Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
12-17-2018, 02:14 AM,
#41
RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
“जानू... अररर ... आपको देख कर ऐसा लग रहा था की आप भी एन्जॉय कर रही हैं.. इसलिए मैंने नहीं रोका।“ इससे बे-सर-पैर वाला बहाना या सफाई मैंने कभी नहीं दी!

“तो आपका यह कहना है की कोई भी मेरे साथ सेक्स कर लेगा.... क्योंकि मैं.... सेक्सी हूँ?”

“ऐसे कैसे कर लेगा, कोई भी! मेरे कहने का मतलब था की कोई भी आपके साथ सेक्स करना चाहेगा! आप सुन्दर हैं, जवान हैं...! कोई क्यों नहीं चाहेगा? हाँ – कुछ एक अपवाद हो सकते हैं।”

“इसका मतलब आप भी किसी सुन्दर और जवान लड़की को देख कर उसके साथ सेक्स करना चाहेंगे?”

“मैंने कहा न, कुछ एक अपवाद हो सकते हैं?”

“मतलब आप एक अपवाद हैं?”

“हाँ!”

“कैसे?”

“क्योंकि मैं आपसे प्यार करता हूँ!”

“अच्छा! और कोई कारण?”

“और हम दोनों मैरिड हैं!”

“हम्म... और?”

“और क्योंकि मैं आपसे झूठ नहीं बोलूँगा, और आपको किसी भी तरह की तकलीफ नहीं होने दूंगा!”

“अच्छा – तो आप किसी और लड़की को ‘मेरे लिहाज’ के कारण नहीं .... करेंगे! नहीं तो कर लेते?”

“जानू... मैं आपका गुस्सा समझ सकता हूँ.. लेकिन यह सब क्या है?”

“आप मुझे सीधा सीधा जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं? अच्छा, सच सच बताइए, जब आप किसी सुन्दर दिखने वाली लड़की को देखते हैं, तो उसके साथ सेक्स करने का मन नहीं होता?”

“जानू, मैंने कभी आपसे मेरे पिछले अफेयर्स के बारे में छुपाया? चाहता तो छुपा लेता! आपको कैसे मालूम होता? बताइए?”

“आपने मेरी बात का जवाब नहीं दिया?”

“क्या जवाब चाहिए आपको?”

“सच..”

“सच जानना है आपको? तो सुनो – हाँ बिलकुल मन में आता है की ऐसी लड़की दिखे तो पटक कर चोद दूं! लेकिन मुझमें और किसी रेपिस्ट या जानवर में कोई अंतर है... और वह अंतर है की मैं मानवता के बताये रास्ते पर चलता हूँ। मेरे अपने संस्कार हैं... और किसी की मर्ज़ी के खिलाफ जोर-जबरदस्ती करना गलत है।“

“.... और अगर लड़की चाहे, तो?”

“ज्यादातर लड़कियाँ ऐसे नहीं चाहती!”

“अच्छा! तो अब आपको ज्यादातर लड़कियों के मन की बातें भी पता हैं! वह! और आप ऐसा कह सकते हैं क्योंकि?”

“क्योंकि, मेरे ख़याल से, आदमी और औरतों की प्रोग्रामिंग बिलकुल अलग होती है!”

“अच्छा जी! आदमी चाहे तो कितनी ही लड़कियों की कोख में अपना बीज डालता रहे .. लेकिन औरतें बस एक ही आदमी की बन कर रहें, और उनके बच्चे पालें?”

“नहीं ... यह तो बहुत ही रूढ़िवादी सोच है! इस तरह से नहीं, लेकिन मेरे ख़याल से लड़कियाँ पहले प्रेम चाहती हैं, और फिर सेक्स!”

“अच्छा, एक बात बताइए.... अगर मॉरीन की जगह कोई आदमी होता तो?” रश्मि लड़ाई का मैदान छोड़ ही नहीं रही थी।

“तो उसकी टाँगे तोड़ कर उसके हाथ में दे देता। मैं आपसे सबसे ज्यादा प्रेम करता हूँ... और आपके प्यार को किसी के साथ नहीं बाँट सकता।“ मैंने पूरी दृढ़ता और इमानदारी से कहा।

“मतलब जो मॉरीन ने किया वह गलत था.. है न?”

“नाउ दैत यू पुट इट लाइक दैत (अब जब आप ऐसे कह रही हैं तो)... यस! हाँ .. वह गलत था।“ मैंने अपना दोष मान लिया।

“आपके लिए इतना काफी नहीं था की अपनी बीवी की नुमाइश लगा रखी थी...?” लेकिन रश्मि का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था, “.... शी वायलेटेड मी!” रश्मि चीख उठी! दिल का गुबार उस एक चीख के साथ निकल गया... रश्मि अब शांत होकर रो रही थी। मैंने उसको रोने दिया – मेरी गलती थी ... लेकिन मेरी माफ़ी के लिए उसको संयत होना आवश्यक था।

मैंने आगे बढ़ कर रश्मि को अपने आलिंगन में बाँध लिया और कहा,

"श्ह्ह्ह्ह .... प्लीज मत रोइये। मेरा आपको ठेस पहुचाने का कोई इरादा नहीं था। आई ऍम सो सॉरी! ऑनेस्ट! आपको याद है न, मैंने आपको प्रोमिस किया था की मैं आपको किसी भी ऐसी चीज़ को करने को नहीं कहूँगा, जिसके लिए आप राज़ी न हों? मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ, और आपको कभी दुखी नहीं देख सकता।" 

ऐसी बाते करते हुए मैं रश्मि को चूमते, सहलाते और दुलारते जा रहा था, जिससे उसका मन बहल जाए और वह अपने आपको सुरक्षित महसूस करे। जिस लड़की को मैं प्रेम करता हूँ, वह मेरे मूर्खता भरी हरकतों से दुखी हो गयी थी। 

"रश्मि ... मेरी बात सुनिए, प्लीज!"

