RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
यह एक एकांत और छोटा टापू था और पूरी तरह निर्जन! इसके बीच में काफी पेड़ थे और इसका बीच नरम सफ़ेद रेत का बना हुआ था। मॉरीन ने बताया था की पांच मिनट में ही टापू पर पहुँच जायेंगे, इसलिए हमने कपड़े भी नहीं बदले थे, और ऐसे ही गीले गीले टापू पर पहुंचे। उस समय समुद्र में लहरें काफी ऊंची ऊंची उठ रही थी, इसलिए नाव को थोडा दूर ही लंगर दिया गया और टापू पर जाने के लिए एक बार फिर से समुद्र में कूदना पड़ा। नाविक और मॉरीन हमारे खाने पीने का सामान हमारे पास रखा, और हमें बताया की हम लोग यहाँ पर दो तीन घंटे आराम से रह सकते हैं, और दोनों टापू पर ही हमसे कुछ दूर पर बैठ कर अपना खुद खाने पीने लगे।
रश्मि और मैंने सोचा की इस टापू को थोडा और देखना चाहिए, और तट पर ही चलने लगे। रश्मि और उसका स्विमसूट पूरी तरह से गीला था और हवा के कारण उसको ठण्ड लग रही थी – रह रह कर उसके शरीर में झुरझुरी दौड़ जा रही थी। मैंने ऐसा देखा तो पीछे से उसकी कमर में हाथ डाल कर, उसे अपनी तरफ खींच कर चलना शुरू किया। चलते चलते मैंने देखा की उसका सूट उसके नितम्बो को ढक कम, और प्रदर्शित ज्यादा कर रहा था। अतः, मैंने उसके नितंबो को थोड़े जोश से रगड़ना शुरू कर दिया।
“आप यह क्या कर रहे हैं?”
“गर्मी पैदा कर रहा हूँ, जानू! आपके कपड़े पूरी तरह से गीले हैं, और हवा भी चल रही है। ऐसे में आपको ठंड लग सकती है।"
“आप बहुत ख़याल रखते हैं मेरा!”, रश्मि ने मुस्कुराते हुए कहा।
‘कैसी नासमझ लड़की है यह! – ऐसी अवस्था में कोई लड़की राका डाकू को मिल जाए, तो वह भी इसी प्रकार गर्मी पैदा करेगा।‘ हम लोग चलते चलते एक एकांत वाली जगह पर आ गए – वहां पर बीच काफी चौड़ा और समतल था। सूर्य की गर्म भी अच्छी आ रही थी।
"क्या इसे उतार सकती हो?" मैंने रश्मि को पूछा।
"क्यों?"
"आपकी बॉडी जल्दी सूख जायगी, अगर उसको गर्मी और हवा लगेगी।"
"लेकिन, वो लोग?”
“वो पीछे ही ठहरे हुए हैं। इधर नहीं आयेंगे... चिंता न करो!”
"अरे? ऐसे कैसे? अगर उनमे से कोई भी आ गया... और हमको ऐसी हालत में देखेगा तो क्या सोचेगा? और उनकी छोड़िए... मुझको ऐसे कोई और देखे तो मैं तो शरम से मर ही जाऊंगी!"
"आप भी क्या मरने मारने वाली बातें करती हैं? हनीमून पर आए हैं ... हमको कुछ तो मज़ा करना चाहिए? और पूरे इंडिया में ऐसी सूनसान जगह नहीं मिलेगी! जितना कपड़े उतार सको, उतना ही मस्त!!" मैंने समझाया, "कोई नहीं आएगा ... अब उतार दो न.."
