RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
“अच्छा बेटा! मेरे पीठ पीछे यह सब करती थी? वेजाइना के साथ एक और नाम बताया था – याद है?”
“हा हा! नहीं नहीं... मैं तो बस यह देख रही थी की... की मेरी वेजाइना कितनी चौड़ी है, और कितनी फ़ैल सकती है! बस! सच्ची! बस और कुछ नहीं!”
“हा हा हा!”
“एक्सैक्ट्ली मेरी पहली उंगली जितनी ही तो चौड़ी है! और ये देखिये,” उसने उत्साह से अपनी तर्जनी दिखाते हुए कहा, “ये उंगली ही कितनी पतली है! और इतने में ही दर्द हो गया! उस दिन आपका पहली बार देखा तो मेरी सांस ही अटक गयी की यह कैसे अन्दर जाएगा!”
“देखो – उस दिन आपकी यह पतली सी उंगली ही ठीक से नहीं जा पा रही थी, और आज देखिये, मेरा ल्ल्लंड भी आराम से चला जाता है!”
“कोई आराम वाराम से नहीं जाता, आपका...!” बोलते बोलते रश्मि रुक गयी, और फिर, “.. मेरी जगह पर होते तो आपको मालूम पड़ता सारा आराम!”
“अच्छा, आपने मुझसे तो सब पूछ लिया – अब आप बताइए – आपने क्या किया?”
“जानेमन, मेरे पास तो ऐसे कारनामों की एक लम्बी फेहरिस्त है! बताने लग गया तो कई दिन निकल जायेंगे!”
“अच्छा जी! ह्म्म्म.. वैसे मुझे याद है, आपने बताया था की आपकी कई सारी गर्लफ्रेंड थीं। उनके साथ क्या क्या किया? सच बताइयेगा – मैं बुरा नहीं मानूंगी।“
"नहीं... सच ही बताऊँगा। आपसे झूठ बोलने वाला काम मैं कभी नहीं करूंगा। मैं आपसे यह वायदा करता हूँ की मैंने आपसे पहले कभी भी किसी लड़की के साथ सेक्स नहीं किया। सेक्स का मतलब अगर लिंग और योनि से है तो! लेकिन मैंने उनके साथ बहुत सारे अन्तरंग क्षण बिताये हैं। हमारे रिसेप्शन में आपको वो ‘हिमानी’ याद है? जिसने गुलाबी-हरे रंग की ड्रेस पहनी हुई थी... वो जिसके थोड़े बड़े-बड़े स्तन थे?”
“न...ही..!”
“अरे जिसने आपको चूमा था।“
“मुझे तो दो लोगो ने चूमा था – हाँ याद आया! अच्छा! वो आपकी गर्लफ्रेंड थी?”
“हाँ – उसका नाम हिमानी है। आपसे सच कहूँगा, मुझे किसी भी स्त्री में स्तन बहुत प्यारे लगते हैं। इसलिए जब मेरी हिमानी के साथ घनिष्ठता बढ़ी तो मैं उसके स्तनों को अक्सर ही चूमता, चूसता था। एक दिन बात काफी आगे बढ़ गई। मैंने उसके स्तनों के बीच में अपने लिंग को फंसा कर मैथुन किया – बड़ा आनंद भी आया! लेकिन सच कहता हूँ की इसके आगे कभी नहीं गया।”
“चलिए... मान लिया की आप सच कह रहे हैं! वैसे भी, आपके जीवन में मेरे आने से पहले जो हुआ, उससे मुझे क्या सरोकार होगा? लेकिन...”
“लेकिन?”
