RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
एक महीना ज्यादा भी होता है और कम भी! उसका अंतराल इस बात पर निर्भर करता है की हमारी मनःस्थिति कैसी है? मजे की बात यह है की हम दोनों की मनःस्थिति प्रसन्न भी थी, और बेकल भी। प्रसन्न इस बात से की एक एक कर के महीने के सारे दिन बीत रहे हैं, और बेकल इस बात से की कैसे जल्दी से ये दिन बीत जाएँ। विचित्र बात है न की प्रकृति अपने निर्धारित वेग पर चलती रहती है, लेकिन हम मानव अपने मन में कुछ भी सोच सोच कर उसके विचित्र परिमाण बनाते रहते हैं – ‘यह हफ्ता कितनी जल्दी बीत गया’, ‘इस बार यह साल बहुत लम्बा था’ इत्यादि!
मैंने इस माह सिर्फ तीन काम ही किए – अपना ऑफिस का काम (भगवान् की दया से यह बहुत ही लाभकर महीना साबित हुआ), सेहत बनाना (शादी के बाद इस दिशा में कुछ लापरवाही हो गयी थी.. लेकिन अब वापस पटरी पर आ गयी) और रश्मि की बाट जोहना!
शनिवार
सवेरे के करीब साढ़े दस बज रहे होंगे – आज वैसे भी बहुत ही आलस्य लग रहा था। सवेरे न तो जॉगिंग करने गया, और न ही कसरत! बस पैंतालीस मिनट पहले ही जबरदस्ती बिस्तर से उठ कर, काफ़ी बना कर, अखबार के साथ पीने ही बैठा था की डोरबेल बजी!
‘इतने सवेरे सवेरे कौन है!’ सोचते हुए मैंने जब दरवाज़ा खोला तो देखा की सामने हिमानी खड़ी थी। हिमानी याद है न? मेरी भूतपूर्व प्रेमिका!
“हाआआय!” हिमानी का मुस्कुराता हुआ चेहरा जैसे सौ वाट के बल्ब जैसे चमक रहा था।
मैं भौंचक्क! ‘ये यहाँ क्या कर रही है?’ दिमाग में अविश्वास और संदेह ऐसे कूट कूट कर भरा हुआ है की सहजता समाप्त ही हो चली है मेरे अन्दर। मेरे मुंह से बोल नहीं निकली।
“आज बाहर से ही दफ़ा करने का इरादा है क्या?” हिमानी ने बुरा नहीं माना। अच्छे मूड में लग रही है।
“हे! हेल्लो! आई ऍम सॉरी! प्लीज... कम इन! यू सरप्राइज्ड मी!” मैंने खुद को संयत कर के जल्दी से उसको अन्दर आने का इशारा किया।
“सरप्राइज होता तो ठीक था... तुम तो शाक्ड लग रहे हो! हा हा!” हिमानी हमारे ब्रेकअप से पहले अक्सर घर आती थी, और हम दोनों कई सारे अन्तरंग क्षण साथ में बिता चुके थे... लेकिन वो पुरानी बात है।
“कॉफ़ी पियोगी?” मैंने पूछा।
“अरे कुछ पीना पिलाना नहीं है! आज तो मस्ती करने का मूड है! रश्मि कहाँ है? उसको शौपिंग करवाने लेने आई हूँ..”
“शौपिंग?” हिमानी को शौपिंग करना बहुत अच्छा लगता था (वैसे किस लड़की/स्त्री को अच्छा नहीं लगता?)।
“रश्मि तो नहीं है..”
“नहीं है? कहाँ गयी?”
“वो अपने मायके गई है..”
“मायके? अरे, अभी तो तुम दोनों वापस आये हो हनीमून से! अभी से दूरियाँ? या फिर तुमने कुछ कर दिया, यू नॉटी बॉय? यू क्नो! हा हा हा!” हिमानी मेरी टांग खींचने से बाज़ नहीं आती कभी भी।
कमाल की बात है! इस लड़की का दिल वाकई बहुत बड़ा है। मैंने ब्रेकअप के बाद, जिस बेरुख़ी से हिमानी से किनारा किया था, मुझे कभी नहीं लगता था की वो मुझसे फिर कभी बात भी करना चाहेगी। लेकिन उसको इस तरह से हँसते बोलते देख कर मुझे यकीन हो गया की उसने मुझे माफ़ कर दिया था। लेकिन फिर भी, मैं अपने नए जीवन में कोई भी या किसी भी प्रकार का उलझाव नहीं आने देना चाहता था।
‘इसको जल्दी टरकाओ यार!’ मैंने सोचा।
“ऐसा कुछ नहीं है... उसकी क्लासेज हैं न! इसलिए गयी है।“
“क्लासेज? कौन सी? किस क्लास में है वो अभी?”
