RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
“जानू, प्लीज! मैं इनको साफ़ कर देता हूँ। मैं शेविंग करने में एक्सपर्ट हूँ। साफ़ हो जायेगी तो फिर आप ही बोलोगी, की कितनी ख़ूबसूरत चूत है मेरी!”
“धत्त! न बाबा! मुझे शर्म आती है!”
“अरे भाड़ में गई शर्म! तो फिर तय रहा... नाश्ते के बाद आज मैं तुमको नहलाता हूँ... ओके? ठीक से! चलो उठो... जल्दी से नाश्ता करने चलते हैं...” कह कर मैं बिस्तर से उठा, और रश्मि को भी उठाया। मैंने उठ कर कमरे की खिड़कियाँ खोल दीं और वातानुकूलन बंद कर दिया। आज भी मौसम अच्छा था – बढ़िया हवा चल रही थी। परदे खींच दिए, जिससे कोई कमरे के अन्दर यूँ ही आनायास न देख सके...
फ्रेश हो कर और ब्रश करने के बाद नाश्ता समाप्त किया और जल्दी से अपने कमरे में चले आए।
मैंने अपने बैग से शेविंग किट निकाली – रिसेप्शन वाले दिन से मैंने अब तक शेविंग नहीं बनाई थी, इसलिए चेहरे पर कड़े बाल की ठूंठ निकल आई थी। मैंने जल्दी से अपनी शेविंग ख़तम करी – वैसे भी मुझे अपनी दाढ़ी बनाना बहुत ही ऊबाऊ काम लगता है। समय की बर्बादी! फिर रेजर में नए ब्लेड-कार्टरिज लगा कर रश्मि को पुकारा,
“आओ.. मैंने तुमको नहलाता हूँ।“
रश्मि ने सर हामी में हिलाया, और पहनने के लिए कपड़े तह कर के बाथरूम के अन्दर आई।
“ये क्या? नहाने के बाद कपड़े पहनने का इरादा है क्या?”
“क्यूँ जी? नहलाने के बाद बच्ची को नंगी रखने का इरादा है क्या आपका?”
“जानेमन शेविंग और नहाने के बाद ऐसी चिकनी हो जाओगी, तो खुद ब खुद नंगी होने का मन करेगा।“ मेरी बात सुन कर रश्मि का चेहरा शर्म से सुर्ख लाल हो गया।
रश्मि का परिप्रेक्ष्य
जघन क्षेत्र की शेविंग जैसा तो मैंने अपने पूरे जीवन में कभी नहीं सुना। ये भी न जाने क्या क्या आईडिया लाते हैं... नित नए प्रयोग, नित नए अनुभव! बाप रे! क्या दिमाग है इनके पास!
बाथरूम में वैसे कोई स्टूल या कुर्सी तो थी नहीं, इसलिए मैं खुद ही टॉयलेट के कमोड की सीट पर कवर रख कर के उसी पर बैठ गई। कपड़े उतारने का काम मेरे श्रीमान ने ही कर दिया। इस समय मैं नितांत नग्न थी, और मन ही मन सोच रही थी की कैसा अनुभव होगा! न जाने कैसे दिल में हमारे प्रथम मिलन के पहले होने वाला अनजान भय घर कर गया। फिर मैंने सोचा की ये हैं, तो फिर क्या डर? मैंने अपने पांव यथा-संभव खोल दिए, जिससे इनको मेरी योनि के सारे हिस्से में अभिगमन करने में आसानी हो। उन्होंने मुझको ऐसे ही बैठे रहने को कहा, और फिर अपनी शेविंग क्रीम और ब्रश की सहायता से मेरी योनि पर देर तक ढेर सारा झाग बनाया। उन्होंने समझाया की वह इसलिए ऐसा कर रहे हैं जिससे मेरे बाल पूरी तरह से मुलायम हो जाएँ। वो सब तो ठीक है, लेकिन समस्या यह थी की इनके शेविंग ब्रश की मेरी योनि पर मीठी मीठी रगड़ाई और ठन्डे ठन्डे पानी के स्पर्श से मेरा मन बेबस हुआ जा रहा था। ‘बैजर हेयर’ हाँ... शायद यही बताया था... किसी जानवर के बाल से बना हुआ था ब्रश! मुलायम! अनजाने ही मेरी टाँगे और खुलती चली गईं...
“वेल,” उन्होंने मेरी उत्तेजना ज़रूर कह्सूस करी होगी.. लेकिन फिर भी बिना किसी भाव के कहा, “थैंक यू! इससे शेव करने में ज्यादा आसानी होगी!”