“लेकिन मेरे स्तन तो बहुत छोटे हैं।“
“छोटे नहीं हैं जानू – आप भी तो अभी छोटी हैं! धीरे-धीरे यह भी बढ़ेंगे! लेकिन, सच कहूँ तो अभी जैसे हैं, मुझे वैसे ही पसंद हैं ये दोनों!” कह कर मैंने आँख मार दी।
यहाँ लिखने में आसानी हो, इसलिए मैं बेहिसाब लिखा जा रहा हूँ। लेकिन सच तो यह है की रश्मि की जुबान यह सब बातें करते हुए बुरी तरह लड़खड़ा रही थी और उसकी आँखें भी ढलकी जा रही थीं। मैंने हम दोनों के लिए दो और गिलास लांग आइलैंड आइस्ड टी मंगाई, लेकिन ड्रिंक आते आते रश्मि को पूरी तरह से चढ़ गयी। अतः, मुझे ही दोनों ड्रिंक्स ख़तम करनी पड़ी। मेरे अन्दर चार, और रश्मि के अंदर दो गिलास मदिरा आ गयी थी – मुझे भी कोई ख़ास स्टैमिना तो था नहीं, और आखिरी दोनो ड्रिंक्स मुझे जल्दी जल्दी ख़तम करनी पड़ी। इसलिए मुझे भी नशा आ गया। मैंने बैरा को एक प्लेट कबाब का आर्डर दिया, जिससे अगर भूख लगे तो खाया जा सके और एक और बैरा की मदद से रश्मि को कमरे में ले आया।
रश्मि नशे के कारण सो गयी थी – लेकिन उसके माथे और सीने पर पसीने की बूंदे साफ़ दिख रही थीं। कमरे
के वातानुकूलन से रश्मि को ठण्ड लग सकती थी, इसलिए मैंने बिना उसको अधिक हिलाए डुलाये उसके सारे कपड़े उतार दिए। मुझे भी गर्मी सी लग रही थी (जैसा की मुझे हर बार मदिरा पीने से होता है) इसलिए मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए, और रश्मि के बगल बैठ कर, तौलिये से उसके शरीर से पसीना पोछने लगा।
वो कहते हैं न की नशे में स्वयं पर वश नहीं रहता। जब मैं रश्मि को पोंछ रहा था, तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई। मैंने बिना सोचे समझे ‘कम-इन’ बोल दिया। और परिचारक को एक पूर्णतया नग्न युगल को देखने का आनंद प्राप्त हो गया। जब तक मुझे हम दोनों की नग्नावस्था का भान होता तब तक इतनी देर हो चली थी की कुछ करने का कोई लाभ न होता। खैर, उसके जाने के बाद मुझे एक विचार कौंधा की क्यों न रश्मि की ऐसी हालत में कुछ तस्वीरें उतार ली जाएँ! मैंने झटपट अपना डी एस एल आर उठाया और रश्मि की नग्नता की कलात्मक और अन्तरंग कई तस्वीरें ले डाली। उसके बाद मैं सो गया।
अगली सुबह
मॉरीन ने मुझे सुझाव दिया की स्नॉर्कलिंग के लिए एक बहुत ही सुन्दर जगह है। उसको ‘इंग्लिश आइलैंड’ कहते हैं और उधर बहुत ही कम लोग जाते हैं। इस कारण से वहां का स्थानीय पर्यावरण सुन्दर है और बहुत ही अच्छे नज़ारे दिखते हैं। रकम थोड़ी अधिक लगती है, लेकिन आनंद भी बहुत आता है। मैंने सोचा, और हाँ बोल दिया। वैसे भी हम लोग यहाँ पर हनीमून के लिए आये हैं – अकेलापन तो चाहिए ही!
