RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
मुझे क्या आपत्ति हो सकती थी? मैं तो इसी ताक में था। रश्मि को अलग कर मैंने लगभग तुरंत ही कपडे उतार दिए और बेड पर सिरहाने की ओर आकर बैठ गया। मेरा लिंग इस समय अपने पूरे आकार में आकर निकला हुआ था। रश्मि ने पहले तो अपनी उँगलियों से उसे प्यार से छुआ और फिर सहलाया और फिर अप्रत्याशित रूप से उस पर एक चुम्बन रसीद कर दिया। मेरे लिंग ने उसकी इस क्रिया के अनुकूल उत्तर दिया और पत्थर की तरह कठोर हो गया। अब रश्मि मेरे ऊपर लगभग औंधी लेट कर मेरे लिंग के साथ खेल रही थी, और मैं उसके चिकने नितम्बों के साथ - मैंने उन पर कपड़े के ऊपर से ही प्यार से हाथ फिराना शुरू कर दिया। मैंने उसकी स्विमसूट को थोडा सा खिसका कर अपनी उँगलियों से उसकी नितम्बों के बीच की दरार पर सहलाना शुरू कर दिया। और उधर, रश्मि मेरे लिंग को मुँह में रख कर चूस रही थी।
उसकी नरम मुलायम जीभ का गुनगुना अहसास मेरे लिंग पर महसूस कर के मुझे फिर से मदहोशी छाने लगी। दोस्तों, कुछ भी हो – अपने जीवन में कम से कम एक बार अपनी प्रेमिका/पत्नी को अपने लिंग का चूषण करने को अवश्य कहिये। यह एक ऐसा अनुभव होता है, जिससे आगे और कुछ भी नहीं। उसने कोई 5-6 मिनट उसने मेरा लिंग चूसा होगा, फिर वो अपने होंठो पर जीभ फेरती हुई उठ खड़ी हुई। उसकी आँखों में एक शैतानी चमक थी।
मैंने रश्मि को पुनः अपनी बाहों में भर लिया, और फिर से उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए। उसके मुंह से मुझे मेरे ही रस की खुशबू और स्वाद महसूस हुई।
मैंने उसके स्विमसूट के ऊपर से उसके स्तन को छूते हुए कहा, “मेरी जान, अब इसका क्या काम है? ज़रा अपने मीठे मीठे, रसीले संतरों को आज़ाद करो ना... प्लीज!”
“आप ही आज़ाद कर दो...” रश्मि ने कहा।
मैंने झटपट उसकी कास्ट्यूम की डोरी खोल दी और उसके तन से उतार कर अलग कर दी। रश्मि के दोनों स्तन तन कर ऐसे खड़े हो गए, मानो उन्हें बरसों के बाद आजादी मिली हो। मैंने आगे बढ़ कर उन पर तड़ातड़ उनपर चुम्बनों की बरसात कर दी। रश्मि के पूरे शरीर में सिहरन को लहर दौड़ गयी। मैंने उसके निप्पल पर धीरे से जीभ फिराई और उसको पूरे का पूरा अपने मुंह में भर कर चूसने लगा। रश्मि सिसकारियां गूंज उठीं। वह मेरी गोद में बैठी थी - मेरा एक हाथ उसके नग्न नितम्बों पर घूम रहा था, तो दूसरा हाथ उसका दूसरा स्तन दबा-कुचल रहा था।
मेरे चूसने के कारण उसके निप्पल तन कर पेन की तरह एकदम तीखे हो गए। मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसके एक हाथ को थोडा ऊपर उठा कर उसकी कांख पर चूमने और चाटने लगा। समुद्री पानी की महक, और नमकीन स्वाद से मेरे मन में मादकता और भर गयी। मेरे चाटने और चूमने से रश्मि उतेजना और गुदगुदी से रोमांचित हो चली। उसको वहां पर चूमने के बाद, मैंने पुनः उसका चेहरा अपनी हथेलियों में थाम कर उसके होंठ, माथे, आँखों, गालों, नाक और कानों को चूमता चला गया। रश्मि पलकें बंद किये एक अलग ही दुनिया की सैर कर रही थी - उसकी साँसे तेज चल रही थी होंठ कंपकपा रहे थे। मैंने उसके गले और फिर उसके स्तनों को चूमा, और फिर दोनों स्तनों के बीच के हिस्से को जीभ लगा कर चाटा। रश्मि बस सिसकारियां भर रही थी।
मैंने धीरे से उससे कहा, “जानू, आँखें खोलो!”
