Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
12-17-2018, 02:21 AM,
#80
RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
घर पर अकेले मन नहीं हुआ, इसलिए सोचा की अपनी किसी सहेली को बुला लेती हूँ अगले दो दिनों के लिए! कम से कम यह घर मुझे काट खाने को नहीं दौड़ेगा! मैंने इसलिए रूद्र को फ़ोन लगाया, जिससे उनकी अनुमति मिल सके। उन्होंने संछिप्त सा उत्तर दिया की मेरा जैसा मन हो, मैं वैसा कर सकती हूँ.. यह घर मेरा भी है, और मुझे किसी काम के लिए उनकी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा की तीन दिन बाद आयेंगे। अच्छी बात है... मैंने अगला फ़ोन अपनी सबसे करीबी सहेली भानुश्री (भानु) को लगाया, और घर आने को कहा। वो वैसे तो चार पांच बार यहाँ आ चुकी थी, लेकिन रहने के लिए कभी नहीं। 

भानु अपने परिवार के साथ बैंगलोर में रहती थी। वो लोग कन्नडिगा ब्राह्मण थे, और हमारे घर से कोई पन्द्रह किलोमीटर दूर रहते थे। मैंने उसकी माँ से भी बात करी, तो उन्होंने मुझे ही घर रहने को बुला लिया। लेकिन फिर मेरे ही अनुनय विनय से उन्होंने उसको अनुमति दे दी। उनके परिवार वाले मुझे पसंद करते थे, और रूद्र से भी मिले थे.. इसलिए परेशानी वाली बात नहीं थी। भानु ने मुझसे कहा की वो करीब एक-डेढ़ घंटे में आ जाएगी। अच्छा है.. इतनी देर में मैं नहा लेती हूँ! 

मैं घर पर छोटे गुसलखाने का प्रयोग करती हूँ.. लेकिन उस दिन मेरा मन था की मैं मास्टर र बाथरूम में नहाऊँ। वहाँ पर एक बाथटब था, जिसको दुर्घटना के बाद कभी भी प्रयोग में नहीं लाया गया था (घर की कामवाली ने बताया.. पहले काफी गन्दा हो जाता था, लेकिन आज कल साफ़ ही रहता है, और महीने में बस एक-आध बार सफाई से ही काम चल जाता है)। आज मेरा उसी में घुस कर नहाने का मन था। मैंने उसमें पानी भरने के लिए नल खोल दिया, और अपनी पसंद का खुशबूदार साबुन डाल दिया। और अपने कमरे में निर्वस्त्र होने चली गयी। 

आज मैं वो करने वाली थी जो मैंने कभी नहीं किया था। ऐसा नहीं है की रूद्र मुझ पर मास्टर बाथरूम प्रयोग करने से नाराज़ होते.. बस, मैंने ही कभी उधर नहाने का नहीं सोचा। दरअसल, मैं घर में उस तरफ जाती ही नहीं – मेरे हिसाब से आप सोचें, तो वो एक तरह का पुण्यस्थान था, जहाँ मेरी दीदी की यादें बसी हुई थीं.. और रूद्र की प्यारी पत्नी की! मैं वहाँ जा कर किसी तरह की सेंधमारी नहीं करना चाहती थी। लेकिन, आज यूँ अकेलेपन के कारण मन हुआ की क्यूँ न वहाँ नहाया जाए.. और यही सोच सोच कर मुझे रोमांच हो रहा था। मैं कुछ गुनगुना रही थी.. मैंने अपनी ब्रा उतारी.. आह्ह! स्तनों के उस बंधन से मुक्त होते ही आनंद आ गया। मैंने अपने शरीर का निरिक्षण किया – ब्रा की कसाव के कारण मेरे स्तनों पर लाल निशान पड़ गए थे। उन निशानों, उन रेखाओं को हाथ से मसलने पर काफी आराम मिला। कितना मज़ा आएगा, अगर मैं दो दिन बिना कपड़ों के रहूँ? इस ख़याल से मेरा रोमांच और बढ़ गया!!