फिर उन्होंने रेजर की मदद से सावधानीपूर्वक धीरे धीरे मेरी योनि पर से बाल की परत हटाने का उपक्रम आरम्भ किया। कभी वे त्वचा को इधर खींचते तो कभी उधर, कभी फैलाते, तो कभी दबाते, तो कभी योनि के दोनों होंठों को उँगलियों से फैलाते। उनके लिए यह शायद सिर्फ शेविंग करना हो, लेकिन उत्तेजना के मारे मेरी हालत खराब हुई जा रही थी। बहुत ज्यादा बाल नहीं थे, इसलिए कोई पांच मिनट के बाद उन्होंने अपना काम समाप्त कर दिया... कमरे की हवा का स्पर्श मेरी योनि ठंडा ठंडा महसूस हो रहा था, इसलिए मुझे समझ आया की मेरी योनि पूरी तरह बाल-विहीन हो गई है। लेकिन उन्होंने मुझे इसको देखने से मना कर दिया – कहने लगे की जब मैं कहूं, तभी देखना। ठीक है! इंतज़ार और सही!
उन्होंने काम होने के बाद एक छोटे तौलिये से मेरी योनि पोंछी और कहा, “अरे वाह जानेमन! हाय! मैं मर जावां!”
इनकी इस निर्लज्ज उद्घोषणा से मैं बहुत शर्मा गई... लेकिन फिर भी उत्सुकतावश मैंने नीचे देखने की कोशिश करी। लेकिन उन्होंने फिर से मना कर दिया और कहा की अब मैं तुमको नहलाऊँगा। उन्होंने मेरी कलाई पकड़ कर मुझे कमोड से उठाया और फिर बाथरूम के नहाने वाले स्थान पर ले गए। उन्होंने पानी का फौव्वरा चलाया और खुद भी निर्वस्त्र होकर मेरे साथ शामिल हो गए। हम नहाने के लिए रिसोर्ट के साबुन का प्रयोग नहीं कर रहे थे – ये ही न जाने कौन सा बेहद सुगन्धित साबुन लाये थे।
खैर, रूद्र ने बड़े इत्मीनान से मेरे पूरे शरीर पर साबुन रगड़ा – ख़ास तौर पर मेरे बगल में, मेरे स्तनों पर और मेरी योनि और नितम्बों के बीच के हिस्से पर!
“ज़रा अपने पैर खोल कर सीधी खड़ी हो जाना तो.. तुम्हारी चूत और गांड की सफाई कर देता हूँ।“ मुझे उनकी गन्दी भाषा सुन के बुरा तो लगता है, लेकिन एक तरह की उत्तेजना भी आती है। अब इस विरोधाभास की व्याख्या कैसे करूँ, समझ नहीं आता।खैर, उनके आदेश का पालन करते हुए मैं अपनी टाँगे खोल कर सीधी खड़ी हो गई.. और उनकी उंगलियाँ निर्बाध रूप से मेरी योनि, उसके भीतर और मेरी गुदा के भीतर सफाई के बहाने सेंध लगाने लगीं।
“आह! क्या कर रहे हैं..!?”
“चुप!” उन्होंने मीठी झिड़की लगाई।
इस क्रिया के दौरान उनका खुद का लिंग खड़ा हो गया.. मैंने हाथ बढ़ा कर उसको पकड़ने की कोशिश करी।
“नहीं.. अभी नहीं..” कह कर उन्होंने मुझे रोक दिया।
उन्होंने खुद पर भी साबुन लगाया और फिर हम दोनों साथ में फौव्वारे के नीचे नहाने लगे। उसमे ज्यादा समय नहीं लगा। उन्होंने एक बड़ी तौलिया उठाई और पहले मेरा और फिर अपना शरीर पोंछ कर मुझे वापस बेडरूम में ले आये, और मुझे बड़े शीशे के सामने खड़ा कर बोले,
“अब देखो..!”
शीशे के सामने खड़े हुए मैं अपने को निहारती हूँ - मेरा स्वयं का अनावृत्त शरीर! एक पल को मैं खुद को पहचान ही नहीं पाती हूँ... कब देखा है मैंने खुद को इस तरह? इतने इत्मीनान से? न तो एकांत मिलता है और न ही इस प्रकार के संसाधन! ऐसा लगा की आईने में दिखने वाली लड़की मैं नहीं हूँ। यह एक कमसिन और बाल-रहित योनि वाली लड़की थी - जैसे कोई छोटी बच्ची!
