RE: Kamukta Story बिन बुलाया मेहमान
बिन बुलाया मेहमान-7
गतान्क से आगे……………………
"मुझे नही पता. उन्होने फोन नही किया. शायद देर हो जाएगी उन्हे आने में.
आप बैठिए मैं खाना तैयार करके आपको बुला लूँगी." मैने जानबूझ कर
शालीनता से जवाब दिया क्योंकि सब कुछ रेकॉर्ड हो रहा था और ये रेकॉर्डिंग
मुझे गगन को दिखानी थी.
मैं वापिस अपने काम में लग गयी. मैं आलू काट रही थी. अचानक मुझे
चाचा के कदम अंदर की और आते महसूस हुए तो मेरे दिल की धड़कन तेज हो
गयी. मेरे पूरे शरीर में अजीब सी हलचल होने लगी.
"बस अब ये मेरे नितंबो को छुएगा और सब कुछ रेकॉर्ड हो जाएगा. जैसे ही ये
मेरे नितंबो को छुएगा मैं घूम कर इसे चाँटा मारूँगी. फिर ये और ज़्यादा
बदतमीज़ी करेगा तो सब कुछ रेकॉर्ड होता जाएगा." मैं एक साथ बहुत सारी
बाते सोच रही थी. मगर जैसा मैं सोच रही थी वैसा कुछ नही हुआ. वो
पानी पी कर चुपचाप बिना कुछ कहे किचन से बाहर चला गया.
मैं असमंजस में पड़ गयी कि आख़िर उसने मुझे छेड़ा क्यों नही.
गगन रात को 12 बजे वापिस आए. इस दौरान मैने कयि बार किचन में
चक्कर लगाए पर चाचा ने कोई ऐसी वैसी हरकत नही की.
अगले दिन मैने कॅमरा ड्रॉयिंग रूम में फिट कर दिया. गगन के जाने के बाद
मैं मॅग्ज़िमम बाहर ही घूमती रही. चाचा मुझे घूरता था मगर मुझे छेड़ने की कॉसिश नही करता था. मुझे समझ नही आ रहा था कि हो क्या रहा है.
मुझे ये भी लगा कि कही उसे मेरे प्लान का पता तो नही चल गया. मैं उसे हर हाल में सबक सिखाना चाहती थी पर ना जाने क्यों वो जाल में फँस ही नही रहा था.
मैं दोपहर को बेडरूम में सोने की बजाए ड्रॉयिंग रूम में ही फॅमीना मॅग्जीन लेकर बैठ गयी. चाचा कुछ देर बाद अपने कमरे से निकला और टाय्लेट में घुस गया. मैं तुरंत उठ कर खिड़की पर आकर खड़ी हो गयी और बाहर देखने का नाटक करने लगी. चाचा कुछ देर बाद टाय्लेट से निकला और सोफे पर आकर बैठ गया. उसने फॅमीना मगज़ीन उठा ली. अब मुझे कुछ ना कुछ होने की आसंका होने लगी थी. मेरे दिमाग़ में कल्पना के घोड़े दौड़ने लगे थे.
मैं सोच रही थी कि अभी चाचा उठेगा और मेरे नितंबो को थाम कर उन्हे मसल्ने लगेगा और मेरे नितंबो के बीच में उंगली भी डालेगा ताकि मेरे छिद्र को अच्छे से रगड़ सके. ये सब ख्याल आते ही मेरी योनि नम हो गयी. जब मुझे मेरी जाँघो में गीला गीला महसूस हुआ तब मुझे अहसास हुआ कि मैं कितनी बेहूदा बाते सोच रही हूँ. मैं हैरान थी कि चाचा की हरकतों को सोच कर ही मेरी योनि गीली हो गयी थी. मैं खुद को कोसने लगी कि मैं कैसे इस देहाती के बारे में सोच कर उत्तेजित हो सकती हूँ.
मैने पीछे मूड कर देखा तो पाया कि चाचा मॅग्जीन में खोया था. वो पन्ने पलट पलट कर बड़े गौर से हर पेज को देख रहा था. अचानक उसने मगजीन टेबल पर वापिस रख दी. मैने तुरंत अपनी गर्दन खिड़की की तरफ घुमा ली.
"अब ये उठेगा और मेरे नितंबो को दोनो हाथो में थाम लेगा और सब कुछ कॅमरा में रेकॉर्ड हो जाएगा. आज इसकी खैर नही."
चाचा उठ कर मेरे पीछे आ गया और बोला, "क्या देख रही हो बाहर निधि बेटी."
मैने कोई जवाब नही दिया और अपनी आँखे बंद कर ली. मेरी टांगे काँपने लगी थी और मेरी योनि फिर से पानी छोड़ने लगी थी. ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं चाचा के हाथो की छुअन के लिए मरी जा रही हूँ.
"क्या हुआ निधि बेटी. तुम कुछ परेशान सी हो." चाचा ने पूछा.
"आप क्यों कर रहे हैं ये सब मेरे साथ" मैने चिल्ला कर कहा.
"अब तो मैं कुछ भी नही कर रहा. अब क्या दिक्कत है तुम्हे?" चाचा ने बहुत धीरे से कहा और कह कर अपने कमरे में चला गया. मैं ठगी सी उसे जाते हुए देखती रही.चाचा के जाने के बाद मैं कॅमरा ऑफ करके ड्रॉयिंग से अपने बेडरूम में आ गयी. मुझे समझ में नही आ रहा था कि आख़िर चाचा ने अचानक मेरे साथ छेड़खानी करनी क्यों बंद कर दी. मुझे बार बार यही लग रहा था कि उसे मेरे प्लान की भनक लग गयी है. हो सकता है उसने कॅमरा लगा देख लिया हो. पर मुझे ये भी लग रहा था कि उस देहाती को कॅमरा के बारे में जानकारी कहाँ होगी.
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