅजुयेशन कॉलेज में टॉप किया, जिसकी वजह से उसी कॉलेज ट्रस्ट ने उन्हें ऐज आ लेक्चरर अपायंट कर लिया,
पढ़ाकू ब्रिज भैया साथ-2 में पीएचडी करते रहे और उन्होने देश की एक नामी गिरामी यूनिवर्सिटी में ऐज आ प्रोफेसर जाय्न कर लिया,
इसी बीच मेरी दोनो बड़ी बहनों की शादियाँ हो गयी, चाचा की बेटी भी शादी के लायक हो चली थी, तो कुछ दिनो में उसकी भी शादी हो गयी.
चचेरे भाई यशपाल भैया भी पोस्ट ग्रॅजुयेशन करके हरियाणा में सरकारी जॉब पे लग गये.
श्याम भाई 10थ पास करके, दूसरे शहर में आगे की पढ़ाई करने चले गये, जैसा कि मैने पहले बताया है, हमारे लोकल टाउन वाले कॉलेज में अग्रिकल्चर 10थ तक ही था.
में अब 10थ में आचुका था, मेरे सब्जेक्ट मत, बाइयालजी, साइन्स इंग्लिश के साथ थे,
हालाँकि मेरा इंटेरेस्ट मैथ में बिल्कुल भी नही था, मुझे लिटरेचर वाले सब्जेक्ट ज़्यादा पसंद थे,
लेकिन घर में अपनी चाय्स किसी की भी नही चली तो मेरी क्या चलती, पिता जी की ज़िद, कि उनके दो बेटे मैथ पढ़ेंगे, और तो कृषि.
तो एक तो सबसे बड़े भैया मैथ पढ़ ही चुके थे, वो मैथ के लेक्चरर थे इंटर कॉलेज में.
हमारी और चाचा की खेती वाडी शामिल ही थी, केवल खाना पीना रहना करना अलग-2 था,
अब चूँकि पिता जी भी बूढ़े हो चले थे, तो ज़्यादा मेहनत का काम उनसे होता नही था,
चाचा की तरफ से खेतो में काम करने वेल 3 लोग थे, और हम दो ही, तो हमने एक पर्मनेंट मजदूर रख लिया था, इस तरह से बॅलेन्स रखा.
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