मेरे बचपन में घर पर सेक्स के बारे में किसी तरह की बातें ही नहीं होती थीं। बड़े बुजुर्गों में सम्भोग को लेकर इतनी वर्जनाये थी की इसको सिर्फ संतानोत्पत्ति हेतु एक आवश्यक कार्य ही समझा जाता रहा। मुझे जो भी कुछ मालूम हुआ, वो दीदी और रूद्र के कारण! उनको सेक्स का आनंद उठाते देख कर समझ आया की सेक्स "मजे" के लिए भी किया जाता है, और प्रेम प्रदर्शन के लिए भी.. और अगर कायदे से किया जाय तो सिर्फ शारीरिक ही नहीं, मानसिक और आत्मिक सतह पर जुड़ने के लिए भी। यही सब सोचते हुए मैं मास्टर बाथरूम में लगे लगभग आदमकद दर्पण के सामने आ कर निर्वस्त्र खड़ी हो गई। और जीवन में पहली बार खुद को पूर्ण-नग्न देखा। बीस की उम्र! और वैसा ही तरुण ताज़ा शरीर! मैंने अपने स्तनों को धीरे से दबाया – एकदम पुष्ट! कहना तो नहीं चाहिए, लेकिन दीदी के स्तनों से भी निखरे और बड़े! अपने सुन्दर नग्न शरीर को आईने में देख कर मैं वाकई खुद ही उत्तेजित सी हो गई। 

दीदी की याद आते ही उनके स्तनों का चूषण करना याद आ गया, और साथ ही यह विचार भी की किसी दिन मेरे स्तनों को भी कोई चूसेगा, और उनमें दूध आएगा! प्रकृति की कैसी अद्भुद रचना! सच ही कहते हैं की नारी शरीर एक तिलिस्म होता है। मैंने स्तनों को कुछ देर दबाया, फिर निप्पलों को हल्का सा मसला! प्रतिक्रिया स्वरुप वो तुरंत ही खड़े हो गए। मैं मुस्कुराई। मेरा ध्यान अब अपने सपाट पेट से होते हुए योनि पर चला गया। वहाँ उँगलियों से टटोलने पर गीलापन महसूस हुआ! ह्म्म्म.. योनि वो पहले ही परिपक्व हो चली थी – उत्तेजना के कारण उसके दोनों पटल फूले हुए थे (कहीं पढ़ा था की लड़के इनकी तुलना पाव-रोटी से करते हैं)। आज से पहले भी मन बहुत बार हो चुका है की अपनी योनि में उंगली डाल कर खुद को संतुष्ट कर लिया जाय, लेकिन बालपन में सिखाई गई वर्जनाएँ ऐसे ही नहीं चली जातीं। 

टब में समुचित पानी भर गया था। मैं जा कर उस सुगन्धित झाग-वाले पानी में लेट गई, और इस नए अनुभव का आनंद लेने लगी। यहाँ पर भी दीदी और रूद्र साथ में नहाते रहे होंगे.. मेरे दिमाग में उन दोनों की काम-रत तस्वीर खिंच गई। मेरा हाथ पुनः मेरी योनि पर जा पंहुचा। ऐसा कुछ करने का मैंने कभी सोचा ही नहीं.. लेकिन आज सब कुछ नया है! अपनी आँखें बंद कर मैंने अनायास ही अपने भगनासे को सहलाना प्रारंभ कर दिया। पानी के अन्दर ऐसा करना एकदम अनोखा अनुभव साबित हो रहा था... अनोखा, और कामुक और आनंददायक! कामाग्नि से मेरा शरीर दहकने लग गया - ठीक वैसे ही जैसे की 102 डिग्री बुखार आने पर तपने लगता है। 

‘यह कैसी तपन!’

