RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
घर पर आने के बाद भानु ने बड़ी बेशर्मी से मुझे एक बार फिर से नंगा कर दिया और मेरी योनि को ध्यान से देखते हुए बोली, “सच में नीलू, तू कितनी सुन्दर है! और.. तेरे जैसी सुंदर और मस्त चूत शायद ही किसी लड़की की हो! तेरा प्रेमी या पति, जो भी होगा.. वो बहुत भाग्यवान होगा! जो तेरी जैसी सुन्दर लड़की, इतनी सुन्दर चूत भोगेगा!”
और कहते हुए उसने मेरी योनि पर बहुत ज़ोर का चुम्बन लिया।
“सच में.. बेहोश हो जाएगा वो!” कह कर उसने प्यार से मेरी चिकनी सी योनि पर उंगली फिराई।
मैं तो शर्म से पानी पानी हो गई। मैं मन ही मन सोच रही थी, ‘क्या वो भी मेरी चूत को ऐसे ही चूमेंगे... ऐसे ही प्यार करेंगे...?”
भानु ने मुझसे कहा भी, “जानेमन, अब तो तुम चुद ही जाओ!”
मैंने भी मस्ती करी, “भानु यार.. मैं तो कब से तैयार हूँ.. लेकिन मेरे बुद्धू सजन को कैसे समझाऊँ?”
“मैं तुझे रास्ता बताऊंगी.. लेकिन मुझे भी कुछ मिलना चाहिए.. है न?”
“क्या चाहिए तुझे?” मैंने ना-समझी में पूछा।
“तेरी चूत!” और हम दोनों खिलखिला कर हंस दीं।
डिनर के बाद हम दोनों मेरे कमरे में चली गईं। भानु ने इस पूरे समय सिर्फ टी-शर्ट और चड्ढी पहनी हुई थी, तो मेरी भी हिचकिचाहट चली गयी। मैंने भी उसी प्रकार के वस्त्रों में उसके साथ बिस्तर में घुस गई और हम दोनों बातें करने लगी। बातों बातों में वंशिका मुझसे लड़कों के साथ सम्भोग की बातें करने लगी। हम दोनों कॉलेज के लड़कों, उसके मंगेतर और रूद्र के बारे में बातें करते रहे। मैंने उसे रूद्र के लिए अपने दिल की चाहत के बारे में उसको पहले से ही बता रखा था, और भानु भी मुझे बताने लगी की कैसे एक बार अरुण ने उसके साथ सम्भोग किया था। यह मेरे लिए एक नई खबर थी। मैंने उससे सारे वृत्तान्त को बताने को बोला, तो वो रस ले लेकर मुझे सब बताने लगी। इतना तो समझ आया की दोनों ने एक झट-पट क्विकी करी है, लेकिन उसके बताने का तरीका इतना मजेदार था, की मुझे अपनी योनि के आस पास फिर एक जाना-माना पिघला सा एकसास होने लगा।
वो कमीनी यह सब बोलते हुए मुझे लगातार छेड़ती भी जा रही थी, और मेरी जाँघ सहला रही थी। मैं जल्दी ही उत्तेजित होने लगी और उसके बताने जैसे ही सम्भोग के बारे में सोचने लगी। मेरी साँसें भारी होने लगीं और मेरी योनि भी गीली होने लगी। और यह सिर्फ मेरी ही हालत नहीं थी। यह सब कहते करते भानु भी गहरी साँसें ले रही थी, और उसकी छातियाँ साँस लेने के साथ साथ ऊपर नीचे हो रही थीं। मेरे मन में आया की उनको दबा दूँ, और मैंने ऐसा ही किया।
“अआह्ह्ह... मार डालेगी क्या? अरे आराम से दबा.. तेरी सहेली के ही हैं..”
