Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
12-17-2018, 02:16 AM,
#63
RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
“अरे.. दोस्तों को ऐसे विदा करते हैं?” कहते हुए हिमानी ने गले मिलने के लिए अपनी बाहें फैला दीं। अब शिष्टाचार के नाते गले तो मिलना ही चाहिए न? मैं झूठ नहीं बोल सकता – हिमानी को इतने समय बाद वापस गले लगाना अच्छा लगा... बहुत अच्छा! वही पुराना, परिचित और सुरक्षित अनुभव! मैंने उसके बालों में हाथ फिराया – प्रतिउत्तर में उसके गले से हलकी ‘हम्म्म्म’ जैसी आवाज़ निकली। उसको आलिंगन में ही बांधे, मैंने उसके बाल पर एक चुम्बन लिया।

“अरे.. ये तो गलत बात है! अगर किस करना है, तो लिप्स पर करो! बालों पर क्यों वेस्ट करना?” कहते हुए उसने मुझे होंठों पर चूम लिया। और हँसते हुए मेरे बालों में कई बार हाथ फिराया। मैं वहीँ दरवाज़े पर हक्का बक्का खड़ा यह सोचता रह गया की यह क्या हुआ? 

“ओके! टाटा! रश्मि आ जाय तो बताना... आई विल कम!” कहते हुए वह बाहर निकल गयी। और मैं सोचता रह गया की यह सब हुआ क्या?

और जल्दी ही रश्मि के वापस आने दिन आ गया। 

रश्मि ट्राली पर अपना सामान लेकर बाहर निकली। बहुत प्यारी लग रही थी – उसने एक श्वेताभ (ऑफ व्हाइट) कुरता और नीले रंग का शलवार पहना हुआ था। दुपट्टा भी श्वेताभ ही था। नहीं भई – यह कोई यूनिफार्म नहीं था, लेकिन उससे प्रेरित ज़रूर लग रहा था। मेरे साथ तो मैंने कभी भी रश्मि को सिन्दूर, मंगलसूत्र इत्यादि के लिए जबरदस्ती नहीं की – उसके कारण पूछने पर मैं उसको कहता की उसका पति तो उसके साथ है, फिर ऐसी औपचारिकताओं की क्या आवश्यकता? लेकिन उत्तराँचल में वह पूरी तरह से अपने माता पिता की रूढ़िवादी चौकसी के अधीन रही होगी, लिहाजा उसने इस समय सिंदूर, मंगलसूत्र, चूड़ियाँ और बिछिया सब पहन रखी थी। शलवार कुरता पहनने को मिल गया, यही बहुत है। रश्मि कुछ सहमी सी और उद्विग्न लग रही थी। उसकी आँखें निश्चित तौर पर मुझे ही ढूंढ रही थी। 

‘बेचारी! पहला लम्बा सफ़र और वो भी अकेले!’ लेकिन, हर बार तो मैं उसके साथ नहीं जा सकता न! उसको देखते ही मेरे चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गयी, एक बड़ी सी मुस्कान खुद ब खुद पैदा हो गई। 

“जानू! यहाँ!” मैंने पागलों के जैसे हाथ हिलाते हुए उसका ध्यान अपनी तरफ आकृष्ट करने का प्रयास किया।
रश्मि ने आवाज़ का पीछा करते हुए जैसे ही मुझे देखा, उसकी बाछें खिल गईं। सामान छोड़ कर वो मेरी तरफ भागने लगी। राहत, ख़ुशी और जोश – यह मिले जुले भाव.. जैसे किसी बिछड़े हुए को कोई अपना मिल गया हो! 

“जानू... जानू!!” न जाने कितनी ही बार वह यही एक शब्द भावुक हो कर दोहराते हुए मेरी बाहों में समां गयी। बहुत भावुक! कितना प्रेम! ओह! मैं इस लड़की को कितना प्यार करता हूँ! मैंने जोश में आकर उसको अपने आलिंगन में ही भरे हुए उठा लिया। न जाने किस स्वप्रेरणा से, रश्मि ने भी अपनी टांगें मेरे इर्द गिर्द लपेट लीं। 

मैंने तुरंत ही अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए – मेरे लिए इससे अधिक स्वाभाविक बात और कुछ नहीं हो सकती थी। कुछ देर तक हमने यूँ ही फ्रेंच किस किया और फिर मैंने रश्मि को वापस ज़मीन पर टिकाया। आस पास खड़े लोग हमारा मेल देख कर ज़रूर लज्जित हो गए होंगे! 

“मेरी जान..?”

“ह्म्म्म म्म्म?” वह मेरी आँखों में देख रही थी – कितनी सुन्दर! वाकई! मैंने नोटिस किया की उसका शरीर कुछ और भर गया था, उसके कोमल मुख पर यौवन के रसायनों का प्रभाव और बढ़ गया था, आँखों की बरौनियाँ और लम्बी हो गईं थीं, होंठों में कुछ और लालिमा आ गयी थी... कुल मिला कर रश्मि का रूप और लावण्य बस और बढ़ गया था। पहाड़ों की हवा में कुछ बात तो है!