“जानू, आई ऍम सॉरी! आई ऍम वेरी सॉरी! प्लीज मुझे माफ़ कर दीजिये। मैंने कभी भी यह सोच कर कुछ भी नहीं किया जिससे की आपकी बेइज्जती हो। मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ – अपनी जान से भी ज्यादा! और आपकी बहुत रेस्पेक्ट भी करता हूँ। प्लीज मेरी बात पर विश्वास करिए।“

“एंड, आई ऍम रियली वेरी सॉरी! अपने मज़े की धुन में मैंने यह नहीं सोचा की आपको और आपकी भावनाओं को ठेस लग सकती है। काम के वशीभूत होकर मैंने न जाने क्या क्या गुनाह किए हैं। मैं सच कहता हूँ मेरे मन में बस एक ही धुन सवार रहती है की किसी तरह आपके साथ सेक्स किया जाय..” 

मैंने कहते हुए उसके माथे को चूमा और उसके बालों को सहलाया, “... पर अब मुझे लगने लगा है की मैं अपनी परी के साथ ठीक नहीं कर रहा हूँ। मैं सच कहता हूँ की मैं आपको प्यार करता हूँ – और इसका मतलब है की सिर्फ आपके शरीर को नहीं .. आपके मन, दिल और पूरी पर्सनालिटी को! लेकिन आप मेरे पास रहती हैं तो अपने को रोक नहीं पाता – और सेक्स को स्पाइसी बनाने के लिए न जाने क्या क्या करता हूँ।“

रश्मि का रोना, सुबकना अब तक ख़तम हो गया था। वह अब तक संयत हो गयी थी और मेरी बातें ध्यान से सुन रही थी। उसने कुछ देर तक मेरी आँखों में देखा – जैसे, मेरे मन की सच्चाई मापना चाहती हो।

“जानू.. मैं भी आपके साथ प्यार की दुनिया बनाना चाहती हूँ। मेरा मन है की जैसे आपने मुझे अभी पकड़ा हुआ है, वैसे ही हम एक दूसरे को बाहों में जकड़े सारी जिन्दगी बिता दें। और आप मेरे साथ जितना मन करे, सेक्स करिए – जैसे मन करे, वैसे करिए। मुझे अपनी प्यार की बारिश से मेरे तन मन को इतना भर दीजिये कि मैं मर भी जाऊं तो मुझे कोई गम ना हो। ... बस, मुझे किसी और के साथ शेयर मत करिए!”

"हाँ मेरी जान! अब मैं ऐसी गलती कभी नहीं करूँगा! आई ऍम सॉरी!"

मैं रश्मि को आलिंगनबद्ध किये हुए ही बिस्तर पर बैठने लगा, और रश्मि भी मेरी गोद में आकर बैठ गई और अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी। वो इतनी प्यारी लग रही थी की मैंने उसके होंठों को चूम लिया। 

“आई लव यू! एंड, आई ऍम सॉरी! अब ऐसी गलती कभी नहीं होगी।”

“आई लव यू टू! और आपको सॉरी कहने की ज़रुरत नहीं।”

रश्मि को चूमने के साथ साथ मुझे समुद्री नमकीन स्वाद महसूस हुआ – मतलब, नहाने का उपक्रम करना चाहिए था। लेकिन उसको चूमने – उसके होंठो का रस पीने – से मेरा मन अभी भरा नहीं था। रश्मि मेरी गोद में बैठी थी और हमारे होंठ आपस में चिपके हुए थे। हम दोनों ही इस समय अपनी जीभें एक दूसरे के मुंह में डाल कर इस समय कुल्फी की तरह चूस रहे थे। मैं कभी उसके गालों को चूमता, तो कभी होंठो को, तो कभी नाक को, तो कभी उसके कानो को, या फिर उसकी पलकों को। इसी बीच मैंने कब उसकी बीच मैक्सी उतार दी, उसको शायद पता भी नहीं चला (ढीला ढाला हल्का कपड़ा शरीर पर पता ही नहीं चलता)। कोई 5 मिनट के चुम्बन के आदान प्रदान के बाद जब हमारी पकड़ कुछ ढीली हुई तो रश्मि को अपने बदन पर मैक्सी न होने का आभास हुआ। 

“जानू, आँखें खोलो।”

“नहीं पहले आप मेरी मैक्सी दीजिये.... मुझे शर्म आ रही है।”

“अरे शरम! मेरी रानी .... कैसी शरम? तुम इस कास्ट्यूम में कितनी खूबसूरत लग रही हो! मेरी आँखों से देखो तो समझ में आएगा!”

“धत्त!”

“और वैसे भी यह भी उतरने ही वाला है... नहाना नहीं है?”

उसने मुझे चिढ़ाते हुए कहा, “अच्छा जी... और आपको नहीं नहाना है? आपके कपडे तो ज्यों के त्यों हैं।”
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