कॉलेज में मेरी सहेलियाँ अक्सर हस्तमैथुन की बातें करतीं। ऐसा नहीं है की मुझे काम/यौन सम्बन्धी ज्ञान नहीं था – भरपूर था। रूद्र और दीदी की काम-क्रीड़ा मैंने देखी थी और मुझे अच्छी तरह से मालूम था की लड़की और लड़के के अंगों का प्रयोग किस प्रकार और किस हेतु होता है। कॉलेज में मेरे सिर्फ लड़कियाँ ही नहीं, बल्कि लड़के भी मित्र थे और उनमें से कई मुझसे प्रणय सम्बन्ध बनाना भी चाहते थे.. लेकिन मेरी दृष्टि में वो सारे सिर्फ अनाड़ी ही नहीं, मूढ़ भी थे। लेकिन रूद्र... हाँ, उनकी बात कुछ और ही थी। धीर और शांत स्वभाव के रूद्र, और उसमें निहित तीव्रता! उनका प्रभावशाली व्यक्तित्व और उनकी गहन आँखें.. जैसे सामने वाले की आत्मा को ही देख रही हों! और हाँ! वो कसरती देह.. जैसे व्याघ्र! कुछ बात तो थी इस आदमी में!

शारीरिक प्रौढ़ता मैंने दीदी की शादी के आस-पास ही प्राप्त कर ली थी। लेकिन उसके साथ साथ मुझे हार्मोनों का प्रभाव भी झेलना पड़ा। सपने आते। और सपनों में लड़के आते.. उनका कोई चेहरा नहीं होता था। बिना चेहरे वाले नर! उन सपनों में वो मुझे छूते, छेड़ते.. और मेरे साथ अजीब अजीब सी हरकतें करते। आँखें खुली होने पर भी सपने आते - मैं खुद को जवान होते देखने की चाह में अक्सर आईने में अपने आप को निहारती रहती, अपने नवांकुर वक्षों को देखकर बड़ा अच्छा लगता। माँ देखती, तो डांटती, और किसी अन्य कार्य में लगा देती। खैर, मुझे सबसे अधिक रोमांचित मेरे योनि क्षेत्र में उग आये रोयेंदार बालों ने किया था। रात के अँधेरे में अक्सर उन्हें छूने का आनन्द लेती, और उनके साथ साथ योनि भी सहलाने में आनन्द का अहसास होता। लेकिन डर लगता की कहीं चोट न लग जाय (घर में ऐसे ही तो सिखाते हैं)। नहाते समय जब अपने स्तनों को सहलाती तो ऐसा महसूस होता की छूने पर वो आकार में बढ़ते जा रहे हैं।

बचपन में मैंने देखा था की एक घोड़ा, घोड़ों के झुण्ड में से एक के पीछे पीछे दौड़ रहा था.. दौड़ रहा था, या उसको दौड़ा रहा था। स्पष्टतः वह एक नर था – क्योंकि दौड़ते हुए उसके लिंग का आकार विकराल से विकरालतर होता जा रहा था। भयावह दृश्य था। आगे वाला घोड़ा (दरअसल घोड़ी) अचानक रुक गया, और नर उसके पीछे से उस पर सवार हो गया। उस समय मुझे इस विषय में कोई समझ नहीं थी, लेकिन फिर भी ऐसा लगा की यह दृश्य नहीं देखना चाहिए। मैंने चुपके से अपने चारों तरफ देखा की कोई है तो नहीं! उस नर का विकराल लिंग, मादा के भीतर पूरी गहराई तक घुसा हुआ था, और वह शायद चार पांच धक्के लगाने के साथ ही कांपने लगा, और नथुने की राह से घुरघुराते हुए मादा पर से उतर गया। उसके लम्बे लिंग के आगे से, और मादा के पीछे से सफ़ेद रंग का गाढ़ा द्रव ज़मीन पर गिरने लगा।

और फिर वो वाला दिन.. बुग्याल पर! मुझे अच्छे से दीदी की कराह और सिसकियाँ आज भी याद हैं। याद है की कैसे रूद्र उसकी जाँघों को फैलाए उसकी योनि को चूम, चाट और सहला रहे थे। दीदी भी उनका लिंग अपने मुंह में ले कर कैसे देर तक बदला चुका रही थी। और फिर रूद्र ने भी उसी घोड़े के समान दीदी की चढ़ाई करनी शुरू कर दी थी! कितनी समान, लेकिन कितनी अलग थी दोनों की सम्भोग क्रिया! वो घोड़ा तो लगभग तुरंत ही ढेर हो गया था, लेकिन रूद्र तो मानो रुकने का नाम ही नहीं जानते! ओह! दीदी वाकई तृप्त रहती होगी।

