Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
12-17-2018, 02:19 AM,
#76
RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
रश्मि की बात सुन कर मुझे बहुत रोचक लगा! और मैं खुद भी काफी उत्तेजित हो गया!! बात तो सही है.. रश्मि है ही इतनी सुन्दर! और अब जब वो माँ बनने वाली है, तो उसकी सुन्दरता और भी निखर आई है! ज्यादातर स्त्रियाँ गर्भ-धारण करने के बाद अतिपक्व दिखने लगती है, और उनके शरीर पर गर्भ का बोझ दिखने लगता है। कहने का मतलब, वे स्थूल, थकी हुई और निस्तेज हो जाती है। लेकिन, कुछ स्त्रियाँ ऐसी होती है, जो पुष्प की तरह खिल जाती हैं.. उनके चेहरे पर उनके अन्दर पनप रहे जीवन का तेज दिखने लगता है। रश्मि इस दूसरी श्रेणी में थी। उसका चेहरा जीवन की आशा से दीप्तिमान होता जा रहा था, और उसका छरहरा शरीर स्थूल तो हो रहा था, परंतु साथ ही साथ अत्यंत आकर्षक भी होता जा रहा था। पहले ही वो रति का स्वरुप लगती थी, अब तो ऐसा लगता है की उसमें कम से कम सौ रतियों का वास हो! कोई भी ऐसी स्त्री को आकर्षक पायेगा ही! इसके लिए सुमन से मुझे कोई भी गिला-शिकवा नहीं था।

वापस आने के एक दिन पहले रश्मि ने मुझे फ़ोन पर कहा की वापस आने पर मेरे लिए एक सरप्राइज है! मेरे लाख पूछने पर भी उसने कुछ नहीं बताया की क्या! खैर, बता देती तो कैसा सरप्राइज! घर आने पर मेरा स्वागत एक बेहद झीने नाईटी पहने हुए रश्मि ने एक गर्म कामुक फ्रेंच चुम्बन के साथ किया। दरवाज़े को भी ठीक से बंद नहीं पर पाया मैं। स्पष्ट था की इतने दिनों में रश्मि की यौनरुचि कई गुना बढ़ गयी थी। मुझे भी इस तराशी हुई सुंदरी को नंगा देखने की तीव्र इच्छा हो रही थी, इसलिए तुरत-फुरत मैंने उसकी नाईटी उतार फेंकी। मेरी नज़रों के सामने भरे हुए स्तन और उनके सामने सुशोभित स्थूल चूचक, जैसे किसी पूर्वज्ञान के कारण खड़े हुए, उपस्थित थे। मैंने आँख उठाई, तो मेरी आँखें रश्मि की आँखों से मिलीं। उसकी आँखों में एक संतुष्ट चमक थी – उसको मालूम है की मैं उसके स्तनों की सुन्दरता का दीवाना हूँ। फिर भी वो एक शिकायत भरे लहजे में कहती है,

“बहुत बड़े हो गए न?” और कहते हुए अपने स्तनों के नीचे हथेलियाँ लगा कर उठाती है। उसके इस हरकत में किसी भी प्रकार की लज्जा नहीं है.. वस्तुतः, मुझे ऐसा लगा जैसे वो मुझे अपने स्तनों का चढ़ावा दे रही हो। ऐसे चढ़ावे का भोग तो मैं कभी भी, और कहीं भी लगा सकता हूँ। 

मैंने ‘न’ में सर हिलाया, “आई लव देम... आई लव यू!”

“तुम पागल हो..” कह कर रश्मि खिलखिलाते हुए हंसी.. और फिर उसने आगे जो किया उसने मेरे दिमाग और शरीर के सारे तार झनझना दिए। उसने अपने स्तनों को हलके से दबा दिया, और ऐसा करने से दोनों चूचकों में हलके पीले से रंग के दूध की बूँदें निकल आईं। ज़रा सोचिये, उसके प्यारे प्यारे रसभरे स्तनों में से अमृत उतर रहा था, और मैं उसको पीने जा रहा था! यह मेरा दावा है की धरती के प्रत्येक पुरुष के मन की फंतासी होगी की वो अपनी प्रेमिका या पत्नी के स्तनों से दूध पिए! कम से कम मेरी तो थी! और आज यह स्वप्न पूरा होने वाला था। इस दृश्य को देखते ही मेरा लिंग अपने पूरे तनाव पर खड़ा हो गया। 

