RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
रिसोर्ट से बीच का रास्ता काफी अधिक था – या यह कह लीजिये की ऑटो की टरटराती (?) तीव्र गति और खाली सड़क के कारण अधिक लग रहा हो। यह रास्ता भी बहुत ही मनोरंजक था – सड़क के दोनों तरफ हरे भरे पेड़ और दूर दूर तक सिर्फ हरियाली ही दिख रही थी। खैर, कोई पंद्रह मिनट में हम राधानगर बीच पहुँच गए। यहाँ की एक ख़ास बात है – इस बीच को टाइम मैगज़ीन ने एशिया के सबसे सुन्दर बीचों में एक घोषित किया है। वहां पहुँच कर तुरंत ही समझ आ गया की ऐसा क्यों है – मुलायम सफ़ेद बालू, शुद्ध फ़िरोज़ी समुद्र, साफ़ सुथरा और सुन्दर बीच, और ऊपर से अपूर्व शान्ति – कुल मिला कर एक बहुत ही असाधारण अनुभव! रश्मि के चेहरे पर आते-जाते भाव देखते ही बन रहे थे। पहाड़ों पर रहने वाली लड़की, आज अथाह समुद्र का आनंद ले रही थी।
नम और हल्की गर्म हवा बहुत ही अच्छी लग रही थी। सूर्यास्त होने में कुछ और समय था, इसलिए मैंने समुद्र में नहाने की सोची – रश्मि डर रही थी, इसलिए कैमरा देखने का बहाना कर के तक पर ही खड़ी रही। लेकिन इसमें क्या मज़ा! मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी, और अपने कैमरा बैग में रख कर बीच के ही एक दूकानदार के पास रख दिया। उसने मुझे आश्वस्त किया की उसके पास यह सुरक्षित रहेगा, और रश्मि को खींच कर समुद्र में ले गया। बीच की गीली रेत जब पानी के आवागमन से पैरों के नीचे से खिसकती है तो संतुलन बनाना बहुत मुश्किल होता है, ख़ास-तौर पर तब जब आप इस अनुभव के लिए बिलकुल नए हों। न तो मुझे, और न ही रश्मि को समुद्र और बीच का कोई अनुभव था, इसलिए पहली बार में ही हम दोनों पानी में गिर गए। नहाने ही आये थे, इसलिए गीला होने में कोई बुराई नहीं लगी।
हम दोनों को ही तैरना आता था, इसलिए कुछ ही देर में समुद्री लहरों से निबटने का तरीका आ गया और हमने कोई आधे घंटे तक तट पर ही तैराकी करी। इतने में ही सूर्यास्त होने का समय भी निकट आ गया इसलिए मैंने वापस बीच पर खड़े होकर कुछ फोटोग्राफी करने की सोची।
दूकानदार से कैमरा बैग लेकर मैंने सबसे पहले रश्मि पर फोकस किया। रश्मि की टी-शर्ट जगह के ही मुताबिक़ सफ़ेद रंग की थी – ब्रा तो उसने पहना ही नहीं था, इसलिए गीले और उसके शरीर से चिपक गए कपड़े से उसका शरीर पूरी तरह से दिख रहा था - उसके निप्पल स्पष्ट दिख रहे थे, और, चूंकि उसकी स्कर्ट भी पूरी तरह से उसके इर्द-गिर्द चिपक गयी थी और अन्दर की काले रंग की चड्ढी, और जांघें साफ़ दिख रही थी। अब चलने वाली हवा शरीर पर ठंडक दे रही थी – लिहाज़ा, रश्मि के निप्पल भी कड़े हो गए। इससे पहले की रश्मि अपनी इस स्थिति पर ध्यान दे पाती, मैंने दनादन उसकी कई दर्जन फोटो खींच डाली! और एक अच्छी बात यह दिखी की वहां पर जो भी लोग थे, किसी का भी व्यवहार लम्पटों जैसा नहीं था – न तो किसी ने रश्मि की तरफ कामुक दृष्टि डाली और न ही किसी प्रकार की छींटाकशी करी। एक और हनीमूनर को मैंने कैमरा पकडाया जिससे वह हम दोनों की कुछ फोटो ले सके।
मैंने रश्मि के नितम्ब पर एक चिकोटी काट कर उसके कान में गुनगुनाया,
‘समुन्दर में नहा के, और भी नमकीन हो गयी हो!
