RE: Kamukta Story बिन बुलाया मेहमान
"नही राघव... आहह बहुत दर्द हो रहा है."
मुझे कुछ सुनाई नही दे रहा था. मैने धीरे धीरे अपना पूरा लंड भाभी की चूत में उतार दिया और फिर बिना रुके धक्के मारने लगा. मैने सुबह मूठ मारी थी इसलिए जल्दी झड़ने की चिंता नही थी. मेरे लंड को चूत के अंदर होने का बहुत अच्छा अहसास हो रहा था. मैं पूरा बाहर निकाल कर वापिस अंदर डाल रहा था. भाभी अब शिसकिया ले रही थी मेरे नीचे पड़ी हुई. कोई आधे घंटे बाद मैने अपना पानी छ्चोड़ दिया भाभी के अंदर. इस दौरान भाभी काई बार झाड़ चुकी थी. जब मैने अपना लंड भाभी की चूत से बाहर निकालने की कोशिस की तो भाभी ने मुझे जाकड़ लिया.
"राघव इतना मज़ा कभी नही आया."
"ये मज़ा आपको रोज मिलेगा भाभी. बस भैया को पता ना चलने पाए."
इस तरह मेरे प्यासे लंड को पहली चूत मिली. भाभी से ही मुझे पता चला कि मेरा लंड बहुत बड़ा है. ये बात जान कर मुझे खुद पर बहुत गर्व हुआ था.
डायरी के ये 2 पेज समाप्त करके जब मैं हटी तो मेरे माथे पर पसीने की बूंदे थी.
क्रमशः…………………………………
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