“ओके!” मैंने कहा, और उसके दोनों गालों को बारी बारी से चूम लिया। और जैसी मुझे उम्मीद थी, भानु भी मेरा सर पकड़ कर अपने और पास लाने की कोशिश करने लगी, और मुझे होंठों पर चूमने लगी। भानु ने पिछली बार भी पहल करी थी, तो इस बार वो कैसे पीछे रह जाती? वो कुछ ही देर में मेरे होठों को चूसने लगी। जाहिर सी बात थी, भानु भी उत्तेजित थी।
“ओह मेरी रानी! तू बहुत सैक्सी है! मैं आदमी होती तो तुझे यही पटक कर चोद डालती! हाय!”
मैं क्या बोलती? बस उसके चुम्बन में साथ देती रही। कुछ देर बाद उसने अपनी बाहें मेरी कांख के नीचे डाल कर मुझे अपने ऊपर की तरफ आने को कहा। मैं इशारा समझ कर उसके ऊपर आ गई और अपनी योनि को उसकी योनि पर दबाने रगड़ने लगी। भानु मेरे होठों को हल्के हल्के काटती हुई, अपने होंठों में दबा कर चूस रही थी।
मैंने कहा, “हाय भानु! तू ही आज आदमी बन जा.. अब तो रहा नहीं जा रहा है...”
भानु मुस्कुराई। उसने कुछ जगह सी बना कर पहले मेरी, और फिर अपनी टी-शर्ट उतार दी। उसके सांवले सलोने और प्यारे खिलौने मेरे सामने थे। मैं उनके रूप का स्वाद ले रही थी, और उसी बीच उसने मेरे नितम्बों पर हाथ फेरते हुए मेरी चड्ढी भी नीचे कर दी। मैंने स्वयं ही उनको उतार दिया और भानु के होठों को चूसने लगी।
भानु मुझको पलट कर नीचे लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ गयी, और अपनी चड्ढी उतार कर अपनी योनि से मेरी योनि को रगड़ने लगी। बीच में मैंने एक बार उसके एक निप्पल को अपनी उँगलियों के बीच मसल दिया। वो जोर से चिंहुकी तो मैं हंसने लगी।
“भानु, तुझे ऐसे मज़ा आता है?”
उसने हाँ में सिर हिलाया तो मैं पुनः उनको मसलने कुचलने लग गयी।
“मेरी बन्नो! तेरी चूत तो बहुत गरम हो गई है! देख न! और मेरी भी देख! कैसे उससे पानी निकल रहा है! बोल.. चुदने का मन हो रहा है न?”
कहते हुए भानु मेरे ऊपर झुक कर मुझे पुनः चूमने लगी। हम दोनों लड़कियाँ साथ ही साथ अपने दोंनों हाथों से एक दूसरे के स्तनों का मर्दन कर रही थीं। मेरी योनि वाकई बहुत गीली हो गयी थी, और मुझे वाकई एक तगड़े सम्भोग का मन होने लगा था। मैंने भानु के स्तनों को पकड़ कर अपने मुंह की तरफ खींचा और उसके चूचक चूसने लगी।
“भानु, तेरे बूब्स कितने बढ़िया हैं! इनको दबाने और चूसने में कितना मज़ा आता है!”
“मेरी रानी! तुझे इतना मज़ा आता है, तो सोच, लड़कों को कितना आता होगा?”
“अरुण के रहते तुझे और लड़के चाहिए क्या?”
“ही ही ही.. जानती है, वो एक दिन कह रहा था की वो मेरे बूब्स के बीच अपना लंड रगड़ना चाहता है!”
“क्या? होओओओओ!”
“हाँ.. मिस्टर मेरी चूत ही नहीं, मेरे बूब्स भी चोदना चाहते हैं!”
मैं उत्तेजना में आ कर उसके स्तन खुद जोर से दबा दिए।
“आह्ह्ह्ह नीलू! मसल दे! हाय! चूस, और जोर से चूस! काट ले इनको!”
