RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
मेरा परिप्रेक्ष्य
मैंने अपने बाईं तरफ करवट लेकर रश्मि को अपनी बाँह के घेरे में ले कर चुम्बन लिया और ‘गुड नाईट’ कहा – लेकिन मैंने अपना हाथ उसके स्तन ही रहने दिया। रश्मि को मेरी किसी हरकत से अब आश्चर्य नहीं होता था, और वो मुझे अपनी मनमानी करने देती थी। उसको मालूम था की उसके हर विरोध का कोई न कोई काट मेरे पास अवश्य होगा। लेकिन सुमन की अनवरत चलने वाली बातें हमें सोने नहीं दे रही थीं।
बैंगलोर कैसा है? लोग कैसे हैं? यहाँ ये कैसे करते हो, वो कैसे करते हो..? कॉलेज कैसा होता है? बाद में पता चला की वह पूरी यात्रा के दौरान सोती रही थी.. इसीलिए इतनी ऊर्जा थी! अब चूंकि मेरे दिमाग में शैतान का वास है, इसलिए मैंने सोचा की क्यों न कुछ मज़ा किया जाय।
सुमन के प्रश्नों का उत्तर देते हुए मैंने रश्मि के दाएँ स्तन को धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया (मैं रश्मि के दाहिनी तरफ था)। मेरी इस हरकत से रश्मि हतप्रभ हो गयी और मूक विरोध दर्शाते हुए उसने अपने दाहिने हाथ से मेरे हाथ को जोर से पकड़ लिया। लेकिन मुझे रोकने के लिए उतना बल अपर्याप्त था, इसलिए कुछ देर कोशिश करने के बाद, उसने हथियार डाल दिए। सुमन ने करवट ले कर रश्मि के बाएँ हाथ पर अपना हाथ रखा हुआ था, इसलिए रश्मि वह हाथ नहीं हटाना चाहती थी। अब मेरा हाथ निर्विघ्न हो कर अपनी मनमानी कर सकता था। कुछ देर कपड़े के ऊपर से ही उसका स्तन-मर्दन करने के बाद मैंने उसकी कीमोनो का सबसे ऊपर वाला बटन खोल दिया। रश्मि को लज्जा तो आ रही थी, लेकिन इस परिस्थिति में रोमांच भी भरा हुआ था। इसलिए उसने इस क्रिया की धारा के साथ बहना उचित समझा।
जब उसने कोई हील हुज्जत नहीं दिखाई, मैंने नीचे वाला बटन भी खोल कर सामने बंधा फीता भी ढीला कर दिया। कीमोनो वैसे भी साटन के कपड़े का था – बिना किसी बंधन के, उसके कीमोनो के दोनों पट अपने आप खुल गए। सुमन को वैसे तो देर सबेर मालूम पड़ ही जाता की उसकी दीदी के शरीर का ऊपरी हिस्सा निर्वस्त्र हो चला है, लेकिन जब उसने अपने हाथ पर रश्मि की नाईटी का कपड़ा महसूस किया तो उसको उत्सुकता हुई। उसने बिना किसी प्रकार की विशेष प्रतिक्रिया दिखाते हुए अपनी बाईं हथेली से रश्मि के बाएँ स्तन को ढक लिया।
रश्मि इस अलग सी छुवन को महसूस कर चिहुँक गयी, 'अरे! सुमन का हाथ मेरे स्तन पर!'
रश्मि आश्चर्यचकित थी, लेकिन वह यह भी समझ रही थी की सुमन उसके स्तन को सिर्फ ढके हुए थी, और कुछ भी नहीं। साथ ही साथ वह अपने जीजू से बातें भी कर रही थी – और उधर उसके जीजू का हाथ रश्मि के दाहिने स्तन का मर्दन कर रहा था। लेकिन चाहे कुछ भी हो – अगर किसी स्त्री को इतने अन्तरंग तरीके से छुआ जाय, तो उसकी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक ही है। रश्मि ने अनायास अपने स्तन को आगे की ओर ठेल दिया, जिसके कारण उसके स्तन का पर्याप्त हिस्सा मेरे और सुमन दोनों के ही हाथ में आ गया। संभव है की रश्मि की इस हरकत से सुमन को किसी प्रकार की स्वतः-प्रेरणा मिली हो – उसने भी रश्मि के स्तन को धीरे-धीरे दबाना और मसलना शुरू कर दिया। रश्मि के चूचक शीघ्र ही उत्तेजित हो कर उर्ध्व हो गए।
इस समय हम तीनों का मन कहीं और था। हम तीनों ही कुछ देर के लिए चुप हो गए। यह चुप्पी सुमन ने तोड़ी –
“जीजू – दीदी! मैं आपसे कुछ माँगूं तो देंगे?”