अरे लगा है प्यार का मोरंग, रंगीन हो गयी हो हो हो!’
मेरे हो हो करने से रश्मि खिलखिला कर हंसने लगी, “अपनी बीवी को सबके सामने नंगा करने में आपको अच्छा लगता है?”
मैंने भी बेशर्मी से जवाब दिया, “बहुत अच्छा लगता है!” और गुनगुनाना जारी रखा,
“हंसती हो तो दिल की धड़कन हो जाए फिर जवान!
चलती हो जब लहरा के तो दिल में उठे तूफ़ान...”
इतने में सूर्यास्त प्रारंभ हो गया – बीच पर सूर्यास्त अत्यंत नाटकीय होता है। उन पंद्रह-बीस मिनटों में प्रकृति विभिन्न रंगों की ऐसी सुंदर छटा बिखेरती है की उसका शब्दों में बखान नहीं किया जा सकता। जब मैंने रश्मि को पहली बार देखा था, तो मुझे भी ऐसी ही सांझ की अनुभूति हुई थी - मन को आराम देती हुई, पल-पल नए रंग भरती हुई! यह उचित था की ऐसी सुन्दर प्राकृतिक छटा के अवलोकन में मेरी प्रेयसी, रश्मि, जो खुद भी इस ढलती शाम के समान सुन्दर थी, मेरे साथ खड़ी थी। मैं जब फोटो खींचने और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद उठाने की तन्द्रा से बाहर निकला तो देखा की बीच लगभग वीरान हो चली है। कमाल की बात है न, लोग सूर्य के अस्त होते होते गायब हो गए! लेकिन मैं और रश्मि वहां कुछ और देर बैठे रहे। पास की चाय-पानी की दुकान वाला हमारे पास आया और पूछा की हम लोग कुछ लेंगे, तो हमने उसको चाय लाने के लिए बोल दिया। अभी लगभग अँधेरा हो गया था और कुछ दिख भी नहीं रहा था, इसलिए चाय पीकर, हमने वापसी करी।
रिसोर्ट वापस जाने के रास्ते में एक एटीएम से कुछ रकम निकाली और कुछ देर बाद हम लोग अपने रिसोर्ट में आ गए। हनीमून का पहला दिन बहुत बढ़िया बीत रहा था। ऑटो वाले को पैसे देकर मैंने रिसेप्शन पर एडवेंचर स्पोर्ट्स की बात करी। उन्होंने हमको स्कूबा-डाइविंग, स्नोर्केलिंग, और ट्रेकिंग के बारे में विस्तार में बताया। पुनः, चूंकि यह सब कुछ हमारे लिए नया था, इसलिए हम सबसे आसान और सुरक्षित कार्य करना चाहते थे। रिसेप्शनिस्ट ने हमको डाइविंग प्रशिक्षकों से मिलवाया। ये दोनों विदेशी महिलाएं थीं – मॉरीन और आना! दोनों बत्तीस से पैंतीस वर्षीय पेशेवर डाइवर थीं – मॉरीन ऑस्ट्रेलिया की मूल निवासी थी और आना इंग्लैंड की। और सबसे ख़ास बात – दोनों समलैंगिक थीं और साथ ही रहती थीं। यह सब बातें मुझे बाद में मालूम पड़ीं। खैर, उन्होंने बताया की फिलहाल दोनों फ्री हैं, और इसलिए वे अगले दो तीन दिनों में रश्मि और मुझे विभिन्न प्रकार के डाइव करवा सकती हैं। मैंने कहा की फिलहाल तो हम लोग स्नोर्केलिंग से शुरू करना चाहते हैं – एक बार पानी की समझ आनी ज़रूरी है। मॉरीन ने कहा की वह हमको स्नोर्केलिंग करवाएगी और अगले सवेरे तैयार रहने को बोला।
देर शाम रश्मि ने अपने घर पर फ़ोन लगाया और देर तक अपनी शादी के रिसेप्शन, हवाई यात्रा और अंडमान के बारे में बाते बताईं। रश्मि का उत्साह देखते ही बन रहा था – स्पष्ट रूप से वह बहुत ख़ुश थी और यह एक अच्छी खबर थी। मैंने उसके बात करने के बाद कुछ देर अपने ससुराल पक्ष के लोगो से बात कर अपनी औपचारिकता निभाई। अब आप लोग ही बताइए "आप क्या कर रहे हैं?" जैसे प्रश्नों का क्या उत्तर दूं? कभी कभी मन में आता है की कह दूं की आपकी बेटी के साथ सेक्स कर रहा हूँ... लेकिन!