उसके उत्साहवर्धन पर मैं उसके स्तनों को और जोर से दबाना, चूसना और काटना शुरू कर दिया। उधर, वो अपने हाथों से मेरे नितम्बों को मसलने लगी। मैंने इशारा पा कर अपनी एक उंगली उसकी योनि पर रखी, और उसको सहलाने लगी। वाकई, उसकी योनि भी बहुत गीली थी। मैं ज़रा सी हरकत से अपनी उंगली उसकी योनि में डाल दी। भानु सिसक उठी। वो भी मेरे ऊपर से उतर कर मेरे बगल लेट गई और उसने भी मेरी योनि में अपनी एक उंगली डाल दी।
मैं थोड़ा उत्सुक थी। सुना था की सम्भोग करने से लड़की की योनि का आकार बढ़ जाता है (दरअसल ऐसा होता तो है, लेकिन योनि बहुत लचीली और इलास्टिक होती है.. इसलिए उसके आकार में आया परिवर्तन जल्दी ही वापस हो जाता है। यदि लड़की कुछ दिन सम्भोग न करे, तो उसकी योनि का आकार पहले जैसा हो जाता है।)। तो, अगर भानु ने सम्भोग किया है, तो ज़रूर उसकी योनि का आकार बढ़ गया होगा। मैंने चुपके से अपनी दूसरी उंगली भी भानु की योनि में प्रविष्ट करा दी। यह उंगली आसानी से अन्दर नहीं गयी। लेकिन भानु ने हिल डुल कर, जैसे तैसे उसकी अपने अन्दर डालने में मेरी मदद करी। जैसे ही उंगलियाँ उसकी योनि में गईं, मैंने उनको उसकी योनि के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। उधर भानु ने अपनी उंगली मेरी योनि से निकाल कर मेरे होंठों को जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया। मैंने अपनी उँगलियों को उसकी योनि के अंदर-बाहर करने की गति और तेज़ कर दी। जैसे जैसे मेरे हाथ की गति बढ़ती, भानु की सिसकारियों की आवाज़ भी उतनी जोर से आती। कुछ ही देर में उसने अपना चरम सुख प्राप्त कर लिया और वो अपना सिर इधर उधर हिलाते डुलाते हुए आहआह की आवाजें निकालने लगी।
मैं रुक गयी। भानु को ऐसे सुख के आसमान में गोते लगाते देखना बहुत सुखद था। कुछ देर बाद उसने अपनी आँखें खोली, और मुझे चूमते हुए बोली, “हाय रानी! तुमने बहुत मज़ा दिलाया! अब देख, मैं तुझे कैसे मज़ा दिलाती हूँ!”
और वो अपनी साँसें संयत कर के मुझे फिर से चूमने चाटने लगी। और धीरे धीरे मेरे चेहरे से मेरे शरीर के नीचे की ओर जाने लगी।
“तेरी चूत के लिए एक लंड चाहिए, रानी!” उसने फरमाया!
“ह्म्म्म?” मैंने मस्ती में कहा।
“खीरा है क्या?”
“हं?”
“तू लेटी रह.. मैं आती हूँ!”
मैं पीठ के बल लेटी हुई अपनी साँसे संयत करने लगी। कुछ ही देर में भानु वापस आई.. उसके हाथ में एक खीरा था।
“हैं? इसका क्या करेगी?”
“अरे रानी, तेरी चूत का इलाज है इसमें! आज इसी लंड से काम चला ले?”
कहते हुए वो बिस्तर पर मेरे पास आई, और उसने खीरे को मेरी योनि पर फिराया। फ्रिज़ में रखा होने के कारण खीरा बहुत ठंडा हो गया था। मैं चिहुंक गयी। और उसी के साथ मेरे होश भी ठिकाने आ गए।
“नहीं.. भानु.. प्लीज! ये मत घुसाना!”
“क्यों डा?”
“नहीं यार! प्लीज! मैं ‘उनके’ अलावा और कुछ अपने अन्दर नहीं लेना चाहती..”
“ओओह्ह्ह्ह! तो आग इतनी भड़की है! मेरी रानी अपने जीजू को अपनी कुंवारी चूत का उपहार देना चाहती है! हाय! ऐसी किस्मत सभी आशिको की हो! कसम से.. हा हा हा!”
भानु की नंगेपन से भरी इतनी बेशर्म बात सुन कर मैं शर्म से पानी पानी हो गयी।
“चुप कर..”
“ही ही ही.. आज खीरे से चुद जा.. कल अपने जीजू का डलवा लेना!”
