Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 01:40 AM,
#14
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
रामसिंघ ने अपने दोनो हाथों को उसके कंधों पे टिका के एक मास्टर स्ट्रोक मारा, नतीजा, मोटा सोटा 3/4 तक चूत में जाके फिट होगया, 

झटके की वजह से और लंड की मोटाई के साथ-2 डंडे जैसी कठोरता की वजह से प्रेमा की चूत में दर्द की एक लहर सी उठी, जिस कारण से उसके मुँह से कराह फुट पड़ी….

ओह्ह्ह्ह… रामुऊऊ… मर गाइिईई…. थोड़ा आराम से डालो ना… मेरी जान निकली जा रही है… 

क्यों रानी… इतना बड़ा अभी तक नही लिया क्या…??

नही ऐसी बात नही है, लेकिन तुम्हारा सोटा कड़क ज़्यादा है, इसलिए ये खूँटे की तरह छिल सा रहा है…

रामसिंघ ने धीरे-2 उतने ही लंबाई से धक्के मारना शुरू कर दिया… 15-20 धक्कों के बाद ही प्रेमा को मज़ा आना शुरू हो गया और वो भी अपनी कमर उचकाने लगी.

रामसिंघ ने उचित मौका देख कर, एक जोरदार हिट किया, और ये छक्का!!!

लंड पूरा का पूरा चूत में जाके फँस गया, प्रेमा को लगा कि लंड का सुपाडा उसकी बच्चेदानी के अंदर फँस गया है, 

उसके गले से गॅन…गॅन, जैसी आवाज़ें निकलने लगी, और चूत बुरी तरह से फैल कर लंड को जगह देने के बाद एकदम सील हो गयी, हवा जाने तक की जगह नही बची थी,

प्रेमा ने जिस तरह की चुदाई की कल्पना की होगी, आज उसे वो मिल रही थी, लेकिन उसके लिए उसे बहुत कुछ सहना पड़ रहा था..

प्रेमा की पतली कमर को अपने मजबूत हाथों के बीच पकड़ कर धक्के मारते हुए बोले…. हाईए.. रानी, वाकई में तेरी चूत बड़ी कसी हुई है,

मेरे लंड को छोड़ने को तैयार ही नही है… एकदम से जकड लिया है साली ने, और लंबे-2 शॉट मारना शुरू कर दिया…

चूँकि वो उसकी कमर जकड़े हुए धक्के लगा रहे थे इस वजह से जब लंड को बाहर खींचते तो हाथो के दबाव से कमर नीचे हो जाती, और जब अंदर डालते तो हाथ उसे कमर पकड़ कर उपर की ओर उठा लेते, नतीजा… लंड धक्के दर धक्के एक नयी खोज करने लगा, और हर बार एक नयी गहराई तक चला जाता.

धक्कों की गति निरंतर बढ़ती ही जा रही थी… थोड़ी ही देर में प्रेमा की चूत में खलबली होने लगी और वो झड़ने लगी…

किंतु चूँकि लंड पूरी तरह से फँसा होने के कारण उसके पानी को बाहर निकलने का रास्ता नही मिल रहा था, जिस कारण से उसकी चूत लंड के लगातार घर्षण के कारण अजीब सी आवाज़ें करने लगी…

फुकच्छ…फुकच.. ठप्प..ठप्प की आवाज़ों से संगीत सा पैदा हो रहा था… 

कई देर तक जब रामसिंघ के धक्के निरंतर जारी रहे तो प्रेमा से अब सहन करना मुश्किल हो रह था, चूत रस से फुल थी और अंदर ही अंदर प्रेशर बन रहा था…

लल्ला.. थोड़ा रूको ना प्लस्सस… थोड़ा सांस लेने दो… सुन कर रामसिंघ उसके उपर से उठ खड़े हुए, और प्रेमा को भी नीचे खड़ा कर दिया…

पलंग के नीचे घोड़ी बना के पीछे से लंड पेलते हुए पुछा,,, क्यों मेरी चुदेल काकी, अब तो चलेगी ना काका के पास….