'हे भगवान्!' उन्ही यादों से मंत्रमुग्ध होकर मेरे बिना सोचे हुए ही योनि को छेड़ने की मेरी गति बढ़ती जा रही थी। हाथ की उंगलियाँ अनियंत्रित होती जा रही थीं, और मेरे गले से दबी घुटी सिस्कारियां निकल रही थी। यह कहने की आवश्यकता नहीं की मेरा पूरा शरीर उत्तेजना के मारे कांपने लग गया था। 

हाँ... कॉलेज में मेरी सहेलियाँ अक्सर हस्तमैथुन की बातें करतीं। यह बातें भी होती की यह क्रिया कितनी लाभदायक है! आनंद तो आता ही है, साथ ही साथ अनवरत यौनेच्छा, जो हम युवाओं में होती रहती है, उससे निजात भी मिल जाती है – बिना किसी पुरुष की आवश्यकता के! मतलब बिलकुल सुरक्षित, और संतोषजनक! शीघ्र ही मेरा कामोन्माद समाप्त हो गया। अनुभव में वह कुछ कुछ वैसा था जब दीदी और रूद्र ने मेरे स्तनों से खिलवाड़ किया था.. लेकिन इसकी तीव्रता कहीं अधिक थी।

"ऐसा आनंद तो पहले कभी नहीं आया", मैंने सोचा और संतोषप्रद गहरी सांस भरी। 

अब नहा भी लिया जाय!

भानु मेरी एक बहुत ही करीबी, और प्यारी सहेली है। जाहिर सी बात है की उसकी उम्र भी मेरे ही बराबर थी। वैसे उम्र ही क्या, हम दोनों का डील डौल भी लगभग एक जैसा ही था। लेकिन जहाँ मैं एक पहाड़ी लड़की हूँ, भानु एक दक्षिण भारतीय सुंदरी है। एक बात तो है – दक्षिण भारत की लड़कियों की गढ़न बहुत अच्छी होती है। भानु भी ऐसी ही है... सांवली सलोनी.. सामान्य कद की। लेकिन उसके स्तन 32B साइज़ के हैं, और उस पर खूब फबते हैं। बड़ी बड़ी आँखें और उन्नत नितम्ब! सचमुच, बहुत ही प्यारी लड़की है वो। वो कॉलेज में सबसे पहले मेरी दोस्त बनी, और धीरे धीरे हम दोनों इतने करीब आ गए हैं की हमारी कोई भी बात एक दूसरे से नहीं छुपी है। 

एक और बात है, बैंगलोर जैसे शहर में रहने के बावजूद उसका परिवार कुछ रूढ़िवादी किस्म का है। रस्मों, और कर्म-कांडों को निभाने की जैसे सनक सी हैं उनमें! उनके परिवार की सोच यह भी रही है की लड़कियों का ब्याह जल्दी कर देना चाहिए.. लिहाजा, दो साल पहले ही भानु का रिश्ता एक सॉफ्टवेर इंजिनियर (बैंगलोर में और कौन मिलता है?) के साथ तय कर दिया गया है। इसने तो शुरू शुरू में बहुत नखरे किए, बहुत सी मिन्नतें करीं, लेकिन कुछ हो नहीं सका। माता-पिता के सामने बेबस थी। बस, इतनी ही गनीमत थी की उसको कम से कम स्नातक की पढ़ाई पूरी कर लेने तक की मोहलत दी गई थी। शायद उसकी कुंडली में कुछ गोत्र, मांगलिक वाला चक्कर था, और इस कारण से बस कुछ ही रिश्ते मिल रहे थे। उसके माता-पिता ने सबसे कमाऊ वाले रिश्ते को पकड़ लिया। मजे की बात यह, की उसकी यह बात पूरे कॉलेज में सिर्फ मुझे ही मालूम थी। वैसे उसका मंगेतर अरुण कोई बुरा नहीं था। देखने बोलने में अच्छा था। उन दोनों को अपने अपने परिवार की तरफ से दिन में मिलने की इजाज़त मिली हुई थी। आज भी कॉलेज के बाद वो दोनों किसी कॉफ़ी शॉप पर ही मिल रहे थे।