“हाँ हाँ! बोलो न?” मैंने कहा।
“उस दिन आप दोनों लोग बुग्यल पर जो कर रहे थे, मेरे सामने करेंगे?”
‘बुग्याल पर? .. ओह गॉड! ये तो सेक्स की बात कर रही है!’
रश्मि: “क्या? पागल हो गयी है?”
मैं: “एक मिनट! सुमन, हम लोग बुग्यल पर सेक्स कर रहे थे। सेक्स किसी को दिखाने के लिए नहीं किया जाता। बल्कि इसलिए किया जाता है, क्योंकि दो लोग - जो प्यार करते हैं – उनको एक दूसरे से और इंटिमेसी, मेरा मतलब है की ऐसा कुछ मिले जो वो और किसी के साथ शेयर नहीं करते। जब तुम्हारी शादी हो जायेगी, तो तुम भी अपने हस्बैंड के साथ खूब सेक्स करना।“
सुमन: “तो फिर आपने मेरे यहाँ रहने के बावजूद दीदी का ब्लाउज क्यों खोला?”
मेरा हाथ उसकी यह बात सुन कर झट से रश्मि के बाएँ स्तन पर चला गया, जिस पर सुमन का हाथ पहले से ही उपस्थित था।
मैं: “व्व्वो.. मैं... तुम्हारी दीदी का दूध पीता हूँ न, इसलिए!”
रश्मि: “धत्त बेशर्म! कुछ भी कहते रहते हो!”
सुमन: “क्या जीजू.. आप तो इतने बड़े हो गए हैं.. फिर भी दूध पीते हैं?”
मैं: “अरे! तो क्या हो गया? तेरी दीदी के दूध देखे हैं न तुमने? कितने मुलायम हैं! हैं न?”
सुमन: “हाँ.. हैं तो!”
मैं: “तो.. बिना इनको पिए मन मानता ही नहीं.. और फिर दूध तो पौष्टिक होता है!”
सुमन: “लेकिन दीदी को तो अभी दूध तो आता ही नहीं..”
मैं: “अरे भई! नहीं आता तो आ जायेगा! पहले से ही प्रैक्टिस कर लेनी चाहिए न!”
रश्मि: “तुम कितने बेशर्म हो! देख न नीलू, तुम ही बताओ अब मैं क्या करूँ? अगर न पिलाऊँ, तो तुम्हारे जीजू ऐसे ही उधम मचाने लगते हैं। वैसे तुझे पता है की वो ऐसे क्यों करते हैं?
सुमन: “बताओ..”
रश्मि: “अरे तुम्हारे जीजू अपनी माँ जी का दूध भी काफी बड़े होने तक पीते रहे। उन्होंने बहुत प्रयास किया, लेकिन ये जनाब! मजाल है जो ये अपनी मां की छाती छोड़ दें!”
सुमन: “तब?”
रश्मि: “तब क्या? माँ ने थक कर ने अपने निप्पल्स पर मिर्ची या नीम वगैरह रगड़ लिया। और जब भी ये जनाब दूध पीने की जिद करते तो तीखा लगने के कारण धीरे धीरे खुद ही माँ का दूध पीना छोड़ते गए।“
सुमन: “लेकिन अभी क्यों करते हैं?”
रश्मि: “आदतें ऐसे थोड़े ही जाती हैं!”
मैं: “अरे यार! कम से कम तुम तो मिर्ची का लेप मत लगाने लगना।“
मेरी इस बात पर रश्मि और सुमन खिलखिला कर हंस पड़ीं!
रश्मि: “नहीं मेरे जानू.. मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगी! आप मन भर कर पीजिये! मेरा सब कुछ आपका ही है..”