हे भगवान्! मेरी योनि के होंठों के सिलवटें साफ़ साफ़ दिख रही थीं। ऐसे तो मैंने इनको कभी नहीं देखा था। ऐसे लग रहा था की जैसे उनकी नुमाइश लगा दी गई हो। बाप रे! अपने आपको इतनी नंगी मैंने कभी नहीं महसूस किया। मैंने शर्मा कर अपनी योनि को अपने हाथों से छुपा लिया और कहा, “मुझे बहुत शरम आ रही है।“
युवा वक्ष, छोटे कंधे, गोलाकार नितंब, और केशों से टपकती पानी की बूंदें...! मैं खुद पर मुग्ध हुई जाती हूँ... खुद के शरीर पर! इतनी खूबसूरत हूँ क्या मैं... सचमुच? क्या सचमुच रूद्र रोज़ निर्बाध इसी सौन्दर्य का पान करते हैं? मैंने कनखियों से उनकी तरफ देखा... उनकी आंखों में मेरे लिए कामना थी - उद्दीप्त कामना! एक चाहत थी - उद्दाम चाहत...!
“मज़ा आया, जानेमन?”
उत्तर में मैं सिर्फ मुस्कुराई...
“अब बताओ... इस बच्ची को नंगा नहीं, तो फिर कैसे रखा जाए?” उनकी आवाज़ एक परिचित रूप से कर्कश हो गई थी... इस कर्कशता की मैं पहचानती हूँ.. वो खुद भी उत्तेजित थे – मुझमें आसक्त!
“आओ इधर और बिस्तर पर लेट जाओ।“ उन्होंने अगला आदेश दिया।
मैं बिस्तर की तरफ जाते हुए देखती हूँ की रूद्र अपने बैग से किसी प्रकार की बोतल निकाल रहे थे। मैं लेट जाती हूँ और वे मेरे पास आकर कहते हैं, “तुम्हारी स्किन ड्राई हो गई होगी। मैं क्रीम लगा देता हूँ.. अच्छा लगेगा!”
मैं मूर्खों के जैसे पूछती हूँ, “आप मेरे पूरे बदन पर क्रीम लगायेंगे?”
“बस देखती जाओ...”
रूद्र मेरे सर के नीचे दूसरी सूखी तौलिया रख देते हैं, जिससे बिस्तर गीला न हो और फिर अपनी हथेली में ढेर सारी क्रीम लेकर मेरे स्तनों, हाथों और पेट पर धीरे धीरे रगड़ देते हैं। अगला राउंड मेरी जांघों और पैरों का था। फिर उन्होंने मेरी योनि को निशाना बनाया – क्रीम लगते ही हलकी सी चुनचुनाहट हुई। शायद शेविंग करने में कहीं कुछ कट गया होगा। मेरी सिसकियाँ निकल गई, लेकिन मैं उनको रोका नहीं।
उन्होंने तीन चार मिनट तक अपनी उँगलियों से मेरी योनि पर अच्छी तरह से क्रीम लगाया.. इतनी अच्छी तरह की मैं उसी बीच एक बार परम सुख भी पा गई। उन्होंने मुझे कुछ देर सुस्ताने दिया और फिर कहा,
“अभी पेट के बल लेट जाओ..”
मैं उनकी आज्ञापालन करते हुए पलट गई। उन्होंने पहले पीठ पर क्रीम लगाई और फिर पैर और जाँघों के पिछले हिस्से पर लगाई। माँ के बाद मुझे इतने अन्तरंग तरह से शायद ही किसी ने मालिश की हो... और मुझे वो तो याद भी नहीं! शरीर भर में सिहरन दौड़ गई। उसके बाद उन्होंने एक तकिया उठाकर मेरे जघन क्षेत्र के नीचे लगा दी। इससे यह हुआ की मेरे नितंब काफी उठ से गए।
‘क्या करने वाले हैं ये?’ मैंने सोचा।
“जानू, मेंढ़क के जैसे हो जाओ..”
मुझे समझ नहीं आया..., “मतलब? कैसे?”
रूद्र ने पीछे से ही मेरे पैर ऊपर की तरफ उठा दिए, इस प्रकार जैसे मेरे घुटने मेरे पेट के बराबर हो जाएँ, और हाथ को मेरे सर (मस्तक) के नीचे रख दिया। बहुत बेढब सी अवस्था थी... घुटने पेट के बराबर, पैर फैले हुए – मेरी योनि और ... गुदा दोनों ने खुल कर निर्लज्ज प्रदर्शनी लगा रखी थी इस समय।
“आप क्या करने वाले हो?” मैं बच्चे जैसे रिरियाई।
“श्श्श्हह्ह... कुछ देर शांत रहो.. अगर मज़ा न आए, तब कहना। ओके?”
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