RE: Kamukta Story बिन बुलाया मेहमान
“सिनिमा में बहुत भीड़ थी. मैने जानबूझ कर चाचा से दूर बैठी थी. चाचा को गगन की साइड वाली सीट पर बैठा दिया था. मुस्किल से 15 मिनिट ही बीते थे कि गगन का मोबाइल बज उठा. गगन ये बोल कर बाहर चला गया कि बॉस का फोन है. गगन के बाहर जाते ही चाचा मेरे पास आ गया और मेरे कान में बोला,
"हर कोई तुम्हारी गान्ड के पीछे पड़ा है. पड़े भी क्यों ना गान्ड ही ऐसी है तुम्हारी."
"चुपचाप मूवी देखो मुझे डिस्टर्ब मत करो." मैने कहा.
गगन आता दीखाई दिया तो चाचा वापिस अपनी सीट पर चला गया. गगन ने आकर मुझे बहुत बड़ा शॉक दिया.
"हनी मुझे जाना होगा. बॉस ने तुरंत ऑफीस बुलाया है कुछ अर्जेंट काम है. तुम लोग मूवी देख कर मेट्रो से ही वापिस चले जाना."
"मैं चाचा के साथ मूवी कैसे देखूँगी."मैने धीरे से कहा.
"वो तो एक सीट छ्चोड़ कर बैठे हैं. वैसे भी कॉमेडी मूवी है. प्लीज़ मुझे जाना ही होगा."गगन चाचा की तरफ बढ़ गया बोल कर और उनके कान में कुछ बोल कर थियेटर से बाहर निकल गया.
मैं अपना सा मूह लेकर रह गयी. गगन के जाते ही चाचा मेरे पास वाली सीट पर आ गया.
"अब हम दोनो साथ में सिनिमा देखेंगे." चाचा ने कहा.
"तुम्हारे गाँव में तो सिनिमा नाम की चीज़ भी नही होगी है ना. बड़ी मुस्किल से नसीब हुई है ये सिनिमा देखने की ऑपर्चुनिटी तुम्हे. इसलिए चुपचाप मूवी देखो बैठ कर." मैने कठोरता से कहा.
"सच सच बताओ क्या कल तुम्हे मज़ा नही आया था. मेरा हाथ लगते ही औरत का अंग अंग थिरकने लगता है. तुम्हारी गान्ड के छेद को बहुत अच्छे से रगड़ा था मैने. कहो तो आज फिर सेवा कर दूं तुम्हारी थोड़ी सी."
"तुम देखो मूवी बैठ कर मैं जा रही हूँ." मैं उठने लगी तो चाचा ने हाथ पकड़ कर बैठा दिया मुझे वापिस.
"नही देखो तुम भी. मैं अब चुप रहूँगा."
क्रमशः…………………………………
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