खैर, नहाने के बाद मैंने हल्का फुल्का कपड़ा पहना (मतलब, सिर्फ पजामा और टी-शर्ट, और अन्दर कुछ भी नहीं) और टीवी देखते हुए भानु के आने का इंतज़ार करने लगी। कुछ ही देर में वो आ गई – उसके हाथ में एक बैग था, जिसमें दो दिनों के लिए ज़रूरी सामान और कपड़े थे। उसके आने के बाद हम दोनों साथ में चाय बनाने लगे, और साथ ही साथ मज़े से बातें भी करने लगे। मैंने उसको पूछा की आज दोनों ने मिल कर क्या किया! उत्तर में वो बस शरमा रही थी। दोनों को अनोखे में ही मिलने का अवसर मिलता था, इसलिए कुछ तो किया होगा न! मेरे खूब जिद करने से उसने बताया की आज अरुण में न जाने कहाँ से इतनी हिम्मत आ गई, की उसने इसे चूम लिया। यह बताते बताते ही उसके सांवले गालों पर लाली आ गयी। मैंने उसे छेड़ते हुए कहा, की बदमाश, इतनी ज़रूरी बात इतनी देर में बता रही है! तो वो शरमा कर हंस दी। (हमारी बात चीत अंग्रेजी, हिंदी और कन्नड़ – इन मिली जुली भाषाओँ में हुई.. लेकिन यहाँ सुविधा के लिए सिर्फ हिंदी में ही बता रही हूँ)..

मैं : “हाय! हमारी किस्मत कहाँ, की कोई हमको चूमे!”

भानु : “अरे है न! तुम्हारे जीजू?”

मैं : “ऐसे मत छेड़ यार! मैं तो उनको दिखती ही नहीं.. उनकी नज़र मुझ पर पड़े, ऐसी किस्मत ही नहीं!”

भानु : “तू किस्मत की बात करती है? तू तो आइटम है.. आइटम! और आइटम ही क्या, पूरी पटाखा है! एक बार इशारा कर दे, बस, आशिकों की लाइन लग जायेगी तेरे सामने!”

मैं : “अच्छा जी! तू जैसे कोई कम है..?”

भानु (गहरी सांस भरते हुए): “मेरा क्या! मेरा डब्बा तो पैक हो गया है!” 

मैं : “हा हा हा! वाह भई... यह डब्बा खुलने को इतना बेकरार है क्या? कुछ दिन रुक जा.. फुर्सत से खुलेगी! हा हा हा! अबे बता न.. क्या किया था तुम दोनो ने।“

भानु : “अरे बताया तो! सिर्फ़ किस किया था उसने...”

मैं : “हाँ जी! तुमने कहा, और मैंने मान लिया! आप लोग इतने शरीफ हो!”

भानु : “कुछ बातें परदे के अन्दर रखनी चाहिए!”

मैं (चाय पीते हुए): “मुझसे भी?”

भानु : “हाँ.. तुझसे भी..!”

मैं : “ह्म्म्म... ये सुनो! मैं तो तुमको कुछ बताने वाली थी.. लेकिन.. अब...”

भानु : “हैं? क्या बताने वाली थी?”

मैं (उसको छेड़ते हुए): “रहने दे.. कुछ बातें परदे के अन्दर ही रहनी चाहिए!”

भानु : “नीलू.. ऐसे मत छेड़! ठीक है बाबा.. मैं बताऊंगी.. लेकिन पहले तू बता! ओके?”

मैं : “लेकिन पहले तो मैंने पूछा!”