“ठीक है। लेकिन यह डोर आपको खोलनी पड़ेगी...” कहकर रश्मि मुड़ कर खड़ी हो गई।
मैंने उसकी यह बात सुनकर आश्चर्यचकित हो गया। दिमाग में उत्तराँचल की वादियों में नग्न होकर आनंद उठाने का अनुभव याद आ गया। मैंने उसकी सूट की डोर खोली और जैसे केले का छिलका उतारते हैं वैसे ही स्विमसूट को उतार दिया। कुछ ही पलों में रश्मि पूर्ण नग्न होकर बीच पर खड़ी थी। मैंने उसका सूट सूखने के लिए बीच पर फैला दिया, और उसके बाद खुद भी अपना स्विमिंग ट्रंक उतार कर पूर्ण नग्न हो गया।
हम दोनों कुछ देर ऐसे ही नंगे पुंगे वहां पर खड़े होकर पानी सुखाते रहे, लेकिन वहां ऐसे रहते हुए भी (चाहे कितने भी अकेले हों), बेढंगा लग रहा था। खैर, ऐसे निर्जन बीच पर होने का फायदा यह है की वहां पर खूब सारे समुद्री तोहफे ऐसे ही बिखरे पड़े रहते हैं। मैंने रश्मि को बीच-वाक करने और सीपियाँ बीनने के लिए तैयार कर लिया,
“अरे, चलो, यहाँ पर ज़रूर अच्छे वाले शंख और सीपियाँ मिलेंगी – चल कर उनको ढूंढते हैं, और बीनते हैं।“
मैंने कहा और हम दोनों ऐसे ही पूर्ण नग्न, उस वीरान और निर्जन द्वीप पर घूमने चल दिए। अपना सब सामान उसी स्थान पर छोड़ दिया – भला किससे डरना? सूर्य की गर्मी शरीर पर बहुत अच्छी लग रही थी – अब तक सारा पानी सूख गया था और हवा भी थोड़ी सी ऊष्ण लगने लगी थी। मैंने सोचा की एक गलती हो गयी – बिना किसी प्रकार के सन-स्क्रीन क्रीम के ऐसे ही बीच पर घूमने से सन-बर्न हो सकता है। कुछ और नहीं तो सांवलापन बढ़ जाएगा – खैर, यही सोच के संतुष्टि कर ली की चलो कुछ विटामिन D ही बन जायेगा शरीर में।
सबसे आनंददायक बात यह थी की रश्मि इस प्रकार से नग्न होने में पूरी तरह से आश्वस्त थी – यह मैं मान ही नहीं सकता की उसको यह संज्ञान न हो की कम से कम दो अजनबी लोग कभी भी उसके सामने सामने आ सकते हैं और उसको उसकी पूर्ण नग्नता वाली स्थिति में देख सकते हैं। लेकिन मेरे साथ रहते हुए उसको अब ज्यादा आत्मविश्वास हो गया था। खैर, कोई तीन चार मिनट चलते रहते हुए ही हमको बढ़िया किस्म की बड़ी सीपियाँ और शंख मिलने लग गए – एक बार फिर से हमारे पास उनको एकत्र करने के लिए हमारे पास हाथों के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं था। हम लोग ऐसे ही कोई पंद्रह बीस मिनट तक घूमते रहे और फिर वापस अपने स्थान की ओर चल दिए। वापस आकर हमने खाना खाया और नर्म और गरम रेत पर लेट कर धूप सेंकने लगे और कुछ ही देर में हम दोनों को ही झपकी आ गई।
मॉरीन कब वहां आई, हमको इसका कोई ज्ञान नहीं। लेकिन उसने हम दोनों को न केवल एक दूसरे से गुत्थमगुत्था होकर सोते देखा, वरन उसी अवस्था में मेरे ही कैमरे से हमारी कई तस्वीरें भी उतार लीं।
(मॉरीन, जैसा की मैंने पहले ही बताया है, एक ऑस्ट्रेलियाई है और अंग्रेज़ी में बात करती है। हमारे वार्तालाप को अंग्रेज़ी और हिंदी, दोनों में ही लिखने की ऊर्जा नहीं है मुझमें, इसलिए यहाँ सिर्फ हिंदी में ही लिखूंगा। लेकिन कुछ शब्द अंग्रेजी के भी होंगे)
“अरे सोते हुए बच्चों, उठो... चलना भी है।“
“कक्या? ओह... मॉरीन? क्या हुआ?” मॉरीन ने मुझे ही हिला कर उठाया ... मैं हड़बड़ा गया।
“कुछ हुआ नहीं! लेकिन हमको कभी न कभी वापस भी तो चलना है न? ...और, देख रही हूँ की तुम दोनों बड़े मजे ले रहे हो! है न? हे हे हे!”
