RE: Kamukta Story बिन बुलाया मेहमान
बिन बुलाया मेहमान-2
गतान्क से आगे……………………
मैने पीछे मूड कर देखा तो मुझे टाय्लेट का बंद दरवाजा ही मिला.
?हे भगवान. मतलब इसने सब सुन लिया. और बेशर्मी तो देखो...कैसे मज़ाक उड़ा रहा था. मुझे ये बात गगन को बतानी होगी.?
अगली सुबह मैं गगन से कोई बात नही कर पाई क्योंकि वो बहुत जल्दी में था ऑफीस जाने के लिए.
जाते जाते गगन ने चाचा से पूछा, "चाचा जी आप तो हॉस्पिटल कल जाएँगे ना."
"हां बेटा आज आराम ही करूँगा. कल जाउन्गा हॉस्पिटल."
मैं अपने दाँत भींच कर रह गयी. हमारे घर में हमने एक काम वाली लगा रखी थी. वो रोज 10 बजे आकर 11 बजे तक सफाई करके चली जाती थी.
उसके जाने के बाद कोई 12 बजे जब मैं किचन में लंच की तैयारी में लग गयी.
गगन तो टिफिन लेकर जाते थे सुबह. लंच पर वो घर नही आते थे. मुझे बस अपने और देहाती चाचा के लिए बनाना था. मैने चाचा से उसकी पसंद पुच्छनी ज़रूरी नही समझी. मैने सोचा बिन बुलाए मेहमान को जितना कम भाव दो उतना ही अच्छा होता है.
लंच बनाने के बाद में टाय्लेट में गयी तो टाय्लेट सीट पर बैठते वक्त मेरा ध्यान टाय्लेट टॅंक पर रखी एक डाइयरी पर गया. मैने डाइयरी उठाई और सीट पर बैठ गयी. डाइयरी खोलते ही जो मैने पढ़ा मेरे होश उड़ गये.
पहले पेज पर बड़े बड़े अक्षरो में लिखा था--- "कैसे, कब और कहाँ मैने किस की चूत मारी"
मैने ये पढ़ते ही डाइयरी बंद कर दी. मैं सोच में पड़ गयी की ये किसकी डाइयरी है. लिखाई गगन की नही थी. तभी मेरा ध्यान चाचा पर गया. मैने मन ही मन कहा, "कमीना कही का. देखने से ही लफंगा लगता है."
पर मुझे ना जाने क्या हुआ मैने डाइयरी का पन्ना पलटा और पढ़ना शुरू किया. मुझे कूरीोसिटी हो रही थी उसकी करतूतों को जानने की.
डाइयरी से---------
मुझे आज भी याद है कैसे मैने पहली बार चूत मारी थी. उस वक्त मैं कोई 19 साल का था. मुझे ही पता है कितना तड़प्ता था मैं अपने लंड को किसी की चूत में डालने के लिए. बहुत कोशिश की मैने यहा वहाँ मगर कोई फ़ायदा नही हुआ. जब कोई बात बनती नही दिखी तो मेरा ध्यान मेरी भाभी पर गया. जब मेरा ध्यान भाभी पर गया तो मैने उन्हे ध्यान से देखना शुरू किया. उनकी उमर उस वक्त कोई 30 या 31 की थी. मैने काई बार उन्हे सोच सोच कर मूठ मारी.
भाभी बहुत लाड करती थी मेरा. कभी कभी लाड़ में मुझे गले भी लगा लेती थी. दोपहर को जब भाभी सो जाती थी तो मैं छुप छुप कर उसे देखता था.
भैया तो खेत में रहते थे सारा दिन. मेरे पास अच्छा मोका था. पर समझ नही आता था कि कैसे भाभी को पटाया जाए. मैने एक प्लान बनाया. भाभी घर से बाहर गयी हुई थी. उन्हे दुकान से कुछ समान लाना था. जब मैने उन्हे आते देखा तो मैं अपने कमरे में घुस गया और अपना लंड बाहर निकाल कर उसे हिलाने लगा. साथ ही मुँह कुछ अश्लील बाते भी बोलनी थी. जब भाभी कमरे के पास से गुज़री तो मैने बोलना शुरू किया.
"आहह मेरा लंड कब तक तरसेगा चूत के लिए. मैं कब तक यू ही हाथ से हिलाता रहूँगा. काश आज कोई चूत मिल जाए मुझे जिसमे मैं अपना ये लंड घुसा सकूँ."
भाभी ये सुनते ही मेरे कमरे के बाहर रुक गयी. मैने तुरंत अपना लंड अंदर किया और दरवाजा खोल कर बाहर आ गया. मैने नाटक करते हुए कहा, ?ओह भाभी आप. आप कब आई.?
"किसने सिखाया तुम्हे ये सब?" भाभी ने पुछा.
"क्या मतलब मैं कुछ समझा नही." मैने कहा.
"मैने सब सुन लिया है. किसने सिखाया तुम्हे ये सब."
"भाभी माफ़ कर दो दुबारा ऐसा नही करूँगा. मेरी बहुत इच्छा हो रही थी इसलिए वो सब बोल रहा था."
"अभी से इच्छा होने लगी तुम्हे?"
"भाभी भैया को मत बोलना नही तो वो मारेंगे."
"किसने सिखाया तुम्हे ये सब."
"पीछले हफ्ते दूसरे गाँव से एक मेहमान आया था मेरे दोस्त के घर. उसी ने बताया कि चूत में लंड डालने से बहुत मज़ा आता है. पर मुझे समझ नही आ रहा कि मैं किसकी चूत में लंड डालूं." मैने हिम्मत करके बोल ही दिया क्योंकि मुझ पर हवस सवार थी.
ये सुनते ही भाभी ने अपने मूह पर हाथ रख लिया.
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