RE: Kamukta Story बिन बुलाया मेहमान
कोई आधा घंटा ये सब चलता रहा. मुझे उसके हाफने की भी आवाज़े आ रही थी.
अचानक मेरा मोबाइल बज उठा. मैं उठना नही चाहती थी पर फोन गगन का था इसलिए उठना पड़ा.
"ह...हेलो."
"क्या हुआ निधि."
"क...क..कुछ नही."
"मोच ठीक हुई कि नही."
"हां हो गयी."
इधर मैं बातों में लगी थी उधर चाचा ने मेरे छिद्र से उंगलिया निकाल ली थी और मेरे नितंब को अपने बायें हाथ से चोडा कर रखा था. बस सुकून ये था कि उसने वो मेरे वहाँ नही रखा था.
"तुम्हे बेल नही सुनाई दी क्या कब से बजा रहा हूँ. दरवाजा खोलो. मैं बाहर खड़ा हूँ बारिश में."
"क...क...क्या तुम बाहर खड़े हो."
तभी मुझे अपने पीछले छिद्र पर पानी की तेज धार सी महसूस हुई. चाचा ने ढेर सारा वीर्य मेरे छिद्र पर गिरा दिया था. दो उंगिलयों के अंदर बाहर होने से मेरा छिद्र खुला हुआ था इसलिया काफ़ी मात्रा में चाचा का गरम गरम वीर्य मेरे पीछले छिद्र में चला गया. गरम गरम वीर्य मेरे अंदर रिस्ता हुआ मुझे महसूस हो रहा था. मैं शरम और ग्लानि से चकना चूर होती जा रही थी. ऐसा नही होना चाहिए था पर हो गया था.
मैने तुरंत फोन काट दिया और बोली, "गगन आ गया है हटो जल्दी."
चाचा बुरी तरह हांप रहा था. वो तुरंत मेरे उपर से हट गया. मगर हटते हटते उसने मेरे दायें गुंबद पर ज़ोर से चाँटा मारा.
"आउच...ये क्या बदतमीज़ी है." मैं चिल्लाई.
"मज़ा आ गया कसम से हहेहहे." वो हंसता हुआ बाहर चला गया.
मैने फुर्ती से अपनी पॅंटीस और सलवार उपर चढ़ाई और अपने बाल ठीक करके मुख्य द्वार की और दौड़ी.
"इतना टाइम क्यों लगाया तुमने." गगन गुस्से में था.
"सॉरी मैं सो गयी थी. कपड़े उलस पुलस हो रखे थे. चाचा घर में हैं कपड़े ठीक करके ही बाहर आई हूँ"
"ह्म्म… चाचा जी ने भी बेल की आवाज़ नही सुनी."
"वो भी शायद सो रहे हैं. और बारिश के शोर में कुछ सुनाई भी तो नही दे रहा."
"हां ये भी है. पर देखा चाचा जी ने ठीक कर दी ना तुम्हारी मोच."
चाचा का वीर्य जो मेरे छिद्र से बाहर रह गया था वो टपकता हुआ मेरी जाँघो तक आ गया था. मुझे बहुत अनकंफर्टबल फील हो रहा था. मेरा सारा ध्यान टपकते वीर्य पर ही था. इसलिए गगन ने क्या कहा मुझे सुना ही नही.
"अरे कहाँ खो गयी." गगन ने मुझे कंधे से झकज़ोर कर कहा.
"वो सो कर उठी हूँ ना इसलिए."
"मैं कह रहा था कि देखा चाचा जी ने मोच उतार दी ना."
"हां उतार तो दी पर....."
"पर क्या." अब मैं कैसे कहती कि चाचा ने मोच के बहाने मेरे साथ क्या किया.
कैसे बताती गगन को कि चाचा ने अपना वीर्य मेरे नितंब में डाल दिया है.
नही बता सकती थी. धीरे धीरे मुझे होश आ रहा था और मैं शरम और ग्लानि से मरी जा रही थी. मुझे चाचा का वीर्य अभी तक मेरे अंदर महसूस हो रहा था और मैं मन ही मन उसे बहुत गलिया दे रही थी.
"पर क्या निधि"
"कुछ नही आओ तुम्हे गरमा गरम चाइ बना कर देती हूँ." मैने बात को टालने की कॉसिश की.मैने गगन को ड्रॉयिंग रूम में ही बैठा दिया क्योंकि बेडरूम में बिस्तर की हालत ठीक नही थी. बिस्तरार की चद्दर बुरी तरह बीखरी हुई थी जैसे की उस पर कब्बड्डी हुई हो. चद्दर का बड़ा हिस्सा मेरी योनि के रस से भीगा हुआ था. बेडरूम में चाचा के वीर्य की स्मेल भी फैली हुई थी क्योंकि शायद वीर्य की कुछ बूंदे कमिने ने चद्दर पर भी गिरा दी थी. ऐसे में गगन को बेडरूम में ले जाना ठीक नही था. वो वैसे ही दरवाजा देरी से खोलने को लेकर सवाल जवाब कर रहे थे. इस सब उधेड़बुन में मुझे टाय्लेट जाकर चाचा द्वारा मेरे उपर गिराई गयी गंदगी को सॉफ करने का मोका ही नही मिला. मैं अपने अंदर और बाहर देहाती का वीर्य लिए घूम रही थी. वैसे तो मैं चाइ बना रही थी किचन में मगर मैं बार बार किचन से बाहर आकर देख रही थी कि कही गगन बेडरूम में ना चला जाए. बेडरूम में कॅमरा भी लगा था. उसे लेकर भी मैं बहुत परेशान थी. कॅमरा मैने चाचा का पर्दाफाश करने के लिए लगाया था. मगर अब मैं रेकॉर्डेड क्लिप गगन को नही दिखा सकती थी. उसमे मेरी सिसकियाँ भी रेकॉर्ड हो गयी थी और मेरी वो चीन्खे भी रेकॉर्ड हो गयी थी जो कि मैं हर चरम के वक्त करती थी.
क्रमशः………………………
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