RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
रश्मि की बात सुन कर दिल भर आया। पहले रश्मि, और अब उसकी बहन – यह बात सोच कर ह्रदय में ग्लानि सी हो गई... फिर लगा, कि हमने तो बाकायदा शादी करी है.. तो उसमे क्यों ग्लानि हो? सुमन जैसे मेरे चेहरे पर से ही मेरे मन में उठने वाले भाव पढ़ रही हो!
“आपसे एक बात कहूँ?”
मैंने हामी में सर हिलाया।
“आपकी कोई भी इच्छा हो – जो पूरी नहीं हुई हो, दीदी या फरहत किसी ने भी.... या जो भी आप करना चाहते हैं.. मुझसे कहिएगा। मैं कभी आपको मना नहीं करूँगी। आप जो भी कहेंगे, मैं करूँगी।“
“प्यारी नीलू.. हम किसी कम्पटीशन में हैं क्या?”
“नहीं नहीं.. मेरा वो मतलब नहीं है... मैं तो बस..”
“मुझे मालूम है की तुम क्या कहना चाह रही हो! और मुझे ख़ुशी है की तुम मुझसे यह सब कह रही हो! मुझे भी तुमसे प्रेम है... और मैं तुम्हारी बहुत इज्ज़त करता हूँ। इसलिए ही नहीं की तुम मेरी पत्नी हो.. बल्कि इसलिए भी की तुम एक बहुत अच्छी इंसान हो, और मैं तुम्हारी सेवा कर उम्र भर कर्ज़दार रहूँगा।“
मेरी बात सुन कर सुमन की आँखें भर आईं।
“चलिए जी! ये भी क्या बात है? मेरी सुहागरात के दिन ही आप मुझे रुला रहे हैं!” कहते हुए उसने अपने आँसूं पोंन्छे।
“ओओओ.. मेरी प्यारी बीवी नाराज़ हो गई? इसको कैसे मनाऊँ? कैसे मनाऊँ... ह्म्म्म.. सुहागरात में तो बीवी को मनाने का बस एक ही तरीका है..”
“वो क्या?”
“उसकी चूत चाट कर..”
“छीह्ह! आप ऐसे ऐसे शब्द मत बोला करिए.. आपके मुँह से अच्छा नहीं लगता!”
“अच्छा! लेकिन मेरा मुँह अपनी चूत पर महसूस करना अच्छा लगता है?”
मेरी बात पर सुमन बुरी तरह शरमा गयी!
“आप करते जाइए... धीरे धीरे सब अच्छा लगने लगेगा!”
“दैट्स लाइक माय गर्ल!” कह कर मैंने सुमन को बिस्तर पर लिटाया, उसकी टाँगे फैलाईं, और उसकी मालपुए जैसी मीठी मीठी चूत को फिर से भोगने लगा।
“जानेमन! तुमको मालूम है की तुम्हारी चूत का स्वाद कितना मीठा मीठा है? इसमें शहद डाल दिया था क्या?”
“ओह्ह्ह्ह.. नहीं.. ल्लेकिन यह सोच कर.. कि अअअआआज्ज से आपके सामने मुझे नंगी रहना पड़ेगा, मेरी चूत से बस रस बहता ही जा रहा है! आःह्ह्ह! ऊऊह्ह्ह!”
“सच में?”
“क्या सच में?” सुमन जैसे किसी तन्द्रा से जागी। उसका एक और स्खलन समाप्त हो गया था।
“तुम आज से नंगी रहोगी?”
"मैं नंगी रहूंगी, तो आपको ख़ुशी मिलेगी?”
“हाँ!”
"मुझे नंगी देखकर आपको क्या कोई एक्स्ट्रा खुशी मिलेगी?” सुमन ने मुझे छेड़ा, “आपने पहले तो दीदी, और फिर फरहत - उनको तो लगभग हर रोज़ ही नंगी देखा होगा!"
"हाँ! और तुम भी तो मेरी पत्नी हो! वो कोई बौड़म ही होगा, जो तुम जैसी पत्नी को नंगा न रखना चाहे! खुशी तो मिलेगी ही, और शारीरिक संतुष्टि भी मिलेगी मुझे! रश्मि से भी मिलती थी, और फरहत से भी! और अब, तुमको देख कर तुमसे भी वही खुशी पाना चाहता हूँ।"
कहते हुये मैंने सुमन की योनि की दरार पर उंगली फिराई – मेरी उंगली गीली हो गयी। मैंने उसको दिखाते हुए उसके रस से भीगी उंगली को अपने मुँह में रख कर चूस लिया।
"अच्छा जी! तो आप मुझे न सिर्फ नंगी रखना चाहते हैं, बल्कि शारीरिक सुख भी चाहते हैं!” उसने मुझे छेड़ा!