“इंटरमीडिएट! आएगी वो दस दिन बाद! तब ले जाना उसको शौपिंग!” मुझे लगा की वो यह सुन कर चली जायेगी।
“व्हाट? इंटरमीडिएट? तुमने ‘बाल विवाह’ किया है क्या? हा हा हा! ओ माय गॉड! बालिका वधू.. हा हा हा!” हिमानी पागलो के तरह सोफे पर हँसते हुए लोट पोट हुई जा रही थी।
“सॉरी सॉरी... हा हा! मेरा वो मतलब नहीं था। मैं बस तुमसे मजे ले रही हूँ.. ओके? डोंट माइंड!” हिमानी अंततः चुप हुई.. और कुछ देर रुकने के बाद बोली,
“... रश्मि वाकई बहुत प्यारी है। यू आर अ लकी मैन! उस दिन तुम्हारी रिसेप्शन क्रैश करने के लिए मुझे माफ़ कर देना... लेकिन मैं देखना चाहती थी की तुमने किससे शादी की है.. रहा नहीं गया! पुरानी आदत! सॉरी!” उसकी आवाज़ में निष्कपटता थी।
“लेकिन... उस दिन उसको देखा तो मैं अपना सारा गुस्सा भूल गई! यू डिसर्व्ड हर। वो बहुत प्यारी है... तुम बुरे आदमी नहीं हो... बस थोड़ा बच्चे जैसे हो। वो छोटी है, लेकिन तुमको प्यार करती है – उसकी आँखों में दिखता है। शी विल टेक केयर ऑफ़ यू! और यह मत सोचना की मैं रश्मि से मिल कर तुम्हारी कोई बुराई करूंगी... आई जस्ट वांट टू बी हर फ्रेंड! डू यू माइंड?” हिमानी की यह स्पीच बहुत संजीदा थी। कोई बनावट नहीं।
“आई ऍम सॉरी हिमानी। आई रियली ऍम! शायद तुम सही हो – और मैं वाकई एकदम बचकाना हूँ..”
हिमानी ने मेरी बात बीच में काट दी, “... नहीं बचकाने नहीं.. मेरा मतलब था, तुम मेरे छोटे भाई होने चाहिए थे.. लवर नहीं।“
“तुमने शादी की?”
“तुमको क्या लगता है?”
“ह्म्म्म....” (मतलब नहीं की।)
“प्यार वार के मामले में अपनी किस्मत थोड़ी खोटी है.. खैर, मेरी बात फिर कभी.. तुम बताओ.. नया और एक्साइटिंग तो तुम्हारी लाइफ में चल रहा है.. सबसे पहले ये बताओ की तुमको इतनी प्यारी लड़की मिली कहाँ? ... और हाँ, एक कप कॉफ़ी मेरे लिए भी बना दो!”
हिमानी से बात करके ऐसा लगा ही नहीं की उससे आखिरी बार तीन साल पहले मिला। ये लड़की बहुत बिंदास थी – पूरी तरह स्वनिर्भर, बेख़ौफ़, और अपने मन की बात कहने और करने वाली। बहुत कुछ सीखा मैंने इससे... लेकिन होनी को कुछ और ही मंज़ूर था! मैंने अपनी उत्तराँचल रोड-ट्रिप और फिर रश्मि और उसके परिवार वालों से मिलने, और फिर हमारी शादी की बात सिलसिलेवार तरीके से सुना दी। हिमानी को यह सुन कर अच्छा लगा की मैंने कम से कम छुट्टियाँ तो लीं..
“ये तो पूरी तरह से फेयरी-टेल है! आई ऍम सो हैप्पी फॉर यू..” फिर घड़ी देखते हुए, “अरे यार! ये तो एक बज रहा है! पूरा प्लान बेकार हो गया... बोलना अपनी बीवी को, की ऐसे इधर उधर रहेगी तो हमारी दोस्ती कैसे होगी?”
जवाब में मैं सिर्फ मुस्कुरा दिया।
“अच्छा... तो हम चलते हैं..” गाते हुए हिमानी उठने लगी।
मैं मुस्कुराया, “ओके! बाय! यू टेक केयर!”
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