खैर, शाम को रिसोर्ट में लाइव म्यूजिक का कार्यक्रम आरम्भ हुआ – बैंड के लोग अंग्रेजी और हिंदी के विभिन्न शैलियों के गाने गा-बजा रहे थे। बगल में ही एक बार था, जहाँ पर बैठ कर मदिरा और संगीत का आनंद उठाया जा सकता था।
“जानेमन, कॉकटेल पियोगी?” मैंने पूछा।
“वो क्या होता है?”
“कॉकटेल यानी अल्कोहलिक मिक्स्ड ड्रिंक... पियोगी?”
“मतलब शराब!? न बाबा! आप पीते हैं?” जब मैंने हामी भरी तो, “हाय राम! और क्या क्या करते हैं?”
“अबे! मैं कोई शराबी थोड़े ही न हूँ! मैं पीता हूँ तो बस कभी-कभार... किन्ही ख़ास मौकों पर! जैसे की हमारा हनीमून!”
“आप पीजिये, मैं ऐसे ही ठीक हूँ!”
“अरे एक बार ट्राई तो करो – यह कोई देसी ठर्रे की दूकान नहीं है। ये जो बार में बैठा है वह एक प्रोफेशनल मिक्सर है। इसको ख़ास ट्रेनिंग मिली हुई है.. एक कॉकटेल ट्राई करो, मज़ा न आये तो मत पीना! ओके?”
ऐसे न जाने कितनी ही देर मनाने के बाद आखिरकार रश्मि ने हथियार डाल ही दिए। मैंने बारमैन को दो ‘लांग आइलैंड आइस्ड टी’ बनाने को कहा।
“आप तो कॉकटेल कह रहे थे, और अभी चाय मंगा रहे हैं!”
“चाय नहीं है – दरअसल इस ड्रिंक का नाम ऐसा इसलिए है क्योंकि इसका रंग और स्वाद ‘आइस्ड टी’ जैसा लगता है... जी हाँ, चाय को ठंडा भी पिया जाता है!”
“और यह लांग आइलैंड क्यों?”
“शायद इसलिए क्योंकि इस ड्रिंक के आविष्कारक को इसका आईडिया न्यूयॉर्क के ‘लांग आइलैंड’ नाम के द्वीप में आया था।“ मैं इस बात को छुपा गया की ‘लांग’ दरअसल अल्कोहल की सामान्य से कुछ ज्यादा ही मात्रा को दर्शाता है।
“ह्म्म्म... लेकिन, अगर पापा को मालूम पड़ेगा तो वो बहुत नाराज़ होंगे।“
“पहला, पापा को क्यों मालूम पड़ेगा? और दूसरा, अगर मालूम पड़ भी जाय, तो क्या? अब आप मेरी हैं! मेरी गार्जियनशिप में!” मैंने आँख मारते हुए कहा।
कुछ ही देर में हमारी ड्रिंक्स आ गईं।
“आराम से पीना... धीरे धीरे! ओके?” मैंने हिदायद दी।
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