“कोई मज़ा वज़ा नहीं, मॉरीन। बस, थोड़ा धूप सेंकते सेंकते सो गए थे।“ मॉरीन के सामने ऐसे ही नग्न पड़े रहना लज्जाजनक तो था, लेकिन चूँकि वह भी ब्रा-पैंटीज में ही थी, इसलिए मैंने खुद को या रश्मि को छुपाने का कोई प्रयास नहीं किया। मॉरीन को जो भी कुछ देखना था, वह अब तक विस्तार से देख चुकी होगी।
“जैसा तुम कहो!” फिर उनींदी रश्मि को देखते हुए उसने मुस्कुरा कर कहा, “वेल, हेल्लो ब्यूटीफुल! नींद हो गई?” फिर मेरी तरफ मुखातिब होकर, “तुम्हारी पत्नी बहुत सुन्दर और सेक्सी है। तुम बहुत ही भाग्यशाली हो, दोस्त...!मेरे कहने का यह मतलब कतई मत निकालना की तुम किसी भी तरह से कम हो... लेकिन, ये बहुत सुन्दर हैं!”
“हाँ – यह बात मुझे मालूम है। इसीलिए तो मैंने इनसे शादी की है।“ हमारी बातों के बीच ही रश्मि ने अपना स्विमसूट उठा कर अपने शरीर पर इस तरह से डाल लिया जिससे उसकी जाहिर नग्नता छुप जाय। “हे! हम लोग यहाँ कुछ देर और नहीं रुक सकते? यहाँ बहुत अच्छा लग रहा है।“ मैंने आगे जोड़ा।
“बिलकुल रुक सकते हैं... लेकिन हमको एक निर्धारित समय के बाद रिसोर्ट में इत्तला देनी होती है। और यहाँ पर कोई दूरसंचार की सुविधा तो है नहीं... लेकिन.. मेरे पास एक विचार है। उसको बताने से पहले मैं तुमको एक बात बताना चाहती हूँ की जब आप लोग सो रहे थे, तो मुझे आप दोनों को ऐसे देख कर इतना अच्छा लगा की मैंने आप लोगो की ऐसी न्यूड फोटोज खींच ली...”
“क्या?!! दिखाना ज़रा!”
“आपके ही कैमरे से ली हैं... देख लीजिये।“ कह कर मॉरीन ने मेरा कैमरा मेरे हाथ में सौंप दिया।
मैंने कैमरा ऑन कर, तुरंत ही रिव्यु बटन दबाया – रश्मि भी अपनी छाती पर अपनी बिकिनी चिपकाए, उत्सुकतावश कैमरे की तस्वीरों को देखने मेरे बगल आ गई... इस बात से बेखबर की उसकी योनि से बिकिनी का वस्त्र हट गया है। खैर, जब हमने वो तस्वीरें देखीं तो हमको लज्जा, आश्चर्य और गर्व तीनों प्रकार के ही भाव आए।
ज्यादातर तस्वीरों में हम पूर्णतः नग्न अवस्था में आलिंगनबद्ध होकर सो रहे थे – मैं रश्मि की तरफ करवट करके लेटा हुआ था, ऐसे की मेरा बायाँ पाँव रश्मि के ऊपर था, और इस कारण मेरा लिंग और वृषण स्पष्ट दिख रहे थे। मेरा लिंग अर्ध स्तम्भन में खड़ा हुआ था और उसकी स्किन थोड़ी पीछे खिसकी हुई थी। रश्मि चित लेटी हुई थी और उसका सारा शरीर प्रदर्शित था। उसके छोटे छोटे स्तन, और उन पर आकर्षक निप्पल! सुन्दर, स्वस्थ और पतली बाहें और सपाट पेट! उसका बायाँ पाँव थोडा अलग हो रखा था जिस कारण उसका योनि द्वार थोडा खुला हुआ था।
“थैंक्स फॉर दीस पिक्चर्स! लेकिन, आप क्या कहने वाली थीं?”
“मैं यह कह रही हूँ की आप दोनों अपने हनीमून पर आये हैं... क्यों न मैं आप दोनों के और भी अन्तरंग फोटोस कैमरे में उतारूँ..? वैसी जैसी 2-एक्स या 3-एक्स फिल्मों में होता है? यू नो... जैसे आपका लिंग, इनकी योनि में...? क्या कहते हैं? वस्तुतः, मेरे ख़याल से आपके हनीमून की यह एक अच्छी यादगार निशानी बनेगी! इन तस्वीरों को जब आप लोग बीस साल बाद देखेंगे तो वापस एक और हनीमून करने का मन हो जायगा!”