"हाँ"
“इतना सब कुछ... और इतने सस्ते में!”
“अरे! सस्ता क्या? हर बार तुम्हारा वज़न एक किलो बढाऊँगा न!” मैंने भी उसको छेड़ा।
“हा हा! और जब बाकी लोग मुझे ऐसे देखेंगे तो?”
“तो क्या? मैं उनके सामने ही यह सब करूँगा।"
"अच्छा! तो बीवी की नुमाइश लगने वाली है! और अगर देखने वालो में से किसी ने ऐसा ही कुछ करने की सोची तो?”
"तो क्या? अगर देखने वाला आदमी हुआ, तो मैं तुम्हारी चूत में डालूँगा, और उसको तुम्हारी गांड में डालने को कहूँगा!”
“धत्त! गंदे!”
“अरे सुन तो ले पूरा... और अगर औरत हुई, तो उसको तुम्हारी गांड चाटने को कहूँगा, और मैं तुम्हारी चूत में डालूँगा!
“आप इतनी गन्दी बाते क्यों कर रहे हो?” सुमन ने मेरे चेहरे हो अपनी हथेलियों में भरते हुये कहा।
“सॉरी जानू.. ऐसे ही!”
“आप मुझे किसी के साथ भी शेयर मत करिएगा प्लीज!”
“आई ऍम सॉरी जानू! अब ऐसे कुछ नहीं कहूँगा तुमको!”
“मैं आपको बहुत प्यार करती हूँ! किसी भी चीज से कहीं ज्यादा...." कहते हुये सुमन ने अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिये और उत्साह और जोश से चुम्बन देने लगी। जब वह चुम्बन करके पीछे को हुयी तो उसने कहा,
“मैं सच में नंगी रह लूंगी.. आप देखना.. लेकिन मुझे अपने सिवाय किसी और को न देना!”
मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में भरकर कहा, “नीलू, तुम बहुत अच्छी हो!”
“हाँ... मुझे पता है कि मैं क्यों अच्छी हूँ! मैंने नंगी रहने का वायदा किया है, इसीलिए न?”
“हाँ...वो भी है।“
“आपको मेरे बूब्स अच्छे लगते हैं?” सुमन ने मेरी आँखों को देखा – वो काफी देर से उसके स्तनों पर ही जमी हुई थीं।
“हाँ! मुझे तुम्हारे बूब्स बहुत अच्छे लगते हैं..”
और मैंने उसके स्तनों को अपने हाथों से लेकर दबाना, मसलना शुरू कर दिया।
"आआह्हह्हह! आराम से! उफ़!” सुमन थोडा इठलाई, “अच्छा एक बात बताइए – दीदी और फरहत के मुकाबले आपको मेरे कैसे लगते हैं?”
"सेक्सी! और टेस्टी!”
"तो फिर! अब क्या करने का इरादा है?" उसने कहा।
“इनको पीने का प्लान है अब!”, मैंने कहा, और उसके एक चूचक को अपने मुँह में ले लिया!
“आह! हाँ! आह्ह.. आराम से जानू!!” सुमन अपने सीने को आगे की तरफ ठेलते हुए बोली।
मैंने जी भर कर और जोश में उसके चूचक चूसना शुरू कर दिया। सुमन आहें भरने लगी।
“काश, इनमें दूध भरा होता!”, मैंने चूसते हुए बीच में कहा।
"हा हा! अच्छा जी... आपके इरादे बड़े नेक हैं! लेकिन इसके लिए तो आपको मुझे प्रेग्नेंट करना पड़ेगा।" सुमन हँसते हुए बोली।
“तो फिर ठीक है, चलो.. तैयार हो जाओ..”, मैंने कहा।
“क्या?”
"अरे! तुमको प्रेग्नेंट करने का यही तो एक तरीका है!”
सुमन ने मेरे तने हुए लिंग को देखा, और कहा, “आपका ‘वो’ बहुत आतुर है अपनी सहेली से मिलने के लिए!”
“हाँ! इसकी सहेली भी इससे मिलने के लिए लार टपका रही है न!”
सुमन ने अपने दोनों हाथों से मेरे लिंग को पकड़ा और सहलाने लगी। उसी समय मैंने भी उसको पुनः चूमना शुरू कर दिया और बिस्तर पर लिटा दिया।
“रेडी हो जाओ, जानू...”
