RE: Kamukta Story बिन बुलाया मेहमान
मैं गगन के साथ बातों में लगी थी कि चाचा ने एक झटके में कमर से दोनो हाथो से पकड़ कर उपर उठाया और मेरी सलवार का नाडा पकड़ लिया. इस से पहले की मैं कुछ समझ पाती नाडा खुल चुका था.
"नही...." मैं ज़ोर से चिल्लाई.
चाचा ने वापिस मुझे फोर्स्फुली नीचे लेटा दिया और फुर्ती से मेरी सलवार नीचे सरका दी. अब मेरे नितंबों के गुंबद सिर्फ़ मेरी पतली सी पॅंटीस में ढके हुए चाचा की आँखो के सामने थे.
"क्या हुआ निधि. इतनी ज़ोर से क्यों चिल्लाई." गगन ने पूछा.
मेरे एक हाथ में मोबाइल था और दूसरे हाथ से मैं अपनी अपनी सलवार उपर करने की कॉसिश कर रही थी. मुझे कुछ सूझ ही नही रहा था कि क्या करूँ. मैं उठने की कॉसिश कर रही थी पर मुझे चाचा ने दोनो हाथो से दबा रखा था. मैं छटपटा रही थी.
"क्या हुआ निधि कुछ तो बोलो."
"क...क कुछ नही बहुत दर्द हुआ अचानक से."
"होता है...ये मोच बड़ी बेकार चीज़ होती है."
"नही हटो..." मैं फिर से चिल्लाई क्योंकि इस बार चाचा ने मेरी पॅंटीस नीचे सरका दी थी. मैं तो शरम और ग्लानि से मरी जा रही थी. मेरे नितंब पहली बार गगन के अलावा किसी और की आँखो के सामने नंगे थे.
"अब क्या हुआ." गगन ने पूछा.
"गगन ये मोच चाचा जी से नही उतरेगी. मैं उन्हे फोन दे रही हूँ. तुम उन्हे बोल दो कि रहने दें." मैने गर्दन घुमा कर फोन चाचा की तरफ बढ़ा दिया.
"हां गगन बेटा.............नही नही तुम चिंता मत करो. दरअसल नसो पर नस बुरी तरह चढ़ि हुई है. थोड़ा टाइम लगेगा. मैने अपनी जींदगी में इतनी गंभीर मोच आज तक नही देखी..............हां हां तुम चिंता मत करो मैं निधि का दर्द दूर करके ही दम लूँगा."
चाचा ने फोन पर बात करते वक्त भी मुझे उठने का कोई मोका नही दिया. मेरी कमर पर उसने अपना घुटना टीका रखा था और एक हाथ से मेरे कांधो पर दबाव बना रखा था. गगन से बात करने के बाद चाचा ने फोन वापिस मुझे दे दिया.
"अरे निधि तुम्हाई मोच कोई मामूली मोच नही है. चाचा जी कह रहे हैं कि थोडा वक्त लगेगा. तुम धर्य से काम लो और चाचा जी पर विस्वास रखो. चाचा जी सब ठीक कर देंगे."
मैने गगन की बात सुन कर पीछे मूड कर देखा. चाचा मेरे निर्वस्त्र नितंबो को ललचाई नज़रो से देख रहा था. वो मेरे नितंबो से ठीक नीचे मेरी जाँघो पर बैठा था और दोनो हाथ मेरी कमर पर रख रखे थे. मेरी उस से नज़रे टकराई तो कमिने ने अपने बत्तीसी दिखाते हुए मुझे आँख मार दी. मैं शरम से पानी पानी हो गयी. दिल तो कर रहा था कि उसी वक्त गगन को सब कुछ बता दूं पर ये सोच कर रुक गयी कि फोन पर ये बात करनी ठीक नही होगी क्योंकि फोन पर मैं गगन को डीटेल में नही समझा पाउन्गि. वैसे भी कॅमरा में चाचा की सारी हरकते रेकॉर्ड हो रही थी. चाचा का पर्दाफास करने के लिए मुझे भारी कीमत चुकानी पड़ रही थी. मेरे बेचारे नितंब दाँव पर लग गये थे.
"क्या हुआ निधि किस सोच में पड़ गयी."
"मुझे नही लगता की चाचा ठीक कर पाएँगे."
"नही वो कर देंगे तुम शांति रखो. उन्हे अपना काम करने दो."
