Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
12-19-2018, 01:38 AM,
#6
RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा...
ये कहानी है पश्चिमी उत्तर परदेश के एक गाओं की जिसकी 60 के दसक में कुल अवादी होगी लगभग 2000-2500, जिसमें 1/3 ब्राह्मण, 1/4 ठाकुर, बाकी के लगभग सभी जातियाँ रहती थी.

कृषि के मामले में ये इलाक़ा पूरे देश में उत्तम था, गंगा-यमुना के दोआब के इस इलाक़े में ऐसी कोई फसल नही थी जो ना उगाई जाती हो, मुख्य रूप से यहाँ की सिंचाई का साधन गांग नहर थी, इस गाओं के पूर्व में लगभग 800 मीटर दूर एक बड़ी नहर थी और पश्चिम में भी लगभग 1 किमी दूर एक छोटी नहर थी, कुल मिलाकर इस इलाक़े में फसलों की सिचाई के लिए पर्याप्त मात्र में नहरों द्वारा गंगा का पानी उपलब्ध था, सभी को समान रूप से उनके ज़मीनों के माप के हिसाब से.

इसी गाओं में एक खुशहाल ब्राह्मण संयुक्त परिवार था, जिनके पास भरपूर मात्र में ज़मीन थी, इनकी ज़्यादातर ज़मीन छोटी वाली नहर से लगी हुई थी. 

अच्छा ख़ासा बहुत बड़ा सा एक घर था जिसमें चार भाइयों का भरपूरा परिवार संयुक्त रूप से रहता था. चारों भाइयों के हिसाब से ही घर चार हिस्सों में बना हुआ था.

घर के ठीक सामने लगा हुआ एक बड़ा सा लगभग 10 फीट उँची दीवार से घिरा हुआ कम-से-कम 2 एकड़ का एक घेर था, जिसमें लगभग 15-20 पशु (बैल, गई, भैंस और उनके बच्चे आदि) बाँधे जाते थे.

घर बिल्कुल गाओं के पश्चिमी छोर पे है, घर के ठीक पीछे से ही लगभग 8-10 एकर ज़मीन इसी परिवार की है.

जैसा कि पहले भी बताया जा चुका है, कि इस परिवार की खेती 3 मुख्य जगहों पर है, जिसमें से एक ये घर के पिच्छवाड़े वाली है. 



2) दूसरे भाई… जानकी लाल शर्मा : लंबे-चौड़े कद काठी के व्यक्ति, बड़े ही सज्जन और सरल प्रवृति के मालिक, परोपकारी इतने कि चाहे खुद के बच्चे अपनी ज़रूरतों के लिए रोते रहें, लेकिन अगर कोई गाओं का ग़रीब इनके दरवाजे पे आगया तो उसको खाली हाथ नही जाने देंगे.

ऐसा लगता था जैसे इन्हें इस युग में पैदा करके भगवान ने कोई ग़लती करदी हो. 

जानकी लाल शुरुआती 50 के दसक में, अपने गाओं के सबसे ज़्यादा पढ़े-लिखे व्यक्ति थे. पढ़ाई के तुरंत बाद ही इनको अध्यापक की नौकरी मिल गयी, इसलिए इनका पेट नाम ही पंडितजी पड़ गया था. सभी बूढ़े-बच्चे इनको इसी नाम से संबोधित करते थे, लेकिन कुच्छ ही समय बाद उन्होने वो नौकरी छोड़ दी और अन्य भाइयों के साथ खेती वाडी में लग गये.

उत्तम दिमाग़ के मालिक जानकी लाल इतने तेज थे की 10थ-12थ के मैथ के सवाल उंगलियों पे गड़ना करके ही हाल कर देते थे.

इनके भी चार बेटे और दो बेटियाँ हैं, 

दो बड़े बेटे- रोशन लाल, और ब्रिज लाल, उसके बाद दो बेटियाँ- मल्टी और फाल्गुनी, दोनो शादी-शुदा हैं और अपने-अपने परिवारों में सुखी और सम्पन जीवन व्यतीत कर रहीं हैं. उसके बाद दो छोटे बेटे- श्याम बिहारी और अरुण.