लेकिन उससे हो नहीं पाया। खैर, मैंने उसे एक बार फिर बाहों में भर कर पुनः उसकी पलकों पर एक चुम्बन दिया। काम और प्रेम का मिश्रित प्रभाव रश्मि पर अब साफ़ देखा जा सकता था। सचमुच, ऐसी अवस्था में लिप्सा रस में डूबी, नवयौवना, नवविवाहिता भारतीय नारी सचमुच रति का ही अवतार लगती है। मैंने उसके गालों को चूमते हुए उसके होंठों पर फिर से होंठ लगा दिए। उसने भी मुझे चूम लिया और अपनी बाहों में मुझे जोर से कस लिया। उसका शरीर कांप रहा था। मैंने धीरे धीरे उसके गले को चूमा और फिर से नीचे की तरफ उतरते हुए उसके स्तनों को चूमता हुआ उसकी नाभि के छेद को चूमने और अपनी जीभ की नोक से सहलाने लगा – रश्मि बस मीठी सीत्कार किये जा रही थी।
“आह! ओह..! जानू! ये आप क्या कर रहे हो? प्लीज बस करो! मैं मर जाउंगी।”
मैं बिना कुछ बोले उसकी नाभि में अपनी जीभ की नोक लगा कर झटके दे रहा था। रश्मि ने कस कर अपनी जांघें भींच ली और मेरे सिर के बाल पकड़ लिए। फिर नीचे आते हुए मैंने जैसे ही उसके पेडू पर जीभ लगाई, उसने एक जोर की किलकारी मरी – उसमे हंसी, पीड़ा, आनंद और वासना की मिश्रित ध्वनि निकली। उसका शरीर बेकाबू होकर कांपने लगा और कांपता ही गया। मुझे समझ आ गया की रश्मि अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गयी है। मैंने इतनी देर में पहली बार उसकी योनि पर चुम्बन लिया – वह हिस्सा कामरस से पूरी तरह से भीग गया था। जैसे ही मैंने वहां पर अपने होंठ रखे, उसकी जांघें चौडी होती चली गई।
मैने अपनी दोनों हाथों की उँगलियों से उसकी योनि की पंखुडियों को थोडा फैलाया – उत्तेजना के मारे रक्तिम हो चली उसकी क्लिटोरिस और वाकई रश्मि की छोटी उंगली की परिधि वाली योनि छेद मेरे सामने उपस्थित हो गयी। मैं अब भला कैसे रुक सकता था? मैने अपने होंठ उन फंको पर रख दिए – इस छुवन से रश्मि का पूरा शरीर काँप गया, और मुंह मीठी सिसकारियां निक़ल रही थी। मैने उसके भगनासे को जैसे ही अपनी जीभ से टटोला, उसकी योनि से कामरस की आपूर्ति होने लगी। रश्मि का ओर्गास्म अभी भी जारी था – कमाल है! मैंने दो तीन मिनट तक उसका योनि-रस-पान किया और फिर उठ कर अपने लिंग को उसके द्वार पर स्थापित किया।
इस लम्बे फोरप्ले के दौरान मेरा खुद की उत्तेजना अपने शिखर पर थी, लिहाजा, मेरा स्वयं पर काबू रखना बहुत ही मुश्किल था। कोई तीन-चार मिनट तक जोरदार ताबड़-तोड़ धक्के लगाने के बाद मैं उसके अन्दर ही स्खलित होकर शांत हो गया। आज यह तीसरी बार था – इसलिए वीर्य की मात्रा अत्यल्प थी। ऊपर से थकावट बहुत अधिक हो गयी थी, इसलिए मैं रश्मि के ऊपर ही गिर गया।
“हटो गंदे बच्चे!” रश्मि ने मुझे अपने ऊपर से हटाया, और आगे कहना जारी रखा, “आपने तो मुझे मार ही डाला।“ रश्मि अपनी योनि को सहलाते हुए बोली, “कोई इतनी जोर से करता है क्या? आःहह..!”
