RE: Kamukta Story बिन बुलाया मेहमान
मैने कुछ नही कहा और अपनी आँखे बंद कर ली. गगन ने मेरे उभार बाहर निकाल लिए और उन्हे चूमने लगा. मैं खोती चली गयी. उसने मुझे बहकते देख मेरा नाडा खोल कर मेरी टांगे अपने कंधे पर रख ली और एक झटके में मुझ में समा गया. मेरे मूह से सिसकियाँ निकलने लगी. मैं बहुत धीरे धीरे आवाज़ कर रही थी क्योंकि अब घर में हम अकेले नही थे. जब गगन ने स्पीड बहुत तेज बढ़ा दी तो मैं खुद को रोक नही पाई और मैं ज़ोर-ज़ोर से चीखने लगी
?आहह....गगन...यस.....? गगन ने मेरे मूह पर हाथ रख लिया और बोला.
?ष्ह्ह क्या कर रही हो. चाचा जी को सब सुन रहा होगा.?
?सॉरी... सब तुम्हारी ग़लती है. मुझे पागल बना देते हो तुम.?
कुछ देर और गगन मेरे अंदर अपने लंड को बहुत तेज़ी से रगड़ता रहा और फिर अचानक मेरे उपर निढाल हो गया. मेरा भी ऑर्गॅज़म उसी वक्त हो गया. कुछ देर हम यू ही पड़े रहे. कब हमें नींद आ गयी पता ही नही चला.
कोई 12 बजे मेरी आँख खुल गयी. गगन मेरे बाजू में पड़ा खर्राटे भर रहा था. मुझे बहुत ज़ोर का प्रेशर लगा हुआ था. मैने कपड़े पहने बेडरूम से बाहर आ कर दबे पाँव टाय्लेट में घुस गयी.
जब मैं बाहर निकली तो मेरे होश उड़ गये. टाय्लेट के दरवाजे पर चाचा खड़ा था.
?आप यहाँ?? मैने गुस्से में कहा.
?माफ़ करना बेटी...मुझे लगा कि गगन अंदर है. इसलिए यही खड़ा हो गया.? चाचा ने कहा.
मैं नाक...मूह सिकोड कर वहाँ से चल दी.
?आआहह....खि..खि..खि? चाचा ने हंसते हुए कहा ओए टाय्लेट में घुस गया.
क्रमशः…………………………………
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