“भानु की बच्ची.. तू मरने वाली है अब..!”
“अरे! अभी थोड़ी देर पहले ही तो मैंने अपनी उंगली डाली थी?”
“ये खीरा इसकी शकल बिगाड़ देगा! उंगली तो पतली सी होती है..”
“अरे मेरी मेनका! अपने विश्वामित्र को भी तो पटा पहले.. नहीं तो तेरी चूत सूखी रह जायेगी!”
“सच में भानु! किस्मत ही खराब है मेरी!”
“किस्मत नहीं.. तू गधी है.. पूरी गधी!”
“तो मैं क्या करूँ?”
“स्त्री को करना ही क्या है? भगवान् ने स्त्री को ऐसा ही बनाया है की उसको कुछ न करना पड़े! जो करना है बस मर्द को ही..” कहते हुए उसने आँख मारी!
“लेकिन वो तो मेरी तरफ देखते ही नहीं..”
“जानेमन..” भानु ने मेरे एक नितम्ब को अपने हाथ से दबाते, और मेरे एक निप्पल को चूसते हुए कहा, “.. या तो तेरा जीजू अँधा है.. या फिर नामर्द!”
“क्या कह रही है?” मुझे उनकी बुराई बिलकुल अच्छी नहीं लगी। और ऊपर से यह भी की उसने इसी समय मेरे चूचक काटने शुरू कर दिए।
“हट तू.. छोड़ इसको!” कहत एहुए मैंने झिड़की लगाई।
“गुस्सा मत हो यार! मैंने बस तुझे छेड़ा! लेकिन तू ही बता.. तुझ जैसी लड़की एक ही छत के नीचे है.. उनको उसकी चाहत, उसका प्यार नहीं दिखता? क्यों?”
वो मेरे पेट को चाटती हुई मेरी योनि तक पहुँच गई और मेरी जांघों को चाटने लगी। मैं स्वप्रेरणा से अपने नितम्ब को आगे पीछे करते हुए अपनी योनि को उसके मुँह पर फिराने लगी। अंततः भानु ने अपनी दो उँगलियाँ मेरी योनि में डाल दीं और उन्हें अंदर-बाहर करने लगी। साथ ही साथ वो मेरे भगनासे को अपनी जीभ से धीरे धीरे चाटने लगी।
“अब कैसा लग रहा है?”
“बहुत अच्छा! और... स्स्स्सस..... आअह्ह्ह्ह.... चाटो और चाटो!”
भानु ने बिलकुल वैसे ही किया।
“आह! भानु..” मैं आनंद से मरी जा रही थी, “तू यह क्या जादू कर रही है?” मैं जैसे तैसे अपनी सांस सम्हालने की कोशिश कर रही थी।
“भानु... हाय... कैसा कैसा तो हो रहा है!” मैंने कहा।
“मजे ले मेरी जान! बस मजे ले...” भानु ने कहा।
मेरी आँखें उन्माद के मद में बंद हो गयी थीं और मैं अपने नितम्ब जोर से चला रही थी। मन में बस यही हो रहा था की रूद्र इसी समय आ जाएँ, और मुझे प्यार करें!
“अआह्हह.. ओह्ह्ह!” मैंने अपना मुँह तकिये में दबा लिया। भानु किसी अनुभवी खिलाड़ी की तरह तेजी से मुझे अपनी उँगलियों से चोदती रही और मैं जल्दी ही रति-निष्पत्ति को प्राप्त हो गयी। मेरी योनि से निकल कर रस की बौछार भानु के हाथ, और साथ ही साथ बिस्तर को भिगोने लगी। जैसे ही भानु ने अपनी उंगलियाँ बाहर निकाली, मैं बिस्तर पर गिर गई और जोर जोर से हांफने लगी।
भानु ने मुझे चूमते हुए कहा, “नीलू मेरी जान, मेरे दिमाग में एक आईडिया है... तेरे जीजू को पटाने का!”
कह कर उसने मेरी योनि का रस चाट चाट कर वहाँ सफाई कर दी, और मुझे बाहों में लेकर मुझे अपना प्लान समझाने लगी।
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