RE: Kamukta Story बिन बुलाया मेहमान
चाचा ने तुरंत गगन से डाइयरी ले ली और बोला, "नही बेटा कुछ ख़ास नही है इसमे रहने दो बाद में इतमीनान से पढ़ना."
"नही चाचा जी पढ़ने दीजिए ना इन्हे. गगन पढ़ो बहुत अच्छी अच्छी बाते लिखी है इसमे."मैने तुरंत गगन को उकसाया. चाचा मेरी तरफ गुस्से में घूर रहा था.
"निधि इतना कह रही है तो पढ़ ही लेता हूँ चाचा जी" गगन ने चाचा के हाथ से डाइयरी वापिस ले ली.
चाचा की हालत पतली होती दिख रही थी. गगन ने डाइयरी पढ़नी शुरू कर दी. मैं वही दीवार से सॅट कर खड़ी हो गयी.
डाइयरी के 2 पेज पढ़ने के बाद गगन ने मेरी तरफ देखा और बोला, "सच में बहुत अच्छी अच्छी बाते लिखी हैं इस डायरी में. ब्रह्म्चर्य के बारे में बहुत अच्छा लिखा है चाचा जी ने. थॅंक्स निधि मैं ये डाइयरी आज रात को पूरी पढ़ लूँगा."
ये सुनते ही मेरे होश उड़ गये. मैने तुरंत गगन के हाथ से डायरी खींच ली और पढ़ने लगी. उसमे सच में ब्रह्म्चर्य के बारे में लिखा था. मेरा तो सर घूमने लगा.
"क्या हुआ बेटी. गगन को पढ़ने दो ना. तुम तो पढ़ ही चुकी हो."चाचा ने मुस्कुराते हुए कहा.
"हां निधि मुझे दो. चाचा जी शायद ये दुबारा पढ़ना चाहती है. पर निधि अब पहले मैं पढ़ुंगा तब तुम दुबारा पढ़ना ओक."गगन डाइयरी हाथ में लिए वहाँ से उठ गया और कमरे से बाहर चला गया.
मैं इतने सदमे में थी कि समझ ही नही पा रही थी कि क्या हो रहा है. चाचा बेड से उठ कर मेरे पास आया और धीरे से बोला, "क्या हुआ तुम इतनी हैरान और परेशान सी क्यों हो गयी अचानक निधि बेटी. सब ठीक तो है ना."
"देख लूँगी तुम्हे मैं. छ्चोड़ूँगी नही तुम्हे मैं." मैने कहा.
मैं कमरे से जाने लगी तो चाचा ने मेरे नितंबो पर ज़ोर से हाथ मारा और बोला, "बहुत मस्त गान्ड है तुम्हारी. मज़ा आ गया आज."
मैं दाँत भींच कर रह गयी और बिना कुछ कहे कमरे से बाहर आ गयी. मैं सीधा अपने बेडरूम में आई. गगन डाइयरी पढ़ने में मगन था.
"गगन चाचा जी वैसे नही हैं जैसे दिखते हैं." मैने कहा.
"हां ये पढ़ कर अब मुझे भी यही लग रहा है. बहुत उँची और गहरी बाते लिखी है जीवन के बारे में चाचा जी ने. थॅंक्स आ लॉट डार्लिंग फॉर गिविंग दिस डाइयरी टू मी. और हां मैं बताना भूल गया. तुम तैयार हो जाओ. हम मूवी देखने जा रहे हैं."
सुनते ही मैं झूम उठी. और तुरंत सब कुछ भूल कर तैयार होने लगी. जब हम निकलने लगे तो मुझे बहुत बड़ा शॉक लगा. गगन ने मुझे नही बताया था कि चाचा भी हमारे साथ मूवी देखने चल रहा है. वो तैयार खड़ा था दरवाजे के पास. मेरा उसे देखते ही सारा मूड खराब हो गया.हम ने मेट्रो स्टेशन के लिए ऑटो किया और 5 मिनिट में स्टेशन पहुँच गये. मेट्रो में बहुत भीड़ थी. लोग एक दूसरे से सॅट कर खड़े थे. बैठने को सीट नही थी सभी भरी हुई थी. मैं गगन और चाचा एक साथ खड़े हो गये थे. गगन मेरे बाई तरफ था और चाचा मेरे पीछे. मुझे पूरा यकीन था कि चाचा ज़रूर कोई ना कोई छेड़खानी करेगा. मैने प्लान बनाया कि जैसे ही वो मुझे कही छुएगा मैं गगन को बोल दूँगी देखने को कि देखो कॉन छू रहा है मुझे. कुछ देर तक कुछ नही हुआ.
अचानक मुझे मेरे नितंबो पर हाथ महसूस हुआ. मैने धीरे से गगन के कान में कहा कि कोई मेरी बॅक को टच कर रहा है. गगन ने मुझे चुप रहने को कहा ताकि टच करने वाले को रंगे हाथो पकड़ा जा सके. मैने आँखो से इशारा किया कि हाथ अभी वही है तो गगन ने तुरंत वो हाथ पकड़ लिया. हैरत की बात ये थी कि वो हाथ चाचा का नही बल्कि मेरे दाहिनी तरफ खड़े आदमी का था. जैसे ही गगन ने उस आदमी का हाथ पकड़ा वो घबरा गया. चाचा ने मोका देख कर उसके मूह पर एक थप्पड़ जड़ दिया. वो माफी माँगने लगा. बाकी लोगो ने भी उसे खरी खोटी सुनाई. मगर मेरा प्लान फिरसे फैल हो गया था. चाचा फिर से बच गया था.
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