मैंने रश्मि को संछेप में मॉरीन के सुझाव के बारे में बता दिया।
“नहीं बाबा! मैं नहीं कर पाऊंगी! इनके सामने कैसे ऐसे...?”
“जानू, देखो न... इनके सामने हम दोनों ही तो नंगे ही हैं...”
“लेकिन अगर उन तस्वीरों को कोई और देख ले तो?”
“अरे कौन देखेगा? हमारे बच्चे? हा हा! तो उनको बताएँगे की हमने उनको ऐसे बनाया था।“ मैंने शरारत भरी दलील दी।
रश्मि वैसे भी मेरी किसी भी बात का कोई विरोध तो करती नहीं... अतः उसने अंत में हामी भर दी। लेकिन एक शर्त पर की मॉरीन भी हमारे साथ निर्वस्त्र होकर कुछ तस्वीरें निकलवाए। मॉरीन ने कुछ सोचने के बाद हामी भर दी।
“अच्छी बात है!” मैंने कहा, “हम लोग क्या करें?”
“सबसे पहले तो रिलैक्स होने की कोशिश करिए... आपकी पत्नी तो अभी भी नर्वस लग रही हैं। पहले इन्ही की कुछ तस्वीरें निकाल लेती हूँ... ठीक है न?” अभी भी हम तीनों में सिर्फ मॉरीन ने ही कपड़े पहने हुए थे।
मॉरीन रश्मि को कभी मुस्कुराने, तो कभी कोई पोज़ बनाने को कहती – ‘हैंड्स इन एयर... हैंड्स ऑन हिप्स... लिक योर लिप्स... मेक अ पाउट.. शो सम ब्रैस्ट..’ रश्मि की इन झिझक और लज्जा भरी अदाओं का असर मुझ पर होने लग गया और मेरा लिंग जीवित होने लगा। रश्मि इस समय मॉरीन के निर्देशन में एक पेड़ के तने से टिक कर अपने दाहिने हाथ से खुद को और बाएँ हाथ से अपने बाएँ पैर को घुटने से मोड़ कर ऊपर की तरफ खींच रही थी। इसका प्रभाव यह था की रश्मि की पूरी सुन्दरता अपने पूरे शबाब पर प्रदर्शित हो रही थी।
ऐसा तो मैंने कभी सोचा ही नहीं... ‘यह मॉरीन तो वाकई एक कलाकार है!’
‘पिंच योर निप्पल’ रश्मि पर भी इस प्रकार के देह प्रदर्शन का अनुकूल प्रभाव पड़ रहा था। उसके निप्पल उत्तेजना से खड़े हो गए थे। ‘टर्न अराउंड... शो में सम हिप्स..’
फोटो खींचते हुए मॉरीन अब मेरी तरफ मुखातिब हुई – मैं सम्मोहित होकर रश्मि के उस नए रूप को निहार रहा था और अपने उत्तेजित लिंग पर प्यार से हाथ फिरा रहा था।
मॉरीन: “एक्साइटेड? अब तुम्हारी बारी...” मेरे किसी प्रतिक्रिया से पहले ही मेरी चार-पांच फोटो उतर चुकी थी। “ये इसकी देखभाल कैसे कर पाती है? उसके लिए बहुत बड़ा है! उसके क्या, मेरे लिए बहुत बड़ा है...” एक पल को जैसे मॉरीन फोटो लेना ही भूल गयी – और फिर जैसे तन्द्रा से जाग कर उसने मेरे लिंग की कुछ क्लोज-अप तस्वीरें भी ले डालीं।
फिर उसने रश्मि को रेत पर लेटने को कहा और मुझको रश्मि के दोनों ओर अपने घुटने टिका कर इस तरह बैठने को कहा जिससे मेरा स्तंभित लिंग रश्मि के मुख के ऊपर आ जाय। अब रश्मि को कुछ बताने की आवश्यकता नहीं थी – उसने स्वतः ही मेरा लिंग अपने मुँह में भर लिया और इस पूरी हरकत को मॉरीन ने पूरी निपुणता से कैमरा में कैद कर लिया। मुझसे रहा ही नहीं जा पा रहा था – मैंने अपने लिंग को रश्मि के मुख में थोडा और अन्दर तक घुसेड दिया।
“एनफ़ नाउ! प्लीज लिक हर निप्पल्स...”
|