हां मेरे लंड राजा… अब तो में वैसे भी यहाँ नही रह पाउन्गी तुमहरे लंड के बिना… तुम कहोगे तो कुए में भी कूद जाउन्गी… 

चोदो… और जोरे से चोदो मेरी चूत के मालिक…. आहह… आजतक कहाँ थे… हाईए… बहुत मज़ा आरहा है, और कस कस कर अपनी गान्ड को उनके मूसल के उपर पटकने लगी.. 

लगातार धुआधार चुदाई का नतीजा, प्रेमा की चूत फिर से पानी छोड़ने की कगार पे आ गई…

जोरे सीई…. और जोरे से चोदो… हइई… में गैइइ…. ऊओह… म्माऐईयईईई…….आअहह…आयईयीईईई….. और चूत ने पानी छोड़ दिया..

इधर रामसिंघ भी अपनी चरम सीमा पर पहुच चुके थे… उनके धक्कों की रफ़्तार अप्रत्याशित तेज हो गयी… हुन्न…हुन्न. उनके मुँह से ऐसी आवाज़ें निकालने लगे मानो कोई कुल्हाड़ी से किसी पेड़ के तने को काट रहा हो…

झटके से लंड निकाला, प्रेमा को पलटा कर सीधा किया और गोद में उठाकर लंड दुबारा डाल कर चोदने लगे…

प्रेमा ने भी अपनी बाहें उनके गले में डाल दी, और मस्त कमर उच्छल-उच्छल के चुदने लगी.

अंत में रामसिंघ ने प्रेमा को अपने लंड के उपर बुरी तरह कस लिया, और अपने लंड से उसकी चूत में फाइरिंग शुरू कर दी…

वीर्य की तेज धार को अपनी चूत में महसूस करके, एक बार फिर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया…

जैसे ही उनका वीर्यपात पूरा हुआ, गोद में लिए ही लिए वो पलंग पे पसर गये और प्रेमा को अपने उपर कर के जकड लिया…

कितनी ही देर तक पड़े रहने के बाद जब दोनो की साँसे संयत हुई तब उन्हें होश आया, और एक दूसरे की बगल में एक-दूसरे के उपरे टांगे लपेटे पड़े रहे…

मज़ा आया काकी….

फिर काकी…?? सीने में धौल जमाते हुए…, आज तो मेरी टंकी ही खाली करदी तुम्हारे इस मूसल लंड ने… सच में कमाल की चुदाई करते हो…

तो क्या कहूँ…?? हंसते हुए उसकी गान्ड के छेद को कुरेदते हुए..

कम-से-कम अकेले में तो नाम ले सकते हो, वैसे भी में तुमसे उम्र में तो छोटी ही हूँ 2-4 साल.

ठीक है मेरी जान.. अकेले में प्रेमा रानी कहा करूँगा और सबके सामने काकी.. ठीक है,, 

हां ठीक है…

अब क्या सोचा है..?? कब लॉटोगी… घर, 

अभी… तुम्हारे साथ,… क्यों अपने साथ नही ले चलोगे…??

ऐसा नही है, बात ये है कि अगर मेरे साथ देख कर दूसरे लोग कुछ उल्टा-सीधा सोचेंगे…, काका के अलावा और किसी को पता नही है, कि में तुम्हें मनाने आया हूँ, समझी…

तो क्या हुआ, मुझे एक-दो दिन कहीं दूसरी जगह छिपा देना, उसके बाद में अकेली घर चली जाउन्गी… पर अब तुमहरे लंड के बिना तो चैन नही पड़ेगा..

कुछ सोच कर, हमारे गन्ने के खेतों में रह लोगि…

हाँ क्यों नही, एक-दो दिन तो कहीं भी रह लूँगी, बस खाने-पीने का जुगाड़ कर देना, और ये लंड डालते रहना…

रामसिंघ हंसते हुए, तो ठीक है, हो जाओ तैयार फिर चलने को…..
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 01:40 AM

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