“तुम बहुत सुन्दर लग रही हो! .. मैं बहुत बहुत हैप्पी हूँ की तुम वापस आ गयी!”

उसके चेहरे पर तसल्ली, खुशी, थकान और मिलन की भाव, एक साथ थे। हम दोनों बहुत दिनों बाद मिले थे... मिले क्या थे, बस यह समझिये की जैसे अन्धे को आखें और प्यासे को पानी मिल गया हो! इतने दिनों बाद उससे मिल कर दिल भर आया! पुरानी प्यास फिर जग गयी!

“मैं भी...!”

घर आते आते देर हो गई – बहुत ट्रैफिक था। रास्ते में मैंने घर पर सभी का हाल चाल लिया और रश्मि की पढाई लिखाई, सेहत और मेरे काम काज, और मौसम इत्यादि की चर्चा करी। घर आते ही सबसे पहले मैंने खाना लगाया (जो की मैंने एअरपोर्ट जाते समय पहले ही पैक करवा लिया था) और हमने साथ में खाया, और फिर टेबल साफ़ कर के बेडरूम का रूख़ किया। रश्मि अभी तक बेडरूम में नहीं आई थी – आकर वह जैसे ही बिस्तर पर बैठी, उसकी नज़र सामने की दीवार पर अपने नग्न चित्र पर पड़ी।

“अरे ये क्या लगा रखा है आपने? कोई अन्दर आकर देख ले तो?”

“क्या? अच्छा यह? यह तो मेरी जानेमन के भरपूर यौवन का चित्र है। आपके वियोग में इसी को देख कर मेरा काम चल रहा था।“

“आआ.. मेरा बच्चा!” रश्मि ने बनावटी दुलार जताते हुए कहा, “... इतनी याद आ रही थी मम्मी की..” और फिर ये कहने के बाद खिलखिला कर हंस दी। फिर अचानक ही, जैसे कुछ याद करते हुए, “पता है.... माँ ने आपके लिए शुद्ध... पहाड़ी फूलों के रस से बना हुआ शहद भेजा है...” कह कर उसने अटैची से एक बड़ी शीशी निकाली, 

“रोज़ दो चम्मच शहद पीने को बोला है... दूध के साथ! आपको पता है? शहद से विवाहित जीवन और बेहतर बनता है।“ 

“अच्छा जी? ऐसा क्या? तो अब ये भी बता दीजिए की कब खाना है?” मैंने भी मज़े में अपना मज़ा मिलाया।

“रात में...” रश्मि ने आवाज़ दबा कर बोला.. जैसे कोई बहुत रहस्यमय बात करने वाली हो, “प्रेम संबंध बनाने से पहले... हा हा हा..!” 

“हा हा! अरे मेरा शहद तो तुम हो! इसीलिए तो रोज़ तुमको खाता हूँ...” मैं अब मूड में आ रहा था, “ऊपर से नीचे तक रस में डूबी हुई... प्रेम सम्बन्ध बनाने से पहले मैं तो तुम्हारे अधर (होंठ) रस पियूँगा, फिर स्तन रस.. और आखिर में योनि रस...” कह कर मैंने रश्मि को पकड़ने की कोशिश करी। लेकिन वो छिटक कर मुझसे दूर चली गयी।

“छिः गन्दा बच्चा! अकेले रहते रहते बिगड़ गया है.. मम्मी से ऐची ऐची बातें करते हैं? .. ही ही!”

इस खेल में रश्मि के लिए प्रतिकूल परिस्थिति थी, और वह यह की उसके हाथ में भारी सा शहद का जार था। उसने बहुत सहेज कर उसको हमारे बेड के सिरहाने की टेबल पर रख दिया। मैंने तो इसी ताक में था – इससे पहले रश्मि कुलांचे भरती हुई कहीं और भाग पाती, मैंने उसको धर दबोचा। उसको पीछे से पकड़ने के कारण उसके स्तन मेरे दबोच में आ गए। महीने भर की प्यास पुनः जाग गयी : मैंने उनको बेदर्दी से दबाते और मसलते हुए, उसके खुले गले पर होंठों और दांतों की सहायता से एक प्रगाढ़ चुम्बन लिया। रश्मि सिसकने लगी। 

“आह... क्यों इतने बेसब्र हो रहे हो?” चुम्बन जारी है, “...अआह्ह्ह.... आराम से करो न! कहीं भागी थोड़े ही न जा रही हूँ...” मैंने उसके बोलते बोलते ही जोर से चूसा, “...सीईईई! आह!”

“एक महीना तुमने तड़पाया है... आज तो बदला लेने का भी दिन है, और पूरा मज़ा लेने का भी...” और वापस चूमने में व्यस्त हो गया।

रश्मि अभी तक यात्रा वाले कपड़ो में ही थी.. उनसे मुक्त होने का समय आ गया था। 

“बच्चे को मम्मी का दुद्धू पीना है...” मेरी आवाज़ उत्तेजनावश कर्कश हो गयी, “... अपनी चूचियां तो खोलो...” गन्दी बात शुरू! और मेरे हाथों की गतिविधियाँ भी! 