“मेला बच्चा भूखा है?” रश्मि ने मुझे प्यार से छेड़ा।

मैं मंत्रमुग्ध सा इस दृश्य को देख रहा था.. लिहाजा, मैं सिर्फ सर हिला कर हामी भर पाया।

“अले मेला बेटू... इत्ती देर शे उसे कुछ खाने को नहीं मिला... है न? मेला दूधू पिएगा..?”

रश्मि ने दुलराते हुए मुझसे पूछा। मेरे फिर से ‘हाँ’ में सर हिलाने पर रश्मि वहीँ सोफे पर बैठ गई, और उसने मुझे अपनी गोदी में आने का इशारा किया। मैंने उसकी गोदी में सावधानीपूर्वक व्यवस्थित हो जाने के बाद उसके होंठों को कोमलता से चूम लिया और उसके होंठों के अन्दर से होते हुए अपनी जीभ से उसकी जीभ चाट ली।

रश्मि फिर से खिलखिलाई, और बोली, “नीचे और भी टेस्टी चीज़ है...” 

और यह कहते हुए उसने मेरे सर को अपने स्तनों की तरफ निर्देशित किया। मैंने उसके निप्पल और areola का पूरा हिस्सा मुँह में भर लिया और जोर से चूसा। कोई पांच छः बार कोशिश करने के बाद मुझे अपने मुंह में एक स्वादरहित द्रव रिसता हुआ महसूस हुआ। और इसी के साथ ही मुझे रश्मि के मुंह से संतुष्टि भरी आह भी सुनाई दी। 

“आह्ह्ह मेरे राजा! ऐसे ही चूसते रहो.. आह.. बहुत अच्छा लग रहा है..।“

रश्मि मेरे चूषण से प्रसन्न तो थी – उसकी विभिन्न प्रकार की आहें और उम्म्म आह्ह्ह.. इत्यादि इसका सबसे बड़ा प्रमाण थीं। कुछ देर में द्रव/दूध निकलना बंद हो गय, लेकिन फिर भी मैंने उसके बाद भी एक दो मिनट तक उसके उस स्तन को चूसा। उसके बाद आई दूसरे स्तन की बारी.. मुझे अनुभव तो हो ही गया था.. या यह कह लीजिये की शेर को खून... (ओह! माफ करियेगा), दूध का स्वाद पता चल गया था।

इधर मैं उसका दूध पी रहा था, और उधर रश्मि मेरी पैंट की ज़िप के अन्दर से मेरे तने हुए लिंग के साथ खिलवाड़ कर रही थी। मैंने यह महसूस किया की जब वो मेरे लिंग को दबाती है, तो मेरा चूषण और बढ़ जाता है। खैर, यह खेल कब तक चलता.. अंततः उसके दोनों स्तनों में दूध समाप्त हो गया, तो मैं उसके पेट पर चुम्बन लेकर सोफे से ज़मीन पर उतर आया।

“कैसा लगा सरप्राइज?”

“बहुत ही बड़ा सरप्राइज था! मज़ा आ गया..”

“कब से बचा के रखा था.. आपका मन भरा?”

“मन कैसे भरेगा इससे मेरी जान! इतना न्यूट्रीशियश, इतना मजेदार! मैंने तो रोज़ पियूँगा!”

ऐसी बातें करते हुए शरीर पर जो प्रभाव होना होता है, वो होने लगा।

“अले ले ले! ये क्या.. मेले बेटू का छुन्नू तो ल्ल्ल्लंड बन गया है.. कितना बड़ा वाला ल्ल्ल्लंड..” उसने मुझे चिढ़ाया।

“मम्मी है ही इतनी सेक्सी!”

“ह्म्म्म? मम्मी इसको जल्दी से वापस छुन्नू बना दे? ठीक है न?”

“ख़याल बहुत ही उम्दा है!”

“मेला बेटू अपनी मम्मी की चुदाई करना चाहता है?” आज रश्मि को क्या हो गया है! अगर ऐसे ही होता रहा तो उसकी बातें सुन कर ही मैं स्खलित हो जाऊंगा!