“हा हा हा!”
दूसरे हाथ की उँगलियों से उसने मेरे सिकुड़ते हुए लिंग को पकड़ कर मुझे चिढाते हुए कहा, “हाँ हाँ ... हँस लीजिये! मुसीबत तो मेरी है न! ये आपका जो केला है न, उसको काट कर छोटा कर देना चाहिए... और कटर से छील कर पतला भी कर देना चाहिए! मेरी तकलीफ़ कम हो जाएगी!”
“ये केला कट गया तो आपकी तकलीफ़ के साथ साथ आपका मज़ा भी कम हो जायेगा!” फिर थोड़ा रुक कर,
“क्या वाकई आपको बहुत तकलीफ होती है?”
“नहीं जानू... मजाक कर रही थी मैं। ऐसी कोई तकलीफ तो नहीं होती – मुझे अभी ठीक से आदत नहीं है न.. इसलिए, लगता है की थोड़ा .... कैसे कहूँ... उम्म्म... जैसे घिस गया हो, ऐसा लगता है। वो भी काफी बाद में!”
कुछ देर हम लोग बिस्तर पर पड़े हुए अपनी साँसे ठीक करते रहे, और फिर रश्मि ने बोला,
“जानू, हमको थोड़ा सावधान रहना होगा।“ वह थोड़ा शरमाई, “... पिछले एक हफ्ते से हम दोनों बिना किसी प्रोटेक्शन के सेक्स कर रहे हैं।“ मेरे कान सावधानी में खड़े हो गए। “अगर आप चाहते हैं तो ठीक है... लेकिन मैं.... प्रेग्नेंट... हो जाऊंगी!”
बात तो सही है – मैं भी इतना भोंपा हूँ की बिना किसी जिम्मेदारी के बस पेलम-पेल मचाये डाल रहा हूँ और एक बार भी नहीं सोचा की इतनी छोटी लड़की के कुछ अरमान होंगे जिंदगी जीने के! अगर इतनी छोटी सी उम्र में वह माँ बन गयी तो सब चौपट!
“आप माँ बनना चाहती हैं?”
“अगर आप कहेंगे तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी।“
“लेकिन अभी नहीं... है न?”
“कम से कम.. पढाई पूरी हो जाए?” रश्मि ने शर्माते हुए कहा।
“आपके पीरियड्स कब हैं?”
“तीन चार दिन बाद...!” यह इतना व्यक्तिगत सवाल था की रश्मि को और नग्नता का एहसास होने लगा – उसके चेहरे पर शर्म की लालिमा साफ़ दिख रही थी।
“आई ऍम सॉरी जानू! आई ऍम वेरी सॉरी! मैं बहुत ही गैर-जिम्मेदार आदमी हूँ!”
“आप ऐसा न कहिए.. प्लीज! मैं भी आपसे बहुत प्यार करती हूँ। आप जैसे कह रहे थे... लड़कियाँ वैसे नहीं होतीं... कम से कम मैं नहीं हूँ... जैसे आप नहीं रह पाते हैं, वैसे ही मैं भी नहीं रह पाती हूँ... तो क्या हुआ की आप मुझे इस तरह से झकझोर देते हैं...”
“दिस इस द सेक्सिएस्ट थिंग आई एवर हर्ड इन माई होल लाइफ! (यह मेरे जीवन की सबसे कामुक बात है, जो मैंने सुनी है)।“ कह कर मैंने उसको अपनी बाहों में समेट लिया।
“बस... हमें सतर्क रहना चाहिए।“ रश्मि ने मुस्कुराते हुए कहा।
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