मैं: “सुना नीलू..” कहते हुए मैंने रश्मि के एक निप्पल को थोड़ा जोर से दबाया, जिससे उसकी सिसकी निकल गयी। सुमन को वैसे तो मालूम ही है की उसके दीदी जीजू कहीं भी अपने प्यार का इजहार करने में शर्म महसूस नहीं करते... फिर जगह चाहे कोई भी हो!
सुमन (हमारी छेड़खानी को अनसुना और अनदेखा करते हुए): “जीजू दीदी.. मैं आप दोनों को खूब प्यार करती हूँ। उस दिन जब मैंने आप दोनों को.... सेक्स... (यह शब्द बोलते हुए वह थोडा सा हिचकिचा गयी) करते हुए दूर से देखा था। मैं बस इतना कह रही हूँ की आज मुझे आप पास से कर के दिखा दो! यह मेरे लिए सबसे बड़ा गिफ्ट होगा।”
रश्मि: “लेकिन नीलू, तेरे सामने करते हुए मुझे शरम आएगी।“ हम सभी जानते थे की यह पूरी तरह सच नहीं है।
सुमन: “प्लीज!”
रश्मि: “लेकिन तू अभी बहुत छोटी है, इन सब बातों को समझने के लिए!”
सुमन: “मैं कोई छोटी वोटी नहीं हूँ! और तुम भी मुझसे बहुत बड़ी नहीं हो। मैं अभी उतनी बड़ी हूँ, जिस उम्र में तुमने जीजू से शादी कर ली थी! और जीजू, अगर आप दीदी के बजाय मुझे पसंद करते तो?”
मैं (मन में): ‘हे भगवान्! छोटी उम्र का विमोह!’
मैं (प्रक्तक्ष्य): “अगर मैं तुमको पसंद करता तो मैं इंतज़ार करता – तुम्हारे बड़े होने का!”
सुमन: “जीजू! मैं बड़ी हूँ... और... और... मैं सिर्फ देखना चाहती हूँ – करना नहीं। आप दोनों लोग उस दिन बहुत सुन्दर लग रहे थे। प्लीज़, एक बार फिर से कर लो!”
मैं: “जानती हो, अगर किसी को मालूम पड़ा, तो मैं और तुम्हारी दीदी, हम दोनों ही जेल के अन्दर होंगे!”
सुमन: “जेल के अन्दर क्यों होंगे? मैं अब बड़ी हो गयी हूँ... वैसे भी, मैं किसी को क्यों कहूँगी? अगर आप लोग यह करेंगे तो मेरे लिए। किसी और के लिए थोड़े ही!“
मैं: “अब कैसे समझाऊँ तुझे!”
मैं (रश्मि से): “आप क्या कहती हैं जानू?”
रश्मि (शर्माते हुए): “आप मुझसे क्यों पूछ रहे हैं? बिना कपड़ो के तो मैं पड़ी हूँ!”
ऐसे खुलेपन से सेक्स की दावत! मेरा मन तो बन गया! वैसे भी, नींद तो कोसों दूर है.. मैं रजामंदी से मुस्कुराया।
सुमन (रश्मि से): “दीदी, तुम मुझे एक बात करने दोगी?”
रश्मि: “क्या?”
सुमन ने रश्मि के ऊपर से चद्दर हटाते हुए उसके निप्पल को अपने मुँह में भर कर चूसना आरम्भ कर दिया। सुमन के मुँह की छुवन और कमरे की ठंडक ने रश्मि के शरीर में एक बिलकुल अनूठा एहसास उभार दिया। उसके दोनों निप्पल लगभग तुरंत ही इस प्रकार कड़े हो गए मानो की वो रक्त संचार की प्रबलता से चटक जायेंगे! उसकी योनि में नमी भी एक भयावह अनुपात में बढ़ गयी। अपने ही पति के सामने उसके शरीर का इस प्रकार से अन्तरंग अतिक्रमण होना, रश्मि के इस एहसास का एक कारण हो सकता है। रश्मि वाकई यह यकीन ही नहीं कर पा रही थी की वह अपनी ही बहन के कारण इस कदर कामोत्तेजित हो रही थी। उसकी आँखें बंद थी। कामोद्दीपन से अभिभूत रश्मि, सुमन को रोकने में असमर्थ थी – इसलिए वह उसको स्तनपान करने से रोक नहीं पाई।
लेकिन जिस तरह से अप्रत्याशित रूप से सुमन ने यह हरकत आरम्भ करी थी, उसी अप्रत्याशित तरीके से उसने रोक भी दी। सुमन ने रश्मि को देखते हुए कहा,
“आई ऍम सॉरी, दीदी! पता नहीं मेरे सर में न जाने क्या घुस गया! सॉरी? माफ़ कर दो मुझे!”