मैंने हल्की टी-शर्ट, स्विमिंग ट्रंक, कैप और सन-ग्लासेज पहने, और रश्मि ने नायलॉन-लाइक्रा का स्विमसूट पहना – वह बिना बाँह का, V-गले वाला परिधान था, जिसको पीछे डोरी से बाँधा जाता था। इस पर बहुरंग प्रिंट्स बने हुए थे। उसके ऊपर (जिससे उसको अटपटा न लगे) रश्मि ने एक लम्बी बीच मैक्सी, जिसका रंग पीला और हल्का हरा था, स्लीव-लेस, V-गले और बैक वाला परिधान पहना हुआ था। इसमें स्तनों के नीचे से रिब केज तक करीब चार इंच चौड़ा कोमल इलास्टिक लगा हुआ था। आज रश्मि को इस प्रकार के परिधान में देख कर मुझे कुछ-कुछ होने लगा। मन तो यही था की उसको वहीँ पटक कर सम्भोग करने लगूं, लेकिन जैसे तैसे मैंने खुद को जब्त कर लिया। लेकिन बोट पर चढ़ने और उसके बाद आइलैंड के करीब स्नोर्केलिंग वाले स्थान तक पहुँचने तक मैंने उसकी अनगिनत तस्वीरें खींच डाली।
मॉरीन हमारी गाइड भी थी और प्रशिक्षक भी। उसने हम दोनों को स्नोर्केलिंग की विधि के बारे में बताया और उपकरणों से जानकारी कराई – ऐसा कुछ खास तो होता नहीं, बसे एक आँखों पर लगाने के लिए मास्क और साँस लेने के लिए मुँह में लगाने वाली पाइप। खैर, गोत लगाने की बारी आई तो हम तीनों ने तैराकी की पोशाक में आने का उपक्रम करना आरम्भ किया। रश्मि बहुत झिझक रही थी, इसलिए मैंने उसको मैक्सी उतारने में मदद करी, और खुद की भी टी-शर्ट उतारी। मॉरीन ने टू-पीस स्विमिंग कॉस्टयूम पहना हुआ था। मैंने बोट चालक को कैमरा पकड़ा कर हम तीनों की तस्वीरें लेने को कहा – खुद बीच में खड़ा हुआ, दाहिनी तरफ रश्मि और बाईं तरफ मॉरीन!
और फिर हम तीनों समुद्र में उतर गए।
उस स्थान पर मूंगा-चट्टानों की बहुतायत थी – यह अनुभव जैसे समुद्र के अन्दर झाँकने जैसा था। समुद्र का ठंडा पानी, कानों में पानी के हलचल की आवाज़, और आँखों के सामने एक अलग ही दुनिया का अद्भुत नज़ारा!! आपने ‘फाइंडिंग निमो’ फिल्म देखी है? यहाँ पर वो वाली मछलियाँ बहुत दिख रही थीं। पानी यहाँ पर बहुत गहरा था – कम से कम 20-25 फीट गहरा। विभिन्न प्रकार की रंग-बिरंगी मछलियाँ हमारे चरों तरफ तैर रही थीं – मैंने कई बार कोशिश करी की एक को कम से कम छू लिया जाय – लेकिन मछलियाँ मुझसे कहीं तेज और चपल थीं। लेकिन यह खेल बड़ा ही मज़ेदार रहा। हमने अचानक ही एक बड़ी, ग्रे रंग की मछली देखी, जो कम से कम 3 फीट लम्बी रही होगी। ज्यादातर मछलियाँ 8 इंच से लेकर डेढ़ फीट तक की ही थीं। एक बार तो कोई सौ-डेढ़ सौ मछलियाँ हमारे इर्द गिर्द वृत्ताकार विन्यास में तैरने लगीं। उनको देखते देखते मानो समय ही रुक गया हो – न जाने कितनी ही देर वो हमारे चारो ओर चक्कर लगाती ही रही। और फिर अचानक ही सारी की सारी एक ओर निकल गईं। स्टार फिश, जेली फिश, एनिमोनी, और न जाने कौन कौन सी मछलियाँ दिखीं, जिनके नाम याद रखना अभी मेरे लिए संभव नहीं है। समुद्र तल भी साफ़ दिख रहा था – मूंगे की कई प्रकार की संरचनाएं, समुद्री सिवार, और तल पर बड़े आकार के सीपियाँ और शंख यूँ ही पड़े हुए थे। हमने कोई तीन घंटे तक इसी प्रकार से प्रकृति का आनंद उठाया। रश्मि इस नज़ारे को देख कर स्तब्ध हो गयी थी और अति प्रसन्न थी। खैर, हम लोग वापस बोट में बैठ कर इंग्लिश आइलैंड को चल दिए।
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