“हां.. मम्मी की ज़ोरदार चुदाई करनी है..”

“स्स्स्सीईई! गन्दा बच्चा! अपनी मम्मी को चोदेगा!”

मैं ज़मीन पर लेट गया और जल्दी से अपने लिंग को ज़िप के अन्दर से आज़ाद कर दिया।

“मेरे लंड को अन्दर ले लो और अपनी दोनों टाँगें मेरी दोनों ओर करके बैठ जाओ! आज मम्मी मेरी घुड़सवारी करेगी!”

“इस तरह?” 

वह मेरी गोद पर चढ़ते ही पूछती है। वह अपनी दोनों टाँगें मेरी दोनों ओर करके बैठ गयी है, लेकिन अभी भी ज़मीन पर अपने घुटनों के बल टिकी हुई है। उसके चूतड़ मेरी जांघों पर टिके हुए थे, और मेरा लिंग अभी भी बाहर था। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके नितम्ब थाम लिए।

“इतना बड़ा लंड!”

रश्मि पर मानो आज किसी भूत का साया पड़ गया था। ऐसे खुलेपन से उसने गन्दी-बातें कभी नहीं करीं थी। उसने मेरे लिंग को पकड़ कर अपने योनि के चीरे पर से ऊपर-नीचे कई बार फिराया। उसकी योनि में से तेजी से स्राव हो रहा था। फिर उसने धीरे से मेरे लिंग के सुपाड़े को अपने चीरे में लगाया और धीरे धीरे उस पर बैठने लगी। उसका योनि द्वार तुरंत खुल गया, और मेरा लिंग अपनी नियत जगह में आराम से जाने लगा – जैसे गरम चाकू, मक्खन के अन्दर जाता है। आधा लिंग अन्दर जाने तक वह नीचे की तरफ बैठती है, और साथ में हाँफते हुए यह भी कहती जाती है की “यह बहुत बड़ा है”। कहने के लिए शिकायत है, लेकिन उसकी मुस्कान से पता चलता है की वह खुद अपने झूठ से आनंदित है। फिर वह मेरे लिंग पर ऊपर और नीचे होना शुरू कर देती है।

एक मिनट भी नहीं हुआ होता है की मैं अपना वीर्य छोड़ देता हूँ। हैं! यह क्या!! एक मिनट भी नही! मुझे थोड़ी लज्जा आई.. इतने वर्षों के सम्भोग क्रीड़ा में मैंने कभी भी इतनी जल्दी मैदान नहीं छोड़ा! आज क्या हुआ! फिर मैंने अपने लिंग पर रश्मि के खुद के सम्भोग निष्पत्ति का स्पंदन महसूस किया। 

‘अरे! ये भी आ गई क्या!’

हम दोनों ने कुछ देर तक अपनी साँसे संयत करीं, और फिर रश्मि ने ही कहा, “बेटू मेरा... अपनी माँ को ऐसे आसानी से छोड़ देगा, क्या?” न जाने क्यों उसके इस तरह चिढ़ाने से या फिर यह कह लीजिये की इस स्वांग से मैं जल्दी ही फिर से उत्तेजित हो गया।

“ऐसे सस्ते में जाने देगा? हम्म्म? ऐसे चोदो न, जैसे अपनी बीवी को चोदते हो... हर रोज़..” मेरा लिंग वापस अपने पूर्ण तनाव पर आ गया। और पूर्ण तनाव आते ही,

“जानू...” 

‘हैं! इसकी तो भाषा ही बदल गई..!’ 

“आज एक नया आसान ट्राई करते हैं? कुछ ही दिनों में मेरा पेट फूल कर बहुत बड़ा हो जाएगा। लेकिन, मुझे आपना लिंग अपने अन्दर हमेशा चाहिए... मगर, आपको ठीक लगे तो ही!”

