RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
फिर कुछ देर बाद जब दरवाज़ा खुला, तो अंजू अपने सीने पर अंगौछा लपेटे बाहर निकली। अंगौछा गीला था, और उसके शरीर पर पूरी तरह से लिपटा हुआ था। और चूंकि उसकी लम्बाई और चौड़ाई बहुत बड़ी नहीं थी, इसलिए वो अंगौछा अंजू का शरीर छुपा कम और दिखा अधिक रहा था। कुंदन को वह दृश्य बहुत पसंद आया। अंजू के उस रूप का अनुमोदन (approval) उसके छुन्नू ने अपना छुहारे वाला रूप छोड़ कर, भिन्डी जैसा रूप धारण कर के किया। अंजू ने देखा की उसके पति का लिंग उसकी मध्यमा उंगली के जितना ही लम्बा, और बस मुश्किल से कोई दो गुना मोटा था।
न जाने क्यों उसको हलकी सी निराशा हुई। उसको निराशा क्यों हुई? कहीं न कहीं उसके मन में ऐसा विचार आया था की उसके पति के जननांग बहुत पुष्ट होंगे। और उसका पति बहुत ही दृढ़ शरीर और व्यक्तित्व का मालिक होगा.. लेकिन कुंदन ऐसा नहीं था। ऐसे विचार उसको क्यों आ रहे थे जैसे कुंदन उसका पति न हो? लेकिन, उसको कुछ याद ही नहीं और सभी तो यही कह रहे हैं की कुंदन ही उसका पति है.. उसी ने उसको बचाया था।
“अब दीजिए...”
कुंदन क्या करता भला? उसने अंजू को उसकी मैक्सी दे दी।
“अच्छा, मैं आपसे एक बात पूछूँ?” अंजू ने अपने बाल सुखाते हुए कहा।
“एक क्या? जितना मन करे उतना पूछो!”
“नहीं.. आपको लग सकता है की मैं कैसी फालतू बातें कह रही हूँ, और पूछ रही हूँ...”
“नहीं नहीं.. ऐसा कुछ भी नहीं.. पूछो न?”
“आपकी उम्र कितनी है?”
कुंदन को फिर शरारत सूझी, “सोलह साल..”
‘ओह! तो मेरा ख़याल सही था...’ अंजू ने सोचा।
“और मेरी..?”
“इक्कीस साल..”
“सही में? मैं आपसे पांच साल बड़ी हूँ?”
“और क्या!”
कुंदन ने उसको और कुरेदा, “तुमको क्या लगा की मैं कितना बड़ा हूँ?”
“मुझे लगा की पंद्रह सोलह के होगे!”
“हैं! वो कैसे?” कुंदन को वाकई आश्चर्य हुआ!
“वो कैसे क्या? आपके अंडे और छुन्नू, लड़के जैसे ही तो हैं अभी..”
अंजू की बात पर उसको अचानक ही बेहद गुस्सा आया, “इसी छुन्नू से मैंने तुझे गाभिन किया था..” वो गुस्से से बोला।
“आप गुस्सा क्यों हो गए? मैंने कब मना किया इस बात से? बिलकुल किया था आपने! वो नर्स बता रही थीं.. की हमारा बच्चा..” कहते कहते अंजू की आँख में पानी आ गया।
“आई ऍम सॉरी.. मेरा मतलब.. मुझे माफ़ कर दो!”
“नहीं! आप माफ़ी मत पूछिए... पति का आदर करना चाहिए.. मैंने गलती करी है.. आप मुझे माफ़ कर दीजिए!”
“अरे! अब माफ़ी वाफी छोड़ो.. और जल्दी से कपड़े बदल लो...”
कुंदन की बात पर अंजू कुछ देर चुप रही.. वो फिर से हिचकिचा रही थी..
“क्या हुआ?”
“कपड़े पहनने हैं..”
“तो पहनो न?”
“आपके सामने?”
“हाँ! क्यों क्या हो गया?”
अंजू लेकिन चुप ही रही।
“अरे मुझसे क्या शरमाना? मैं तो तुमको नंगा देखता ही रहता हूँ..” कुंदन ने उत्तेजित और भर्रायी हुई आवाज़ में अंजू को छेड़ा।
“धत्त झूठे..”
“अरे मैं झूठ क्यों कहूँगा? तुम तो मुझे देखते ही अपना कुरता उतारने लगती हो!”
“अच्छा जी! वो क्यों भला?”
“मुझको दूध पिलाने के लिए..”
अंजू इस बात पर एकदम से गंभीर हो गयी।
“सच में?”
“सोलह आने सच!”
अंजू ने मैक्सी वहीँ ज़मीन पर फेंकी, और अंगौछे को अपने सीने से हटाते हुए सामने पड़ी खटिया की तरफ बढ़ी। खटिया पर बैठते बैठते अंजू पूरी तरह से नंगी हो चली थी।
“इधर आओ..” अंजू ने कुंदन को कहा।
कुंदन ने अंजू के स्तन देखे, तो उसको बाकी कुछ भी दिखना बंद हो गया... वो यंत्रवत उसकी तरफ चल दिया।
अंजू ने अपने स्तन की तरफ इशारा किया, “...आपको फिर से अपना दूध पिलाती हूँ..”