रश्मि की चेतना कुछ कुछ वापस आई, और वह उठ कर बैठ गयी। इस नए अनुभव से वह अभी भी अभिप्लुत थी। रश्मि और सुमन दोनों ही काफी करीब थीं – लेकिन इस प्रकार की अंतरंगता तो उनके बीच कभी नहीं आई। रश्मि को यह अनुभव अच्छा लगा – अपने स्तानाग्रों का चूषण, और इस क्रिया के दौरान दोनों बहनों के बीच की निकटता। रश्मि ने आगे बढ़ कर सुमन को अपने गले लगा लिया – उसने भी सुमन के कठोर हो चले निप्पल को अपने सीने पर महसूस किया ... ‘ये लड़की कब बड़ी हो गई!’
रश्मि: “नीलू!”
सुमन (झिझकते हुए): “हाँ?”
रश्मि: “प्लीज़, सॉरी मत कहो!”
सुमन: “नहीं दीदी! तुम मुझे इतना प्यार करती हो न... एक दम माँ जैसी! इसलिए इन्हें पीने का मन हुआ..। सॉरी दीदी!“
“तू माँ का दुद्धू अभी भी पीती है? उनको भी मिर्ची वाला आईडिया दूं क्या?” रश्मि ने सुमन को छेड़ा।
सुमन (शरमाते हुए): “नहीं पागल... धत्त! ...लेकिन जीजू भी तो तुम्हारा दूध पीते हैं, और तुम माँ बनने वाली हो न, इसलिए मेरा मन किया। ... लेकिन इनमे तो दूध नहीं है.. प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो!”
रश्मि: “हम्म.. नीलू... अब बस! सॉरी शब्द दोबारा मत बोलना मुझसे! ठीक है?”
सुमन ने सर हिला के हामी भरी।
रश्मि: “गुड! अब ले... जी भर के पी ले..”
सुमन: “क्या... मतलब?”
रश्मि: “अरे पागल! ये बता, क्या तुमको इसे पीना अच्छा लगा?”
सुमन ने नज़र उठा कर रश्मि की तरफ देखा और कहा, “हाँ दीदी, बहुत अच्छा लगा!”
रश्मि: “फिर तो! लो, अब आराम से इसे दबा कर देखो और बेफिक्र होकर पियो! मुझे भी अच्छा लगेगा!” रश्मि ने अपने निप्पल की तरफ इशारा किया।
“क्या सचमुच? मुझे लगा की तुमको अच्छा नहीं लगा! ..और... मुझे लगा की तुम मुझसे गुस्सा हो!”
“पगली, मैं तुमसे कभी भी गुस्सा नहीं हो सकती!” कहते हुए रश्मि ने अपना कीमोनो पूरी तरह से उतार दिया, और मेरी तरह मुखातिब हो कर बोली, “ये दूसरा वाला आपके लिए है...”
पता नहीं क्यों, सुमन इस बार कुछ हिचकिचा गई। जब कुछ देर तक उसने कुछ नहीं किया, तो रश्मि ने खुद ही उसका हाथ पकड़ कर खुद ही अपने स्तन पर रख दिया। स्वतः प्रेरणा से उसने धीरे धीरे से चार पांच बार उसके स्तन को दबाया, और फिर अपना मुँह आगे बढ़ा कर उसका एक निप्पल मुंह में लेकर चूसने लगी। मैंने भी रश्मि का दूसरा स्तन भोगना आरम्भ कर दिया। उधर रश्मि का हाथ मेरे पाजामे के ऊपर से मेरे लिंग पर फिरने लगा – वो तो पहले से ही पूरी तरह से उन्नत था।
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