RE: Kamukta Story बिन बुलाया मेहमान
"भाभी क्या आप अपनी चूत में डलवा सकती हैं मेरा. बस एक बार."
"चुप रहो...ऐसी बाते नही करते."
"कोई बात नही मैं कही और तलाश करता हूँ." कह कर मैं बाहर आ गया.
दोपहर को भाभी अपने कमरे में सो रही थी तो मैं चुपचाप उनके कमरे में घुस गया और उनके पीछे लेट गया.
"राघव क्या कर रहे हो तुम यहाँ."
"भाभी दे दो ना एक बार. मैं रोज आपको सोच सोच कर मूठ मारता हूँ."
"तो मारते रहो ना. किसने रोका है."
"नही अब मुझे असली में मज़ा लेना है. बस एक बार डलवा लो ना चूत में."
"तुम्हारे भैया को पता चला ना तो मार डालेंगे मुझे."
मुझे बात कुछ बनती नज़र आ रही थी. क्योंकि भाभी ने सॉफ सॉफ मना नही किया.
मैने भाभी की गांद को थाम लिया और उसे सहलाने लगा.
"बहुत मस्त गांद है आपकी भाभी."
"हट पागल कैसी बाते करते हो. कुछ नही मिलेगा तुम्हे. कही और ट्राइ करो."
मैं भाभी के उपर आ गया और उनकी चुचियों को मसल्ने लगा. मोका देख कर मैने भाभी के होंटो को भी चूम लिया.
"दरवाजा खुला पड़ा है तुम मरवाओगे मुझे."
"मैं बंद कर देता हूँ. वैसे भी भैया तो शाम को ही आएँगे." मैने उठ कर दरवाजा बंद कर दिया और वापिस भाभी पर चढ़ गया. भाभी ने सलवार कमीज़ पहन रखी थी. मैने ज़्यादा देर करनी ठीक नही समझी और भाभी का नाडा खोलने लगा.
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