अंजू की कही हुई बात कुंदन को मिश्री जैसी मीठी लग रही थीं। कहाँ तो एक लड़की मिलनी दुश्वार थी, और कहाँ आज ऐसी बला की खूबसूरत लड़की के रसीले स्तनों का पान करने को मिलेगा! इस विचार के साथ ही कुंदन को लगा की जैसे वो गलत कर रहा है – वो लड़की उसको अपना पति समझ कर यह सब कर रही थी। लेकिन वो जान बूझ कर उसका फायदा उठा रहा था। लेकिन कुंदन ने अपने मन को यह कह कर समझा लिया की बाद में वो अंजू को समझा देगा। फिलहाल तो ये मीठे मीठे दूध पिए जांए!
एक पल को कुंदन को लगा जैसे सपने वाली बात एकदम सचित्र हो गयी! अगर सपने इतनी जल्दी सच होते हैं, तो वो और देखेगा! यह छलकता हुआ सौन्दर्य, ऐसा मीठा आमंत्रण! कुंदन अंजू के पास पहुंचा, और उसके दाहिने स्तन के एक निप्पल को अपने मुँह मैं ले कर चूसने लगा और दूसरे स्तन को सहलाने लगा! जाहिर सी बात है की एक वयस्क आदमी, स्तनों को अलग तरीके से चूसेगा - ख़ास तौर से तब, जबकि उसको अपने जीवन में पहली बार ऐसे सुन्दर स्तन देखने और भोगने को मिले हों!
"आराम से बाबा.. यह आपके लिए ही तो हैं! जितना मन चाहे, उतना चूसो..." अंजू ने कुंदन के सर को प्यार से सहलाते हुए कहा।
कुंदन बारी बारी से अंजू के दोनों स्तनों को चूसता रहा।
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रात का खाना कुंदन ने ही बनाया – अंजू काफी थक गयी थी, और क्योंकि डॉक्टर ने आराम करते रहने की सख्त हिदायद दी थी, इसलिए कुंदन अपना पति-धर्म (यानि की आराम से बैठना, जब पत्नी खाना पका रही हो, और फिर सम्भोग कर के सो जाना) निभा नहीं पाया। अंजू कुछ ढंग से खा नहीं सकी – एक तो खाना बेस्वाद बना था, और ऊपर से दवाइयों, और लम्बे कोमा के प्रभाव से उसको खाने से अरुचि सी हो गयी थी। खाना और दवाइयाँ खा कर अंजू सो गयी; तो उसके साथ कुंदन को भी झक मार कर लेटना पड़ा। पहली बार एक स्त्री के साथ रात बिताने की उत्तेजना में उसके लिंग ने अनायास ही वीर्य थूक दिया। लेकिन फिर भी कुंदन को उम्मीद थी, की उसकी यह हालत जल्दी ही ठीक हो जायेगी – अब क्योंकि अंजू भी उसके साथ है!
आज अंजू पहली बार कोमा के प्रभाव से पूरी तरह से बाहर आ कर सो रही थी। नींद बहुत गहरी आई – और नींद में बड़े ही विचित्र से सपने भी! सपनो ने ऐसे ऐसे स्थानों और ऐसे वस्तुओं के दृश्य थे, जो उसने अपने जीवन में पहले कभी भी नहीं देखे थे – अथाह समुद्र, रेतीला बीच, समुद्र की गहराइयाँ, बहुत ही घना बसा शहर और उसके अनगिनत दृश्य, एक आलीशान सा घर.... और इन सभी दृश्यों में परिलक्षित होता एक पुरुष! और सिर्फ यही नहीं... वह पुरुष उसके सपनो में सुस्पष्ट रूप से दिख रहा था – कभी इस वेश में, तो कभी किसी और... और तो और कभी कभी नग्न भी! दो तीन दृश्य तो उसने उस पुरुष के साथ सम्भोग के भी देखे! कौन है वो? उसने सपने में ही अपने दिमाग पर जोर डाला! लेकिन निद्रा ने विवश कर के रखा हुआ था। और भी लोग दिखे – एक लड़की.. “नीलू!” उसके दिमाग में कौंधा!
कुंदन उथली नींद में सो रहा था की अचानक उसने अंजू को ‘नीलू नीलू’ पुकारते सुना! वो जाग गया।
‘नीलू कौन?’ उसने सोचा! कहीं यह अंजू का असली नाम तो नहीं? या उसकी किसी सहेली का? तो क्या अंजू को अपनी भूली हुई याद-दाश्त वापस मिलने लगी? बेटा! जल्दी कुछ कर.. नहीं तो ये लड़की जायेगी हाथ से! और कुछ इस्धर उधर हो गया, तो पिटाई भी हो सकती है! उसने कुछ देर और इंतज़ार किया, लेकिन अंजू ने कुछ और नहीं कहा.. उसको कब नींद आई, उसको खुद ही नहीं पता चला।
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