चूँकि इस कहानी का मुख्य पात्र अरुण है इसलिए उसी से संबंधित पात्रों पर चर्चा भी स्वाभाविक है ज़्यादा ही होगी.

दोनो बड़े भाई, रोशन लाल और ब्रिज लाल अपनी-अपनी शिक्षा पूर्ण करके अच्छे पदों पर हैं, अलग-अलग शहरों में बस चुके हैं. बड़े भाई गॉव कॉलेज में लेक्चरर हैं, तो दूसरे अग्रिकल्चर यूनिट में प्रोफेसर है.

बड़े भाई के 3 बेटे हैं, जिनमें सबसे बड़ा बेटा तो अरुण से मात्र 8 महीने ही छोटा है और सिविल इंजीनियरिंग से डिप्लोमा करके रेलवे में जॉब करता है.
वाकी दोनों भी अच्छे जॉब कर रहे हैं..

दूसरे भाई के दोनों बेटे भी सेट हैं, एक 5 स्तर होटल में मॅनेजर है, तो दूसरा देश की बहुत बड़ी एलेक्ट्रॉनिक को. में मॅनेजर है. दोनो शादी शुदा हैं.

अरुण के तीसरे भाई श्याम जी- इनके भी 3 बच्चे हैं, 2 बेटे और एक बेटी. आजकल दोनो बेटे जॉब कर रहे हैं, बेटी ग्रॅजुयेशन कर चुकी है, शादी किसी की नही हुई है अभीतक.

अरुण चूँकि इस कहानी का मुख्य पत्र है, इसलिए उसके आज के बारे में हम कहानी के उस पड़ाव तक पहुचने पर ही चर्चा करेंगे तो ही उचित होगा….
……………………………………………………………………………

3) अब नंबर आता है अरुण के चाचा नंबर 1 राम सिंग जी का, लंबे तगड़े राम सिंग जी अपने सभी भाइयों में तगड़े थे, नाम के मुतविक ये वास्तव में ही सिंग थे, अपनी जवानी में इनके डर से इनके साथियों की गान्ड फटती थी. अनपढ़ होते हुए भी कोर्ट-कचहरी और अन्य बाहरी व्यवस्थाओं के कामों में दक्ष थे.

जानकी लाल और राम सिंग जीवन परियन्त तक एक साथ मिलकर ही रहे, लेकिन इन दोनो भाइयों की म्र्टपेरेंट, इनके परिवार अलग-अलग हुए.

अरुण के लिए राम सिंग जी वाकई में चाचा नंबर.1 थे, क्योंकि उसको निडर और साहसी बनाने में इनका बहुत बड़ा योगदान रहा था.

इनके 3 बेटे और एक छोटी बेटी, बड़े दोनो भाई स्कूल टीचर और तीसरे भाई हरियाणा में अग्रिकल्चर ऑफीसर हैं. तीनों के परिवार अच्छे से सेट हैं. बेटी भी शादी शुदा है और अपने परिवार के साथ सुखी जीवन व्यतीत कर रही है.

4) इस परिवार के सबसे छोटे भाई और अरुण के चाचा नंबर.2 ..रमण लाल, बचपन से ही वॅंगाडू किस्म के थे, लेकिन किस्मत के धनी, 

इनकी शादी एक ऐसी लड़की से हुई, जिसके पिता को उसके अलावा और कोई औलाद नही थी, और लगभग 100 बीघा ज़मीन थी उनकी, फिर क्या था बन गये घर जमाई, 

हल्की फुल्की कद काठी के 55 किलो वजनी रमण चाचा अपनी कुन्तल भर की शिवप्यारी के साथ हो गये सेट अपनी ससुराल में, और अपने मुख्य परिवार से कट से गये. इसलिए आगे इनका कोई रोल इस कहानी में नही होगा. लगभग….

तो ये था इस भरे-पूरे परिवार का परिचय… बूआओं का इस कहानी में कोई ज़्यादा महत्व नही है..अगर कुच्छ आया भी तो समय और घटना के हिसाब से बुआ नंबर. 1,2,3 और 4 होंगी.

वाकी अन्य कहानी में समय समय पर जो नाम आएँगे… वो उनके महत्व के हिसाब से परिचित कराए जाएँगे…
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RE: Antarvasna kahani ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगा... - by sexstories - 12-19-2018, 01:38 AM

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