“क्यों? किसलिए?” वो भली भांति जानती थी की किसलिए।
"तुमको चोदना है न.. जिससे तुम जल्दी से जल्दी माँ बन सको!”
मेरी बात सुन कर सुमन ने अपनी दोनों टाँगे फैला दीं।
"ज़रा और फैलाओ जानेमन.. अपनी मालपुए जैस चूत थोड़ा ढंग से दिखाओ मुझे!” मैंने उसकी योनि पर अपनी निगाहें जमाये हुये कहा।
"अभी ठीक से दिख रही है?“ सुमन ने टांगों को और फैलाते हुए पूछा।
“थोड़ा और..” मैंने मिन्नत करी।
“अब बताइए? अब दिखी ठीक से? क्योंकि अब और नहीं फैला पाऊंगी...” सुमन ने अपनी जांघे और फैलाते हुये कहा।
“हाँ, अब दिखी! तुम्हारी प्यारी प्यारी.. मीठे रस से सराबोर चूत!”
“अब और कितनी देर तक इसे देखते रहेंगे? मुझे माँ बनाने का इंतजाम कब करेंगे?” सुमन ने हँसते हुये पूछा।
"ये तो इतनी सुन्दर है की मैं चाहता हूँ की इसे तब तक देखूं, जब तक ये मेरे दिमाग में पूरी तरह न बस जाय!” मैंने कहा।
"अरे! आपकी ही तो मिलकियत है ये! जब चाहे आप देख लीजिए, या भोग लीजिए!” उसने अपनी दोनों टाँगे मेरे कंधों पर रखते हुये कहा।
मैंने सुमन की योनि पर अपना लिंग स्थापित किया और कहा, “चुदने को तैयार?”
“हाँ जानू! आप बुरी तरह चोदिये मुझे!”
मैंने अपने लिंग को अंदर की तरफ धकेलते हुये उसको चूमा। जैसे ही सुमन ने मेरे लिंग को अपनी योनि की गहराइयों में जाते हुये महसूस किया, वो बोली, “अब आप जल्दी से कर दीजिए सब कुछ! मैं कैसे भी रोऊँ, आप रुकियेगा नहीं!“
उसकी इस बात पर मैं भी तुरंत शुरू हो गया और बल पूर्वक धक्के लगाने लग गया। सुमन भी मेरे धक्को के साथ नीचे की तरफ से टाल मिलाने लगी। कुछ ही क्षणों में मैंने सुमन की योनि में लिंग को अंदर बाहर करने की गति बढ़ा दी और तब तक करता रहा जब तक मैंने उसकी योनि के अंदर अपना पूरा वीर्य उड़ेल न दिया। इसी बीच में सुमन को एक बार फिर से चरमसुख मिल गया। जब उसने अपनी कोख में मेरे वीर्य की पिचकारी महसूस करी, तो वो मुस्कुरा दी।
कुछ देर के बाद हम दोनों ही संयत हो गए। मैं कुछ देर उसके ऊपर यूँ ही लेटा रहा। जब उठा तो मैंने कहा, “नीलू, मुझे बहुत मज़ा आया! तुमको?”
“मुझे भी!” उसने कहा, और मुझे होंठो पर चूमा। “आप थक गए होंगे! सो जायेंगे?
“नहीं! इतनी मस्त चुदाई करने के बाद कोई सोता है क्या?”
“हा हा! तो क्या करता है?”
“रुको.. बताता हूँ!”
कह कर मैंने अलमारी से जो रश्मि के लिए खास मेड-टू-आर्डर करधनी बनवाई थी, वो बाहर निकाली। यह एक 18 कैरट सोने की करधनी थी। इसमें लाल-भूरे, नीले और हरे रंग के मध्यम मूल्यवान जड़ाऊ पत्थर लगे हुए थे। सुमन उत्सुकतावश मुझे देख रही थी की मैं क्या कर रहा हूँ। मैं वापस आकर बिस्तर पर बैठ गया और सुमन को बिस्तर से नीचे उतरने को कहा। जब वो ज़मीन पर खड़ी हुई, तो मैंने उसकी कमर में यह करधनी बाँध दी। प्रथम सम्भोग के समय उसका हीरों का मयूर जड़ाऊ हार उतार दिया था – उसको भी वापस पहनाया। और थोड़ा सा पीछे हट कर उसके सौन्दर्य का अवलोकन करने लगा।
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