चाचा ने एक हाथ से मुझे दबाए रखा और दूसरे हाथ को धीरे धीरे नीचे सरकते हुए मेरे नितंबो के पास ले आए. मेरी योनि को तो वो च्छू ही चुका था और अंदर उंगली भी डाल चुका था. अब मेरे नितंब चाचा की हवस का शिकार होने वाले थे. और मैं चाह कर भी कुछ नही कर पा रही थी.
जब चाचा ने मेरी दाईं गोलाई पर हाथ रखा तो मैं सिहर उठी. एक बिजली की लहर सी पूरे शरीर में दौड़ गयी.
चाचा ने बड़े प्यार से मेरे नितंबो के दोनो गुम्बदो पर हाथ फिराया. फिर अचानक उसने बड़ी बेरहमी से उन्हे मसलना शुरू कर दिया. ऐसा लग रहा था जैसे कि आटा गूँथ रहा हो. मेरी जो हालत हो रही थी वो मैं ही जानती थी. मेरे दोनो गुंबद चाचा की इन छेड़खानियो से मचलने लगे थे. उनमे रह रह कर सिहरन सी हो रही थी. ये बात मुझे बिल्कुल अच्छी नही लग रही थी और मैं वहाँ से उठने के लिए छटपटा रही थी पर चाचा ने मुझे कुछ इस तरह से दबा रखा था कि मैं कुछ भी नही कर पा रही थी. मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था. मैने मोबाइल उठाया और बोली, " हट जाओ तुम वरना मैं गगन को सब कुछ बता दूँगी."
"पागल मत बनो. अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मत मारो. तुम्हे ये अच्छा लग रहा है. मैं शर्त लगा सकती हूँ की इस वक्त तुम्हारी चूत रस टपका रही होगी. क्यों अपने मज़े में खलल डालती हो."
"शट अप मुझे कुछ अच्छा नही लग रहा."
"देखूं तुम्हारी चूत पर हाथ लगा कर."
"तुम्हे शरम नही आती. मोच के बहाने मेरे साथ इतनी गंदी हरकते कर रहे हो. मैं अभी गगन को सब कुछ बता दूँगी."
मैने गगन का नंबर डाइयल किया पर उसने फोन नही उठाया. मैने दुबारा नंबर डाइयल किया ही था कि मेरी साँसे एक दम से थम गयी. चाचा ने मेरे नितंबो की दरार पर उंगली फिरा रहा था.
"कितनी मस्त गान्ड है तुम्हारी. एक दम गोरी चिटी और चिकनी. कोई भी फिदा हो जाएगा इस गान्ड पर. गगन के तो खूब मज़े लगे हुए हैं." बोलते हुए चाचा ने मेरे दोनो गुम्बदो को फैला दिया हाथो से और मेरे नितंब के छिद्र को निहारने लगा.
"ऊऊहह क्या गान्ड कसम से. इसका छेद भी कितना चिकना है. एक भी बाल नही है. निधि सच कह रहा हूँ इतनी सुंदर गान्ड मैने आज तक नही देखी."
"शट अप यू पिग."
"हिन्दी में गाली दो ना."
"हट जाओ तुरंत नही तो बहुत बुरा होगा तुम्हारे साथ."
"जो छ्छोकरी मुझे पसंद आ जाती है उसके साथ मैं अपनी मर्ज़ी चलता हूँ. जो होगा देखा जाएगा."
चाचा ने मेरे पीछले छिद्र पर उंगली टिकाई तो मेरी कपकपि छूट गयी.
"क्या हुआ मचल उठी ना."
"अंदर मत डालना उंगली समझे नही तो खून पी जाउन्गि तुम्हारा."
"देखो तुम्हारे पाओं की मोच का इलाज तुम्हारी गान्ड के छेद में च्छूपा है. अंदर उंगली डालनी ही पड़ेगी तुम्हारी मोच ठीक करने के लिए."
"बुलशिट...बकवास है ये एक नंबर की. मोच के बहाने कुछ भी कर लो आआअहह नही हट जाओ." बोलते बोलते मैं चीन्ख पड़ी क्योंकि देहाती ने उंगली मेरे पीछले छिद्र में डाल दी थी. पहली बार उसमे कुछ अंदर गया था इसलिए असह्निय पीड़ा हो रही थी.
क्रमशः...................................................
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