मैं कभी उसके स्तन दबाता, तो कभी उसके खुले हुए अंगों पर ‘लव बाईट’ बनाता। रश्मि की हल्की हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी थी। उसने मुझे इशारे से बताया की लाइट भी जल रही है और खिड़की पर पर्दा भी नहीं खींचा है, कोई देख सकता है। 

मुझे इस बात की परवाह नहीं थी... वैसे भी इतनी रात में भला कौन जागेगा? और अगर कोई इतनी रात में जागे, तो उसको कुछ पारितोषिक (ईनाम) तो मिलना चाहिए! मैंने रश्मि को पलट कर अपनी तरफ मुखातिब किया। उसकी आँखें बंद थीं। मैंने अपनी उंगली को उसके नरम होंठों पर फिराया, और फिर उसके होंठों को चूमने लगा। ‘उम्म्म! परिचित स्वाद!’ रश्मि भी चुम्बन में मेरा पूरा साथ देने लगी। एक दूसरे के होठों को प्रगाढ़ता से चूमने चूसने के दौरान मैंने उसकी कमर पर हाथ रख दिया और कुरते के अंदर हाथ डाल कर उसकी कमर को सहलाने लगा। बीच बीच में उसकी नाभि में उंगली से गुदगुदाने लगा। 

कपड़े तो खैर मैंने भी अभी तक चेंज नहीं किये थे। रश्मि भी अपनी तरफ से पहल कर रही थी – उसने मेरी पैंट की जिप खोली, और मेरी चड्ढी की फाँक में अपना हाथ प्रविष्ट कर के मेरे लिंग को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर बाहर निकाल लिया। ऊपर चुम्बन, नीचे रश्मि की कमर को सहलाना, और मेरे लिंग का सौम्य मर्दन! इन सब में मुझे बड़ा मजा आ रहा था। मैंने एक हाथ को उसके कुरते के अन्दर ही ऊपर की तरफ एक स्तन की तरफ बढाया, और दूसरे हाथ को उसके शलवार और चड्ढी के अन्दर डालते हुए उसकी योनि को छुआ।

‘वैरी गुड! उत्तेजना से फूली हुई... गर्म.... नम... योनि रस निकल रहा था।‘ मैंने कुछ देर अपनी उंगली को योनि की दरार पर फिराया, और फिर उसको निर्वस्त्र करने का उपक्रम शुरू किया। कुरता उतारते ही एक अद्भुत नज़ारा दिखाई दिया। उसके गोरे गोरे शरीर पर, स्तनों को कैद किये हुए काले रंग की ब्रा थी! गले में पड़ा मंगलसूत्र दोनों स्तनों के बीच में पड़ा हुआ था। सचमुच रश्मि का शरीर कुछ भर गया था - कमर और स्तनों में और वक्रता आ गयी थी! इस समय रश्मि किसी परी को भी मात दे सकती थी! मैंने हाथ बढा कर उसके स्तनों को हल्के से दबाया।

“ये दोनों.. थोड़े बड़े हो गए हैं क्या?”

रश्मि खिलखिला कर हंस दी, “और क्या! आप नहीं थे, इसलिए आपके हाथों में समाने के लिए व्याकुल हो रहे थे ये दोनों!” उसकी इस बात पर हम दोनों हँसने लगे। मैं पागलों के जैसे ब्रा के ऊपर से ही उनको दबाने और चूमने लगा।

“अरे रे रे..! ऐसे ही करने का इरादा है क्या?” रश्मि ने कामुक अंगड़ाई लेते हुए कहा, “ब्रा को भी तो उतारिए न!”

“आज तो तुम ही उतारो मेरी जान! हम तो देखेंगे!”

रश्मि मुस्कुराई और फिर बड़े ही नजाकत के साथ हाथ पीछे कर कर के अपनी ब्रा के हुक़ खोले और जैसे ही उसने वह काला कपड़ा हटाया, दोनों स्तन आज़ाद हो गए। मानों रस से भरे दो सिन्दूरी आम उसकी छाती पर परोस दिए गए हों! दोनों निप्पल इरेक्ट! और मेरा लिंग भी!

मैंने इशारे से उसको शलवार भी उतारने को कहा। रश्मि ने नाड़ा खोल कर जैसे ही उसको ढीला किया, शलवार उसकी टांगो से होकर फर्श पर गिर गयी। चड्ढी के सामने वाला हिस्सा कुछ गीला हो रहा था। वही हिस्सा उसकी योनि की दरार में कुछ फंसा हुआ था। अब मुझसे रहा नहीं गया; मैंने तुरंत रश्मि को अपनी गॉड में उठाया और बिस्तर पर पटक दिया और अपने दोनों हाथों से रश्मि की चड्ढी नीचे सरका दी।
Reply


Messages In This Thread
RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प ) - by sexstories - 12-17-2018, 02:16 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,547,463 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 549,632 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,252,089 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 946,610 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,681,058 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,103,398 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,989,815 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,183,860 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,079,332 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 289,388 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)