भानु : “तू बहस बहुत करती है.. अब नखरे मत कर, और बता भी दे..”

मैं : “अच्छा.. ठीक है! तो सुन.. मैंने आज अपनी.. इसको (अपनी योनि की तरफ इशारा करते हुए) देर तक सहलाया.. पहली बार...”

भानु : “धत्त तेरे की! खोदा पहाड़, निकली चुहिया! यह बोल न की तूने आज पहली बार मास्चरबेट किया!”

मैं : “हाँ.. वही..”

भानु : “मेरी बुद्धूराम! तूने यह आज किया? अपनी जिंदगी के कितने बरस तूने यूँ ही वेस्ट कर दिए!”

मैं : “मतलब? तूने क्या बहुत पहले ही...?”

भानु : “हाँ जी.. पांच साल पहले..!”

मैं : “पांच साल पहले? बाप रे!”

भानु : “हाँ! और नहीं तो क्या? हम लड़कियाँ तो जल्दी ही जवान हो जाती हैं! लेकिन तू बिना यह सब किए इतना दिन कैसे रही?”

मैं : “पता नहीं..”

भानु : “अपने जीजू को एक इशारा तो देती.. फिर देखती, तू कैसे बचती?”

मैं : “भानु प्लीज! इस बात से मुझे मत छेड़! ठीक है की वो मुझे पसंद हैं.. लेकिन इसका यह मतलब नहीं की वो भी मुझे पसंद करें!” फिर कुछ देर की चुप्पी के बाद, “अरे! मेरी छोड़.. तू बता! क्या क्या किया तुम दोनों ने?”

भानु : “ठीक है बाबा.. सुन! आज मिस्टर मूड में थे! पहले भी उसने मुझे दो तीन बार चूमा था.. लेकिन आज वाला! उसने मेरे दोनों गालों को पकड़ कर चूमा.. नॉट किस.. स्मूच! मेरी जान ही निकल गई जब मैंने उसकी जीभ अपने मुँह में महसूस करी! फिर उसने मेरे बूब्स भी छुए! इतना मना करने पर भी देर तक दबाता मसलता रहा! बड़ी मुश्किल से उससे पीछा छुड़ाया। शॉप में ज्यादातर लोग हमें ही देख रहे थे। मैं तो शर्म के मारे बाहर भाग आई।“

मैं : “बाप रे! तुझे कैसा लगा यार?”

भानु : “कैसा लगा? अरे, मेरी हालत खराब हो गयी! मेरी योनि में चींटियाँ काटने लग गईं। कोई और जगह होती तो आज मेरा केक भी कट जाता!” 

मैं : “क्या वैसा लगता है जैसे मास्चरबेट करते समय लगता है?

भानु : “अरे! वो तो कुछ भी नहीं है.. उससे भी पावरफुल! मास्चरबेशन का क्या है? उसमें तो बस अपना ही हाथ है.. लेकिन जब दूसरे का हाथ लगता है न.. पूरा शरीर झनझना जाता है।”

मैं : “बाप रे!”

भानु : “तू जानना चाहती है की कैसा लगता है?”

मैं : “न बाबा! वैसे भी मेरा कोई बॉयफ्रेंड थोड़े ही है!”

भानु : “बॉयफ्रेंड नहीं तो क्या, गर्लफ्रेंड तो है! मैं ही सिखा देती हूँ...”

मैं उसकी बात सुन कर चुप हो गयी।

भानु : “ए नीलू.. तू बुरा तो नहीं मान गयी?”

मैं : “नहीं यार!”

भानु : “तो बोल.. तुझे प्यार करूँ?”

मैं हंस पड़ी।

भानु : “तेरे होने वाले बॉयफ्रेंड से बढ़िया करूंगी!”

मैं : “ऐसी बात है? तो आ जा..”
Reply


Messages In This Thread
RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प ) - by sexstories - 12-17-2018, 02:21 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,546,632 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 549,556 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,251,709 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 946,318 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,680,595 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,103,035 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,989,104 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,181,615 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,078,589 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 289,310 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)