“जानू मेरी! मैं तो बस जो तुम चाहती हो, मुझे बताओ, और मैं वैसे ही कोशिश करूंगा। अगर तुमको अच्छा लगता है तो मैं किसी भी आसन में तुमको चोदने को तैयार हूँ।“

तब रश्मि ने मुझे श्वान-सम्भोग आसन (दरअसल इसको कामसूत्र में ‘धेनुका’ कहा जाता है, लेकिन सामान्य भाषा में डॉगी स्टाइल कहते हैं) लगाने का निर्देश दिया। वो स्वयं अपने हाथों और सर को सोफे पर टिका कर और अपने नितम्बों को बाहर की तरफ निकाल कर घुटने के बल लेट/बैठ गई। जब मैं उसके पीछे जा कर अपना स्थान व्यवस्थित कर रहा था तो उसने बस इतना ही कहा, “जानू, आप सही छेद में ही करना..” 

कहने सुनने में हास्यास्पद बात लगती है, लेकिन यह एक गंभीर चेतावनी थी। भगवान् के दिए दोनों छेद इतने करीब होते हैं, की इस आसन में अगर ध्यान नहीं दिया तो एक दर्दनाक और शर्मनाक गलती होने के पूरे आसार होते हैं। वैसे भी रश्मि को मैं आज तक गुदा-मैथुन के लिए मना नहीं पाया था।

मैंने अपने लिंग को रश्मि की योनि से रिसते रस (जो रश्मि के और मेरे रसों का मिश्रण था) से अच्छी तरह भिगोया और उसके पीछे से योनि द्वार पर टिकाया। रश्मि ने अपनी उँगलियों से अपनी योनि की दरार को कुछ फैलाया, जिससे मुझे उचित छेद खोजने में कोई कोई परेशानी न हो। अन्दर इतनी ज्यादा चिकनाई थी की ज़रा सी हरकत से मैं अन्दर तक समां गया।

रश्मि ने एक कामुक किलकारी भरी, “उईई माँ! आप तो पूरा अन्दर तक घुस गए! आह्ह्ह!” 

इस कथन में किसी भी तरह की शिकायत, या दर्द जैसा कुछ नहीं था, इसलिए मैंने इसको सम्भोग आरम्भ करने की अनुमति के रूप में लिया, और उसकी सूजी हुई योनि की कुटाई आरंभ कर दी। रश्मि ने मेरे लिंग के घर्षण के साथ ही अपना आनंद भरा विलाप करना आरम्भ कर दिया। उधर मैंने पीछे से ही उसके स्तनों को दबाना, मसलना चालू कर दिया, और आराम से धक्के लगाने लगा। पीछे से सम्भोग करने से नितम्बों की पूरी संरचना स्पष्ट दिखाई देती है.. कमाल की बात यह है की इतने सारे आसन और पोजीशन ट्राई करने के बाद भी यह वाला बचा रह गया! रश्मि के नितम्ब! मैंने उंगली से उसकी गुदा को छुआ और फिर उसके छेद पर अपनी अंगुली फिराने लगा। कुछ प्रतिक्रिया न देखने पर मैंने धीरे से अपनी उंगली अंदर डाली। रश्मि चिहुंक गई, “ओउईई! म्म्मत क्क़करो..” 

मैं रुक गया और कुछ और जोर से धक्के लगाने लगा। पहले स्खलन के बाद मेरा स्टैमिना काफी बढ़ गया था। इस नए काम युद्ध को करते हुए कोई दस-बारह मिनट के ऊपर तो हो ही गए होंगे। और अब मुझे भी लग रहा था की मंजिल निकट ही है। इस बीच में रश्मि एक बार निवृत्त हो चुकी थी। मैं अब ज़ोर का धक्का लगाने लगा – रश्मि भी अपनी तरफ से अपने नितम्ब आगे पीछे कर रही थी। कुछ ही देर में मेरे अन्दर का लावा फ़ूट पड़ा। स्खलन के उन्माद में मैंने अपनी कमर को कस कर रश्मि के नितम्बो से पूरी तरह चिपका लिया। 
सम्भोग का नशा उतरा तो याद आया की सुमन भी घर पर होगी! लेकिन रश्मि ने बताया की वो अभी बाहर गयी हुई है किसी काम से। मैंने राहत की साँस ली – कमाल है! सोचा भी नहीं की घर में हमारे अलावा एक और प्राणी रहता है। आगे से सजग रहना होगा।
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